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  • Nitin Gadkari ने कहा – देश के आर्थिक सुधारों के लिए मनमोहन सिंह का ऋणी..


    डेस्क : केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आर्थिक सुधारों के जरिए देश को नई दिशा देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मंगलवार को प्रशंसा करते हुए कहा कि इसके लिए देश उनका हमेशा ऋणी है। नितिन गडकरी ने यहां आयोजित ‘TIOALपुरस्कार 2022’ समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों ने भारत को एक नई दिशा दिखाने का कार्य किया।

    ‘भारत देश मनमोहन सिंह का ऋणी’ :

    ‘भारत देश मनमोहन सिंह का ऋणी’ : उन्होंने पोर्टल ‘Taxindiaonline’ की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में कहा, ”उदार अर्थव्यवस्था के कारण देश को एक नई दिशा मिली। उसके लिए देश मनमोहन सिंह का ऋणी है।” नितिन गडकरी ने मनमोहन की नीतियों से 90 के दशक में महाराष्ट्र की सड़कों के लिए पैसे जुटाने में मिली मदत का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह की तरफ से शुरू किए गए आर्थिक सुधारों की वजह से वह महाराष्ट्र के मंत्री रहने के दौरान इन सड़क परियोजनाओं के लिए धन जुटा पाए थे।

    ‘देश को हैं उदार आर्थिक नीति की जरूरत’ :

    ‘देश को हैं उदार आर्थिक नीति की जरूरत’ : नितिन गडकरी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को एक उदार आर्थिक नीति की जरूरत है जिसमें गरीबों को भी लाभ पहुंचाने की मंशा हो। उन्होंने कहा कि उदार आर्थिक नीति किसानों एवं गरीबों के लिए ही है। उन्होंने उदार आर्थिक नीति के माध्यम से देश का विकास करने में चीन को एक बेहद अच्छा उदाहरण बताया। नितिन गडकरी ने भारत के संदर्भ में कहा कि आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए देश को अधिक पूंजीगत निवेश की भी जरूरत होगी।

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  • दुधारू पशुओं को ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन देने पर जाएंगे जेल; ‘इस’ राज्य द्वारा उठाया गया एक बड़ा कदम

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था कृषिबाद में पशुपालन पर निर्भर करता है। जिन किसानों के पास जमीन नहीं है, वे भी पशुपालन करके अपनी आजीविका कमाते हैं। दूसरे शब्दों में, ग्रामीण भारत में करोड़ों लोगों की आजीविका पशुधन पर निर्भर करती है। वहीं, लाखों लोग हैं जो पशुपालन से करोड़ों कमाते हैं। इसके साथ ही कई लोग गाय और भैंस के दूध से बने उत्पादों का व्यवसाय भी कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें अधिक दूध की आवश्यकता होती है। इसके लिए वे मवेशियों को टीका लगाते हैं, ताकि वे अधिक दूध दें। लेकिन ऐसे लोगों को पता होना चाहिए कि यह पशु क्रूरता है। ऐसा करने पर अब उन्हें सजा मिल सकती है।

    दरअसल, पशुओं के स्वास्थ्य और अधिक दूध उत्पादन के लिए चरवाहे लालच से टीकाकरण करते हैं। पशु मालिकों की यह प्रथा पूरी तरह से अवैध है। वहीं, देश में कई डेयरी फार्म हैं, जो अधिक दूध उत्पादन के लिए मवेशियों को ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन लगा रहे हैं। इसलिए यह इंजेक्शन प्रतिबंधित है। पशु चिकित्सक की सलाह पर ही इसका प्रयोग करें। लेकिन कई डेयरी किसान इसका दुरुपयोग करते हैं। इन चरवाहों और डेयरी फार्म मालिकों को पता होना चाहिए कि ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।


    ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन क्यों?

    ऑक्सीटोसिन को गर्भाशय में मवेशियों में इंजेक्ट किया जाता है। यह इंजेक्शन गाय के बच्चे को गर्भाशय को सिकोड़कर गर्भाशय से बाहर निकलने में मदद करता है। लेकिन ज्यादातर लोग इस इंजेक्शन का इस्तेमाल मवेशियों में दूध बढ़ाने के लिए अप्राकृतिक तरीके से करते हैं। क्योंकि इसके सेवन से दुग्ध ग्रंथियों में उत्तेजना बढ़ती है। अधिकांश दूध पेशेवर ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का उपयोग करते हैं। ऐसे लोगों को पता होना चाहिए कि जानवरों में ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन लगाने वालों पर अब शिकंजा कसा जा रहा है. इसके लिए सरकार ने सजा का प्रावधान किया है।

    प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार के पशु एवं मत्स्य विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर पशु मालिकों को ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन न लेने की सलाह दी है. आपात स्थिति में भी, पशु चिकित्सक से परामर्श के बाद ही इसका उपयोग करने की सलाह दी जाती है। वहीं, अधिक जानकारी के लिए विभाग ने एक हेल्पलाइन नंबर- 0612-2226-49 जारी किया है। पशुचिकित्सक यहां जानकारी के लिए कॉल कर सकते हैं।


  • अब 10 साल में Aadhar Card को कराना होगा अपडेट – सरकार ने नियम में किया संशोधन..


    डेस्क : सरकार ने आधार कार्ड में अपडेशन को लेकर नया आदेश जारी कर दिया है. इसके लिए आधार के नियमों में कुछ संशोधन भी किया गया है. इस संशोधन का नाम आधार (एनरोलमेंट एंड अपडेट) (10वां संशोधन) रेगुलेशन, 2022 रखा गया है. सरकार ने इस संशोधन का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. नये नियम के मुताबिक अब आपको 10 साल में एक बार आधार कार्ड को अपडेट कराना भी अनिवार्य होगा. अब आपको प्रूफ आफ आईडेंटिटी और एड्रेस प्रूफ अपडेट करना होगा. सरकार ने नई गाइडलाइन जारी करके आधार अपडेट कराना अनिवार्य कर दिया

    इस संशोधन के मुताबिक, जिस दिन आधार नंबर के लिए एनरोलमेंट कराया गया, उस दिन से 10 साल पूरा होने पर आधार कार्डहोल्डर को पहचान प्रमाण पत्र और एड्रेस का प्रमाण पत्र जमा करके कम से कम एक बार आधार को अपडेट कराना होगा. इस बारे में आधार की एजेंसी यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी और इंडिया यानी कि UIDAI ने कहा है कि जिन लोगों ने 10 साल पहले तक आधार कार्ड बनवाया है और अभी तक एक बार भी अपडेट नहीं करवाया है, उन्हें अपने पहचान पत्र और पता प्रमाण पत्र के साथ इसे अपडेट कराना बेहद जरूरी है.

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  • रबी की बुवाई से पहले बीजोपचार करें; जानिए ट्राइकोडर्मा के बीजों को संसाधित करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: किसान मित्रों, बुवाई से पहले बीज उपचार एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। इस समय राज्य में रबी फसलों की बुवाई चल रही है। आज के लेख में हम ट्राइकोडर्मा सीडिंग के फायदों के बारे में जानेंगे। ट्राइकोडर्मा की कई प्रजातियां हैं। लेकिन उनमें से सबसे महत्वपूर्ण और प्रचुर प्रजातियां हैं जैसे:

    1) ट्राइकोडर्मा एस्पेरिलियम (विरिडी)
    2) ट्राइकोडर्मा हर्जियानम


    ये किस्में कृषि और फसल की दृष्टि से सुरक्षित और महत्वपूर्ण हैं। कृषिप्रकृति में इसके उपयोग से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। आइए देखते हैं वसंतराव नायक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा फसलों में ट्राइकोडर्मा के कार्य के बारे में दी गई जानकारी ट्राइकोडर्मा किन रोगों के लिए उपयोगी है।

    फसलों में ट्राइकोडर्मा की क्रिया का तरीका

    फसल में एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि की मात्रा को बढ़ाता है। ट्राइकोडर्मा मिट्टी के विभिन्न कवकों को खाता है और उनसे पोषक तत्वों को अवशोषित करता है। नतीजतन, रोगजनक कवक में कार्बन, नाइट्रोजन, विटामिन की कमी होती है। ट्राइकोडर्मा मिट्टी में ग्लिटोटॉक्सिन और विरिडिन नामक एंटीबायोटिक्स का उत्पादन करता है। यह रोगजनक कवक की मात्रा को कम करता है।


    ट्राइकोडर्मा का उपयोग करने के लाभ?

    बीज के अंकुरण को बढ़ाता है। पौधे की जैव रासायनिक प्रक्रियाओं को बदलकर पौधे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। पौधों की जड़ों की संख्या और लंबाई में वृद्धि। फसल की वृद्धि जोरदार है। पौधों की जड़ों पर ट्राइकोडर्मा की वृद्धि रोगजनक कवक के जड़ों तक प्रवेश को रोकती है। अतः पौधे की सड़न, जड़ सड़न, पपड़ी, झुलसा, ख़स्ता फफूंदी, बोट्रीटिस, डाईबैक आदि रोगों से रक्षा करते हैं। फंगस ट्राइकोडर्मा मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों पर भी उगता है। इसलिए इसका प्रभाव अच्छे कार्बनिक पदार्थ वाली मिट्टी में लंबे समय तक बना रहता है।

    ट्राइकोडर्मा की बुवाई करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

    सूखी मिट्टी में ट्राइकोडर्मा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ट्राइकोडर्मा के विकास के लिए पर्याप्त मिट्टी की नमी आवश्यक है। ट्राइकोडर्मा से उपचारित बीजों को सीधी धूप में नहीं रखना चाहिए।


    ट्राइकोडर्मा किन फसलों और कवक रोगों के लिए उपयोगी है?

    1) ज्वार- कानी, कोयला, अनाज कवक

    2) हल्दी – कंदकुजू


    3)अदरक (अदरक)-कंदकुजू

    4) तूर – फाइटोफ्थोरा, डाई


    5) ग्रामभार – मृत, जड़

    6) सोयाबीन – मारा, मूक्ज़ू


    7) मिर्च- मार्च, जड़

    8) मूंगफली- कंथिकूज, मूलकूजू


    9) तरबूज- मृत

    10) मौसंबी – मारू


    11) केला – मृत


  • ये है देश की बेस्ट माइलेज वाली Car – 1 लीटर में 30KM चलेगी, कीमत है आपके बजट में..


    डेस्क : कार चलाने वालों को हाल के कुछ हफ्तों में पेट्रोल के रेट में कुछ राहत तो दिखी होगी। क्योंकि केंद्र और कुछ राज्य सरकारों ने टैक्स दरों में कटौती की है। इसके बाद पेट्रोल की कीमतें स्थिर ही हैं। मगर पिछले 2 वर्षों में पेट्रोल की कीमतों को देखते हुए आगे ईंधन की कीमतों में और बढ़ोतरी से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।

    ऐसे में एक दमदार Milaze वाली कार होने से आपको थोड़ी बचत करने में भी मदत मिल सकती है। यहां हम बताएंगे कि इस समय बाजार में सबसे अधिक Milaze वाली पेट्रोल कारें कौन सी हैं। इस लिस्ट में अधिकतर कारें Maruti की हैं।

    Maruti सेलेरियो एएमटी और Dzire AAMT सेलेरियो के लॉन्च के बाद Maruti की हैचबैक ने आठ स्थानों की छलांग लगाई और 9 से पहले पायदान पर पहुंच गयी। इसने माइलेज के माइलेज के मामले में Dzire एएमटी को पछाड़ दिया। ये कार 26.68 Km तक का माइलेज देने में सक्षम है। इस कार की कीमत 4.99 लाख रु से 6.44 लाख रु है। वहीं डिजायर AAMT 24.12 Km तक का माइलेज सकती है। Dzire की कीमत इस समय 5.99 लाख रु से 8.58 लाख रु है।

    Toyota ग्लैंजा और Maruti Suzuki बलेनो मारुति सुजुकी बलेनो और टोयोटा ग्लैंजा दोनों 23.87 Km तक का माइलेज दे सकती हैं। दोनों ही एक साथ में तीसरे नंबर पर हैं। Baleno की कीमत 5.99 लाख रु से 9.45 लाख रु तक है। वहीं Toyota ग्लैंजा का रेट 7.49 लाख रु से 9.45 लाख रु तक है।

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  • Weather Update : तापमान में उतार-चढ़ाव बना रहता है; राज्य में आज शुष्क मौसम

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: किसान मित्र राज्य में इस समय तापमान में उतार-चढ़ाव (Weather Update) का दौर जारी है। वर्तमान में अधिकांश क्षेत्रों में सुबह के समय अधिकतम दिन के तापमान में वृद्धि देखी जा रही है गरथा इस बीच, पिछले 24 घंटों में न्यूनतम 12 डिग्री सेल्सियस और राज्य में अधिकतम तापमान 31 से 35 डिग्री के बीच दर्ज किया गया है। मौसम विभाग ने आज राज्य में शुष्क मौसम की भविष्यवाणी की है।

    मौसम की स्थिति?

    (मौसम अपडेट) बुधवार (9 तारीख) को श्रीलंका के तट के साथ दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाव का क्षेत्र बना है। यह प्रणाली आज (11 बजे) तक और तेज होने की संभावना है, शनिवार (12 बजे) तक तमिलनाडु और पादुचेरी के तट और फिर अरब सागर की ओर पहुंचने के संकेत हैं।


    तापमान कहाँ है? (मौसम अद्यतन)

    राज्य के विभिन्न स्थानों पर बुधवार (नौवीं) सुबह तक 24 घंटे के दौरान न्यूनतम तापमान कोष्ठक में (डिग्री सेल्सियस में) दर्ज किया गया:

    पुणे 31.2 (12.8)
    शहर 33.0 (-)
    जलगाँव 33.6 (15.8)
    धुले 33.0 (12.0)
    कोल्हापुर 31.6 (17.0)
    महाबलेश्वर 26.9(13.4)
    नासिक 30.9 (13.8)
    निफाड 30.0 (12.5)
    सांगली 31.8(15.8)
    सतारा 31.5(14.7)
    सोलापुर 33.8 (17.0)
    सांता क्रूज़ 34.4 (22.4)
    दहानु 33.0 (21.5)
    रत्नागिरी 35.2 (20.9)
    औरंगाबाद 31.2 (13.4), नांदेड़ 33.2 (16.8), उस्मानाबाद – (15.0), परभणी 31.3 (15.0), अकोला 33.4 (17.1), अमरावती 32.4 (15.3), बुलढाणा 31.2 (16.5), ब्रह्मपुरी 33.2 (16.9), चंद्रपुर 30.6 (17.8), गढ़चिरौली 31.0 (15.6), गोंदिया 30 .4 (15.5), नागपुर 31.7 (16.2), वर्धा 31.5 (16.8), वाशिम 34.0 (-), यवतमाल 31.5 (14.5)।


  • अब BSNL देगा 4G और 5G सर्विस – PM Modi ने दिया TCS को ठेका..


    डेस्क : सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले से भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) का 4G सेवाएं देने का रास्ता साफ हो गया। काफी समय से BSNL का एक बड़ा आर्डर सरकार की स्वीकृति की राह देख रहा था। इस आर्डर पर अब सरकार ने अब मोहर लगा दी है। इसके बाद TCS तुरंत BSNL के लिए 4G नेटवर्क तैयार करने में जुट जाएगी।

    अगर सब कुछ सही चला तो उम्मीद यही है कि कुछ समय बाद TCS BSNL के लिए 5G नेटवर्क भी तैयार करे। जानिए कितना बड़ा है यह ठेका सरकार ने BSNL के लिए 4G नेटवर्क बनाने के लिए TCS को 26281 करोड़ रुपये का ठेका दिया है। इसके बाद अब जल्द ही TCS 1 लाख साइट पर 4G नेटवर्क तैयार करने का काम शुरू कर देगी। TCS पहले BSNL के लिए 4G साइट्स तैयार करेगी, और बाद में उनकी 9 साल तक देखभाल भी करेगी।

    टेलीकॉम विभाग के अधिकारियों के अनुसार उम्मीद है कि BSNL की 4G सेवाएं दिसंबर या जनवरी में लांच हो सकती है। बाद में इनको धीरे धीरे पूरे देश में फैलाया भी जाएगा। टेलीकॉम विभाग के कुछ अधिकारियों के अनुसार TCS ने बताया है कि आर्डर जारी होने के बाद 12 महीने के अंदर ही सभी महत्वपूर्ण उपकरण की आपूर्ति भी कर दी जाएगी। हालांकि रेडियो उपकरण की आपूर्ति में 18 से 24 महीने तक का समय लग सकता है। ऐसी चिप की आपूर्ति के चलते हो सकता है।

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  • भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की 134 वीं जयंती पर विशेष

    राकेश बिहारी शर्मा – आधुनिक भारत के इतिहास के महान विभूतियों में शामिल मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने जीवन पर्यंत देश की सेवा की। भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का असली नाम अबुल कलाम ग़ुलाम मुहियुद्दीन था। वे मौलाना आज़ाद के नाम से मशहूर थे।
    मौलाना अबुल कलाम आजाद एक कवि, एक विद्वान, एक पत्रकार और एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किए जाते है, जिनका सबसे बड़ा योगदान अभी भी शिक्षा का उपहार है। मौलाना आज़ाद जी बहुभाषीय जानकर थे, जैसे अरबिक, इंग्लिश, उर्दू, हिंदी, पर्शियन और बंगाली भाषा में भी निपुण थे। मौलाना आज़ाद किसी भी मुद्दे पर बहस करने में दक्ष थे। उन्होंने धर्म के एक संकीर्ण दृष्टिकोण से मुक्ति पाने के लिए अपना उपनाम “आज़ाद” रख लिया था। राष्ट्र के प्रति उनके अमूल्य योगदान के लिए मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को मरणोपरांत 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

    अबुल कलाम आज़ाद का जन्म, परिवारिक जीवन एवं शिक्षा

    भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का में हुआ था। उनके परदादा बाबर के ज़माने में अफ़ग़ानिस्तान के एक शहर हेरात से भारत आये थे। आज़ाद एक पढ़े लिखे मुस्लिम विद्वानों या मौलाना वंश में जन्मे थे। उनकी माता अरब देश के शेख मोहम्मद ज़हर वत्री की पुत्री थीं और पिता मौलाना खैरुद्दीन अफगान मूल के एक बंगाली मुसलमान थे। खैरुद्दीन ने सिपाही विद्रोह के दौरान भारत छोड़ दिया और मक्का जाकर बस गए। जब 2 साल के थे आजाद 1890 में वह अपने परिवार के साथ कलकत्ता वापस आ गए थे।
    उनकी आरंभिक शिक्षा इस्लामी तौर तरीकों से हुई। घर पर या मस्ज़िद में उन्हें उनके पिता तथा बाद में अन्य विद्वानों ने पढ़ाया। इस्लामी शिक्षा के अलावा उन्हें दर्शनशास्त्र, इतिहास तथा गणित की शिक्षा भी अन्य गुरुओं से मिली। आज़ाद ने उर्दू, फ़ारसी, हिन्दी, अरबी तथा अंग्रेजी़ भाषाओं में महारथ हासिल की। मौलाना अबुल कलाम आजाद जब सिर्फ 12 साल के थे, तब उन्होंने किताबें लिखनी शुरु कर दी थी। सत्रह वर्ष की अवस्था में 1905 में वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए मिस्र गए और काहिरा के अल-अजहर विश्वविद्यालय में दो वर्ष तक शिक्षा प्राप्त की। वहां भी उन्होंने अपनी प्रतिभा की जबर्दस्त धाक जमाई। उनके शिक्षक उनके बारे में कहा करते थे- “वह पैदायशी आलिम है।” साथ ही युवा अवस्था से ही वे पत्रकार के तौर पर काम करने लगे थे। उन्होंने कई समाचार पत्रों में काम किया था। इस दौरान वे राजनीति से जुड़े हुए अपने कई लेखों को भी प्रकाशित करवाते रहते थे।
    मौलाना आजाद ने ”अल-मिस्वाह” के संपादक के तौर पर भी काम किया था। इसके अलावा मौलाना आजाद में अपने कई लेख ब्रिटिश राज के खिलाफ प्रकाशित किए थे। मौलाना आजाद छात्र जीवन में ही अपना पुस्तकालय चलाना शुरू कर दिया, साथ ही एकडिबेटिंग सोसायटी की भी शुरुआत की थी। उस दौरान वे अपनी दोगुनी उम्र वाले छात्रों को पढ़ाते थे, दरअसल उन्हें लगभग सभी परंपरागत विषयों का ज्ञान हो गया था।

    अबुल कलाम आजाद का राजनैतिक सफर

    मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को असहयोग आन्दोलन से लेकर 1942 तक के भारत छोड़ो आन्दोलन तक कई बार उन्हें गिरफ्तार किया गया। असहयोग आन्दोलन में उन्होंने आगे बढकर भाग लिया था। वर्ष 1923 और 1940 में दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये थे। वर्ष 1945 में रिहाई के बाद उन्होंने ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधियों से समझौता वार्ता में भाग लिया और स्वतंत्रता के बाद उन्हें भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बनाया गया। मौलाना आजाद सहिष्णु विचारो के धनी व्यक्ति थे। उनकी मान्यता थी कि जब सब धर्म एक ही परमेश्वर की प्राप्ति का मार्ग है तो उसमें संघर्ष क्यों हो। अबुल कलाम बड़े ही प्रभावशाली वक्ता और उर्दू भाषा के उच्च कोटि के लेखक थे। उनकी पुस्तके उर्दू गध्य का आदर्श मानी जाती है। अंग्रेजी में भी उन्होने ख़ास महत्वपूर्ण लेखन किया।
    आजाद अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ़ थे। उन्हेंने अंग्रेजी सरकार को आम आदमी के शोषण के लिए जिम्मेवार ठहराया। उन्होंने अपने समय के मुस्लिम नेताओं की भी आलोचना की जो उनके अनुसार देश के हित के समक्ष साम्प्रदायिक हित को तरज़ीह दे रहे थे। अन्य मुस्लिम नेताओं से अलग उन्होने 1905 में बंगाल के विभाजन का विरोध किया और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के अलगाववादी विचारधारा को खारिज़ कर दिया। आजाद ने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना आरंभ किया और उन्हें श्री अरबिन्दो और श्यामसुन्हर चक्रवर्ती जैसे क्रांतिकारियों से समर्थन मिला। आज़ाद की शिक्षा उन्हे एक किरानी बना सकती थी पर राजनीति के प्रति उनके झुकाव ने उन्हें पत्रकार बना दिया। उन्होने 1912 में एक उर्दू पत्रिका अल हिलाल का सूत्रपात किया। उनका उद्येश्य मुसलमान युवकों को क्रांतिकारी आन्दोलनों के प्रति उत्साहित करना और हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल देना था। उन्होने कांग्रेसी नेताओं का विश्वास बंगाल, बिहार तथा बंबई में क्रांतिकारी गतिविधियों के गुप्त आयोजनों द्वारा जीता। उन्हें 1920 में राँची में जेल की सजा भुगतनी पड़ी।

    वर्ष 1930 के आंदोलन में जब कांग्रेस के अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू को अंग्रेज सरकार ने गिरफ्तार कर लिया, तब मौलाना आजाद को उनकी जगह कांग्रेस अध्यक्ष नामजद किया गया। लेकिन कुछ समय के बाद ही उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। मौलाना आज़ाद की बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता बड़ी असाधारण थी। इसीलिए प्रायः हर बात में गांधीजी उनकी सलाह लिया करते थे। राजनीति की बारीकियों को मौलाना बखूबी समझते थे। इसीलिए 1937 में भारत के आठ प्रांतों में कांग्रेस मंत्रिमंडलों की स्थापना होने पर, उनकी सहायता के लिए कांग्रेस ने जो समिति बनाई, उसमें बाबू राजेंद्र प्रसाद और सरदार बल्लभभाई पटेल के अलावा मौलाना आज़ाद को भी रखा गया था। इस समिति के सदस्य की हैसियत से उन्होंने उत्तर प्रदेश के शिया और सुन्नी मुसलमानों के झगड़े को समाप्त किया। बिहार में किसानों और जमींदारों के बीच समझौता कराया और दुसरे प्रांतों में भी इसी तरह के कई झगड़े समाप्त कराने में सहायता पहुंचाई। वर्ष 1942 में जब कांग्रेस ने “भारत छोड़ो” आंदोलन आरंभ किया, तब मौलाना आज़ाद भी अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए और उन्हें अहमदनगर के किले में कैद कर दिया गया। किंतु इसी कारावास काल में उन्हें अपनी अत्यधिक प्रिय पत्नी से हाथ धोना पड़ा। उनकी पत्नी का उन्हीं दिनों देहांत हो गया।
    कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर मौलाना आज़ाद छः वर्ष तक रहे। इतने दिनों तक कोई भी व्यक्ति कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं रहा। वर्ष 1947 में देश के विभाजन और स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् मौलाना आज़ाद को भारत सरकार के शिक्षा मंत्री का पद दिया गया। इस पद पर वह लगातार ग्यारह वर्ष तक रहे और उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक देश की सेवा की।

    पाकिस्तान के गठन के विरोध में थे मौलाना अबुल कलाम आजाद:

    गांधीवादी विचारधारा वाले मौलाना अबुल कलाम आजाद ने हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए काफी काम किए। वे धर्म के आधार पर नए देश पाकिस्तान के गठन के काफी विरोध में थे एवं वे नहीं चाहते थे कि पाकिस्तान का गठन हो, इसलिए भारत-पाक विभाजन के समय उन्होंने इसका काफी विरोध भी किया था। वहीं भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान उन्होंने भारत में मुस्लिम समुदिय की रक्षा की जिम्मेदारी ली। इसके साथ ही वे इस दौरान पंजाब, असम, बिहार, और बंगाल समेत कई जगहों पर गए और लोगों के लिए रिफ्यूजी कैंप लगाए और उनके लिए खाने की भी उचित व्यवस्था की और उनकी सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा।

    अबुल कलाम आजाद का तकनीकी शिक्षा और महिला शिक्षा पर जोर

    आजादी के बाद मौलाना अबुल कलाम आजाद को कैबिनेट स्तर के पहले शिक्षा मंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ जहां उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की और अनेक उपलब्धियां भी हासिल की। जिस शिक्षा के अधिकार को लेकर वर्तमान सरकार इतरा रही है, केन्द्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष होने के नाते और एक शीर्ष निकाय के तौर पर अबुल कलाम आजाद ने सरकार से केन्द्र और राज्यों दोनों के अलावा विश्वविद्यालयों में, खासतौर पर सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा, लड़कियों की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा जैसे सुधारों की सिफारिश की थी। वर्तमान शिक्षा पद्धति में काफी दोष हैं, इसमें दिखावा तो खूब है लेकिन वास्तविक शिक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं। अगर हम पिछले 60 सालों का इतिहास देखें तो ऐसा कोई भी शिक्षा मंत्री नहीं रहा जिसने भारतीय शिक्षा पद्धति में अमूलचूल परिवर्तन किया हो। लेकिन भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद उन सबसे अलग थे।
    भारत के पहले शिक्षा मंत्री बनने पर अबुल कलाम आजाद ने नि:शुल्क शिक्षा, भारतीय शिक्षा पद्धति, उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए संगीत नाटक अकादमी (1953), साहित्य अकादमी (1954) और ललित कला अकादमी (1954) जैसी उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की. मौलाना मानते थे कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय शिक्षा में सांस्कृतिक सामग्री काफी कम रही और इसे पाठयक्रम के माध्यम से मजबूत किए जाने की जरूरत है।
    तकनीकी शिक्षा के मामले में अबुल कलाम आजाद ने 1951 में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (खड़गपुर) की स्थापना की गई और इसके बाद श्रृंखलाबद्ध रूप में मुंबई, चेन्नई, कानपुर और दिल्ली में आईआईटी की स्थापना की गई. स्कूल ऑफ प्लानिंग और वास्तुकला विद्यालय की स्थापना दिल्ली में 1955 में हुई। इसके अलावा मौलाना आजाद को ही ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ की स्थापना का श्रेय जाता है. वह मानते थे कि विश्वविद्यालयों का कार्य सिर्फ शैक्षिक कार्यों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके साथ-साथ उनकी समाजिक जिम्मेदारी भी बनती है। उन्होंने अंग्रेजी के महत्व को समझा तो सही लेकिन फिर भी वे प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा हिन्दी में प्रदान करने के हिमायती थे। वह प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी रहे।
    मौलाना अबुल कलाम जी संपूर्ण भारत में 10+2+3 की समान शिक्षा संरचना के पक्षधर रहे थे। यदि वे आज ज़िंदा होते तो वे नि:शुल्क शिक्षा के अधिकार विधेयक को संसद की स्वीकृति के लिए दी जाने वाली मंत्रिमंडलीय मंजूरी को देखकर बेहद प्रसन्न होते। शिक्षा का अधिकार विधेयक के अंतर्गत नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा एक मौलिक अधिकार है। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की।
    वर्तमान समय में तो देश में कुकरमुत्ते की तरह शैक्षिक संस्थान खुलते जा रहे हैं लेकिन ये संस्थान प्राणहीन मूर्ति के समान हैं। यहां थोड़ा अक्षर ज्ञान जरूर मिल जाता है और बाकी के ज्ञान के नाम पर ये सभी संस्थाएं प्रमाण-पत्र बांटने का काम कर रही हैं। पैसा दीजिए, और प्रमाण पत्र लीजिए इस तरह की व्यवस्था समाज में उत्पन्न हो रही है जो किसी भी मायने में सही नहीं कही जा सकती।

    मौलाना अबुल कलाम जी हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक

    भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद सच्चे राष्ट्रभक्त, एक कुशल वक्ता तथा महान् विद्वान् थे। पुराने एवं नये विचारों में अद्‌भुत सामंजस्य रखने वाले हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे। देश सेवा और इस्लाम सेवा दोनों को एक्-दूसरे का पूरक मानते थे। हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही संस्कृतियों के अनूठे सम्मिश्रण की वे एक मिसाल थे। राष्ट्रीय जीवन की मुख्य धारा के समर्थक मौलाना आजाद देश की मिली जुली संस्कृति के उदाहरण थे। “बहुत सारे लोग पेड़ लगाते हैं, लेकिन उनमें से कुछ को ही उसका फल मिलता है। दिल से दी गयी शिक्षा समाज में क्रांति ला सकता है”।

    अबुल कलाम आजाद द्वारा लिखी गईं प्रमुख किताबें–
    हमारी आजादी, खतबाल-ल-आजाद, गुब्बा रे खातिर, तजकरा, हिज्र-ओ-वसल, तजकिरह आदी, तर्जमन-ए-कुरान इत्यादि प्रमुख थे।

  • भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी द्वारा फ्लैगशिप स्टोर का शुभारंभ

    पटना :- उषा इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रीमियम लाईटिंग ब्रांड तिस्वा ने आज ईस्ट बोरिंग कैनाल रोड, पटना में अपने नवीनतम आउटलेट का उद्घाटन  किया, जो मेसर्स ग्लिंटस्टार (ग्लेम सुग्गा इंटरप्राइजेज) की एक ईकाई है! तिस्वा का बिहार में पहले आउटलेट का उद्घाटन माननीय मंत्री श्री अशोक चौधरी, भवन निर्माण विभाग, बिहार सरकार ने दीप प्रज्वलित कर के किया|
    इस मौके पर मुख्य अतिथि माननीय चंद्रिका राय, पूर्व परिवहन मंत्री, न्यायाधीश श्री सत्यवर्त वर्मा , पटना उच्च न्यायालय, पटना भी मौजूद रहें! इस मौके पर स्टोर की अध्यक्ष श्रीमती निर्मला देवी, स्टोर के निर्देशक युगमनी कुमार, सुशांत और गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे| इस अवसर पर तिस्वा के क्षेत्रीय प्रबंधक मोहम्मद शकीब, बिहार एवम झारखंड ने कहा कि तिस्वा का यह नया आउटलेट अदिवतीय और प्रीमियम लाइटिंग समाधानों के व्यापक संग्रह के साथ ग्राहकों की व्यक्तिगत जीवन शैली की जरूरतों को पूरा करेगा| तिस्वा का नवीनतम सिग्नेचर स्प्रिंग कलेक्शन और खूबसूरती से हाथ से तैयार किए गए बोहेमियन क्रिस्टल, मुरानो ग्लास, इजिप्शियन, एस्फोर क्रिस्टल, के9 क्रिस्टल, मित्सुबुशी ग्लास ल्यूमिनरीज भी इस रेंज में उपलब्ध होंगे| इस दौरान शोरूम के निर्देशक श्री युगमनी जी ने बताया कि तिस्वा उत्पादों की विविध रेंज में एम्बिएंस लाइटिंग कॉन्सेप्ट, एलईडी डिजाइनर रेंज, झूमर, टेबल और फ्लोर लैंप, वॉल लाईट्स, पेंडेंट्स, डिजाइनर स्पॉटलाइट और हर जरूरत के अनुरूप प्रीमियम आर्किटेक्चरल लाइटिंग उत्पाद शामिल हैं|

  • ये है Royal Enfield की नई 650cc वाली Bike – अब भूल जाएंगे Super Meteor..कीमत बस इतनी..


    डेस्क : Royal Enfield बाइक्स लोगों की पहली पसंद मानी जाती है। कंपनी कई स्टाइलिश बाइक मार्केट में पेश किया है। जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं। इसी कड़ी में कंपनी अपनी 650cc स्क्रैम्बलर लॉन्च की है। बतादें कि रॉयल एनफील्ड कस्टम बाइक प्रोग्राम आयोजित करती है। इस प्रोग्राम में स्टाइलिश बाइक को पेश किया जाता है। ये नई 650cc बाइक भी इसी प्रोग्राम के तहत लाई गई है।

    इन बाइक्स को Royal Enfield और Bikerbnb ने मिलकर डिवेलप किया है। इनमें बेहतर ऑफ-रोडिंग क्षमता जोड़ने के लिए कई बदलाव भी किए गए हैं। मोटरसाइकिल को रेक बढ़ाने के लिए एक कस्टम ऑफसेट हेडस्टॉक बियरिंग कप और ट्रेल को कम करने के लिए एक कस्टम फ्रंट स्पिंडल बुश मिलता है। इंटरसेप्टर 650 पर आधारित कस्टम स्क्रैम्बलर्स के दोनों सिरों पर ओहलिन्स सस्पेंशन मिलता है।

    मोटरसाइकिल में 19-इंच का फ्रंट और 17-इंच का रियर वायर-स्पोक रिम्स मिलता है। साथ ही, कस्टम बाइक्स में फ्रंट डिस्क ब्रेक पर Brembo P4 फोर-पिस्टन कैलिपर्स मिलते हैं। मोटरसाइकिल के ईंधन टैंक को अब सवार की ओर स्थानांतरित कर दिया गया है जबकि स्टॉक हैंडलबार को एक फ्लैट ट्रैक हैंडलबार से बदल दिया गया है।

    दोनों Royal Enfield 650cc स्क्रैम्बलर्स में सिंगल मोटोगैजेट इंस्ट्रूमेंट कंसोल और कीलेस एक्सेस के लिए RFID फोब मिलता है। इनका छज्जा आरई हिमालयन से लिया गया है। इसके अलावा, ग्रिल में एलईडी हेडलाइट और कस्टम एंड्योर-स्टाइल फेंडर भी मिलते हैं। बाइक्स को टॉम हर्ले से कस्टम-मेड जेल सीट और एक नया लगेज रैक मिलता है। इन दोनों मोटरसाइकिल्स को ब्लू और व्हाइट कलर में उपलब्ध कराया गया है।

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