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  • बिहार : आंगनबाड़ी सेविका बहाली के नियम बदल गए – जानिए अब कैसे होगी भर्ती..


    न्यूज़ डेस्क : बिहार में आंगनवाड़ी में नौकरी करने के लिए इच्छुक महिलाओं के लिए काम की खबर है। दरअसल, अब सरकार की ओर से आंगनबाड़ी सेविका/सहायिका बहाली को लेकर प्रक्रिया में बदलाव किया गया है। दरअसल बहाली प्रक्रिया को लेकर धांधली की शिकायत सामने आ रही थी जिसमें सरकार ने नए नियम बना दिए हैं। इसकी मंजूरी कैबिनेट की ओर से दी गई है। आगामी सभी बहाली इस नए नियम के तहत होने वाली है।

    ये है नया नियम

    ये है नया नियम

    सरकार की ओर से बनाए गए इस नए नियम के तहत आंगनबाड़ी सेवीका जिला स्तर पर बहाली की जाएगी। यह बहाली पहले प्रखंड स्तर पर होती थी। नए बहाली की मॉनिटरिंग जिला के पदाधिकारी करेंगे सरकार का दावा है कि इस नए बहाली की प्रक्रिया से पारदर्शिता आएगी, जिससे धांधली की गुंजाइश नहीं रहेगी।

    शैक्षणिक योग्यता ने बदलाव

    शैक्षणिक योग्यता ने बदलाव

    बता दें कि आंगनवाड़ी सेविका के लिए आवेदन करने पर मैट्रिक पास होना जरूरी था। लेकिन अब शैक्षिक योग्यता को आगे बढ़ाते हुए इंटर पास होना अनिवार्य कर दिया गया है। अब आंगनबाड़ी सेविका को इंटर पास होना चाहिए। वहीं आंगनबाड़ी सहायिका की बात की जाए तो पहले आठवीं पास कर सकती थी जो कि अब मैट्रिक पास होना होगा। इसके अलावा एक और नियम बनाया गया है जिसके तहत जिस वार्ड में सेविका की बहाली होगी उसी वार्ड के अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं। यह प्रावधान पहले नहीं था जिससे धांधली काफी हो रही थी।

    इन एंजांडो पर भी लगी मुहर

    इन एंजांडो पर भी लगी मुहर

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  • ऐतिहासिक पर्यटन स्थल राजगीर तक सृजन के द्वारा सद्भावना रैली का आयोजन

    ऐतिहासिक स्थल नालंदा के मोहनपुर इंदरा गांधी चौक से ऐतिहासिक पर्यटन स्थल राजगीर तक सृजन के द्वारा सद्भावना रैली का आयोजन किया गया जिसमें सृजन के कार्यकर्ताओं, कलाकारों एवम लगभग सत्तर से अस्सी युवक एवम युवतियों ने भाग लिया इस रैली को न्यू संत जेवियर्स इंग्लिश मीडियम स्कूल के प्रधानाचार्य श्री अर्जुन प्रसाद,सृजन के महामंत्री पृथिवि राज एवम सिलाव राजगीर के ब्रांड एम्बेसडर लोक गायक भैया अजीत ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।युवक-युवतियों एवम कलकरो ने हाथ मे तख्ती लिए प्रेम,शांति,भाईचारा,यही है पैगाम हमारा।
    भाईचारा बढ़ाओ ।
    बहकावा में ना आओ।।

    जोड़ो जोड़ो , भारत जोड़ो आदि नारा लगाकर सद्भावना का संदेश दिया।इस रैली नेतृत्व अरविंद कुमार ने किया यह रैली राजगीर महोत्सव के पुनीत अवसर पर आयोजित सद्भावना मार्च में शामिल हुआ और जरासन्ध आखडासे गृद्धकूट पर्वत के विश्व शान्ति स्तूप में समापन हुआ।

  • मुंबई के बाजार में अफ्रीका से आया आम, जानिए कीमत और खासियत

    हैलो कृषि ऑनलाइन: महाराष्ट्र का कोंकण के देवगढ़ में अल्फांसो आम का आम प्रेमी हमेशा इंतजार करते हैं। वहीं, इस साल देवगढ़ से 600 दर्जन हापुस आम की पहली खेप नवी मुंबई के वाशी मंडी पहुंच चुकी है। इसके अलावा इस साल अफ्रीका के मलावी से 800 दर्जन आम बाजार में आए हैं। अल्फोंसो आम के समान स्वाद के कारण अफ्रीकी आम एक गर्म विषय बन गया है।

    वाशी मंडी के फल व्यापारी संजय पंसारे ने बताया कि अफ्रीकी हापुस का स्वाद कोंकण के हापुस आम जैसा ही होता है. इसलिए इस आम को ग्राहकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। हापुस आम की 800 पेटियों की पहली खेप अफ्रीका के मलावी से आ चुकी है। एक डिब्बे में आकार के आधार पर 9 से 15 आम होते हैं। फिलहाल मलावी से आयातित हापुस आम के एक डिब्बे की कीमत तीन से पांच हजार रुपए के बीच है। जैसे ही कोंकण और अफ्रीका से हापुस आमों की आवक जल्द शुरू होगी, आम प्रेमियों को जल्द ही इस साल हापुस का स्वाद चखने का मौका मिलेगा।

    कोंकण से आम के पौधे मलावी लाए गए

    15 साल पहले हापुस आम के पेड़ों की कटिंग कोंकण से अफ्रीकी देश ले जाया गया था। इसके परिणामस्वरूप मलावी क्षेत्र में 450 एकड़ से अधिक में पौधे लगाए गए। वहां का वातावरण कोंकण जैसा है। इसलिए, कोंकण में हापुस का हर साल अच्छा उत्पादन होता है। पानसरे ने आगे कहा कि मलावी से हापुस आम पिछले 5 सालों से भारत में आयात किया जा रहा है। इस मालवी आम की महाराष्ट्र और गुजरात में काफी डिमांड है। और इस बार अफ्रीका के मलावी से नवी मुंबई के एपीएमसी फल बाजार में बड़ी संख्या में इन आमों की आवक शुरू हो गई है।

    देवगढ़ अल्फांसो आम की पहली खेप बाजार पहुंची

    पंसारे ने बताया कि वाशी मंडई कोंकण से देवगढ़ अल्फांसो आम की पहली खेप आ चुकी है और वर्तमान में 600 अल्फांसो आम आ चुके हैं। और इसकी कीमत 4000 से 5000 प्रति दर्जन तक है। मार्च के पहले सप्ताह से आम की नियमित आवक शुरू हो जाएगी। इसका मतलब है कि आम के शौकीनों को इस सीजन में सही समय पर आम मिल जाएगा।

  • चुटकियों में ATM से मिलेगा 5 लाख का लोन – जानिए कैसे ?


    डेस्क : दुनिया में किसी को भी अगर पर्सनल लोन (Personal Loan) लेने की ज़रूरत पड़ सकती है. कई बार लोन के लिए बैंकों के हज़ार चक्कर लगाने पड़ते हैं, लेकिन अब आपको इन झंझटों में पड़ने की भी कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि अब आप भारत के सबसे बड़े यानी भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एटीएम (ATM) से पर्सनल लोन निकाल सकते हैं. शायद अभी तक आपने ATM से सिर्फ़ पैसा ही निकाला होगा,

    लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप ATM से लोन के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं? खास बात है कि आपको ATM से लोन लेने के लिए न ब्रांच के न तो चक्क र काटने पड़ेंगे और न ही कई दस्तावेज भी जमा करने होंगे. आप ATM के ज़रिए करीब 15 लाख रुपए तक का पर्सनल लोन भी ले सकते हैं. आज के समय में कई बैकों ने ATM से पर्सनल लोन लेने की सुविधा दे रखी है, तो आइए बताते हैं एसबीआई (SBI) के ग्राहक ATM से पर्सनल लोग कैसे लें.

    दुनिया में किसी को कभी भी पर्सनल लोन (Personal Loan) लेने की ज़रूरत पड़ सकती है. कई बार लोन के लिए बैंकों के हज़ार चक्‍कर लगाने भी पड़ते हैं, लेकिन अब आपको इन झंझटों में पड़ने की भी कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि अब आप भारत के सबसे बड़े यानी भारतीय स्‍टेट बैंक (SBI) के एटीएम (ATM) से पर्सनल लोन निकाल सकते हैं. शायद अभी तक आपने ATM से सिर्फ़ पैसा ही निकाला होगा,

    लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप ATM से लोन के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं? खास बात है कि आपको ATM से लोन लेने के लिए न ब्रांच के न तो चक्‍कर काटने पड़ेंगे और न ही कई डॉक्‍युमेंट्स भी जमा करने होंगे. आप ATM के ज़रिए करीब 15 लाख रुपए तक का पर्सनल लोन ले सकते हैं. आज के समय में कई बैकों ने ATM से पर्सनल लोन लेने की सुविधा दे रखी है, तो आइए बताते हैं एसबीआई (SBI) के ग्राहक ATM से पर्सनल लोग कैसे लें.

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  • लाल मूली की खेती: इस सर्दी सफेद की जगह लाल मूली लगाएं; मात्र 25-40 दिनों में हमें 135 क्विंटल उत्पादन प्राप्त हो जाता है!

    हैलो कृषि ऑनलाइन: अगर आप मूली उगाने की सोच रहे हैं तो सफेद मूली के मुकाबले लाल मूली की खेती ज्यादा फायदेमंद होती है। मात्र 25 से 40 दिनों में आप 135 क्विंटल उत्पादन कर सकते हैं। आजकल रंग-बिरंगी और स्वादिष्ट सब्जियों की डिमांड बढ़ गई है। ये देखने में भी खूबसूरत हैं। ऐसे में सलाद के लिए सफेद मूली से ज्यादा लाल मूली की डिमांड रहती है. तो आइए जानें लाल मूली के बारे में खेतीकैसे लाभ होगा…

    विदेशी सब्जियों की बढ़ती मांग के कारण भारत में लाल मूली की खेती बहुत लोकप्रिय है। ऐसे में किसानों के पास लाल मूली की फसल को बाजार में लाने का अच्छा मौका है. लाल मूली को मॉल, ऑनलाइन मार्केट और मंडियों में हाथ से बेचा जा सकता है। इसके लिए खेती के लिए उन्नत किस्मों के बीजों का उचित तरीके से उपयोग करना आवश्यक है। जिससे कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके।


    लाल मूली की विशेषता

    लाल मूली जिसे फ्रेंच मूली के नाम से भी जाना जाता है, एक उच्च श्रेणी की सब्जी है। इसमें अधिक एंटीऑक्सीडेंट और एंटीकार्सिनोजेनिक गुण होते हैं। यही बात लाल मूली को सफेद मूली से खास बनाती है। लाल मूली का स्वाद हल्का तीखा होता है. जड़ें गहरे लाल रंग की और पत्तियाँ गहरे हरे रंग की होती हैं। लाल रंग इसे खूबसूरत बनाता है। लाल मूली के इस्तेमाल से सलाद न सिर्फ पौष्टिक बनता है बल्कि दिखने में भी अच्छा लगता है.

    लाल मूली की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

    लाल मिट्टी की खेती के लिए जीवाश्म मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है। किसान चाहे तो विशेषज्ञ की सलाह से दोमट, दोमट मिट्टी में भी लाल मूली की फसल की खेती कर सकता है। याद रखें कि मिट्टी का पीएच मान 6.5 और 7.5 के बीच ही होना चाहिए।


    लाल मूली लगाने का सही समय

    लाल मूली केवल ठंडे मौसम की फसल है, सितंबर से फरवरी के महीने इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं। लेकिन आधुनिक तकनीक में यानी पॉलीहाउस या लो टनल में लाल मूली लगाकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। किसान चाहें तो पारंपरिक फसलों के साथ-साथ मेड़ों पर भी मूली की बुआई कर अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।

    लाल मूली के खेत की तैयारी

    कम समय में बेहतर उत्पादन के लिए लाल मूली का संरक्षित रोपण या पारंपरिक रोपण भी किया जा सकता है। बुवाई से पहले खेत को जैविक रूप से तैयार करें। इसके लिए 8 से 10 टन गोबर और वर्मीकम्पोस्ट को बराबर मात्रा में मिलाकर खेत में फैला देना चाहिए, जिससे मिट्टी की उर्वरता अच्छी बनी रहे। और फिर खेत की गहरी जुताई करें, जिसके बाद लाल मूली के बीजों की मेड़ या क्यारियां बनाकर बुवाई करना लाभदायक होगा। इससे खरपतवार नियंत्रित होने के साथ ही जलभराव की समस्या से भी निजात मिलेगी।


    लाल मूली की फसल की बुआई

    अभी तक लाल मूली सिर्फ बड़े शहरों में ही खाई जाती थी, लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में अब इसकी खेती छोटे शहरों और गांवों में भी होने लगी है. ऐसे में किसान चाहे तो उन्नत लाल मूली की खेती के बीज के लिए ऑनलाइन आर्डर कर सकता है। भारत में लाल मूली की पूसा मृदुला किस्म भी विकसित की गई है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार लाल मूली को मेड़ पर बोने के लिए लगभग 8 से 10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इसकी बुवाई के लिए कतार विधि का प्रयोग करना चाहिए, जिससे फसल में निराई, निगरानी एवं अन्य कृषि कार्य आसानी से हो सके। लाल मूली के बीज बोने से पहले बीजोपचार कर लेना चाहिए। इसके बाद रेखाओं के बीच 30 सेमी. और बीज को पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखते हुए 2 इंच गहरा बोयें। लाल मूली की फसल से अच्छी उपज के लिए मृदा परीक्षण के आधार पर 80 किग्रा नत्रजन, 60 किग्रा फास्फोरस तथा 60 किग्रा पलाश प्रति हे0 भी प्रयोग किया जा सकता है।


  • नीतीश सरकार का दावा – बिहार में 98% घरों को मिल चुका है नल जल योजना का कनेक्शन, जानें –


    डेस्क : PHED ने हर घर नल का जल योजना का सोशल ऑडिट कराया है. 6 माह से चल रहे ऑडिट में कहा गया है कि योजना की जांच में 4095 पंचायतों में हुई है. इन पंचायतों में हुई जन सुनवाई में 94 फीसदी लाभुक संतुष्ट दिखे हैं. कुछ परिवारों ने योजना के संबंध में शिकायत भी की है. इसके बाद में संबंधित संवेदक व अधिकारियों पर कार्रवाई भी की जायेगी. ऑडिट रिपोर्ट पर विभाग ने समीक्षा भी की है. इसमें यह भी कहा गया है कि दोषी एजेंसियों को तुरन्त ब्लैक लिस्ट करें. एक रिपोर्ट के आधार पर एक्शन टेकन रिपोर्ट ग्राम पंचायत को देने का अनुरोध भी किया गया है.

    अब भी 2 प्रतिशत घरों को नहीं मिला हाउस कनेक्शन

    अब भी 2 प्रतिशत घरों को नहीं मिला हाउस कनेक्शन

    4 प्रतिशत पंचायतों में समय पर नहीं मिल रहा है पानी

    4 प्रतिशत पंचायतों में समय पर नहीं मिल रहा है पानी

    ऑडिट की रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि लगभग 4 प्रतिशत पंचायतों में समय से पानी नहीं मिल है. वहीं, पर्याप्त मात्रा में जलापूर्ति नहीं मिलने और संवेदक की लापरवाही की भी शिकायत की गयी है. ऐसे में विभाग ने दोषियों पर कार्रवाई के लिए अधिकारियों को आदेश दिया है.

    विभाग ने दिए निर्देश

    विभाग ने दिए निर्देश

    सोशल ऑडिट सोसाइटी और PHED की संयुक्त बैठक में रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा हुई व अविलंब सुधारात्मक कार्रवाई के निर्देश अधीक्षण अभियंताओं को भी दिया गया. लापरवाही बरतने वाले संवेदक की पहचान कर उनके विरुद्ध कार्रवाई करने और जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया गया.

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  • विदेशों में खाद्य तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट, जानिए भारत में सरसों, मूंगफली और सोयाबीन के क्या हैं दाम?

    हैलो कृषि ऑनलाइन: विदेशों में तिलहन की कीमतों में गिरावट के कारण सोमवार को दिल्ली तिलहन बाजार में घरेलू और आयात सहित लगभग सभी तिलहन की कीमतों पर दबाव रहा। नतीजतन सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, बिनौला तेल के साथ कच्चा पाम तेल (सीपीओ) और पाम तेल के दाम गिरे। बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज सोमवार को बंद था, लेकिन शिकागो एक्सचेंज में कारोबारी रुझान रात में बाद में पता चलेगा।

    सूत्रों ने बताया कि पिछले साल नवंबर में बाजारों में कपास की आवक 2-2.25 लाख गांठ थी, जो इस बार घटकर एक लाख गांठ के आसपास रह गई है। पिछले साल इसी अवधि में कपास की पांच लाख गांठों का निर्यात हुआ था, जो इस साल एक लाख गांठों के करीब पहुंच गया है। यानी किसान हमारा है खेतसस्ते में माल बेचने से बचते हुए वे कम मात्रा में अपनी फसल बाजार में ला रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कपास की खली पशुओं के चारे की अधिकतम मांग को पूरा करने में योगदान देती है। बिनौला खली का उत्‍पादन देश में सबसे ज्‍यादा यानी करीब 110 लाख टन है। सरसों, मूंगफली और बिनौला तेल रिफाइनर घाटे में चल रहे हैं क्योंकि आयातित तेलों की कीमतें आधी हो गई हैं।


    करीब छह महीने पहले पामोलिन की कीमत करीब 2,150 डॉलर प्रति टन थी।

    वहीं, सोयाबीन के डी-ऑयल केक (डीओसी) की मांग नहीं है। ऐसे में पशुओं के चारे की किल्लत हो सकती है। शायद इसलिए डेयरी कंपनियां दूध के दाम बढ़ा रही हैं। सूत्रों ने कहा कि कोई भी स्वदेशी तेल पामोलिन और अन्य सस्ते आयातित खाद्य तेलों का मुकाबला नहीं कर सकता। सरकार को जल्द से जल्द सूरजमुखी और अन्य आयातित तेलों पर अधिकतम आयात शुल्क लगाना चाहिए। देश के तेल-तिलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है। करीब छह महीने पहले पामोलिन की कीमत 2,150 डॉलर प्रति टन थी, जो अब कांडला बंदरगाह पर गिरकर 1,020 डॉलर प्रति टन हो गई है। सूत्रों ने बताया कि इस सस्ते आयात तेल के चक्कर में देश के किसान अपनी महंगी तिलहनी फसल को किस बाजार में बेचने जा रहे हैं. ऐसे में तेल और तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की चर्चा निरर्थक होगी क्योंकि किसान निराश होंगे.

    सोमवार को तेल और तिलहन के भाव इस प्रकार रहे

    सरसों तिलहन- 7,175-7,225 रुपये (42 प्रतिशत स्थिति दर) प्रति क्विंटल।
    मूंगफली- 6,410-6,470 रुपये प्रति क्विंटल।
    मूंगफली तेल मिल वितरण (गुजरात)- 14,750 रुपये प्रति क्विंटल।
    मूंगफली रिफाइंड तेल 2,395-2,660 रुपये प्रति टिन।
    सरसों तेल दादरी- 14,500 रुपये प्रति क्विंटल।
    मोहरी पक्की घानी – 2,190-2,320 रुपये प्रति टिन।
    मोहरी कच्चा घना – 2,250-2,375 रुपये प्रति टिन।
    तिल का तेल मिल वितरण – रुपये। 18,900-21,000 प्रति क्विंटल।
    सोयाबीन ऑयल मिल डिलीवरी दिल्ली- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।
    सोयाबीन मिल डिलीवरी इंदौर- 13,700 रुपये प्रति क्विंटल।
    सोयाबीन तेल देगाम, कांडला- रु. 12,500 प्रति क्विंटल।
    सीपीओ एक्स-कांडला- 8,850 रुपये प्रति क्विंटल।
    बिनौला मिल डिलीवरी (हरियाणा)- 12,150 रुपये प्रति क्विंटल।
    पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,300 रुपये प्रति क्विंटल।
    पामोलिन एक्स- कांडला – रुपये। 9,450 (जीएसटी को छोड़कर) प्रति क्विंटल।
    सोयाबीन दाना- 5,525-5,625 रुपये प्रति क्विंटल।
    सोयाबीन 5,335-5,385 रुपये प्रति क्विंटल।
    मक्के की भूसी (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।


  • राजनीति में भागीदारी के बिना नहीं होगा नाई का सर्वांगीण विकास

    अखिल भारतीय नाई संघ (ट्रेड यूनियन) जिला शाखा-नालंदा के नगर निगम बिहारशरीफ क्षेत्र रामचंद्रपुर जोन का संघीय बैठक सामुदायिक भवन गायत्री मंदिर नाला रोड- रामचंद्रपुर में जिलाध्यक्ष रंजीत कुमार शर्मा की अध्यक्षता मे संगठनात्मक एवं जातीय समस्याओं को लेकर किया गया।

    मौके पर बैठक की अध्यक्षता करते हुए संगठन के अध्यक्ष रंजीत कुमार शर्मा ने सभी सदस्यों के साथ कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की तथा समस्याओं को लेकर समाधान के लिए योजनाएं भी बनाई। साथ ही नाई संघ के सदस्यों को एकजुट रहने की नसीहत दी। उन्होंने जल्द ही जिला का आमसभा कराने की बात कही। बिना एकजुटता के नाई समाज को हक और अधिकार नही मिल सकता है। जात और जमात के नाम पर कई नेता सरकार में कामयाब हो जाते है। लेकिन समाज के उत्थान के लिए वे कभी आवाज उठाना मुनासिब नहीं समझते है।

    मौके पर संघ के जिला संयोजक राकेश बिहारी शर्मा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि संगठन के मजबूती के लिए नाई संघ की ओर से हर माह प्रत्येक जोन में सदस्यों के साथ निर्धारित तिथि को बैठक किया जाय। बिहारशरीफ नगर निगम क्षेत्र को तीन जोनों में बांटा गया है, एक रामचंद्रपुर जोन, दूसरा खंदकपर और तीसरा सोहसराय जोन है। उन्होंने कहा- केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से जो भी लाभ लाभुकों को दिया जा रहा है उसे तत्परता से लेना चाहिए। सैलून में जो भी काम करने वाले कर्मी हैं उन्हें राशनकार्ड बनवा कर सरकार द्वारा मिलने वाली सहायता स्वरूप राशन और आवास योजना लेने में तत्परता दिखाना चाहिए। वर्तमान समय में नाई समाज को एक जुट होने की जरुरत है तभी हम सब को हक और अधिकार मिलेगा। जिससे नाई संघ के सदस्यों को होने वाली समस्याओं से एकजुट होकर लड़ा जा सके और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया जा सके।

    उन्होंने कहा खासकर अपने घर के लड़कियों को शिक्षित कर ही सुंदर और संगठित समाज बनाया जा सकता है। नारी शक्ति शिक्षित हुई तो दो कुल शिक्षित होगा। समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए हमें सामाजिक व राजनीतिक रूप से मजबूत होना होगा। समाज को एकजुट करने एवं राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए समाज को एकजुट और संघर्षशील बनाना होगा।

    बैठक में बबली ठाकुर ने समाज के लोगो को राजनीति में आने का आहवान करते हुए कहा कि बिहार में एक भी विधायक हमारे समाज के नहीं है। हम सब का यह प्रयास हो कि बिहार में एकजुट होकर कमसे-कम बिहार राज्य में पांच विधानसभा में हमारे समाज का विधायक हो। वर्तमान समय में नाई समाज को अपनी एकता का परिचय देना चाहिए।

    इस बैठक में अखिल भारतीय नाई संघ (ट्रेड यूनियन) के जिला सलाहकार सुधीर कुमार शर्मा, जिला विधि सलाहकार सुरेंद्र प्रसाद, जिला कोषाध्यक्ष राकेश कुमार उर्फ बबलू शर्मा, जिला सूचना व कार्यालय मंत्री राजेश कुमार ठाकुर, जिला महासचिव परमिंदर शर्मा, प्रखंड सूचना मंत्री महादेव ठाकुर, जुझारू एवं कर्मठ सदस्य बबली ठाकुर, भीम ठाकुर, पिंटू ठाकुर, मुन्ना ठाकुर पिंटू कुमार चिंटू कुमार प्रमोद कुमार शर्मा रामेश्वर शर्मा बाल गोविंद शर्मा मोहम्मद बशीर अली वीरेंद्र कुमार शर्मा मनोज शर्मा,सहित दर्जनों लोगों ने भाग लिया।

  • Bihar में शुरू हुआ 5G इंटरनेट सेवा – जल्‍दी चेक कर लें अपना फोन..


    डेस्क : बिहार में 5G मोबाइल सेवा की शुरुआत पटना से हो चुकी है। धीरे-धीरे अब 5G इसका विस्‍तार पटना के सभी इलाकों और राज्‍य के दूसरे बड़े शहरों में भी होगा। खास बात यह है कि जब तक 5G का विस्‍तार सही तरीके से हर प्रमुख स्‍थलों पर नहीं हो जाता है, तब तक इसका उपयोग आप पूरी तरह फ्री कर सकेंगे। पूरी तरह फ्री में मिल रही इस सुविधा का लाभ लेने में एक बड़ा पेंच भी है।

    मोबाइल हैंडसेट का समर्थित होना बेहद जरूरी

    मोबाइल हैंडसेट का समर्थित होना बेहद जरूरी

    5G सेवा का लाभ लेने के लिए बिहार के लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्‍या मोबाइल हैंडसेट है। अभी बिहार के ज्‍यादातर मोबाइल उपभोक्‍ता 4G हैंडसेट का ही इस्‍तेमाल करते हैं। बहुत से लोग तो अब तक 2Gऔर 3G हैंडसेट तक ही सीमित हैं। 5G सेवा का लाभ लेने के लिए आपका मोबाइल हैंडसेट इसके लिए स‍मर्थित (Compatible) होना चाहिए। अगर आपका मोबाइल 5G इनेबल है, तो उसके सेटिंग में जाकर 5G नेटवर्क को आन करना पड़ सकता है। कई मोबाइल में यह सेटिंग डिफाल्‍ट में भी है।

    नये लांच हो रहे मोबाइल 5G बेहतर

    नये लांच हो रहे मोबाइल 5G बेहतर

    अब मोबाइल कंपनियां 5G मोबाइल ही लांच कर रही हैं। गत 1 वर्ष के अंदर ढेर सारे 5G मोबाइल भारत में आए हैं। अगर आपने इस दौरान मोबाइल ले लिया है, तो संभव है कि आपके मोबाइल में यह सेवा उपलब्ध हो। आपके मोबाइल में यह सेवा है या फिर नहीं, यह जानने के लिए आपको फोन की सेटिंग में जाना होगा।

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  • Weather Update: कहां गई सर्दी? प्रदेश में तापमान में बढ़ोतरी

    हैलो कृषि ऑनलाइन: राज्य में कई इलाकों में तापमान बढ़ा है (Weather Update) और ओस कम हुई है. दोपहर में धूप की तपिश जारी है। कोंकण (28) में बेमौसम बारिश हुई है और राज्य के कई हिस्सों में बादल छाए हुए हैं। पिछले 24 घंटों में, उत्तर महाराष्ट्र के विदर्भ, निफाड के गोंदिया में गेहूं अनुसंधान केंद्र ने राज्य में सबसे कम तापमान 11.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया। राज्य में सबसे ज्यादा तापमान सांताक्रूज में 33.7 डिग्री रिकॉर्ड किया गया।

    मौसम की स्थिति?

    समुद्र तल से 1.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर मध्य बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती हवाएं चल रही हैं (मौसम अपडेट)। उत्तरी राज्यों में भी कड़ाके की ठंड पड़ रही है। राजस्थान के चुरू में मंगलवार (29 तारीख) की सुबह तक 24 घंटे में देश के मैदानी इलाकों में सबसे कम तापमान 5.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया.


    तापमान कहाँ है? (मौसम अद्यतन)

    24 घंटों के दौरान मंगलवार (29) सुबह तक राज्य के विभिन्न स्थानों पर अधिकतम तापमान, न्यूनतम तापमान कोष्ठक में (डिग्री सेल्सियस में) के साथ:

    पुणे 32.6 (15), जलगांव – (12.3), धुले 31 (10.5), कोल्हापुर 30.6 (22.8), महाबलेश्वर 25.5 (15.6), नासिक 31.1 (13), निफाड 31.2 (11.2), सांगली 30.6 (15), सतारा 30.6 (21.8), सोलापुर 32.4 (18.5), सांताक्रुज 33.7(17), दहानू 30 .1 (16.5), रत्नागिरी 32 (22.2), औरंगाबाद 31 (12.3), नांदेड़ – (15.2), उस्मानाबाद – (18), परभणी 31.8 (14.1), अकोला 32 .8 (15.3), अमरावती 33 (12.3), बुलढाणा – (15.2), ब्रह्मपुरी 31.3 (13.1), चंद्रपुर – (14.2), गढ़चिरौली 30 (13), गोंदिया 29 .2 (11.2), नागपुर 30.2 (12.3), वर्धा 30.2 (13.4), यवतमाल 31.5 (15)।