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  • अस्थि कलश विसर्जन के दौरान गंगा में डूबकर एक की मौत

    पूर्णिया /विकास कुमार झा

    गोरियर पश्चिम पंचायत के पैक्स अध्यक्ष पप्पू कुमार मंडल की गंगा नदी में स्नान के दौरान डूबने से मौत हो जाने की बात बताई जा रही है,तीनटेंगा के ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार बिरौली बाजार निवासी शंकर लाल का निधन मुंबई के सरकारी अस्पताल  में इलाज के दौरान हो गई थी,

    उनका दाह संस्कार मुंबई में ही की गई थी।उनका अस्थि कलश को गंगा में प्रवाहित करने लगभग चालीस लोग भागलपुर जिले के तीनटेंगा करारी  गए हुए थे। अस्थि कलश प्रवाहित करने के बाद सभी लोग स्नान करने लगे, 

    उसी समय पानी के तेज केरेंट के चपेट में आने से पैक्स अध्यक्ष पप्पू कुमार मंडल गंगा में समा गए, गोपालपुर प्रशासन एवं एनडीआरएफ की टीम सहित स्थानीय गोताखोरों की मदद से शव की तलाश की जा रही है। पप्पू कुमार मंडल के घरों में मातमी सन्नाटा छा गया है, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

  • जिसके ऊपर स्वक्षता की जिम्मेदारी उनके कार्यालय परिसर में गंदगी का अंबार, समुदायिक शौचालय का हाल बेहाल

    पूर्णिया /विकास कुमार झा

    सरकार के द्वारा सभी ज़िले ,प्रखंड मुख्यालय, पंचायत व गांव को स्वक्षता मिशन के तहत सफाई करने का संकल्प जो लिया गया है।वह संकल्प तब फैल साबित हो रही है ,जब जिस अधिकारी के ऊपर प्रखंड क्षेत्र को ओडीएफ बनाने की जिम्मेदारी है, उन्हीं के कार्यालय के आस-पास गंदगी का अंबार है, प्रखंड मुख्यालय में लाखों की लागत से अलग-अलग विभागों से दो बड़ी शौचालय का निर्माण भी करवाया गया, लेकिन एक में ताला ही लगा रहता है 

    वहीं दूसरे बनने के साथ ही गंदगी के आगोश में आ गया, वही रुपौली प्रखंड मुख्यालय में हर जगहों पर पान की पीकी, तो कही सरकारी रूम को ही पीक दानी बना दिया गया, जबकि उस तरफ सरकार के जिम्मेदार अधिकारी देखना तक मुनासिब नहीं समझते हैं। कहने को तो रुपौली नगर पंचायत बन गया, लेकिन सफाई व्यवस्था के नाम पर रुपौली नरक पंचायत बनी हुई है। प्रखंड मुख्यालय आएं सरकारी कार्य के लिए महिलाओं को उस समय जिल्लत होने लगती है ,जब शौच के लिए शौचालय उपलब्ध नहीं होता है।एक तरफ सरकार के द्वारा ओडीएफ पल्स के द्वारा प्रखंड क्षेत्र में दूसरे चरण के तहत् डोर टू डोर कचरा उठाने का कार्य शुरू कर दिया गया है, जिसकी शुरुआत रुपौली प्रखंड क्षेत्र के गोरियर पश्चिम पंचायत से उप विकास आयुक्त मनोज कुमार ने फीता काटकर किया था।जबकि प्रखंड क्षेत्र में अभी भी बहुत सी ऐसी पंचायत है ,जहां लाखों की लागत से बनी लगभग 26 समुदायिक शौचालय शौभा की वस्तु बनकर रह गई है, 

    शौभा की वस्तु बनने का कारण है शौख्ता नहीं बनाना जिम्मेदार एजेंसी के द्वारा।इस गंभीर मामले पर सरकार के जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ रटा-रटाया ही जवाब देते हैं, मामला गंभीर है ,जांच कर कार्रवाई की जाएगी लेकिन आज़ तक कार्रवाई तो दूर की बात है जांच करना भी मुनासिब नहीं समझते है, जिम्मेदार अधिकारी। कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी रुपौली लोहिया स्वक्षता मिशन के कोऑर्डिनेटर अजय कुमार मंडल से जब शौचालय की बदहाली पर पूछें तो उन्होंने बताया हम जब से आएं हैं तब यही हाल है यह भी पता नहीं कार्य करने वाली एजेंसी विभाग को सौंपा है या नहीं भी वही उन्होंने बताया हम पंचायत में बने समुदायिक शौचालय का निरीक्षण किया है सभी कार्य करने वाली एजेंसी के ठेकेदार को बुलाएं है बैठक के लिए जल्द से जल्द सभी समुदायिक शौचालय को चालू कर दिया जाएगा।

     पूर्णिया प्रमंडल आयुक्त के सचिव चन्द्र शेखर शर्मा ने कहा मामले की जानकारी नहीं थी, मामले की जानकारी ले कर कार्रवाई की जाएगी।

  • FPO Information: जाणून घ्या FPO म्हणजे काय ? काय आहे प्रक्रिया? ज्यामुळे बदलले अनेक शेतकऱ्यांचे नशीब

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: एफपीओ सूचना के माध्यम से किसानों को बीज, उर्वरक, मशीनरी, बाजार से जुड़ाव, प्रशिक्षण, नेटवर्किंग, वित्तीय सहायता और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। स्टार सिस्टम क्या है? जिससे छोटे किसानों की आय बढ़ रही है। किसान भारत के विकास (एफपीओ इंडिया) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसानों ने कोरोना के संकट में भी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है। किसानों की मेहनत का फल है कि आज अनाज, फसल और सब्जियों का निर्यात दूसरे देशों में किया जा रहा है। कृषि क्षेत्र में इस सफलता का श्रेय किसान उत्पादक संघ को भी जाता है।

    एक एफपीओ क्या है?

    किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ सूचना) किसानों द्वारा गठित एक स्वयं सहायता समूह है। किसानों का यह समूह स्वयं किसानों के हित के लिए काम करता है। किसान उत्पादक संगठनों से जुड़कर किसान कृषि कार्यों के साथ-साथ अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं। जाहिर है कि किसान अनाज, फल, फूल, सब्जियां उगाने के लिए खून-पसीने से गुजरते हैं। लेकिन कई बार उनकी उपज का बाजार में उचित मूल्य नहीं मिल पाता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में किसान उत्पादक संगठन पूरी ताकत के साथ बाजार में किसानों के हित के लिए सौदेबाजी कर रहा है। किसान उत्पादक संगठनों से जुड़कर छोटे किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलता है। इसलिए किसानों के जीवन स्तर में भी वृद्धि होगी।

    एफपीओ के कार्य

    -एफपीओ किसानों को बीज, उर्वरक, मशीनरी, बाजार संपर्क, प्रशिक्षण, नेटवर्किंग, वित्तीय सहायता और तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं।
    – एफपीओ किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है।
    – सरकार ने कोरोना संकट के दौरान किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ इंफॉर्मेशन) की सफलता की भी सराहना की है।
    – इसी प्रवृत्ति को देखते हुए सरकार ने अब देशभर में 2,500 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की घोषणा की है।
    – एफपीओ बनाने के लिए कृषि कोष से 700 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिससे करीब 60 हजार किसानों को मदद मिलेगी।
    – इतना ही नहीं भारत में इन किसान उत्पादक संगठनों के बनने से कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
    – इसकी मदद से छोटे और सीमांत किसानों के समूह को फसलों की बिक्री के दौरान सौदेबाजी करने की भी आजादी मिलेगी.

    किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) कैसे चलाएं

    किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ सूचना) उस संगठन के किसानों द्वारा अच्छी तरह से चलाया जाता है। संगठन की सभी जिम्मेदारियां आपस में साझा की जाती हैं। प्रत्येक किसान उत्पादक संगठन में कम से कम 11 किसान होने चाहिए। किसान उत्पादक संगठनों के कामकाज से छोटे और सीमांत किसानों को सबसे ज्यादा फायदा होता है। क्योंकि भारत में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या लगभग 86 प्रतिशत है। उनके पास केवल 1.1 हेक्टेयर उपजाऊ भूमि थी, जिस पर उनकी पूरी आजीविका निर्भर थी। ऐसे में उन्हें खेती के लिए खाद, बीज, कीटनाशक, सिंचाई, कृषि उपकरणों पर भी खर्च करना पड़ता है. कृषि उत्पादक संगठन इन सभी वस्तुओं को छोटे और सीमांत किसानों को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराते हैं, जिससे खेती और भी आसान हो जाती है। इतना ही नहीं, वे किसानों को मध्यम दरों पर ऋण भी प्रदान करते हैं। ये समूह फसलों की बिक्री के दौरान उपज की पैकेजिंग और परिवहन में किसानों की मदद करते हैं। इससे कृषि बाजार में किसानों का प्रति एकड़ उत्पादन बढ़ता है और बिचौलियों का शोषण भी रुकता है। कुल मिलाकर, किसान उत्पादक संगठनों के तौर-तरीके किसानों को सशक्त बनाने का प्रयास करते हैं।

    सरकार से वित्तीय सहायता

    जब किसान उत्पादक संगठन अपने किसानों के लाभ के लिए लगातार 3 साल तक काम करता है। तो इन 3 वर्षों में सरकार द्वारा 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह सहायता किसानों (FPO कृषि) को उनकी कृषि के खर्च को पूरा करने के लिए दी जाती है। जिसमें खेत की तैयारी, बीज की खरीद, सिंचाई प्रणाली और कृषि उपकरण से लेकर खाद, उर्वरक, कीटनाशक सब कुछ शामिल है। मैदानी इलाकों में किसान संघों के माध्यम से सरकार से वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए कम से कम 300 किसानों की उपस्थिति अत्यंत आवश्यक है। इसी प्रकार पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 100 किसानों को भाग लेना आवश्यक है।

    नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पात्र किसान उत्पादक संगठनों की निगरानी करती है। जिसमें देखा जा रहा है कि किसान उत्पादक संघ के माध्यम से कितने किसानों को लाभ मिल रहा है. किसानों के लिए बाजार तक पहुंचना कितना आसान है, कागजी कार्रवाई कैसे होती है, क्या किसानों को सस्ती कीमत पर माल उपलब्ध है। इन सब बातों का पालन करके किसान उत्पादक संगठन का मूल्यांकन किया जाता है। उसके बाद सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सब्सिडी किसान उत्पादक संगठनों तक पहुंचने लगती है।

    एफपीओ (एफपीओ पंजीकरण) के लिए आवेदन कैसे करें

    यदि किसी गाँव के किसान सहकारी किसान उत्पादक संगठन (FPO) बनाना चाहते हैं, तो प्रक्रिया बहुत सरल है। किसानों को अपने संगठन का नाम रखते हुए कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकरण कराना होगा। ध्यान दें कि आवेदक किसान उत्पादक संगठन के सभी सदस्य भारत के नागरिक होने चाहिए और कृषक समुदाय से संबंधित होने चाहिए। इसके अलावा आवेदन करते समय आधार कार्ड, स्थायी प्रमाण पत्र, भूमि दस्तावेज, बैंक खाता, पासपोर्ट साइज फोटो और पंजीकृत मोबाइल नंबर की आवश्यकता होती है।

    -सबसे पहले आवेदन करने के लिए किसान उत्पादक संगठन की आधिकारिक वेबसाइट http://sfacindia.com/FPOS.aspx पर जाएं और FPO ऑप्शन पर क्लिक करें।
    – जैसे ही नया वेबपेज ओपन होगा, स्क्रीन पर एप्लिकेशन लिंक खुल जाएगा।
    – लिंक पर क्लिक करने के बाद स्क्रीन पर एप्लीकेशन फॉर्म दिखाई देगा।
    -आवेदन में सही विवरण भरें और आवश्यक दस्तावेज संलग्न करें
    – फॉर्म भरने के बाद सभी विवरण दोबारा जांचें और सबमिट बटन पर क्लिक करें

    – यह प्रक्रिया आपके आवेदन को सरकार के पास ले जाएगी।

  • 📰मुजफ्फरपुर में 20 घंटे के अंदर फिर हुआ पुलिस पर हमला

    मुजफ्फरपुर । मुजफ्फरपुर में 20 घंटे के अंदर फिर हुआ पुलिस पर हमला । तुर्की थाना क्षेत्र में उत्पाद की टीम पर हमला । उत्पाद की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 3 को लिया हिरासत में।

    कल देर रात भी कांटी थाना क्षेत्र में उत्पाद की टीम पर हुआ था हमला । पुलिस की गाड़ी को किया गया था क्षतिग्रस्त, दर्जन भर सिपाही हुए थे घायल।

    thana muzaffarpur

    20 घंटे के अंदर दूसरी घटना, अलर्ट पर उत्पाद टीम।

  • Soyabean Rate Today : सोयाबीनचे भाव घसरल्याने शेतकरी निराश, रब्बी हंगामाची पेरणी कशी होणार ?





    सोयाबीन रेट टुडे: सोयाबीन की गिरती कीमत से किसान मायूस, कैसे होगी रबी सीजन की बुवाई? | नमस्ते कृषी












































    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: महाराष्ट्र के किसानों (सोयाबीन रेट टुडे) के सवाल खत्म होते नहीं दिख रहे हैं। भारी बारिश से फसल को हुए नुकसान और कृषि उपज का सही दाम नहीं मिलने से किसान परेशान हैं. पिछले पांच महीने से राज्य में प्याज की कीमतों में गिरावट से किसान मुश्किल में हैं. हालांकि अब उन्हें प्याज का वाजिब दाम मिल रहा है। लेकिन दूसरी ओर अब सोयाबीन के भाव में काफी गिरावट आई है. सोयाबीन राज्य में एक नकदी फसल है, इसलिए बाजार में कम कीमतों ने उत्पादकों को निराश किया है।

    सोयाबीन खरीफ सीजन की दूसरी सबसे बड़ी नकदी फसल है। सोयाबीन मराठवाड़ा में सबसे अधिक खेती वाला क्षेत्र है। यहां के अधिकांश किसान कृषि पर निर्भर हैं। ऐसे में पहले बारिश से खेत में पैदा हुई फसलों को नुकसान पहुंचा है और अब बाजार में कम दाम (सोयाबीन रेट टुडे) से किसान आर्थिक संकट में है. किसान बारिश से बची सोयाबीन की फसल को बेचना चाहते हैं। ताकि वे रबी सीजन की बुवाई के लिए बीज और खाद खरीद सकें। सोयाबीन के बाजार में भाव कम होने से किसान परेशान हैं। किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है।

    दाम कम होने से किसान मायूस

    फिलहाल मंडी समितियों में सोयाबीन का भाव तीन हजार से चार हजार रुपए प्रति क्विंटल हो रहा है। इस बीच केंद्र सरकार ने एमएसपी 4300 रुपये तय किया है. वहीं कुछ किसान अब सोयाबीन (सोयाबीन रेट टुडे) के भंडारण की सोच रहे हैं. किसानों का कहना है कि अभी कीमतें कम होने से वे चिंतित हैं। इतना कम रेट मिलने से किसानों का खर्चा नहीं निकल पाएगा। किसानों का कहना है कि यही स्थिति रही तो रबी की बुआई कैसे होगी।

    किस मार्केट कमेटी में रेट कितना है? (सोयाबीन दर आज)

    बाजार समिति जाति/प्रतिलिपि आयाम आय न्यूनतम दर अधिकतम दर सामान्य दर
    02/11/2022
    फव्वारा क्विंटल 15000 4425 5325 4925
    धूल हाइब्रिड क्विंटल 33 5000 5200 5200
    अमरावती स्थानीय क्विंटल 18279 4350 4975 4662
    नागपुर स्थानीय क्विंटल 6579 4200 5050 4838
    हिंगोली स्थानीय क्विंटल 2200 4500 5651 5075
    अकोला पीला क्विंटल 1451 4000 5500 4750
    वाशिम पीला क्विंटल 6000 4600 5480 5200
    पैठण् पीला क्विंटल 20 4490 4816 4786
    गंगाखेड़ी पीला क्विंटल 23 5100 5200 5150
    देउलगांव राजा पीला क्विंटल 320 3500 5150 4800
    चाकू पीला क्विंटल 334 4341 5381 5126
    मुंहासा पीला क्विंटल 764 4616 5326 4971
    उमरगा पीला क्विंटल 68 4701 5150 4900
    पलामी पीला क्विंटल 82 4950 5000 4950
    अष्टी-जालान पीला क्विंटल 240 4600 5319 5000
    उमरखेड़ पीला क्विंटल 800 4800 5000 4900
    उमरखेड-डंकिक पीला क्विंटल 830 4800 5000 4900
    चिमुरो पीला क्विंटल 75 4400 4500 4450
    समुद्री बाढ़ पीला क्विंटल 140 4700 5100 4850
    कलांबा (यवतमाल) पीला क्विंटल 200 4500 5100 4750
    अर्नी पीला क्विंटल 1100 4500 5271 4800

    गलती: सामग्री सुरक्षित है !!





  • Ration Card : डीलर से राशन लेने के बदले नियम – जान लीजिए वर्ना पछताएंगे..


    डेस्क : राशन कार्ड धारकों के लिए काम की खबर है. खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (Department of Food & Public Distribution) ने राशन कार्ड के नियमों को अब बदल रहा है. दरअसल, विभाग ने सरकारी राशन की दुकानों से राशन लेने वाले पात्र लोगों (Eligible) के लिए तय किये गये मानक में अब बदलाव कर रहा है और बताया जा रहा है नए मानक का प्रारूप अब लगभग तैयार हो गया है. बताया यह जा रहा है कि इस संबंध में राज्‍य सरकारों के साथ कई दौर की बैठक भी हो चुकी है. आइए जानते हैं क्या होगा नए प्रावधान में?

    अपात्र भी ले रहे हैं इसका लाभ :

    अपात्र भी ले रहे हैं इसका लाभ : खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के मुताबिक, इस समय देशभर में 80 करोड़ लोग नेशनल फूड सिक्‍योरिटी एक्‍ट (National Food Security Act-NFSA) का लाभ उठा रहे हैं. इनमें कई लोग ऐसे भी हैं जो आर्थिक रूप से काफी संपन्‍न हैं. इसे ध्‍यान में रखते हुए सार्वजनिक वितरण मंत्रालय अब मानकों में बदलाव करने जा रहा है. दरअसल, अब नये मानक को पूर्णतः पारदर्शी बनाया जाएगा ताकि किसी तरह की गड़बड़ न हो सके.

    जानिए क्यों हो रहे हैं मानकों में बदलाव? :

    जानिए क्यों हो रहे हैं मानकों में बदलाव? : इस संबंध में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने यह जानकारी दी है कि राशन के मानकों में बदलाव को लेकर पिछले कई महीनों से राज्‍यों के साथ बैठक भी की जा रही है. राज्‍यों द्वारा दिए गए सुझाव को शामिल करते हुए पात्रों के लिए नये मानक तैयार किए जा रहे हैं. जल्दी ही ये मानक फाइनल भी कर दिए जाएंगे. नये मानक लागू होने के बाद केवल पात्र व्‍यक्तियों को ही इसका लाभ मिलेगा, अपात्र लोग इसका लाभ नहीं पा सकेंगे. यह बदलाव जरूरतमंदों को ध्‍यान में रखते हुए किया जा रहा है.

    वन नेशन, वन राशन कार्ड की योजना

    खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के मुताबिक अब तक ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड (ONORC) की योजना’ दिसंबर 2020 तक 32 राज्‍यों और यूटी में लागू हो चुकी है. करीब 69 करोड़ लाभार्थी यानी एनएफएसए (NFSA) के तहत आने वाली 86 प्रतिशत आबादी इस योजना का लाभ ले रही है. प्रति माह करीब 1.5 करोड़ लोग एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान पर जाकर भी इसका भरपूर लाभ ले रहे हैं. ऐसे में सरकार अब पात्रों को हरसंभवतः मदत करना चाहती है.

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  • पथ विक्रेता कानून अधिनियम 2014 को राजगीर में अक्षरश: लागू किया जाए।

    राजगीर:- आज बुधवार को नालंदा फुटपाथ दुकानदार अधिकार मंच शाखा राजगीर की मासिक बैठक किला मैदान के पास सब्जी मंडी में की गई जिसकी अध्यक्षता मंच के संरक्षक उमराव प्रसाद निर्मल ने किया।

    इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नगर परिषद राजगीर एवं अनुमंडल प्रशासन के द्वारा अतिक्रमण अभियान चलाया जा रहा है वह पथ विक्रेता कानून अधिनियम 2014 को दरकिनार कर चलाया जा रहा है संगठन इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।

    आने वाले समय में इस अतिक्रमण अभियान में शामिल पदाधिकारियों एवं कर्मियों के ऊपर पथ विक्रेता कानून अधिनियम 2014 के उल्लंघन का मामला दर्ज करेगा संगठन, उन्होंने कहा कि फुटपाथ दुकानदार को छेड़िए मत अन्यथा आपके द्वारा राजगीर में चलाया जा रहे विकास कार्यक्रमों के पोल हमलोग खोलेंगे जिसमें आप नंगा हो जाएंगे।
    हर घर नल का जल से लेकर करोड़ो रूपये का सिबरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक का बुरा हाल है जिसमें काफी गड़बड़िया है।
    संगठन जल्द ही इन पदाधिकारियों के विरुद्ध खड़ा होकर संगठनात्मक तरीके से आंदोलन करेगा।

    मौके पर मंच के अध्यक्ष रमेश कुमार पान ने कहा कि पथ विक्रेता कानून अधिनियम 2014 के तहत गठित नगर विक्रय समिति का बैठक करके जल्द से जल्द वेडिंग जोन का निर्माण करें नगर परिषद और नगर बिक्रय समिति में लिए गए निर्णय पर ही अतिक्रमण हटाया जाए।इससे दुकानदारों को काफी नुकसान होता है इसकी भरपाई कर पाना मुश्किल होता है इसलिए दुकानदारों की सुरक्षा के लिए पथ विक्रेता कानून अधिनियम 2014 को राजगीर में अक्षरश: लागू किया जाए ।
    राजगीर एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल के साथ-साथ सभी धर्मों का समागम स्थली है।यहां हमेशा सभी धर्मों का बड़ा-बड़ा आयोजन होता रहेगा जिसमें फुटपाथ दुकानदारों का पीसना कहीं से न्याय उचित नहीं है।
    इसलिए इनको स्थाई रूप से वेंडिंग जोन बनाकर पुनर्वासीत कर दिया जाए जिससे इनका आर्थिक स्थिति मजबूत रहे।

    मौके पर झूला पर जोन के अजय कुमार, बस स्टैंड जोन के मनोज यादव, सरोज देवी, वीरायतन जोन के भूषण राजवंशी, बाजार जोन के मदन बनारसी कुंड जोन के शंकर साव ने भी बैठक को संबोधित किया।
    इस अवसर पर विनोद चंद्रवंशी, सुनैना देवी, राघो देवी, रेखा देवी प्रोफेसर बृजनंदन प्रसाद, नागेंद्र कुमार, सोहन कुमार, धीरज कुमार, विजय यादव सहित सैकड़ों की संख्या में फुटपाथी दुकानदार उपस्थित थे।

  • थंडीची लाट आणि दव यापासून पिके वाचवण्यासाठी आतापासूनच करा तयारी, अन्यथा होऊ शकते मोठे नुकसान

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: ठंड का मौसम शुरू हो गया है और आने वाले दिनों में ठंड का प्रकोप और बढ़ेगा। मौसम विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि इस साल ठंड का असर लंबे समय तक रहेगा। अत्यधिक ठंड के कारण फसल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है कृषि वैज्ञानिकों की एक राय है। फलस्वरूप कम उत्पादन प्राप्त होता है। आइए आज देश के वरिष्ठ फल वैज्ञानिक डॉ एसके सिंह से जानें कि ऐसे हालात में सर्दियों में फसलों की सुरक्षा कैसे करें।

    डॉ. एसके सिंह के अनुसार सर्दियों में फसलों की विशेष देखभाल की जरूरत होती है। जब परिवेश का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो जाता है तो वायु प्रवाह रुक जाता है। इससे पौधों की कोशिकाओं के अंदर और ऊपर का पानी जम जाता है और ठोस बर्फ की एक पतली परत बन जाती है। इसे शीतदंश कहा जाता है। पाला पौधे की कोशिका की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है और कोशिका के छिद्रों (रंध्र) को नष्ट कर देता है। दवा कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन और वाष्प विनिमय की प्रक्रिया को भी बाधित करती है। इससे फसलों को भारी नुकसान हो रहा है।


    आने वाले फल या फूल कम हो सकते हैं

    शीत लहर फसलों और फलों के पेड़ों की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। फसलें फूलने और फलने के दौरान या विकास के दौरान पाले के लिए अतिसंवेदनशील होती हैं। ओस के प्रभाव से पेड़ों के पत्ते और फूल गिरने लगते हैं। इसका असर फसल पर पड़ता है। यदि ओस के दौरान फसल की देखभाल नहीं की जाती है, तो फल या फूल गिर सकते हैं। इससे पत्तियों का रंग भूरा जैसा दिखता है। यदि शीत लहर हवा के रूप में जारी रहती है, तो यह बहुत कम या कोई नुकसान नहीं करती है। लेकिन अगर हवा रुक जाती है तो पाला पड़ जाता है जो फसलों के लिए अधिक हानिकारक होता है।

    पाले के कारण उत्पादन कम हो जाता है क्योंकि अधिकांश पौधे अपने फूल गिरा देते हैं। पत्तियों, टहनियों और तनों के मुरझाने से पौधों में बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इसका असर सब्जियों, पपीता, आम, अमरूद पर ज्यादा होता है। ठंड के दिनों में टमाटर, मिर्च, बैगन, पपीता, मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ आदि फसलों को अधिक नुकसान होता है। अरहर, गन्ना, गेहूं और जौ जैसी फसलों पर दवा का असर कम दिखाई देता है। सर्दियों में उगाए गए पौधे तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस तक सहन कर सकते हैं। जब तापमान इससे नीचे होता है, तो पौधों की कोशिकाओं के अंदर और बाहर बर्फ जमा हो जाती है।


    क्या करें?

    लो कास्ट पॉली टनल में नर्सरी और सब्जियों की फसल उगाना बेहतर है। नहीं तो ठंड से बचाव के लिए पॉलीथिन से ढक देना चाहिए। हवा की दिशा की दिशा में क्यारी के किनारे एयर टाइट बोरे बांधकर फसलों को ओस और शीत लहर से बचाया जा सकता है। साथ ही ओस की संभावना को ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुसार खेत में हल्का पानी दें। इसलिए, मिट्टी का तापमान कम नहीं होना चाहिए। सरसों, गेहूँ, चावल, आलू, मटर जैसी फसलों को ओस से बचाने के लिए सल्फर के छिड़काव से रासायनिक क्रियाशीलता बढ़ जाती है। और ओस से बचाने के अलावा पेड़ को सल्फर के तत्व भी मिलते हैं। सल्फर पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और फसलों के जल्दी पकने में भी उपयोगी है।


  • फुटबॉल एसोसिएशन के द्वारा डॉ आर इसरी अरशद ट्रॉफी लीग मैच खेला जा रहा है

    टाउन हाई स्कूल के मैदान में जिला फुटबॉल एसोसिएशन के द्वारा डॉ आर इसरी अरशद ट्रॉफी लीग मैच खेला जा रहा है जिसमें आज 1 नवम्बर एसएस इंग्लिश स्कूल फुटबॉल क्लब एवंअखाडा रिजेमेनट क्लब के बीच खेला गया जिसमें अखाड़ा रेजीमेंट ने ०२गोल से जीत हासिल की इस मैच के रेफरी नजमी मलिक छोटी लाल जी एवं दीपक कुमार पाठक थे यह मैच फुटबाल सचिव सरवर अरमान एवं वसीम अहमद के नेतृत्व में कराया गया

  • 11 दिवसीय भागवत कथा का आयोजन शुरू

    बांका/ऋषभ

    बाराहाट प्रखंड क्षेत्र के खङहारा, गांव में ग्रामीणों के सहयोग से 11 दिवसीय भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है कार्यक्रम के आयोजन करता उपेंद्र मिश्र के द्वारा कराया जा रहा है जानकारी के मुताबिक मंगलवार को कथा शुभारंभ के होने के बाद पूर्व मंत्री सह बांका विधायक रामनारायण मंडल भी कथा स्थल पर पहुंचे जहां वृंदावन से महाराज दाऊ जी पधारे हुए हैं

    उनके द्वारा बताया गया की भागवत कथा का श्रवण करने से लोगों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं जहां तक भागवत कथा का आवाज पहुंचता है वहां तक के वातावरण में शुद्धता आ जाती है बांका विधायक रामायण मंडल कथा स्थल पर पहुंचे जहां लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि कथा श्रवण करने के दौरान लोगों के मन में शांतिपूर्ण भय का वातावरण नहीं रहता है

    इससे सुनने से लोगों के मन से सारे भय, निकल जाते हैं और लोगों में भक्ति भाव के सागर बहने लगते हैं जिससे कि सभी लोगों के जीवन में एक मन में सच्ची निष्ठा पैदा हो जाती है मौके पर उपस्थित भाजपा के जिला महामंत्री हीरालाल मंडल भाजपा के प्रखंड अध्यक्ष सुभाष साह, राघवेंद्र झा लोचन मिश्रा विश्वनाथ चौधरी बम शंकर मंडल एवं सैकड़ों लोग मौजूद थे