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  • Pune Bajar Bhav: मेथी, कोथिंबिरीच्या भावात घट; पहा पुणे बाजार समितीमधील शेतमाल बाजारभाव

    हॅलो कृषी ऑनलाईन : शेतकरी मित्रांनो,  आज सायंकाळी सहा वाजेपर्यंत प्राप्त झालेल्या पुणे कृषी उत्पन्न बाजार समिती ( Pune Bajar Bhav) मधील शेतमाल बाजारभावानुसार आज मटारला सर्वाधिक 16,000 रुपयांचा कमाल भाव मिळाला आहे. आज मटारची 48 क्विंटल इतकी आवक झाली. याकरिता किमान भाव 6000 तर कमाल भाव 16 हजार रुपये मिळाला आहे. तर गवारला सर्वाधिक कमाल भाव 6,000 मिळाला आहे तर हिरवी मिरचीचा दर 4000 रुपये कमाल आहे. घेवड्याचा दर पाच हजार रुपये कमाल आहे.

    तर शेवग्याचा दर हा दहा हजार रुपये कमाल असून कैरीचा दर सहा हजार रुपये कमाल (Pune Bajar Bhav) आहे. पावटा पाच हजार रुपये कमाल तोंडली 4000 रुपये कमाल ढोबळी मिरची चार हजार रुपये कमाल दर सध्या पुणे कृषी उत्पन्न बाजार समितीमध्ये मिळत आहे.


    पालेभाज्यांचा दर पाहिले असता पालेभाज्यांच्या दरात मात्र घट आलेली दिसून येते आहे. विशेषतः मेथी आणि कोथिंबिरीच्या दरात घट आलेली आहे कोथिंबिरीचा कमाल भाव 1600 रुपये ( Pune Bajar Bhav) तर मेथीच्या कमाल भाव 1800 रुपये झाला आहे. शिवाय कांदापात मात्र भाव वाढ झालेली दिसते कांदापात आला कमाल भाग 2500 रुपये मिळाले तर पालकाला कमाल भाव दोन हजार रुपये इतका मिळाला आहे.

    शेतिमालाचा प्रकार – कांदा – बटाटा

    कोड नं. शेतिमाल परिमाण आवक किमान कमाल
    1001 कांदा क्विंटल 11023 Rs. 1000/- Rs. 3100/-
    1002 बटाटा क्विंटल 7783 Rs. 2000/- Rs. 2800/-
    1003 लसूण क्विंटल 466 Rs. 600/- Rs. 4200/-
    1004 आले क्विंटल 433 Rs. 2000/- Rs. 5000/-

     

    शेतिमालाचा प्रकार – फळभाजी (तरकारी)

    कोड नं. शेतिमाल परिमाण आवक किमान कमाल
    2001 भेंडी क्विंटल 360 Rs. 1000/- Rs. 3500/-
    2002 गवार क्विंटल 122 Rs. 3000/- Rs. 6000/-
    2003 टोमॅटो क्विंटल 1609 Rs. 700/- Rs. 2500/-
    2004 मटार क्विंटल 48 Rs. 6000/- Rs. 16000/-
    2005 घेवडा क्विंटल 264 Rs. 3000/- Rs. 5000/-
    2006 दोडका क्विंटल 62 Rs. 2000/- Rs. 4000/-
    2007 हि.मिरची क्विंटल 657 Rs. 2000/- Rs. 4000/-
    2008 दुधीभोपळा क्विंटल 242 Rs. 1000/- Rs. 2500/-
    2009 भु. शेंग क्विंटल      
    2010 काकडी क्विंटल 374 Rs. 1000/- Rs. 2500/-
    2011 कारली क्विंटल 124 Rs. 2000/- Rs. 3000/-
    2012 डांगर क्विंटल 224 Rs. 800/- Rs. 1500/-
    2013 गाजर क्विंटल 410 Rs. 1500/- Rs. 5000/-
    2014 पापडी क्विंटल 22 Rs. 2000/- Rs. 5000/-
    2015 पडवळ क्विंटल 12 Rs. 1000/- Rs. 4000/-
    2016 फ्लॉवर क्विंटल 705 Rs. 800/- Rs. 2000/-
    2017 कोबी क्विंटल 343 Rs. 1200/- Rs. 2000/-
    2018 वांगी क्विंटल 371 Rs. 1500/- Rs. 5000/-
    2019 ढोबळी क्विंटल 482 Rs. 1500/- Rs. 4000/-
    2020 सुरण क्विंटल 22 Rs. 2000/- Rs. 3000/-
    2021 तोंडली क्विंटल 14 Rs. 2000/- Rs. 4000/-
    2022 बीट क्विंटल 51 Rs. 1000/- Rs. 3000/-
    2023 कोहळा क्विंटल 102 Rs. 1000/- Rs. 4000/-
    2024 पावटा क्विंटल 94 Rs. 3000/- Rs. 5000/-
    2025 वाल क्विंटल      
    2026 वालवर क्विंटल 50 Rs. 3000/- Rs. 5000/-
    2027 शेवगा क्विंटल 34 Rs. 4000/- Rs. 10000/-
    2028 कैरी क्विंटल 11 Rs. 5000/- Rs. 6000/-
    2029 ढेमसा क्विंटल      
    2030 नवलकोल क्विंटल      
    2031 डबलबी क्विंटल      
    2032 चवळी क्विंटल 11 Rs. 2000/- Rs. 4000/-
    2033 रताळी क्विंटल 25 Rs. 1500/- Rs. 2500/-
    2034 फणस क्विंटल      
    2035 परवल क्विंटल 67 Rs. 1500/- Rs. 5000/-
    2036 घोसाळी क्विंटल 18 Rs. 1500/- Rs. 3000/-
    2037 कडीपत्ता क्विंटल 12 Rs. 1500/- Rs. 4000/-
    2038 केळी क्विंटल      
    2039 डिंग्री क्विंटल      
    2040 आरवी क्विंटल 11 Rs. 2000/- Rs. 3500/-
    2041 भावनगरी क्विंटल      
    2042 ङफऴ क्विंटल      
    2043 मोगरी क्विंटल      
    3023 लाल व पिवळी ढाेबळी क्विंटल 11 Rs. 4000/- Rs. 8000/-
    3024 बेझील क्विंटल 1 Rs. 3000/- Rs. 5000/-
    3025 ब्रोकाेली क्विंटल 3 Rs. 8000/- Rs. 16000/-
    3026 पाेकचाय क्विंटल      
    3027 लोलो क्विंटल      
    3028 चायना काेबी क्विंटल      
    3029 लाल काेबी क्विंटल      
    3030 आवाकडु क्विंटल      
    3031 बेबी काॅर्न क्विंटल 1 Rs. 5000/- Rs. 10000/-
    3032 झुकुणी क्विंटल 3 Rs. 3000/- Rs. 4000/-
    3033 चेरी टॅामेटो क्विंटल      
    3034 सॅलड क्विंटल      
    3035 सॅलरी क्विंटल 5 Rs. 18000/- Rs. 60000/-
    3036 मशरुम क्विंटल 3 Rs. 6000/- Rs. 10000/-
    3037 कमल काकडी क्विंटल 2 Rs. 2000/- Rs. 3000/-
    3038 लाल मुळा क्विंटल      
    3039 राेमन क्विंटल      
    3040 लिफी क्विंटल      
    3041 चायना काकडी क्विंटल      
    3042 चायना लसुण क्विंटल 2 Rs. 1000/- Rs. 3000/-
    3043 शतावरी क्विंटल      
    3044 लेमन ग्ास क्विंटल      
    3045 सिमसम क्विंटल      

     

    शेतिमालाचा प्रकार – पालेभाजी

    कोड नं. शेतिमाल परिमाण आवक किमान कमाल
    3001 कोथिंबीर शेकडा 130840 Rs. 700/- Rs. 1600/-
    3002 मेथी शेकडा 24400 Rs. 700/- Rs. 1800/-
    3003 शेपू शेकडा 2440 Rs. 600/- Rs. 1200/-
    3004 कांदापात शेकडा 26020 Rs. 600/- Rs. 2500/-
    3005 पालक शेकडा 9050 Rs. 1000/- Rs. 2000/-
    3006 मुळा शेकडा 830 Rs. 800/- Rs. 1500/-
    3007 चवळी पाला शेकडा      
    3008 करडई शेकडा      
    3009 राजगिरा शेकडा 2200 Rs. 400/- Rs. 800/-
    3010 ह. गड़ी शेकडा      
    3011 पुदीना शेकडा 11300 Rs. 300/- Rs. 600/-
    3012 नारळ शेकडा      
    3013 मकाकणिस शेकडा      
    3014 चाकवत शेकडा      
    3015 अंबाडी शेकडा      
    3016 चुका शेकडा 350 Rs. 500/- Rs. 800/-
    3017 तांदुऴसा शेकडा      
    3018 देठ शेकडा      
    3019 माठ शेकडा      
    3020 मोहरी शेकडा      
    3021 चंदनबटवा शेकडा      
    3022 आईसबर्ग क्विंटल 4 Rs. 4000/- Rs. 6000/-

     

    शेतिमालाचा प्रकार – फळे

    कोड नं. शेतिमाल परिमाण आवक किमान कमाल
    4001 लिंबू क्विंटल 263 Rs. 600/- Rs. 3700/-
    4002 पेरु क्विंटल 214 Rs. 1500/- Rs. 4500/-
    4004 टरबूज क्विंटल      
    4005 फणस क्विंटल      
    4007 पीअर क्विंटल 21 Rs. 6000/- Rs. 11000/-
    4008 पीअर क्विंटल      
    4009 पीअर क्विंटल      
    4010 पीअर क्विंटल      
    4012 पेरु क्विंटल      
    4014 पेरु क्विंटल      
    4019 पिच क्विंटल      
    4020 पिच क्विंटल      
    4021 पिच क्विंटल      
    4022 पिच क्विंटल      
    4023 प्लम क्विंटल 3 Rs. 3000/- Rs. 5000/-
    4024 प्लम क्विंटल      
    4025 प्लम क्विंटल      
    4026 प्लम क्विंटल      
    4027 रामफळ क्विंटल      
    4028 रामफळ क्विंटल      
    4029 रामफळ क्विंटल      
    4030 रामफळ क्विंटल      
    4031 पेरु क्विंटल      
    4032 सफरचंद – फ्युजी क्विंटल      
    4033 सफरचंद -फ्युजी क्विंटल      
    4034 संञा क्विंटल 171 Rs. 2500/- Rs. 9000/-
    4035 संञा क्विंटल      
    4036 संञा क्विंटल      
    4038 अननस क्विंटल 180 Rs. 600/- Rs. 3600/-
    4039 संञा क्विंटल      
    4040 अननस क्विंटल      
    4041 सिताफळ क्विंटल 424 Rs. 2000/- Rs. 10000/-
    4042 अननस क्विंटल      
    4043 सिताफळ क्विंटल      
    4044 अंजीर क्विंटल      
    4045 सिताफळ क्विंटल      
    4046 सिताफळ क्विंटल      
    4047 अंजीर क्विंटल 1 Rs. 2000/- Rs. 8000/-
    4048 अंजीर क्विंटल      
    4049 स्ट्रॉबेरी क्विंटल 3 Rs. 7000/- Rs. 10000/-
    4050 स्ट्रॉबेरी क्विंटल      
    4051 बोर क्विंटल 1 Rs. 1000/- Rs. 2500/-
    4052 बोर क्विंटल      
    4053 चेरी क्विंटल      
    4054 चिक्कू क्विंटल 8 Rs. 1500/- Rs. 4500/-
    4055 चिक्कू क्विंटल      
    4056 चिक्कू क्विंटल      
    4057 स्ट्रॉबेरी क्विंटल      
    4058 स्ट्रॉबेरी क्विंटल      
    4059 डाळींब-नं.१ क्विंटल 819 Rs. 2000/- Rs. 15000/-
    4060 टरबूज क्विंटल      
    4061 डाळींब-नं.१ क्विंटल      
    4062 टरबूज क्विंटल      
    4063 सफरचंद-सिमला क्विंटल 849 Rs. 4000/- Rs. 10000/-
    4064 टरबूज क्विंटल      
    4065 टरबूज क्विंटल      
    4066 सफरचंद-फ्युजी क्विंटल      
    4067 नासपती क्विंटल      
    4068 नासपती क्विंटल      
    4069 जांभूऴ क्विंटल      
    4070 जांभूऴ क्विंटल      
    4072 नासपती क्विंटल      
    4074 कलिगङ क्विंटल 144 Rs. 1000/- Rs. 2500/-
    4075 लीची क्विंटल      
    4076 विलायची क्विंटल      
    4077 कलिगङ क्विंटल      
    4078 लीची क्विंटल      
    4079 करवंद क्विंटल      
    4080 लीची क्विंटल      
    4081 आवळा क्विंटल 1 Rs. 2000/- Rs. 4000/-
    4082 करवंद क्विंटल      
    4083 आवळा क्विंटल      
    4084 आवळा क्विंटल      
    4085 कवट क्विंटल      
    4086 केळी क्विंटल 9 Rs. 1000/- Rs. 2000/-
    4087 केळी क्विंटल      
    4088 मोसंबी क्विंटल 435 Rs. 1500/- Rs. 7000/-
    4089 मोसंबी क्विंटल      
    4090 मोसंबी क्विंटल      
    4091 आवऴा क्विंटल      
    4093 कोकम क्विंटल      
    4094 कोकम क्विंटल      
    4095 जदाऴू क्विंटल      
    4096 जदाऴू क्विंटल      
    4097 मॉसंबी क्विंटल      
    4100 नासपाती क्विंटल      
    4102 पपई क्विंटल 181 Rs. 1000/- Rs. 2000/-
    4103 पपई क्विंटल      
    4104 पपई क्विंटल      
    4105 डाळींब-गणेश क्विंटल      
    4106 डाळींब-गणेश क्विंटल      
    4107 डाळींब- गणेश क्विंटल      
    4108 डाळींब- गणेश क्विंटल      
    4109 डाळींब-भगवा क्विंटल      
    4110 डाळींब-भगवा क्विंटल      
    4111 डाळींब-भगवा क्विंटल      
    4112 डाळींब-भगवा क्विंटल      
    4113 डाळींब-नं.१ क्विंटल      
    4114 डाळींब-नं.१ क्विंटल      
    4115 डाळींब-नं.२ क्विंटल      
    4116 डाळींब-नं.२ क्विंटल      
    4117 डाळींब-नं.२ क्विंटल      
    4118 डाळींब-नं.२ क्विंटल      
    4119 आरक्ता क्विंटल      
    4120 आरक्ता क्विंटल      
    4121 आरक्ता क्विंटल      
    4122 आरक्ता क्विंटल      
    4123 सफरचंद-डेलीशयस क्विंटल      
    4124 सफरचंद-डेलीशयस क्विंटल      
    4125 सफरचंद -डेलीशयस क्विंटल      
    4126 सफरचंद-सिमला क्विंटल      
    4128 सफरचंद-सिमला क्विंटल      
    4129 सफरचंद-वॉशिंग्टन क्विंटल      
    4130 सफरचंद-वॉशिंग्टन क्विंटल      
    4131 सफरचंद-वॉशिंग्टन क्विंटल      
    4132 आंबा-हापूस क्विंटल      
    4133 आंबा-हापूस क्विंटल      
    4134 आंबा-हापूस क्विंटल      
    4135 आंबा-हापूस क्विंटल      
    4136 आंबा-बेगलोर क्विंटल      
    4137 आंबा-बेगलोर क्विंटल      
    4138 आंबा-बेगलोर क्विंटल      
    4139 आंबा-बेगलोर क्विंटल      
    4140 आंबा-तोतापूरी क्विंटल      
    4141 आंबा-तोतापूरी क्विंटल      
    4142 द्राक्ष – तासगांव क्विंटल      
    4143 द्राक्ष – तासगांव क्विंटल      
    4144 आंबा-तोतापूरी क्विंटल      
    4145 आंबा-तोतापूरी क्विंटल      
    4146 द्राक्ष – तासगांव क्विंटल      
    4147 आंबा-रायवळ क्विंटल      
    4148 आंबा-रायवळ क्विंटल      
    4149 आंबा-रायवळ क्विंटल      
    4150 आंबा-रायवळ क्विंटल      
    4151 द्राक्ष – तासगांव क्विंटल      
    4152 द्राक्ष -बेंगलोर क्विंटल 26 Rs. 5000/- Rs. 8000/-
    4153 आंबा-लालबाग क्विंटल      
    4154 आंबा-लालबाग क्विंटल      
    4155 द्राक्ष -बेंगलोर क्विंटल      
    4156 आंबा-लालबाग क्विंटल      
    4157 द्राक्ष -बेंगलोर क्विंटल      
    4158 द्राक्ष -बेंगलोर क्विंटल      
    4159 द्राक्ष – शरद क्विंटल      
    4160 आंबा-लालबाग क्विंटल      
    4161 आंबा-बदाम क्विंटल      
    4162 आंबा-बदाम क्विंटल      
    4163 द्राक्ष – शरद क्विंटल      
    4164 आंबा-बदाम क्विंटल      
    4165 द्राक्ष – शरद क्विंटल      
    4166 द्राक्ष – शरद क्विंटल      
    4167 द्राक्ष – सिडलेस क्विंटल      
    4168 द्राक्ष – सिडलेस क्विंटल      
    4169 द्राक्ष – सिडलेस क्विंटल      
    4170 द्राक्ष – सिडलेस क्विंटल      
    4171 आंबा – पायरी क्विंटल      
    4172 आंबा – नीलम क्विंटल      
    4173 आंबा – मलगॉबा क्विंटल      
    4174 आंबा – केशर क्विंटल      

     

    शेतिमालाचा प्रकार – अन्नधान्य (गुळ-भुसार)

    कोड नं. शेतिमाल परिमाण आवक किमान कमाल
    5001 लाल मिरची-गावरानघाटी क्विंटल      
    5002 लाल मिरची- गावरानशेवाळा क्विंटल      
    5003 तान्दुऴ-बासमति क्विंटल      
    5004 तांन्दुऴ-बासमति-दुबर क्विंटल      
    5005 तांन्दुऴ-मोगरा क्विंटल      
    5006 तांन्दुऴकणी क्विंटल      
    5007 तांन्दुऴ-आंबेमोह्रर क्विंटल      
    5008 तांन्दुऴ-कोलम क्विंटल      
    5009 तांन्दुऴ-चिन्नर क्विंटल      
    5010 तांन्दुऴ – डॅश क्विंटल      
    5011 तांन्दुऴ – उकडा क्विंटल      
    5012 तांन्दुऴ – मसूरी क्विंटल      
    5013 तांन्दुऴ – इंद्रायणी क्विंटल      
    5014 गहू – २१८९ क्विंटल      
    5015 गहू – लोकवन क्विंटल      
    5016 गहू – पंजाब कल्याणसोना क्विंटल      
    5017 गहू – गुजरात विनाट क्विंटल      
    5018 गहू – गुजरात तुकडी क्विंटल      
    5019 गहू – सिंहोर क्विंटल      
    5020 मका – पिवळा क्विंटल      
    5021 ज्वारी – मालदांडी नं १ क्विंटल      
    5022 ज्वारी – मालदांडी नं २ क्विंटल      
    5023 ज्वारी – वसंत नं ५ क्विंटल      
    5024 ज्वारी – वसंत नं ९ क्विंटल      
    5025 ज्वारी – दुरी क्विंटल      
    5026 बाज्ररी – गावरान क्विंटल      
    5027 बाज्ररी – संकरीत क्विंटल      
    5028 बाज्ररी – महिको नं ९१० क्विंटल      
    5029 लालमिरची क्विंटल      
    5030 वाटाणा-हिरवा क्विंटल      
    5031 वाटाणा-पांढरा क्विंटल      
    5032 वाटाणा क्विंटल      
    5033 मसूर क्विंटल      
    5034 मसूरडाळ क्विंटल      
    5035 धना-इंदौर क्विंटल      
    5036 धना-गावरान क्विंटल      
    5037 हरभरा – चाफ़ा क्विंटल      
    5038 हरभरा – संकरीत क्विंटल      
    5039 हरभरा – गरडा क्विंटल      
    5040 हरबरा डाळ क्विंटल      
    5041 उडीद क्विंटल      
    5042 उडीद डाळ क्विंटल      
    5043 मका – तांबडा क्विंटल      
    5044 मका – पांढरा क्विंटल      
    5045 चिंच – जुनी क्विंटल      
    5046 चिंच – नवी क्विंटल      
    5047 शेंगदाणा – घुंगरू क्विंटल      
    5048 शेंगदाणा – जाड़ा क्विंटल      
    5049 शेंगदाणा – स्पॅनिश क्विंटल      
    5050 हऴद – राजापुरी क्विंटल      
    5051 हऴद – सांगली क्विंटल      
    5052 हऴद – हरगुङ (पुरंदर) क्विंटल      
    5053 हऴद – कवठा क्विंटल      
    5054 मूग – हिरवा क्विंटल      
    5055 मूग – पॉलिश क्विंटल      
    5056 मूगदाऴ क्विंटल      
    5057 हुलगा क्विंटल      
    5058 चवऴी क्विंटल      
    5059 तूर क्विंटल      
    5060 तूरदाऴ क्विंटल      
    5061 नाचणी क्विंटल      
    5062 वाल क्विंटल      
    5063 गुऴ – पिवऴा नं.१ क्विंटल      
    5064 गुऴ – पिवऴा नं.२ क्विंटल      
    5065 गुऴ – लाल क्विंटल      
    5066 गुऴ – लाल-काऴा क्विंटल      
    5067 गुऴ – बॉक्स क्विंटल      
    5068 लालमिरची-ब्याड्गी क्विंटल      
    5069 लालमिरची-गुंटूर क्विंटल      
    5070 लालमिरची-नंदुरबार क्विंटल      
    5071 लालमिरची-खुडवाब्याड्गी क्विंटल      
    5072 लालमिरची-खुडवागुंटूर क्विंटल      
    5073 लालमिरची-सीड-ईडो५ क्विंटल      
    5074 लालमिरची-अंकुर क्विंटल      

     

    शेतिमालाचा प्रकार – सुकामेवा

    कोड नं. शेतिमाल परिमाण आवक किमान कमाल
    6001 काजू १० किलो      
    6002 बदाम १० किलो      
    6003 खारीक १० किलो      
    6004 पिस्ता १० किलो      
    6005 आक्रोड १० किलो      
    6006 बेदाणे १० किलो      
    6007 काळे बेदाणे १० किलो      
    6008 अंजीररोल १० किलो      
    6009 खजूर १० किलो      
    6010 जर्दाळू १० किलो      
    6011 खोबरा गोटा वाटी २५ किलो      
    6012 दालचिनी २ किलो      
    6013 लवंग २ किलो      
    6014 मिरी २ किलो      
    6015 विलायची २ किलो      
    6016 खसखस २ किलो      
    6017 हळद पावडर ५० किलो      
    6018 राजगिरा ५० किलो      
    6019 मैदा १०० किलो      
    6020 गव्हाचे पीठ (आटा) १०० किलो      
    6021 साखर १०० किलो      
    6022 साबुदाना ५० किलो      

     

    शेतिमालाचा प्रकार – फुले

    कोड नं. शेतिमाल परिमाण आवक किमान कमाल
    7001 मोगरा १ किलो      
    7002 काकडा १ किलो 1094 Rs. 100/- Rs. 200/-
    7003 जुई १ किलो      
    7004 चमेली १ किलो      
    7005 गुलछडी १ किलो 5907 Rs. 20/- Rs. 50/-
    7006 झेंडू १ किलो 19712 Rs. 10/- Rs. 20/-
    7007 तुळजापूरी १ किलो 3660 Rs. 10/- Rs. 20/-
    7008 तेरडा १ किलो      
    7009 बिजली १ किलो 674 Rs. 30/- Rs. 60/-
    7010 चांदणी १ किलो      
    7011 शेवंतीपांढरी १ किलो 19012 Rs. 10/- Rs. 30/-
    7012 शेवंती पिवळी १ किलो 1442 Rs. 10/- Rs. 30/-
    7013 अस्टर शेकडा 1104 Rs. 10/- Rs. 20/-
    7014 गलांड्या शेकडा      
    7015 लिली बंडल 830 Rs. 5/- Rs. 15/-
    7016 गुलाब गड़ी 7550 Rs. 5/- Rs. 20/-
    7017 गुलाब गेंलीटर गड़ी 303 Rs. 50/- Rs. 70/-
    7018 गुलछडी काडी गड़ी 1550 Rs. 10/- Rs. 30/-
    7019 आस्टर टाकळी गड़ी      
    7020 गोल्डन डी. जे. गड़ी 1120 Rs. 10/- Rs. 20/-
    7021 ग्लॅडीओ साधा गड़ी 740 Rs. 10/- Rs. 30/-
    7022 ग्लॅडीओ रंगीत गड़ी 2464 Rs. 20/- Rs. 40/-
    7023 लास्पर गड़ी      
    7024 ब्लु स्टार गड़ी      
    7025 कॅन्टप गड़ी      
    7026 लेस गड़ी      
    7027 टॅटस गड़ी      
    7028 जिप्सी गड़ी 628 Rs. 100/- Rs. 200/-
    7029 शेरनी गड़ी      
    7030 कोंबडा गड़ी      
    7031 जरबेरा गड़ी 5976 Rs. 20/- Rs. 40/-
    7032 कर्नेशन गड़ी 1306 Rs. 80/- Rs. 120/-
    7033 डच गुलाब गड़ी 5231 Rs. 80/- Rs. 140/-
    7034 अबोली १ किलो      
    7035 चाफा नगास 28855 Rs. 1/- Rs. 1/-
    7036 जास्वंदी शेकडा      
    7037 जिना शेकडा      
    7038 लिलीयम गड़ी      
    7039 ऑकिड गड़ी 266 Rs. 200/- Rs. 400/-
    7040 ऍथोरिम गड़ी 150 Rs. 100/- Rs. 160/-
    7041 ग्रास गड़ी 5520 Rs. 6/- Rs. 10/-
    7042 पत्ता गड़ी 4550 Rs. 6/- Rs. 8/-

     


  • मोरबी में 180 जिंदगी के मौत का सौदागर कौन ?- मोदी का गुजरात मॉडल

    गुजरात के सिरामिक दुनिया कहे जाने वाले मोरबी जिला के मच्छु नदी में पुल के गिर जाने से लगभग 180 जीवन की मृत्यु मृत्यु हो गई।
    राजद नेता अनिल कुमार अकेला ने उपरोक्त घटना को बेहद ही दर्दनाक घटना बताया है मृतक के प्रति शोक संवेदना प्रकट करते हुए छठ पर्व के अवसर पर छठी मैया से प्रार्थना की है कि मृतक के परिजनों को धैर्य की असीम शक्ति दे।
    राजद नेता अनिल कुमार अकेला ने भाजपा की सरकार पर सवाल उठाते हुए का अंग्रेजों के टाइम के पुल जो बंद थे भाजपा की सरकार ने 2 करोड़ रुपए खर्च करके मरम्मत कर 5 दिन पहले ही उसको चालू करवाया पुल फिर टूटा कैसे?
    गुजरात की जनता चीख-चीख कर मोदी सरकार से पूछ रही है क्या यही है गुजरात का मॉडल?
    मोरबी में एक 180 जिंदगी के मौत का सौदागर कौन है
    श्री अकेला ने कहा कि कहा कि सरदार भाई वल्लभ पटेल के सपनों को भाजपा की सरकार ने कुचल कुचल कर चकनाचूर कर दिया।
    श्री अकेला ने सिरामिक फैक्ट्रियों के प्रोपराइटर से अपील की है कि उक्त घटना में घायलों के लिए राहत कार्य तेजी से चलाने की हाथ जोड़कर अपील की है।

  • सरदार पटेल के कार्यों की चर्चा अनवरत होती रहेगी- प्राचार्य डॉ महेश

    आज सरदार पटेल मेमोरियल कॉलेज उदंतपुरी बिहारशरीफ नालंदा में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 147 वा जयंती समारोह मनाया गया प्राचार्य डॉ महेश प्रसाद सिंह ने सर्वप्रथम सरदार पटेल के आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया एवं उनके नाम पर अवस्थित सरदार पटेल मेमोरियल कॉलेज उदंतपुरी बिहारशरीफ को पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय ही नहीं बल्कि बिहार और देश स्तर पर अग्रणी भूमिका में लाने का संकल्प लिया। शिक्षकों छात्रों शिक्षकेतर कर्मचारियों एवं एवं पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्राचार्य डॉक्टर सिंह ने उनके कार्यों पर विशेष चर्चा की उनकी संक्षिप्त जीवनी अपने बच्चों के बीच रखा। उनकी कार्यशैली की जमकर प्रशंसा की एवं उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से सीख लेने की अपील की

    जिस खंड खंड भारत को अखंड भारत बनाने वाले भारत के शिल्पी कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की जितनी प्रशंसा की जाए कम होगी आज भारत की सभी पार्टियां सरदार वल्लभभाई पटेल के कार्यों का अनुकरण करने की बात कहती है जिस मजबूती से अपनी इच्छा शक्ति से उन्होंने देश का जो एकीकरण किया वह अद्वितीय है साथ ही आज देश के प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी का भी पुण्यतिथि है पुण्यतिथि के अवसर पर भी उनके तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी एवं उनके कार्यों की प्रशंसा की। इस अवसर पर एनसीसी ऑफिसर डॉ शशिकांत कुमार टोनी भोला प्रसाद सुरेंद्र प्रसाद भूषण प्रसाद बलवीर कुमार रवि कुमार राजीव कुमार शशिकांत महतो अमन कुमार आदि सैकड़ों लोग उपस्थित थे

  • भारतरत्न लौह पुरुष बल्लभ भाई पटेलजी की जयन्ती श्रद्धा पूर्वक मनाई गई

    जिला कांग्रेस कार्यालय राजेन्द्र आश्रम में देश के दो महान विभूतियों पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न आइरन लेडी स्वर्गीय इंदिरा गाँधीजी की पुण्यतिथि एवं भारतरत्न लौह पुरुष स्वर्गीय बल्लभ भाई पटेलजी की जयन्ती श्रद्धा पूर्वक मनाई गई सर्वप्रथम दोनों के तैल चित्र परमाल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई उसके पश्चात एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया विचार गोष्ठी के दौरान दोनों की जीवनी एवं उनके द्वारा किए गए कार्यों पर विशेष रूप से चर्चा करते हुए जिलाध्यक्ष दिलीप कुमार ने कांग्रेसियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज संयोग से हमारी पार्टी के दो महामानवों का जयन्ती एवं पुण्यतिथि है जिन्हें पूरा देश लौह पुरुष एवं लौह महिला के नाम से जानते हैं पटेल साहब ने देश की आज़ादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी सन 1928 भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान उस समय की प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में एकाएक 30% की वृद्धि कर दी थी सरदार पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया था एवं उस समय एक सत्याग्रह जिसका नाम बारडोली सत्याग्रह था जिसका नेतृत्व पटेल साहब ने किया था वे झुके नहीं और अंत में उस समय की सरकार को उनके सामने झुकना पड़ा था

    आज़ादी के बाद देश के पहले उप प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री का दायित्व सम्भालने के बाद उन्होंने अपनी सुझ बुझ और कर्मठता से देश के 562 देसी रियासतों को जिसका क्षेत्रफल भारत का 40% था उसे एक कर भारत की मुख्य धारा में जोड़ने का काम अपनी सूझ बूझ से किए थे सिर्फ तीन रियासतों जम्मू एवं कश्मीर ,जूनागढ़ और हैदराबाद स्टेट को छोड़कर सभी ने इनकी बात मानी अंत में इन तीनों पर भी बल प्रयोग कर उसे भी अपनी ताकत का लोहा मनवा कर आजाद भारत का हिस्सा बनवाए थे ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्हें शब्दों में बयान नही किया जा सकता है लेकिन होनी को कुछ और ही मंज़ूर था उन्हें सन 1950 में ही काल ने हमलोगों के बीच से छीन लिया कुछ दिन अगर और पटेल साहब हमलोगों के बीच रहते तो देश की दशा कुछ और होती आज जो हमारे किसान अन्नदाता दर दर की ठोकरें खा रहे हैं नौजवान भटक रहे हैं यह देखने को नही मिलता पटेल साहब किसानों और नौजवानों के सच्चे हितैषी थे ठीक इन्हीं की तरह लौह महिला स्व इंदिराजी ने भी अपने कार्यकाल में बहुत ही साहसिक कार्य किए जिसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता है तीन बार देश की प्रधानमंत्री बनीं 1977 में जब कांग्रेस पूरी तरह से टूट चुकी थी सत्ता से बेदख़ल हो गयी थी फिर भी इन्दिरा जी ने हिम्मत नहीं हारीं और अकेले अपने दम पर 1980 में फिर से सत्ता में वापस आयीं उन्होंने देश की महिलाओं के लिए कई कार्य किए इसी का नतीजा था की इसी बिहार की धरती से महिलाओं ने आवाज़ उठाया था की आधी रोटी खाएँगें लेकिन फिर से इन्दिरा गाँधी को ही लाएँगें और उसी नारा का फलादेश 1980 के चुनाव में देखने को मिला की इन्दिरा जी फिर से प्रधानमंत्री बनीं उनके अदम्य साहसी कार्यों में अमृतसर का आपरेसन ब्लू स्टार भी काफी साहसी कार्य रहा जिसमें खलिस्तान उग्रवादियों को समाप्त कर देश को टूटने से बचाने का कार्य उन्होंने किया था

    उस समय अगर वह निर्णय नहीं ले पातीं तो आज देश कई भागों में बँट चुका होता भले ही उस नेक कार्यों के चलते ही सन 1984 में प्रधानमंत्री रहते भर में उनकी हत्या हो गयी हो लेकिन उनके द्वारा दिया गया अंतिम भाषण आज भी भारतवासियों के ज़ेहन में घूमता है की मैं जीवित रहूँ या ना रहूँ लेकिन मेरे शरीर का एक एक लहू का कतरा एक एक हिंदुस्तान को जीवित रखेगा अंत में सभी कांग्रेसियों ने उनके बताए रास्ते पर चलने की बचनबद्धता दुहराई इस अवसर पर जिला उपाध्यक्ष जितेंद्र प्रसाद सिंह मो जेड इस्लाम नंदू पासवान ताराचन्द मेहता नवीन गुप्ता उदयशंकर कुशवाहा महताब आलम गुड्डु अधिवक्ता इमत्याज आलम हाफ़िज़ महताब चाँदपुरवे मो बेताब अली बच्चू प्रसाद अजीत कुमार मो शदाब अकबर आलम देवेंद्र यादव मो फ़ैयाज़ नसीम अहमद के अलावे दर्जनों की संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ता मौजूद थे ॥

  • उदीयमान भगवान भास्कर को व्रतियो ने दिया अर्घ्य,चार दिवसीय छठ पूजा संपन्न

    बिहारशरीफ : लोक गीतों और उगते हुए सूर्य की रौशनी के बीच सोमवार की सुबह उदीयमान भगवान भाष्कर भगवान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के साथ आस्था और विश्वास का महापर्व छठ वर्त संपन्न हो गया।
    साहित्यिक मंडली शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा व वरीय सदस्य सरदार वीर सिंह, शिक्षाविद भारत मानस, डॉ शौरभ शंकर पटेल एवं महेन्द्र कुमार यादव इत्यादि सदस्यों के साथ मोरा तालाब के छठ घाट पर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया तथा जिले एवं राज्यवासियों की सुख, शांति एवं समृद्धि के लिये ईश्वर से प्रार्थना की। मोरा तालाब के छठ घाट पर आज सामापन हो गया। आज घाट पर छठ की अद्भुत छठा बिखरी हुई नजर आई। लोकआस्था के इस महापर्व पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा नजर आया। व्रतियों ने उदयगामी (उगते हुए) सूर्य को तालाब में खड़े होकर अर्घ्य दिया।
    छठ घाटों पर सुबह से ही लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया था। जैसे ही भगवान भास्कर ने दर्शन दिए व्रतियों ने अर्घ्य के साथ भगवान से सुख शांति और समृद्धि का आशीर्वाद लिया। जिले में उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक छठ का अद्भुत रंग नजर आया। जिले में गांव से लेकर शहर तक के नदियों, तालाबो, आहर, पोखर और पइन के किनारे बने छठ घाटों पर छठ पर्व को लेकर उमड़ने वाली भारी भीड़ देखी गई।

    जिले के सभी घाटों पर व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया

    छठ पूजा के लिए औंगारी धाम, बडगांव सूर्य मंदिर, सोहसराय सूर्य मंदिर तथा कोसुत नदी से लेकर मोरा तालाब और साथ ही साथ नालंदा जिले के सभी छठ घाटों पर काफी संख्या में व्रती और श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। इस दौरान प्रशासन और स्थानीय पूजा समितियों द्वारा श्रद्धालुओ की सुविधा के लिए व्यापक बंदोबस्त किए गये थे। रौशनी से नहाए घाट के हर जगह व्रतियों ने पूरी श्रद्धाभाव के साथ पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया और छठ मैया से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की मन्नत भी मांगी। इस के साथ छठ पूजा आज सम्पन्न हुई।

    शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ था छठ पर्व

    छठ की शुरुआत शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ हुई थी। शनिवार को खरना हुआ। पर्व के तीसरे दिन रविवार व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया था और चौथे दिन यानी सोमवार उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया, जिसके बाद प्रसाद वितरण भी हुआ। इन सबके बाद ही व्रती महिलाएं व्रत का पारण करती हैं।

    छठ पर सूर्यदेव और उनकी बहन छठ मैया की उपासना का है महत्व

    बेहद पवित्र माने जाने वाले छठ पर्व पर सूर्यदेव और उनकी बहन छठ मैया की उपासना का बहुत महत्व है। छठ का व्रत काफी कठिन माना जाता है। 36 घंटे निर्जला व्रत रखने के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत पूर्ण हो जाता है। ये व्रत परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है।

  • क्या आप जानते है Instagram से होती है तगड़ी कमाई, जानिए – कैसे…


    डेस्क : आज के समय में सोशल मीडिया प्लेटफार्म Instagram फोटो को शेयर करने और देखने बस का जरिया नहीं हैं। बल्कि इसके जरिए भी कई सारे ऐसे लोग हैं जो अच्छी खासी कमाई कर रहें हैं। कई सारे लोग इंस्टाग्राम पर प्रमोशन करके बेहतर कमाई कर रहें हैं। इंस्टाग्राम पर आपके फॉलोवर्स ज्यादा हो या कम इसका आपकी कमाई पर कोई असर नहीं पड़ता हैं। कम फ़ॉलोवेर्स में भी आप बेहतर कमाई कर सकते हैं, तो फिर जानते हैं कि इंस्टाग्राम के जरिये कैसे बेहतर कमाई कर सकते हैं।

    अगर आप Instagram पर इंफ्लूएंशर बनते हैं, तो फिर बेहद आसानी से शानदार कमाई भी कर सकते हैं। अगर आप Instagram इंफ्लूएंशर बनकर बेहतर कमाई करना चाहते हैं, तो फिर इसके लिए आपके कम से कम 5000 follwers होना चाहिए। आपके फॉलोवर्स की संख्या जितनी अधिक बढ़ेगी कंपनियां अपनी ब्रांडिंग के लिए आपसे संपर्क करेंगी। आपको अपने Instagram हैंडल के माध्यम से ब्रांड या कंपनी के पोस्ट डालेंगे। जिसके बदले कम्पनी आपको पैसे आफर हैं। हालांकि इसमें थोड़ी सावधानी भी रखनी चाहिए और फर्जीवाड़े से बचना चाहिए।

    कमाई एफिलिएट लिंक के प्रमोशन से ही अगर आप किसी प्रोडक्ट का प्रमोशन करते हैं और लोग इसको पसंद करते हैं, तो फिर आप इसके एफिलिएट लिंक से भी अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। इसके साथ ही अगर आप किसी ब्रांड के लिंक को प्रमोट भी करते हैं, तो फिर आप उससे भी एक अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। यह जो कमाई होती हैं वो प्रोमो कोड के जरिए ही होती हैं। आप अपनी स्टोरी में और पोस्ट में प्रोमो कोड को लगा सकते हैं अगर कोई फॉलोअर उस प्रोमो कोड का इस्तेमाल करके Sign up करता हैं, तो फिर आपकी कमाई होती हैं।

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  • भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल की 147 वीं जयंती पर विशेष

    राकेश बिहारी शर्मा- भारत रत्न से सम्मानित सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म क्रांतिकारी परिवार में हुआ था। स्वतंत्र भारत को एक सूत्र में बाँधने का श्रेय भी सरदार वल्लभ भाई पटेल को ही जाता है। सरदार पटेल एक सच्चे राष्ट्रभक्त ही नहीं थे, अपितु वे भारतीय संस्कृति के महान् समर्थक थे। सादा जीवन उच्च विचार, स्वाभिमान, देश के प्रति अनुराग, यही उनके आदर्श थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् देश की सभी छोटी-बड़ी 565 रियासतों को विलय कर उन्हें भारतीय संघ बनाने में उनकी अति महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।
    भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल जी सबसे प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह एक जन्मजात नेता थे और उन्हें अपने समर्पण पर दृढ़ विश्वास था। भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने थे। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरुष भी कहा जाता है। कोइ मनुष्य महान बनकर पैदा नहीं होता है। इन्होने 200 वर्षो की गुलामी के फँसे देश के अलग-अलग राज्यों को संगठित कर भारत में मिलाया और इस बड़े कार्य के लिए इन्हें सैन्य बल की जरुरत तक नहीं पड़ी। यही इनकी सबसे बड़ी ख्याति थी, जो इन्हें सभी नेताओं से पृथक करती हैं। सरदार वल्लभभाई पटेल जी भारतीय एकता के शिखर पुरुष थे।

    वल्लभ भाई पटेल का जन्म और शिक्षा-दीक्षा

    महान स्वतंत्रता सेनानी लौहपुरूष सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को ग्राम करमसद में हुआ था। इनके पिता झबेरभाई पटेल थे जिन्होंने 1857 में रानी झांसी के समर्थन में युद्ध किया था। इनकी मां का नाम लाडोबाई था। इनके पिता बहुत ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। ये गुजरात में एक लेवा पटेल (पाटीदार) जाति अर्थात कुर्मी जाति में हुआ था। वल्लभ भाई पटेल की प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही एक स्कूल में हुई थी। आगे की पढ़ाई के लिए वह पेटलाद गांव के स्कूल में भर्ती हुए। यह उनके मूल गांव से छह से सात किलोमीटर की दूरी पर था। वल्लभ भाई पटेल को बचपन से ही पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था। वल्लभ भाई की हाईस्कूल की शिक्षा उनके ननिहाल में हुई। उनके जीवन का वास्तविक विकास ननिहाल से ही प्रारम्भ हुआ था। वे अपने पिता झवेरभाई पटेल तथा माता लाडबा देवी की चौथी संतान थे। भाइयों में सोम भाई, बिट्ठल भाई, नरसी भाई एवं एक बहन दहिबा थी। वल्लभ भाई का विवाह 16 साल की उम्र में झावेरबा पटेल से हुआ। उन्हें एक बेटा दह्याभाई और एक बेटी मणिबेन हुई थी। वल्लभ भाई ने नडियाद, बड़ौदा व अहमदाबाद से प्रारंभिक शिक्षा लेने के उपरांत इंग्लैंड मिडल टैंपल से लॉ की पढ़ाई पूरी की व 22 साल की उम्र में जिला अधिवक्ता की परीक्षा उत्तीर्ण कर बैरिस्टर बने, और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। उसी समय महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया।

    सरदार वल्लभ भाई पटेल का राजनैतिक सफर

    वल्लभ भाई ने सबसे पहले अपने स्थानीय क्षेत्रो में शराब, छुआछूत एवं नारियों के अत्याचार के खिलाफ लड़ाई की। इन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता को बनाये रखने की पुरजोर कोशिश की। सरदार पटेल का राजनैतिक सफर 1917 में खेड़ा किसान सत्याग्रह से हुआ था। 1923 में नागपुर झंडा सत्याग्रह, 1924 में बोरसद सत्याग्रह और बारदोली सत्याग्रह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान माह जून 1928 गुजरात में हुआ यह एक प्रमुख किसान आंदोलन था जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने ही किया था। उस समय सरकार ने किसानों के लगान में 22 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया और इसको लेकर अपनी राष्ट्रीय पहचान कायम की।
    इसी बारदोली सत्याग्रह में उनके सफल नेतृत्व से प्रभावित होकर महात्मा गांधी और वहां के किसानों ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि दी। वहीं 1922, 1924 तथा 1927 में सरदार पटेल अहमदाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गये। 1930 के गांधी के नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आन्दोलन की तैयारी के प्रमुख शिल्पकार सरदार पटेल ही थे। 1931 के कांग्रेस के कराची अधिवेशन में सरदार पटेल को अध्यक्ष चुना गया। सविनय अवज्ञा आंदोलन में सरदार पटेल को जब 1932 में गिरफ्तार किया गया तो उन्हें गांधी के साथ 16 माह जेल में रहने का सौभाग्य हासिल हुआ। 1939 में हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन में जब देशी रियासतों को भारत का अभिन्न अंग मानने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया तभी से सरदार पटेल ने भारत के एकीकरण की दिशा में कार्य करना प्रारंभ कर दिया तथा अनेक देशी रियासतों में प्रजा मण्डल और अखिल भारतीय प्रजा मण्डल की स्थापना करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    सरदार पटेल ने 565 देशी रियासतों का भारत में शांतिपूर्ण विलय करवाया

    विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो। 5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग की स्थापना की गई थी। लौह पुरुष सरदार पटेल ने बुद्धिमानी और दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए वी.पी. मेनन और लार्ड माउंट बेटन की सलाह व सहयोग से अंग्रेजों की सारी कुटिल चालों पर पानी फेरकर नवंबर 1947 तक 565 देशी रियासतों में से 562 देशी रियासतों का भारत में शांतिपूर्ण विलय करवा लिया। भारत की आजादी के बाद भी 18 सितंबर 1948 तक हैदराबाद अलग ही था लेकिन लौह पुरुष सरदार पटेल ने हैदराबाद के निजाम को पाठ पढ़ा दिया और भारतीय सेना ने हैदराबाद को भारत के साथ रहने का रास्ता खोल दिया।

    नेहरू से ज्यादा लोकप्रिय थे सरदार वल्लभ भाई पटेल

    भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने थे। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरुष भी कहा जाता है। आजादी के पहले कांग्रेस कार्य समिति ने प्रधानमंत्री चुनने के लिए प्रक्रिया बनाई थी, जिसके तहत आंतरिक चुनावों में जिसे सबसे अधिक मत मिलेंगे वही कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष होगा और वही प्रथम प्रधानमंत्री भी होगा। कांग्रेस के 15 प्रदेश स्तर के अध्यक्षों में से 13 वोट पटेल को मिले थे और केवल एक वोट जवाहरलाल नेहरू को मिला था। लेकिन गांधी का पुरजोर पक्ष जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष व प्रधानमंत्री बनाने को लेकर था। चूंकि गांधी को आधुनिक विचार बहुत पसंद थे, इन विचारों की झलक उन्हें पटेल की जगह विदेश में पढ़े-लिखे नेहरू में अधिक दिखती थी। वहीं गांधी विदेश नीति को लेकर पटेल से असहमत थे। इस कारण उन्होंने पटेल को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने से इंकार कर दिया व अपने वीटो पॉवर का इस्तेमाल नेहरू के पक्ष में किया। इसको लेकर भारतीय राजनीति में राजेंद्र प्रसाद का यह कथन प्रासंगिक है ‘एक बार फिर गांधी ने अपने चहेते चमकदार चेहरे के लिए अपने विश्वासपात्र सैनिक की कुर्बानी दे दी।’ लेकिन सवाल पटेल को लेकर भी उठते हैं कि उन्होंने इसका विरोध क्यों नहीं किया। आखिर उनके लिए गांधी महत्वपूर्ण था या देश? निश्चित ही भारत के 2/5 भाग क्षेत्रफल में बसी देशी रियासतों जहां तत्कालीन भारत के 42 करोड़ भारतीयों में से 10 करोड़ 80 लाख की आबादी निवास करती थी, उसे भारत का अभिन्न अंग बना देना कोई मामूली बात नहीं थी। कई इतिहासकार सरदार पटेल की तुलना बिस्मार्क से भी कई आगे करते है क्योंकि बिस्मार्क ने जर्मनी का एकीकरण ताकत के बल पर किया और सरदार पटेल ने ये विलक्षण कारनामा दृढ़ इच्छाशक्ति व साहस के बल पर कर दिखाया था।
    भारत की आजादी के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी व प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल में जमीन आसमान का अंतर था। जब की दोनों ने इंग्लैण्ड जाकर बैरिस्टरी (वकालत) की डिग्री प्राप्त की थी लेकिन वल्लभ भाई पटेल वकालत में पं॰ नेहरू से बहुत आगे थे तथा उन्होंने सम्पूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य के विद्यार्थियों में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया था। जवाहर लाल नेहरू जी केवल सोचते रहते थे इधर सरदार वल्लभ भाई पटेल उस काम को कर डालते थे। कहा जाता है की नेहरू शास्त्रों के ज्ञाता थे, पटेल शस्त्रों के पुजारी थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भी ऊंची शिक्षा पाई थी उच्च स्तर की पढ़ाई की थी लेकिन उनमें चींटी बराबर भी अहंकार नहीं था। वे स्वयं कहा करते थे, मैंने कला या विज्ञान के विशाल गगन में ऊंची उड़ानें नहीं भरीं। मेरा विकास कच्ची झोपड़ियों में गरीब किसान के खेतों की भूमि और शहरों के गंदे मकानों में हुआ है।

    भारत के आदर्श सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन

    वल्लभ भाई पटेल अपने जीवन के माध्यम से ताकत के प्रतीक थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल जी महात्मा गांधी जी को बहुत मानते थे उनकी इज्जत करते थे, महात्मा गांधी जी की कही हुई बातों को सर्वोपरि मानते थे। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी जी की हत्या कर दी गयी। इस बात का वल्लभ भाई पटेल पर बहुत गहरा असर पड़ा और कुछ समय के बाद करीब 19-20 महीनों के बाद उन्हें हृदयाघात (हार्ट अटैक) या दिल का दौरा आ गया और 15 दिसम्बर 1950 को निधन हो गया।
    भारत का इतिहास हमेशा इस महान्, साहसी, निर्भयी, दबंग, अनुशासित, अटल, शक्ति सम्पन्न महान् पुरुष को याद करेगा। 565 रियासतों का विलय कराने वाले लौह पुरुष को भारतवर्ष हमेशा याद रखेगा।

    पटेल के विचारों एवं आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने की आवश्यकता

    मौजूदा आर्थिक संकट, राजनीति में पनप रहे चमचावाद, स्तरहीनता के फलस्वरूप समाज में हर स्तर पर हास तथा देशभक्ति की भावना लोगों में लगातार लुप्त होते देख हम सब आज बाध्य हो रहे हैं, सरदार पटेल को याद करने के लिए। माखनलाल चतुर्वेदी जी की ये पंक्तियाँ हमें याद आ रही हैं- “दुनिया की मर्दुम शुमारी गलत हो रही है। यथार्थ में दुनिया में दो चार ही गिने-चुने जीव रहते हैं। उन्हीं की गिनती दुनिया भी करती है और उन्हीं का मत दुनिया का मत।”
    इसलिये आज जरूरत है सरदार पटेल के विचारों एवं आदर्शों को घर-घर तथा जन-जन तक पहुँचाने की, क्योंकि देश की एकता और अखण्डता की रक्षा के लिये एकजुट रहने की आवश्यकता है, ताकि भारत माँ के निकट बेड़ियों की झनझनाहट तक नहीं पहुँचने पाए। जब-जब देश को खण्डित करने वाली शक्तियाँ अपना सर ऊपर उठाती हैं, भारत के लौहपुरुष तथा राष्ट्र की एकता के प्रतीक सरदार पटेल की याद बरबस हम सभी देशवासियों के मानस-पटल पर छा जाती है। किंतु दुख की बात यह है कि आज हर मंच से देश की एकता तथा अखण्डता के नारे नेताओं द्वारा लगाए जा रहे हैं पर नाम उनका लिया जा रहा है जिनका भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान करने की बात तो दूर, उन दिनों उनकी पैदाइश भी नहीं हुई थी। यह कैसी विडंबना है।
    आज जहाँ एक तरफ हमारे यहाँ लोग राष्ट्रीय एकता की दुहाई देते नहीं थकते और दूसरी ओर बेशर्मी से ऐसे काम करते हैं जो राष्ट्रीय एकता की जड़ों पर प्रहार करने वाले हैं। मुश्किल यह है कि हमारे मन में आज राष्ट्रीयता का एक मूल आधार हमारा संविधान है। उसकी प्रस्तावना में स्वतंत्रता और समता के साथ बंधुता का अल्लेख करते हुए कहा गया है कि यह मूल्य व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता तभी मजबूत हो सकती है। जब देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उचित सम्मान मिले और साथ ही हममें भाईचारे का विकास हो। इसका एक निहितार्थ यह है कि यदि देश के किसी नागरिक को चोट पहुँचाई जायगी, उसके साथ भेद-भाव किया जायगा, तो राष्ट्रीय एकता कभी मजबूत नहीं होगी।
    वर्तमान दौर की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति के मद्देनजर सरदार पटेल की प्रासंगिकता इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि आज की भौतिकवादी दुनिया में जहाँ नैतिक संकट है, वहीं हमारे देश भारत में देशभक्ति की भावना का तेजी से ह्रास हो रहा है। जाति, धर्म, भाषा तथा क्षेत्रीयता के नाम पर हम एक-दूसरे से दूर होते चले जा रहे हैं।

  • चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठपूजा का समापन

    उगते हुए सूर्य को अर्घ देते के साथी नालंदा जिले में चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठपूजा का समापन हो गया। इस छठपूजा के मौके पर राष्ट्रीय जनता दल के युवा नेता देवीलाल यादव के द्वारा कोसुक़ छठघाट पर मुफ्त चाय वितरण का स्टॉल लगाया गया। यह चाय का मुफ्त स्टॉल छठवर्तियों को ध्यान में रखते हुए लगाया गया था इस मुफ्त चाय की स्टाल पर खुद राजद नेता देवीलाल यादव छठव्रतियों एवं श्रद्धालुओं के बीच चाय का वितरण करते हुए दिखे। इस मौके पर राजद नेता देवी लाल यादव ने कहा कि छठपूजा लोक आस्था का महापर्व है। इसीलिए हर किसी को छठर्तियों के लिए कुछ ना कुछ सामाजिक कार्य करना चाहिए। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि नालंदा जिला का कोसुक छ्ठघाट में पहली बार गंगा उद्गम योजना के तहत गंगा का पानी लाया गया है। पहली बार कोसुक़ छठघाट में छठ व्रतियों ने गंगाजल में अर्ध्य दिया। यह कठिन कार्य सिर्फ और सिर्फ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही संभव कर दिखाया है। जिन्होंने मोकामा मराचि से होते हुए गंगाजल को राजगीर में लाने का काम किया। राजद नेता देवीलाल यादव ने कहा कि आने वाले वक्त में यह कोसुक़ छठघाट ओगारी बड़गांव छठघाट की तरह काफी प्रसिद्ध होगा क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा घोड़ा कटोरा से गंगाजल को कोसुक़ छठ घाट में लाने का काम किया। इस मौके पर कई सामाजिक कार्यकर्ता एवं राजद कार्यकर्ताओं ने भी अपना अहम योगदान दिया

     

  • अखंड भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभायी थी पटेल जी ने

    सरदार पटेल चौक पर पटेल जयंती समारोह में भाग लेते ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, सांसद कौशलेन्द्र कुमार, जदयू के राष्ट्रीय महासचिव इंजीनियर सुनील व अन्य राजगीर। सरदार बल्लभ भाई पटेल के बताये रास्ते पर चलकर ही देश व राज्य का विकास हो सकता है। उन्होंने देश के लोगों के लिए काम किया। इस कारण ही आज देश ही नहीं पूरा विश्व उन्हें याद करता है। ये बातें ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने रविवार को सरदार पटेल चौक पर पटेल सेवा सदन द्वारा आयोजित 147वां जयंती समारोह में कहीं। मंत्री ने कहा कि पटेल जी के काम को पूरी दुनिया लोहा मानती है। उन्होंने अखंडता को अछून्न बनाये रखा। सरदार पटेल का नाम अमर है। सरदार पटेल, महात्मा गांधी, बाबा साहब भीम राम अम्बेडकर ने जो देश व समाज के गरीब लोगों के विकास की सोच बनायी थी उस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चल रहे हैं। उनके सपनों को मूर्त्त रूप देने में लगे हैं। गांधी ने सपना देखा था कि गांव खुशहाल हो।

    गरीबों को छत, पानी, बिजली, नल का पानी मिले। उसे आज नीतीश कुमार ने उनकी राह पर चलकर पूरा कर दिखाया है। उनके गांव स्वराज की बात को पूरा करने में लगे हैं। पटेल जी ने किसानों को विकास की बात कही थी। उनकी सोच थी कि जब तक गांव का किसान खुशहाल नहीं होगा तब तक असल विकास नहीं हो सकता। सूबे के मुख्यमंत्री किसानों के विकास की सोच रख रहे हैं। आने वाले तीन सालों में बिहार के हर खेत तक जल जीवन हरियाली योजना से पारंपरिक तरीके से पानी पहुंच जायेगी। इससे खेतों में हरियाली आयेगी और गांव खुशहाल होंगे। गांवों को विकसीत बनाया गया है। शहरों के जैसी आज गांवों में सुविधा मिल रही है। अब शहर से अच्छा गांव लगता है। सरदार पटेल समाज को शिक्षित बनाने का संकल्प रखते थे। इस कारण देश ही नहीं दुनिया के विभिन्न कोनों में सरदार पटेल के नाम पर शिक्षा संस्थानों का नाम रखा गया है। सांसद कौशलेन्द्र कुमार ने कहा कि सरदार पटेल ने देश को एक करने का काम किया था। उन्होंने गरीबी-अमीरी की खाई को पाटने का काम किया था। सांसद ने कहा कि मौजूदा केन्द्र सरकार ने कहा था कि किसानों की आमदनी दोगुनी होगी। ऐसा न हो सका। देश में मंहगाई चरम पर है। देश में गरीबी बढ़ रहा है।

    उन्होंने कहा कि अब देश के लोगों को 2024 में एक बेहतर विकल्प चुनना होगा। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव इंजीनियर सुनील ने कहा कि सरदार पटेल ने अखंड भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभायी थी। बारदोली सत्याग्रह के बाद से उन्हें महिलाओं ने सरदार की उपाधि दी थी। उनकी सोच देश की सेवा करने की थी। पटेल जी के बताये रास्ते पर चलकर ही देश का विकास हो सकता है। जदयू प्रखंड अध्यक्ष जयराम सिंह ने कहा कि राजगीर में सरदार पटेल की जयंती सालों से पटेल सेवा सदन के बैनर तले होते चला आ रहा है। इसमें सबों का सहयोग मिलता रहा है। इस मौके पर सांसद कौशलेन्द्र कुमार, जदयू के राष्ट्रीय महासचिव इंजीनियर सुनील, दिल्ली से आये बीके पटेल, वरीय नेता मुन्ना कुमार, रामकृष्णा प्रसाद, अरुण कुमार वर्मा, नदीम जफर, जदयू प्रखंड अध्यक्ष जयराम सिंह, जदयू नगर अध्यक्ष राकेश कुमार, वार्ड पार्षद डॉ. अनिल कुमार, मेयार पैक्स अध्यक्ष अरुण कुमार चंचूल, प्रमुख प्रतिनिधि अजय पासवान, श्यामदेव राजवंशी, डॉ. बिमलेन्द्र कुमार सिन्हा, श्याम महतो, अजीत प्रसाद सिंह, सुरेश प्रसाद, अरुण महतो, कृष्णा महतो सहित अन्य मौजूद थे।

  • लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की 147 वी जयंती मनाई गई।

    नेहरू युवा केंद्र नालंदा के तत्वाधान में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की 147 वी जयंती समारोह सोगरा स्कूल बिहार शरीफ के प्रांगण में धूमधाम से मनाई गई। जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ भीमराव अंबेडकर विचार परिषद के अध्यक्ष डॉ अमित कुमार पासवान अधिवक्ता ने की। डॉ अमित कुमार पासवान ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने खेड़ा संघर्ष को लेकर देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में भी अहम भूमिका निभाई जब खेडा क्षेत्र सूखे की चपेट में था और वहां के किसानों ने अंग्रेजी हुकूमत से कर में छूट की मांग की तो अंग्रेजों ने मानने से इनकार किया तो सरदार वल्लभभाई पटेल एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं अन्य नेताओं ने मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ किसान आंदोलन का शंखनाद किया और तब अंग्रेजों को झुकना पड़ा l और किसानों की मांगों को पूरा करना पड़ा था। डॉ पासवान ने कहा कि उन्होंने बतौर देश के पहले उप प्रधानमंत्री व व गृह मंत्री का पद संभालते हुए उन्होंने पहली प्राथमिकता के तौर पर भारत को रिहायसी इलाकों में शामिल करना था और उन्होंने बिना किसी विवाद के इस कार्य को सफलतापूर्वक निभाया था। सरदार बल्लभ भाई पटेल हर भारतीयों के लिए पथ प्रदर्शक व मार्गदर्शक थे।

    विशिष्ट अतिथि के रूप में नगर पंचायत सिलाव व नगर परिषद राजगीर के ब्रांड एम्बेसडर लोक गायक भैया अजीत ने कहा कि लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी आधुनिक भारत के निर्माता , प्रखर राष्ट्रवादी थे उनके अथक परिश्रम ने देश की अखंडता को सुनीश्चित किया और भारत को एक सूत्र में पिरोया। उनकी देश भक्ति और कर्तव्यपरायण के कारण भारत सदैव ऋणी रहेगा उनकी सपनों को साकार करने के लिए हम युवाओं को आज संकल्प लेना चाहिए आज देश को प्रेम , शांति, भाईचारा, एकता और सद्भाव की जरूरत है जिसे नेहरू युवा केंद्र देश के कोने कोने में महापुरुषों के प्रति युवाओं में जागृति पैदा कर रहा है हम कोटि कोटि धन्यवाद व आभार व्यक्त करते हैं नेहरू युवा केंद्र के पदाधिकारियों को जो ऐसे मौके पर समाज के प्रबुद्ध वर्ग एवम युवाओं के समकक्ष कार्यक्रम कराते रहते है।साथ ही युवाओ को एक जुट होने के लिए गीत के माध्यम से प्रेरित किया
    मिलजुल के रहिये साथ साथ चलिए,
    मत लड़िये, मत डरिये,भाई बन कर रहिये।
    मिलजुल के रहिये……………….।
    वही समाजसेवी डॉ आशुतोष कुमार ने कहा कि पूर्व की सरकारो ने देश के लिए त्याग और बलिदान देने वाले महापुरुषों को अनदेखी किया है वही नेहरू युवा केन्द्र ने देश के कोने कोने एवम ग्रामीण इलाकों के प्रतिभाओ उभरने एवम मंच प्रदान करे में लगा है इनके कार्यो हम सराहना करते है।
    नेहरू युवा केंद्र के लेखापाल शिव नारायण दास ने कहा की देश के कोने कोने में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है आज लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा के कारण उपस्थित भले ही कम है परन्तु आप प्रबुद्ध जनो के आ जाने से यह कार्यक्रम सफल हो गया यह कार्यक्रम एक सप्ताह तक चलेगा।इस मौके पर डॉ. रुपम खत्री, विकाश कुमार निराला, शुभम कुमार, सहित दर्जनों समाजसेवियों ने अपने- अपने विचार व्यक्त किए ।