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  • बढ़ते अपराध पर रोक लगाए प्रशासन।-रामदेव चौधरी

    नालंदा जिला के नूरसराय प्रखंड के पपरनौसा गांव का बहुजन सेना के 3 सदस्य टीम ने दौरा किया जहां विगत 24 अक्टूबर को सामंतवादियों द्वारा दर्जनों महादलित लोगों के साथ मारपीट किया गया था।
    बहुजन सेना के 3 सदस्य टीम में राष्ट्रीय अध्यक्ष दिलीप कुमार, प्रदेश महासचिव रामदेव चौधरी एवं नालंदा जिला सचिव महेंद्र प्रसाद शामिल थे।
    इस अवसर पर बहुजन सेना के सदस्यों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दिवाली की रात में गांव के सामंतवादियों द्वारा महादलित टोला पर हमला कर दर्जनों लोगों को घायल कर दिया गया है जिसमें लक्ष्या देवी, कमलेश मांझी एवं शोषम देवी का हालत काफी गंभीर है और वे तीनों जिंदगी और मौत के बीच जुझ रहे हैं।
    टीम के सदस्यों ने कहा कि हमलोग नालंदा पुलिस प्रशासन से यह मांग करते हैं कि जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार कर उचित दण्ड दिलाने का काम किया जाय और अगर पुलिस प्रशासन इस घटना में त्वरित करवाई नहीं किया तो बहुजन सेना इसके लिए आंदोलन करेगी क्योंकि देखा जा रहा है कि दिन प्रतिदिन सामंतवादियों का जुल्म-अत्याचार हम बहुजनों पर बढ़ता ही जा रहा है और ये मनुवादी/सामंतवादी लोग हम बहुजनों को गाजर मूली की भांति मारने काटने पर आतुर रहते हैं।। इस अवसर पर गांव के दर्जनों लोग महिला पुरुष उपस्थित थे।
    बहुजन सेना के प्रतिनिधि ने कहा कि एक तरफ भारत में छठ पर्व मनाया जा रहा था तो दूसरी तरफ कल गुजरात के मोरबी के मच्छु नदी पर बने केवल पुल टूट जाने के कारण इस हादसे में मारे गए उन तमाम लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए दुख प्रकट करता हूं और आशा करता हूं कि आगे इस तरह की घटनाएं देश में न घटे।

  • हर्षोल्लास के साथ मनाया गया छठ पर्व -राजीव कुमार मुन्ना

    बेन प्रखंड के मुरगांवा में अवस्थित नवनिर्मित तलाव में स्थानीय गांव के लोगों द्वारा व्यापक पैमाने पर भगवान भास्कर की उगतें हुए एवं डूबते हुए सूरज को लोगों ने आर्ग दिया इस गांव के तालाब एवं मंदिर के निर्माण में माता बंदी परमेश्वरी ट्रस्ट के सदस्यों ने श्रमदान कर पूरे तालाब परिसर एवं सड़कों के बीच साफ सफाई कर छठ व्रतियों को सुविधा के लिए अपना योगदान दिया बता दें कि मुरगांवा आदर्श गांव बनानें में बिहार सरकार के सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता गोपाल सिंह का बड़ा योगदान है यहां का मंदिर का निर्माण स्वतंत्रता आंदोलन में अहम योगदान देने वाले स्वर्गीय केदार सिंह का रहा है मुरगांवा में तलाव का सौन्दर्य करण को देखने के लिए अगल-बगल के कई गांव के श्रद्धालु एवं समाजसेवी पधारे सुदर वर्ती इलाका होने के बाद भी यहां जिस प्रकार तलाव को सुसज्जित करने का कार्य किया गया वह एक अद्वितीय उदाहरण है इस कारण कई गांव के लोग ही यह भगवान भास्कर का महापर्व मनाने झूटे थे इस कार्यक्रम में सहयोग प्रदान करने वाले विनोद नारायण सिंह रामनरेश सिंह मुकुंद माधव संजय सिंह श्याम शंकर शर्मा ललन सिंह रामानुज राम उपेंद्र सिंह शालिग्राम सिंह सत्येंद्र सिंह रमेश कुमार सदन सिंह शिव शंकर सिंह राजीव कुमार मुन्ना आदि ने अपना योगदान देकर गौरवान्वित महसूस किया इस संबंध में लोगों ने कहा कि इस गांव को सुसज्जित करने की हमेशा प्रयास करने वाले बिहार सरकार के अधिवक्ता गोपाल सिंह के प्रति हम लोग आभारी हैं साथ में उन्होंने कहा कि अगर अगर सभी लोग यह प्रण करने की अपने अपने गांव को स्वस्थ रहना है तो राज्य का विकास एवं देश का विकास स्वयं हो जाएगा।

  • छठ घाट पर प्रेमिका से मिलने गए युवक की पीट पीटकर हत्या, शव को लेकर परिजनों ने थाने पर किया हंगामा

    मुजफ्फरपुर । मुजफ्फरपुर मे दोस्त के साथ प्रेमिका से मिलने गए प्रेमी की छठ घाट के पीछे पिट पीटकर बेरहमी से हत्या कर दी गई है। उसे ईट पथरो से कूचा गया। इसमें प्रेमी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। जबकि, उसके साथी की भी बांधकर पिटाई की गई है। उसका इलाज सदर अस्पताल मे कराया जा रहा है।

    मृतक मेहंदी हसन रोड निवासी 19 वर्षीय निहाल उर्फ अयान था। वह अपनी प्रेमिका से मिलने छठ घाट पर पहुंचा था। इसी बीच प्रेमिका के घर वालों ने छेड़खानी का आरोप लगाकर प्रेमी को पकड़ लिया। फिर वहां मौजूद भीड़ ने युवक को घेरकर बेरहमी से पीट पीटकर हत्या कर दिया। घटना कांटी थाना इलाके के महरथा गांव में छठ घाट की है। घटना की सूचना पर पहुंची कांटी पुलिस ने शव को कब्जे मे लेकर पोस्टमार्टम के लिए SKMCH भेज दिया है।

    परिजनों ने बताया की 4 साल से अयान व युवती मे प्रेम प्रसंग था। दोनों दो साल पहले घर से भाग गए थे। इसको लेकर केस भी दर्ज हुआ था और प्रेमिका के अपहरण के आरोप में वह जेल गया था। रविवार को छठ की संध्या पर अर्घ्य चढ़ाने के दौरान ब्रह्मपुरा से अयान अपनी प्रेमिका से मिलने महरथा गांव स्थित घाट पर पहुंच गया। इस दौरान उसे लड़की के परिजन ने देख लिया। उन्होंने छेड़खानी के आरोप में युवक को खदेड़ना शुरू कर दिया। छठ घाट पर मौजूद सैकड़ों लोगों ने उसकी पिटाई कर दी। उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

    घटना के बाद परिजनों मे आक्रोश है। मृतक युवक के परिजनों ने शव को लेकर ब्रह्मपुरा थाना पर जाकर जमकर हंगामा किया और लड़की के पिता शम्भू साह पर कठोर कार्रवाई की मांग की. पुलीस मामले की जांच में जुट गई है.

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  • गेहूं के बढ़ते दामों से जूझ रहीं आटा मिलें – कीमतें थामने के लिए सरकार से मांगा 40 लाख टन अनाज..


    डेस्क : सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद घरेलू बाजार में महंगाई अब भी पीछा नहीं छोड़ रही है. सरकार ने पहले गेहूं फिर चावल के निर्यात पर रोक भी लगायी लेकिन अब आटा मिलों का कहना है कि उनके पास गेहूं की भयंकर किल्‍लत हो गई है और जल्‍द ही सरकार ने मुहैया नहीं कराया तो घरेलू बाजार में कीमतें थामना बेहद मुश्किल हो जाएगा और महंगाई बढ़ जाएगी. इन मिलों ने मांग की है कि सरकार ओपन मार्केट में गेहूं की बिक्री करे, ताकि इसकी कीमतों पर लगाम कसी जा सके.

    रोलर फ्लोर मिल्‍स फेडरेशन ऑफ इंडिया (RFMFI) ने खाद्य मंत्रालय से शिकायत करी है. साथ ही यह गुहार भी लगायी है कि सरकार नवंबर माह में अपने स्‍टॉक से गेहूं जारी कर ओपन मार्केट में गेहूं की बिक्री करे. फेडरेशन ने यह कहा है कि सरकार के स्‍टॉक में जरूरत से ज्‍यादा गेहूं है और उसे जल्‍द बाजार में 40 लाख टन गेहूं जारी करना चाहिए. बाजार में गेहूं की उपलब्‍धता से कीमतों में काफी कमी आएगी और आटा के भाव बढ़ने से रोका जा सकेगा. फेडरेशन ने यह भी कहा है कि इस कदम से मुनाफाखोरों को भी जवाब दिया जा सकेगा, जो स्‍टॉक होने के बावजूद कालाबाजारी के इंतजार में बैठे हुए हैं.

    सरकार ने क्‍यों बंद की Open Market बिक्री :

    सरकार ने क्‍यों बंद की Open Market बिक्री : दरअसल, वित्‍तवर्ष 2021-22 के दौरान सरकार के गेहूं भंडारण में करीब 56 फीसदी की कमी आयी है. यह गिरावट उत्‍पादन घटने और निर्यात बढ़ने की वजह से दिख रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक बाजार में गेहूं की सप्‍लाई पर बुरा असर पड़ा, तब भारत ने बड़ी मात्रा में कई देशों को गेहूं भी सप्‍लाई किया था. इससे सरकार के भंडारण में कमी आ गयी और गेहूं का भंडार 14 साल के निचले स्‍तर पर पहुंच गया.

    फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी FCI के पास 1 अक्‍तूबर, 2022 को 2.27 करोड़ टन गेहूं का भंडार था, जबकि इस अवधि तक उसे सिर्फ व सिर्फ 2.05 करोड़ टन गेहूं के स्‍टॉक की जरूरत थी. यानी फिलहाल FCI के पास गेहूं का अतिरिक्‍त भंडार है. इस चालू वित्‍तवर्ष में मौसम की मार की वजह से गेहूं का उत्‍पादन घटकर 10 करोड़ टन से भी कम रहने का अनुमान है.

    यही कारण है कि इस साल सरकारी एजेंसियों ने सिर्फ 1.8 करोड़ टन गेहूं की खरीदी की है, जो पिछले 15 साल में सबसे कम है. वित्‍तवर्ष 2021-22 में सरकार ने कुल 4.33 करोड़ टन गेहूं की खरीद भी की थी. यही कारण है कि चालू वित्‍तवर्ष के लिए अभी तक ओपन बाजार में सेल का कोटा तय नहीं किया गया है

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  • सदोष चाऱ्यामुळे जनावरांना होतात ग्रास टेटॅनी, जठर दाह सारखे आजार

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: खराब चारा पशुओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। ऐसा दोषपूर्ण चारा खाने से पशुओं में चयापचय संबंधी रोग होते हैं। उसके जानवरों के दूध उत्पाद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए ध्यान रखा जाना चाहिए कि जिस क्षेत्र में पशु चारा संग्रहीत किया जाता है, उसमें जलभराव न हो, क्योंकि यदि चारा गीला हो जाता है, तो मोल्ड विकसित होगा। आइए आज के लेख में जानें खराब चारे से पशुओं को होने वाली बीमारी के बारे में…

    1) घास टिटनी

    जानवरों यह रोग तब होता है जब युवा जानवर चरागाह में चरने के दौरान बड़ी मात्रा में हरी घास खाते हैं। यह रोग रक्त में मैग्नीशियम लवण की कमी के कारण होता है। अतिरिक्त पोटेशियम और साइट्रिक एसिड इस बीमारी का कारण बनते हैं। लक्षण जल्दी प्रकट नहीं हो सकते हैं, लेकिन ग्रास टेटनी के कारण जानवर संतुलन खो देता है, और जानवर बेचैन हो जाता है। शरीर कांपता है, जानवर अपना सिर नीचे करता है। जानवर कोमा में पड़ जाता है और मर जाता है।


    मापना : मानसून के दौरान पशुओं के चारे की उचित देखभाल करके इस बीमारी से बचा जा सकता है।

    2) जठरशोथ

    जब बारिश शुरू होती है तो चरागाहों पर चरने वाले जानवरों को भरपूर हरी घास मिलती है, वे जोर-जोर से चारा खाते हैं, चारे में मौजूद कुछ वायरस और कीड़े पेट को संक्रमित कर देते हैं और गैस्ट्राइटिस का कारण बनते हैं। बहुत अधिक अनाज, मैदा या नर्म भोजन खाने से अपच होता है। इससे पेट में बनने वाले पाचक रसों में अप्राकृतिक परिवर्तन होते हैं। सामान्य फ़ीड पानी में अचानक परिवर्तन इस रोग का एक प्रमुख कारण है। रासायनिक खाद, चारे का छिड़काव करने से पेट की श्लेष्मा झिल्ली को नुकसान पहुंचता है। संक्रमित चारा खाने से जीवाणु संक्रमण होता है। यदि जानवरों में कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, तो वे पत्थर, मिट्टी, ईंट, मृत जानवरों की हड्डियों, प्लास्टिक और कागज को निगल जाते हैं।


    अपच से कब्ज हो जाता है, पेट में चारा जम जाता है और पेट की हरकत बंद हो जाती है, जानवर हिलना बंद कर देते हैं, जानवर कब्ज के कारण चारा नहीं खाते हैं, पेट दर्द के लक्षण दिखाते हैं। इन जानवरों के पेट में आंतों की बीमारी के बैक्टीरिया पनपते हैं, जिससे वे सड़ जाते हैं।

    मापना : जठरशोथ का कारण नहीं होना चाहिए, और अपच होने पर पशु चारा और पानी के परिवर्तन से बचना चाहिए। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि जानवर अखाद्य पदार्थ न खाएं। अपच की स्थिति में जुलाब देकर पाचन तंत्र की रुकावट को दूर करना चाहिए। पशुओं को हल्का और थोड़ा कम और मोटा-मोटा तब तक खिलाएं जब तक कि पाचन ठीक न हो जाए। उपचार एक पशु चिकित्सक द्वारा किया जाना चाहिए।


  • अब बिना सिलेंडर के भी Gas Stove पर बनाएं खाना – कीमत है सिर्फ 1500 रुपए..


    LPG Cylinder : गैस सिलेंडर LPG की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में आपके सामने कई परेशानियां आती हैं। अगर हम आपको कहें कि एक नया गैस स्टोव आया है और आप इसमें बिना LPG के भी खाना पका सकते हैं, तो क्या आपको यकीन होगा? लेकिन ऐसा सच है कि आप बिना LPG सिलेंडर के भी इस गैस स्टोव की मदद से खाना पका सकते हैं। बस आपको इसके लिए अपने घर में बिजली की जरूरत होती है।

    Pigeon Rapido Premium 1 Burner Induction Cooktop (Black) की मदत से आप कोई भी खाना पका सकते हैं। साथ ही इसके लिए आपको गैस सिलेंडर की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। Croma से खरीदने पर आपको इस पर बढ़िया डिस्काउंट भी मिल रहा है। इसका दाम 3,195 रुपए है और आप इसे 53 फीसदी डिस्काउंट के बाद 1,499 रुपए में खरीद सकते हैं। इसमें आपको एक LED Display भी मिलता है। इसमें एक Digital Timer Control भी मिलता है। इसमें ऑटो-ऑफ का ऑप्शन भी मिलता है।

    USHA 1 Burner Carbon Steel 1600 Watts Induction Cooktop का दाम 4,090 रुपए है और आप इसे 39फीसदी डिस्काउंट के बाद 2,499 रुपए में खरीद सकते हैं। कंपनी की ओर से इसकी 12 महीने की वारंटी दी जा रही है। इसमें 5 Cooking Modes मिलते हैं। ये भी इलेक्ट्रिक है तो इसकी डिमांड भी गैस की कीमतें बढ़ने के बाद से काफी ज्यादा हो गयी है। इस पर खाना पकाने के लिए बिजली की जरूरत होती है।

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  • पीक विमा कंपन्यांनी तालुकास्तरावर उघडली कार्यालये, शेतकऱ्यांना मिळणार मदत

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: मराठवाड़ा में भारी बारिश से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। वहीं, फसल बीमा कंपनियों के अधिकारी किसानों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं करने की शिकायतें भी आ रही थीं। इस बीच कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार जब परभणी जिले के दौरे पर थे तो कुछ किसानों ने इस बात की शिकायत उनसे की थी. उसके बाद, कलेक्टर कार्यालय में आयोजित एक बैठक में सत्तार ने बीमा कंपनी के अधिकारियों, राजस्व विभाग के अधिकारियों, तालुका कृषि अधिकारियों को किसानों की समस्याओं को तुरंत हल करने का आदेश दिया। उसके बाद, हर तालुका स्तर पर तुरंत फसल बीमा कंपनियों के कार्यालय शुरू किए गए हैं और जिला प्रशासन ने सूचित किया है कि किसानों को मदद मिलेगी।

    कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार के दौरे के दौरान जिंतूर तालुका में फसल बीमा कार्यालय बंद पाया गया। वहीं, किसानों ने कहा कि जिले में फसल बीमा कंपनी के सभी कार्यालय बंद हैं. किसानों ने शिकायत की थी कि फसल बीमा कंपनी के कर्मचारी कार्यालय में मौजूद नहीं हैं। वहीं फसल से जुड़े कर्मचारी किसानों के फोन नहीं उठाते। वे किसानों से व्यक्तिगत रूप से मिलने भी नहीं गए। और किसानोंबीमा शिकायतें तुरंत दूर नहीं हुईं।
    मंत्री ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए बैठक में मौजूद जिला कलेक्टर को तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए थे.


    फसलों से संबंधित शिकायतें अब तालुका स्तर पर किसान कर सकते हैं

    सत्तार द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार, जिला प्रशासन ने फसल बीमा कंपनी, तालुका कृषि अधिकारी कार्यालय, नायब तहसीलदार के संपर्क नंबरों की घोषणा फसल बीमा कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों से संपर्क करने और शिकायतों के निवारण के लिए की है। तो अब इसका फायदा किसानों को मिलेगा। फसल की शिकायतें अब तालुका स्तर पर उठाई जा सकती हैं।

    परभणी जिले में अधिक नुकसान

    परभणी जिले में भारी बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. कपास, सोयाबीन समेत सभी खरीफ फसलों को नुकसान पहुंचा है। सितंबर-अक्टूबर में हुई बारिश से जिले के 2 लाख 19 हजार 105 हेक्टेयर में 4 लाख 61 हजार 407 किसानों की खेती चौपट हो गई है. इसके लिए 279 करोड़ 98 लाख रुपये की मदद की जरूरत है, वहीं किसानों का आरोप है कि कई इलाकों में बारिश से हुए नुकसान का पंचनामा अभी तक नहीं किया गया है. ऐसे में देखना होगा कि मुआवजा किसानों के खाते में कब पहुंचेगा।


  • आ रही नई 7-सीटर कार Toyota Avanza, कम दाम में मिलेंगे बेहतर लुक और फीचर्स..


    डेस्क : TOYOTA इंडिया आने वाले समय में अपनी नेक्स्ट जेनरेशन TOYOTA अवांजा MPV लेकर आ रही है, जिसमें बेहतर लुक और लेटेस्ट फीचर्स के साथ ही बहुत कुछ खास देखने को भी मिल सकता है। 11 साल पहले इस MPV को इंडियन मार्केट में पेश किया गया था। बीते साल इंडोनेशिया में न्यू जेनरेशन TOYOTA अवांजा MPV की झलक दिखी थी। माना यह जा रहा है कि भारत में किफायती 7 सीटर कारों की अच्छी डिमांड के बीच कंपनी अवांजा को यहां भी पेश कर सकती है।

    पावरफुल इंजन वाली MPV :

    पावरफुल इंजन वाली MPV : अपकमिंग TOYOTA अवांजा के इंजन और पावर की बात करें तो इसमें 1.0 लीटर 3 सिलिंडर टर्बोचार्ज्ड पेट्रोल इंजन भी देखने को मिलेगा, जो कि 98 PS की पावर और 140 NM टॉर्क जेनरेट करने में सक्षम हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अवांजा को 1.2 लीटर नेचरली एस्पिरेटेड पेट्रोल इंजन के साथ भी पेश किया जा सकता है। नेक्स्ट जेनरेशन TOYOTA अवांजा को अडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (ADAS) के साथ पेश किया जा सकता है, जिसमें ऑटोनोमस इमरजेंसी ब्रेकिंग, क्रूज कंट्रोल और लेन असिस्ट समेत कई खास खूबियां भी देखने को मिलेंगी।

    लुक और फीचर्स कैसे है?

    लुक और फीचर्स कैसे है? अपकमिंग अवांजा MPV के लुक और फीचर्स की बात करें तो इसके एक्सटीरियर और इंटीरियर में पुराने मॉडल के मुकाबले काफी सारे कॉस्मेटिक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अवांजा में बेहतर केबिन स्पेस, लंबा व्हीलबेस, नया फ्रंट लुक, स्लिम LED हेडलैंप्स जैसे एक्सटीरियर फीचर्स के साथ ही एंड्रॉइड ऑटो और एप्पल कार प्ले सपोर्ट वाला 9 इंच का टचस्क्रीन इन्फोटेनमेंट सिस्टम, मल्टी फंक्शनल स्टीयरिंग व्हील्ज, एंबिएंट लाइटिंग, डिजिटल इंस्ट्रूमेंट कंसोल, इंजन स्टार्ट-स्टॉप बटन, USB चार्जिंग पोर्ट, रियर पार्किंग कैमरा, इलेक्ट्रोनिक पार्किंग ब्रेक और मल्टीपल एयरबैग्स समेत कई स्टैंडर्ड और सेफ्टी फीचर्स भी देखने को मिलेंगे।

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  • ये है 10 करोड़ वाली सेलेब्रिटी भैंस..खातिरदारी में रोजाना खर्च होते हैं 1,000 रुपये..खासियत भी है अनेक


    डेस्क : भारत में भैंस पालन का काफी चलन है. खासकर उत्तर भारतीय राज्यों में भैंस पालन किसानों से लेकर पशुपालकों की कमाई का एक जरिया है. दूध उत्पादन के लिए भैंस पालन को काफी तवज्जो भी दी जा रही है. इसके लिये अब किसान भैसों की उन्नत नस्लों (Buffalo Varieties) की तरफ रुख भी कर रहे हैं.

    पिछले दिनों भैंस की ऐसी ही एक प्रजाति काफी चर्चाओं में बनी हुयी है. नाम है घोलू-2. पिछले दिनों मेरठ के सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 3 दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेले में ये आकर्षण का केंद्र बना रहा. अब अपने ठाठ-बाट को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रेंड भी हो रहा है. घोलू-2 भैंसा को देखकर लोग भी इसे भैंसों का सेलेब्रिटी भी कह रहे हैं. आइये जानते हैं इसकी देखभाल से लेकर इसकी खूबियों के बारे में.

    पशुपालन के क्षेत्र में उम्दा प्रदर्शन करने के लिए नरेंद्र सिंह को पद्म श्री पुरस्कार भी मिल चुका है. सिर्फ 10 पशुओं से एक प्लॉट में पशुपालन की शुरुआत करने वाले नरेंद्र सिंह आज मुर्रा भैंस पालन और उन्नत प्रजातियों के भैसों को लेकर काफी चर्चाओं में भी रहते हैं. घोलू-2 भी उन्हीं टॉप प्रजातियों में से ही एक है. इसकी जननी मां रोजाना कुल 36 लीटर दूध देती है. इससे पहले घोलू-2 के दादा घोलू-1 भी शुद्ध मुर्रा प्रजाति का ही भैंसा था. दूध उत्पादन यानी डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में मुर्रा नस्ल (Murrah Buffalo) की भैंसों का पहले से काफी अच्छा रिकॉर्ड रहा है.

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  • अद्याप नुकसान भरपाई न मिळाल्याने शेतकरी अडचणीत, रब्बीची पेरणी कशी करायची, उत्पादकांची वाढली चिंता

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: महाराष्ट्र में राज्य में लगातार हो रही बारिश से किसानों की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस बारिश से उनकी फसल बर्बाद हो गई है। किसानों का कहना है कि खरीफ में पैदा हुई फसल को नुकसान पहुंचा है. और आज तक कोई मुआवजा नहीं मिला है। अब रबी का मौसम आ गया है। कुछ जगहों पर बुआई भी शुरू हो गई है। लेकिन नांदेड़ जिले के किसानों को अभी तक फसल बीमा, भारी बारिश से फसल को हुए नुकसान का मुआवजा नहीं मिला है. ऐसे में अब किसान रबी की बुआई के लिए कर्ज लेने के मुद्दे पर आ गए हैं। हालांकि कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने मराठवाड़ा के कई जिलों का दौरा कर क्षतिग्रस्त फसलों का निरीक्षण किया और किसानों को जल्द मुआवजा देने का वादा किया.

    इन फसलों को हुआ ज्यादा नुकसान

    जिले में औसत वार्षिक वर्षा 850 मिमी है। लेकिन इस साल 1 हजार 350 से 1 हजार 400 मिमी से ज्यादा बारिश हो चुकी है. जो प्रति वर्ष 400 मिमी से अधिक है। शुरुआत में हुई भारी बारिश के बाद बेमौसम बारिश ने किसानों का सब कुछ बर्बाद कर दिया है. इस साल बारिश से सोयाबीन, उड़द, मूंग, कपास की 100 फीसदी फसल को नुकसान पहुंचा है. इस बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने भी किसानों की मदद करने का वादा किया था. लेकिन दशहरा बीत चुका है और अब दीवाली खत्म हो गई है, लेकिन किसानों का कहना है कि आज तक कोई वास्तविक मदद नहीं मिली है. फसल बीमा नहीं मिला है। किसानों को मदद नहीं मिली है। रबी का मौसम शुरू हो चुका है और ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि रबी की बुवाई कैसे करें.


    अब कैसे होगी रबी की बुवाई?

    भारी बारिश और पीछे हटने वाली बारिश के कारण फसलें बह गई हैं और दिवाली की पूर्व संध्या पर उनकी फसल पानी में डूब जाने से किसान निराश हैं। खरीफ सीजन में कुछ नहीं बचा है, जबकि जिले के कुछ किसानों ने कर्ज लेकर रबी सीजन में चना और ज्वार की बुवाई शुरू कर दी है.
    इस बीच किसानों ने मांग की है कि सरकार जल्द से जल्द फसल बीमा और बाढ़ सब्सिडी मुहैया कराए।

    मराठवाड़ा में फसल को नुकसान

    मराठवाड़ा के कई जिलों में बारिश से फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. जून से अगस्त तक हुई भारी बारिश से मराठवाड़ा में 12 लाख 49 हजार 731 हेक्टेयर भूमि को नुकसान पहुंचा है. सितंबर और मध्य अक्टूबर के बीच बहुत बारिश होती है। मराठवाड़ा में सितंबर-अक्टूबर के महीने में 17 लाख हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचा है. इससे 28 लाख 76 हजार 816 किसान प्रभावित हुए हैं और किसानों को इस नुकसान की भरपाई के लिए 2479 करोड़ रुपये की जरूरत है।