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  • जरूरतमंद लोगों के बीच बांटी गई डाबर च्यवनप्राश ।

    गूंज के सहयोग से ग्राम नियोजन केंद्र के द्वारा तीन दर्जन बायो वृद्ध लोगों को च्यवनप्राश कि गई वितरण। हरनौत प्रखंड अंतर्गत बस्ती गांव में ग्राम नियोजन केन्द्र के सभागार में अंतरराष्ट्रीय संस्थागूंज के राज्य प्रमुख शिवजी चतुर्वेदी जी के मार्गदर्शन में ग्राम नियोजन केन्द्र के सचिव विनोद कुमार पांडेय के नेतृत्व में गूंज पटना के अरुण उपधया जी के निर्देश पर जरूरत मंद बायो वृद्ध लोगों को बीच वितरण किया गया च्यवनप्राश ठण्ड को देखते हुए मानव कल्याण हेतु कार्य किया गया । उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए संस्था सचिव विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि गूंज संस्था हमारे जैसे छोटे छोटे संस्था को सहयोग कर लोगों को जरूरत पुरा करने में मदद करता है चाहे वह किसी भी तरह का सहयोगात्मक कार्य संस्था अपने क्षेत्र में जनहित में काम करना चाहती है

    वैसे संस्था को सहयोग कर लोगों को जरूरत पुरा करने में मदद करता है आज समाजिक सरोकार रखने में लोग हिचकते हैं अपने परिवार से भी दूरियां बढ़ रही हैं लेकिन गूंज संस्था द्वारा संचालित कार्यक्रम में शामिल गति विधियां अपनापन महसूस करते हुए दूरियां कम करने में लगे हैं शायद आज आमजनों को याद दिलाने में अहम भूमिका निभाने का काम किया गया है लोगो को अपने परिवार के साथ समाज हित में छोटी छोटी सहयोग से बहुत बड़ी किया जा सकता है। ठण्ड आने वाले समय में स्वस्थ स्वास्थ्य रखने में च्यवनप्राश सहयोगी होता है। ईस लिए उपस्थित तीन दर्जन बायो वृद्ध लोगों को बिच वितरण किया गया है। कार्य क्रम का संचालन पुरुषोत्तम कुमार ने किया सहयोगी विक्की कुमार लक्ष्मी नारायण पाण्डेय माधव मोहन गौतम कुमार सुबोध कुमार पांडेय शिवम् शुभम् के साथ कई लोग शामिल थे।

  • हिलसा सूर्यमंदिर छठ घाट को दिया फ़ाइनल टच

    हिलसा ( नालंदा ) नगर परिषद क्षेत्र के सूर्यमंदिर तालाब स्थित ऐतिहासिक छठ घाट की सारी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं शुक्रवार को नहाय- खाय के दिन नगर कार्यपालक पदाधिकारी संदीप कुमार एवं ब्रांड ऐंबेसडर सह समाजसेवी डा. आशुतोष कुमार मानव ने बारीकी से साफ़ सफ़ाई एवं बैरीकेटिंग का जायज़ा लिया तथा कर्मियों से हर तरह की आवश्यक ज़रूरतों को शीघ्र पूरा करने सम्बन्धी निर्देश दिए .

    इस दौरान विभिन्न जगहों पर महत्वपूर्ण घेराबंदी के साथ साथ वाच टॉवर का निर्माण पूरा कर लिया गया है . वहीं रोशनी , चेंजिंग रूम, डस्टबीन आदि का भी प्रबंध कर लिया गया है . घाट का स्वरूप निखरे इसके लिए उपयुक्त मात्रा में मोटर से पानी भरकर ख़ासकर उसकी साफ़ – सफ़ाई पर विशेष ध्यान दिया गया है . निरीक्षण के दौरान कर्मियों को निर्देश दिया गया कि जहां जहां जल स्तर अधिक है वहाँ विशेष इंतेजाम किए जाएँ. गोताखोरों के एक दल को भी आवश्यक निर्देश दिए गए हैं . इस मौक़े पर अलबेला प्रसाद, मिथलेश कुमार, राहुल कुमार, परमानंद सिंह , रंज़ीत कुमार, अनिल गुप्ता, अभिषेक कुमार , संजीव कुमार समेत नगर परिषद के कई कर्मी एवं अधिकारी उपस्थित थे .

  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राजगीर अंचल कार्यालय का उद्घाटन किया गया।

    भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अंचल कमेटी राजगीर का अंचल कार्यालय का उद्घाटन किया गया।बैठक की अध्यक्षता भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने किया कार्यालय का उद्घाटन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव राज किशोर प्रसाद एवं राज्य कमेटी के सदस्य कॉमरेड सत्येंद्र कृष्णन ने संयुक्त रूप से किया।कार्यालय का उद्घाटन करते हुए श्री प्रसाद ने बताया कि राजगीर अंचल कमेटी के लिए जमीन बहुत दिनों से उपलब्ध था लेकिन आर्थिक कारणों से इसकी भरपाई अब तक नहीं की जा सकी थी और अब एक ऐतिहासिक जगह पर जहां पूरे विश्व के लोग आते हैं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का अपनी जमीन पर अपना कार्यालय प्रारंभ हो गया

    इसके निर्माण में राजगीर अंचल कमेटी के सचिव लक्ष्मी नारायण सिंह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरीय अधिवक्ता मिथिलेश कुमार एवं राज कमेटी सदस्य सत्येंद्र कृष्णा तथा प्रिय साथी कामरेड विनोद बिहारी की अहम भूमिका रही श्री प्रसाद ने बताया कि आज देश के अंदर फिरका परस्ती ताकतों का मनोबल जब से मोदी की सरकार आर एस एस की सरकार बनी है देश के अंदर अराजकताका माहौल है जनता के मुुख्य सवालों को महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार पढ़ाई लिखाई और दवाई जैसे सवालों से ध्यान भटकाने के लिए हिंदू बनाम मुस्लिम हिंदुस्तान बनाम पाकिस्तान धार्मिक उन्माद फैलाकर के देश की जनता को भ्रमित करके किसानों और मजदूरों के आमदनी का एक बड़ा हिस्सा इन्होंने हिंदुस्तान के अंदर जा रे दार पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रख दिया

    यहां की जनता की गाढ़ी कमाई को विजय माल्या नीरव मोदी,रीश्री अग्रवाल जैसे इनके चहेते 45 हजार करोड़ से भी ऊपर ले भागा लेकिन आज हिंदुस्तान के अंदर जो किसान और मजदूर 10000,50000 कर्ज लिए हैं उनको जेल भेजा जा रहा है ऐसी परिस्थिति में उन्होंने बतलाया कि लाल झंडे की एकता और और पूरे देश के अंदर मनपसंद ताकतों को एकता बनाकर के 2024 में हमारा एक ही उद्देश्य होगा कि मोदी सरकार को उखाड़ के सात समुद्र पार फेंक देना है aur देश के अंदर किसानों और मजदूरों का राज्य स्थापित करना होगा सभा में अन्य लोगों के अलावा लालती देवी सरोज देवी जगदीश प्रसाद बलदेव चौधरी आशा देवी कामेश्वर रविदास लक्ष्मी नारायण सिंह रामानुज कुमार सरो देवी राजेंद्र राजवंशी अजय पासवान सोना देवी मिथिलेश कुमार अधिवक्ता विनोद बिहारी आदि दर्जनों लोग उपस्थित थे कॉमरेडश्री कृष्ण ने बताया कि 1 जनवरी तक इसमें पक्का दीवाल लगाकर गेट का निर्माणपानी एवं शौचालय की व्यवस्था करने की गारंटी यहां के साथियों ने मुख्य रूप से संकल्प लिया जिसमें खास करके विनोद बिहारी लक्ष्मी नारायण सिंह मिथिलेश कुमार आनंदी शर्मा बलदेव चौधरी लालती देवी ने मुख्य भूमिका अदा किया।

  • भात कापणी करताना लक्षात ठेवा ‘या’ गोष्टी





    भात कापणी करताना लक्षात ठेवा ‘या’ गोष्टी | Hello Krushi








































    हॅलो कृषी ऑनलाईन : राज्यात पावसाने उघडीप दिल्याने भात पट्ट्यात अनेक ठिकाणी भात कापणी वेगाने सुरू झाली आहे. भात कापणी करताना काय काळजी घ्यावी? याविषय़ी महात्मा फुले कृषी विद्यापीठाने दिलेली माहिती पाहुया. ज्याठिकाणी लागवड केलेली रोपे दाणे भरण्याच्या अवस्थेत आहेत तिथे १० सेंमी पाण्याची पातळी ठेवावी. भात कापणीपुर्वी १० दिवस आगोदर पाण्याचा निचरा करावा.

    –भाताच्या हळव्या जाती पक्व झाल्या असल्यास काढणी करुन घ्यावी.
    –भाताच्या लोंब्यामधील ८० ते ९० टक्के दाणे पक्व झाले असल्यास आणि रोपे हिरवट असतानाच वैभव विळ्याच्या सहाय्याने जमिनीलगत कापणी केल्यास वेळेत व खर्चात बचत होऊ शकते.
    –कापलेला भात वाळण्यासाठी १ ते २ दिवस पसरुन ठेवावा व नंतर मळणी करावी. चांगला उतारा मिळण्यासाठी मळणीयंत्र वापरावे.
    –दाण्यातील ओलाव्याचे प्रमाण १० ते १२ टक्के होईपर्यंत भात वाळवावा. नंतर कोरड्या, स्वच्छ व सुरक्षित जागी धान्याची साठवण करावी.
    –कापणी उशीरा केल्यास लोंबीच्या टोकाचे भरलेले दाणे शेतात गळुन पडतात. भात कांडपाच्यावेळी कणीचे प्रमाण वाढते. पेंढयाची प्रत खालावते आणि पेंढा कमी मिळतो म्हणून भात पिकाची कापणी वेळेतच करावी.

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  • अब जमीन रजिस्ट्री कराने में नहीं लगेगा मनमाना पैसा – इन तरीकों से बचाएं लाखों रुपए…


    जमीन खरीदना एक सपना जैसा होता है। हर कोई अपने जीवन में जमीन और तमाम संपत्ति अरजना चाहता है। ऐसे में जमीन रजिस्ट्रेशन के समय कई सारे प्रक्रियाओं से गुजारना पड़ता है। इन प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए काफी खर्च भी होते हैं। मालूम हो कि जमीन खरीदने पर रजिस्ट्रेशन में भी काफी पैसे लगते हैं। आपके कुल संपत्ति में खर्च होने वाले राशि के 5 से 7% तक हो सकते हैं।

    ऐसे में यदि आप लाखों रुपए वाली जमीन खरीद रहे हैं। तो आप इसमें से करीब 3 से 4 लाख रुपए बचा सकते हैं। आज हम को ऐसे तरीके बताएंगे जिससे रजिस्ट्री पर लगने वाले शुल्क से राहत मिलेगी। तो आइए विस्तार से जानते हैं।

    बाजार मूल्य पर रजिस्ट्री शुल्क का भुगतान करें :

    बाजार मूल्य पर रजिस्ट्री शुल्क का भुगतान करें : स्टेट स्टांप एक्ट के तहत एक प्रावधान है, जिससे आप रजिस्ट्री पर कुछ पैसे बचा सकते हैं। इसके लिए आपको रजिस्टार या सब रजिस्टार से अपील करके स्टांप ड्यूटी पर छूट देने के लिए रिक्वेस्ट करना होगा। इसके बाद संबंधित अधिकारी आपके रिक्वेस्ट को डीसी के पास भेजेगा जो कि बाजार मूल्य के मुताबिक स्टांप शुल्क का आकलन करते हुए आपको स्टांप ड्यूटी पर राहत प्रदान किया जाएगा।

    अविभाजित भूमि की रजिस्ट्री ;

    अविभाजित भूमि की रजिस्ट्री ; रजिस्ट्री पर होने वाले खर्च से बचने के लिए आप अविभाजित भूमि खरीद सकते हैं। इकोनॉमी टाइम्स के मुताबिक अविभाजित भूमि खरीदने पर रजिस्ट्री शुल्क पर राहत मिलता है। ऐसा करने पर आप करीब 2 से 3 लाख रुपए तक का बचत कर सकते।

    महिला के नाम पर छूट ;

    महिला के नाम पर छूट ; बता दें कि किसी भी महिला के नाम पर संपत्ति खरीदा जाता है तो उन्हें स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट दिया गया है। ये छूट कई राज्यों में दिया जा रहा है। इन राज्यों में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शामिल है। दिल्ली सरकार का दावा है कि यदि कोई पुरुष अपने नाम पर रजिस्टर्ड जमीन को महिला के नाम पर 6 फीसदी और 4 फीसदी महिला के नाम पर रजिस्ट्री फीस भुक्तान करना होगा।

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  • Teakwood Farming: सागवानच्या शेतीत बंपर कमाई, काही वर्षांत बनणार करोडपती, जाणून घ्या कसे

    हॅलो कृषी ऑनलाईन : भारतात केवळ फळझाडेच लावली जात नाहीत, तर फर्निचरसाठीही मोठ्या प्रमाणावर झाडे लावली जातात. सागवान (Teakwood Farming) हे देखील या वृक्षांपैकी एक आहे. सागवानाचे वैशिष्ट्य म्हणजे त्याचे झाड फार कमी वेळात फर्निचरसाठी तयार होते. याचे लाकूड मजबूत असल्याने बाजारात चांगला दरही मिळतो. सध्या बाजारात फर्निचर बनवण्यासाठी सागवानाला खूप मागणी आहे. शेतकऱ्यांनी या पद्धतीने सागाची लागवड केल्यास ते श्रीमंत होऊ शकतात.

    वाळवी सागवान लाकूड खात नाही. अशा स्थितीत सागवानाचे (Teakwood Farming) फर्निचर जसेच्या तसे राहते. मिळालेल्या माहितीनुसार, सागाची लागवड करण्यासाठी थोडा संयम आवश्यक आहे. त्याचे झाड तयार व्हायला बरीच वर्षे लागतात. यानंतर तुम्ही ते विकून श्रीमंत व्हाल. विशेष म्हणजे सागवान रोपासाठी कोणत्याही प्रकारची माती उपयुक्त आहे. मातीचे पीएच मूल्य 6.50 ते 7.50 दरम्यान असावे.

    असे शेत तयार करा

    सागाच्या लागवडीसाठी प्रथम शेतात नांगरणी केली जाते. यानंतर, शेतातील तण आणि खडे काढले जातात. यानंतर, शेताची आणखी दोनदा नांगरणी करून माती समतल केली जाते. त्यानंतर, क्रमानुसार ठराविक अंतरावर सागवान रोपे लावा. तज्ज्ञांच्या मते, रोप लावल्यानंतर त्याचे झाड 10 ते 12 वर्षांत तयार होते.

    आता तुम्ही बाजारात विकून चांगला नफा मिळवू शकता. विशेष म्हणजे एका एकरात 400 सागवान (Teakwood Farming) रोपे लावता येतात. त्याच्या लागवडीसाठी सुमारे 45 ते 50 हजार रुपये खर्च येतो. त्याच वेळी, 12 वर्षांनंतर, एका झाडाची किंमत 40 हजार रुपयांपर्यंत पोहोचते. अशा परिस्थितीत जर तुम्ही 12 वर्षांनी 400 झाडे विकली तर तुमचे एकूण उत्पन्न एक कोटी 60 लाख रुपये होईल.

    या जातींचा फायदा होईल

    सागवानापासून (Teakwood Farming) चांगले उत्पन्न मिळविण्यासाठी, वनस्पतींचे सुधारित प्रकार निवडणे फार महत्वाचे आहे. मात्र, या सर्व जाती उत्पन्नाच्या दृष्टीने सामान्य आहेत. परंतु ते वेगवेगळ्या हवामानानुसार घेतले जातात. सागाच्या काही प्रमुख जाती पुढीलप्रमाणे आहेत:- दक्षिण आणि मध्य अमेरिका सागवान, पश्चिम आफ्रिकन साग, आदिलाबाद सागवान, निलांबर (मलबार) सागवान, गोदावरी सागवान आणि कोन्नी सागवान खालीलप्रमाणे आहेत. या सर्व प्रकारच्या झाडांची लांबी वेगवेगळी असल्याचे आढळून येते.

     

     

  • Indian Railway : ट्रेन में के खिड़की पास बैठने का हक किसका होता है, जान लीजिए नहीं तो पछताएंगे..


    Indian Railway : ट्रेन में आप भी अक्‍सर सफर करते हैं. अब ऐसे में रेलवे से जुड़े न‍ियमों के बारे में आपको जरूर पता होना चाह‍िए. अब अगर स्‍लीपर या एसी कोच की बात करें तो यहां पर सीट लोअर, म‍िड‍िल या अपर के ऑर्डर में होती हैं. लेक‍िन क्‍या आपने कभी सोचा है क‍ि क‍िसके पास व‍िंडो सीट पर बैठने का हक होता है? शायद नहीं! वहीं कोच में लोअर और म‍िड‍िल क्‍लॉस के ल‍िए भी अलग-अलग न‍ियम होते हैं. आइए आज जाते हैं –

    दरअसल, ट‍िकट पर स्‍लीपर और एसी कोच की व‍िंडो सीट के बारे में जानकारी नहीं होती. जहां व‍िंडो होती है, लोअर सीट पूरी वहीं होती है. अब यह कैसे ड‍िसाइड होता है क‍ि व‍िंडो सीट पर कौन बैठेगा? दरअसल,चेयर कार व‍िंडो सीट पर बैठने का अलोकेशन में होता है, स्‍लीपर या एसी कोच में नहीं होता। अब बात करते हैं कि व‍िंडो सीट पर कौन बैठेगा और कौन नहीं. दरअसल, सीट अलोकेशन इन कोच में अलग तरह से होता है. आपको बता दें कि स्‍लीपर या एसी में रेलवे की तरफ से व‍िंडो सीट पर बैठने का कोई खास न‍ियम तय नहीं होता. म्‍युचुअली यह तय होता है क‍ि कौन कहां बैठेगा. अब ऐसे में अपने ह‍िसाब पैसेंजर से कहीं भी बैठ जाते हैं.

    वैसे ऐसा माना जाता है क‍ि व‍िंडो की तरफ पर लोअर सीट वाले यात्री का अध‍िकार होता है. वहीं बीच में म‍िड‍िल बर्थ यात्री और कॉर्नर की तरफ अपर सीट वाला यात्री बैठता है. आपको बता दें कि स‍िर्फ द‍िन में ही लोअर सीट पर बैठने का अध‍िकार होता है. रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक यात्री को अपनी सीट पर सोने का अध‍िकार होता है और इस बीच में टीटीई यात्री को भी ड‍िस्‍टर्ब नहीं कर सकता.

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  • Onion: शेतकऱ्यांसाठी खुशखबर! कांद्याचे भाव सुधारत आहेत, जाणून घ्या भाव

    हॅलो कृषी ऑनलाईन : गेल्या पाच महिन्यांपासून कांद्याच्या (Onion) घसरलेल्या भावाचा फटका बसलेल्या महाराष्ट्रातील शेतकऱ्यांना आता काहीसा दिलासा मिळाला आहे. ऑक्टोबर महिन्यात कांद्याच्या दरात थोडीफार सुधारणा दिसून येत आहे. त्यामुळे त्यांना आता नुकसान भरून काढण्याची आशा निर्माण झाली आहे. सातारा, जळगाव, पुणे, औरंगाबाद आणि नागपूर जिल्ह्यात कांद्याने सरासरी १५ ते १७ रुपये किलोचा टप्पा ओलांडला आहे. मात्र, अद्यापही शेतकऱ्यांचा खर्च वसूल झालेला नाही. राज्यात झालेल्या अवकाळी पावसामुळे कांदा उत्पादकांचेही मोठे नुकसान झाले आहे. त्याचबरोबर अनेक शेतकऱ्यांनी कांद्याची साठवणूक केली होती. बाजारात चांगला दर मिळाल्यावर विक्री करू, असे शेतकऱ्यांना वाटले. पण इथेही नशिबाने साथ दिली नाही. मुसळधार पावसामुळे साठवलेला कांदा पाण्यात वाहून गेला. तसेच काही शेतकऱ्यांचा कांदा बराच काळ ठेवल्याने सडला. अशा स्थितीत त्यांना दुहेरी पराभवाला सामोरे जावे लागले.

    देशातील सर्वात मोठा कांदा (Onion) उत्पादक महाराष्ट्र आहे. देशातील सुमारे ४० टक्के कांद्याचे उत्पादन येथे होते. सुमारे 15 लाख शेतकरी कुटुंबे या शेतीशी निगडीत आहेत. पण, दुर्दैवाने गेल्या पाच महिन्यांच्या खर्चापेक्षा यंदा त्यांना खूपच कमी भाव मिळाला.

    शेतकऱ्यांचे झाले मोठे नुकसान

    महाराष्ट्र कांदा (Onion) उत्पादक संघटनेचे संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोळे सांगतात की, कांद्याच्या दरात थोडी वाढ झाली आहे. यामुळे शेतकरी आनंदी असले तरी समाधानी नाहीत. कारण यंदा संपूर्ण हंगामात शेतकऱ्यांना रास्त भाव मिळाला नाही. महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संघटनेचे संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोळे सांगतात की, कांद्याच्या दरात थोडी वाढ झाली आहे. यामुळे शेतकरी आनंदी असले तरी समाधानी नाहीत. कारण यंदा संपूर्ण हंगामात शेतकऱ्यांना रास्त भाव मिळाला नाही.

    कोणत्या बाजारात किती भाव ?

    बाजार समिती जात/प्रत परिमाण आवक कमीत कमी दर जास्तीत जास्त दर सर्वसाधारण दर
    28/10/2022
    पुणे- खडकी लोकल क्विंटल 19 1000 1500 1250
    पुणे -पिंपरी लोकल क्विंटल 15 1000 1800 1400
    पुणे-मोशी लोकल क्विंटल 175 400 1800 1100
    जुन्नर उन्हाळी क्विंटल 3227 1700 3200 2500
    27/10/2022
    कोल्हापूर क्विंटल 1713 700 2800 1600
    औरंगाबाद क्विंटल 948 300 2500 1400
    मुंबई – कांदा बटाटा मार्केट क्विंटल 4815 1700 2700 2200
    खेड-चाकण क्विंटल 300 1000 2500 1300
    सातारा क्विंटल 108 1800 2400 2100
    सोलापूर लाल क्विंटल 5512 100 3500 1600
    पंढरपूर लाल क्विंटल 207 200 2400 1200
    नागपूर लाल क्विंटल 700 1500 2500 2250
    लोणंद लाल क्विंटल 1087 500 2150 1650
    भुसावळ लाल क्विंटल 8 1600 1600 1600
    कुर्डवाडी-मोडनिंब लाल क्विंटल 25 100 2100 1300
    पुणे -पिंपरी लोकल क्विंटल 19 1400 2000 1700
    पुणे-मोशी लोकल क्विंटल 217 500 2000 1250
    वाई लोकल क्विंटल 15 1000 2500 1750
    शेवगाव नं. १ क्विंटल 650 1900 2500 2500
    कल्याण नं. १ क्विंटल 3 1400 2000 1800
    शेवगाव नं. २ क्विंटल 575 1000 1800 1800
    शेवगाव नं. ३ क्विंटल 275 300 900 900
    सोलापूर पांढरा क्विंटल 1002 100 5000 1800
    नागपूर पांढरा क्विंटल 700 1500 2500 2250
    अहमदनगर उन्हाळी क्विंटल 26242 1600 2900 2300
    राहूरी -वांबोरी उन्हाळी क्विंटल 4396 100 2700 1800
    कोपरगाव उन्हाळी क्विंटल 1220 625 2306 1911
    श्रीरामपूर उन्हाळी क्विंटल 300 300 2431 1400
    वैजापूर उन्हाळी क्विंटल 783 500 2600 1950

     

     

     

  • गरज पडल्यास शेतकऱ्यांसाठी केंद्राकडे मदत मागू : अब्दुल सत्तार

    हॅलो कृषी ऑनलाईन : राज्यामध्ये परतीच्या पावसाने शेतकऱ्यांच्या ऐन काढणीस आलेल्या पिकांचे मोठे नुकसान झाले आहे. अशात विरोधी पक्षनेते, शेतकरी संघटना, आणि शेतकऱ्यांमधूनही ओला दुष्काळ जाहीर करण्याची मागणी करण्यात येत आहे. मात्र राज्य सरकारकडून अद्याप नुकसानीची पाहणी करण्यात येत आहे. राज्याचे कृषी मंत्री अब्दुल सत्तार परभणी जिल्ह्यातील नुकसानग्रस्त भागाची पाहणी करण्यासाठी गेले असता एक महत्वाची माहिती त्यांनी दिली आहे. शेतकऱ्यांच्या प्रश्नासाठी प्रसंगी केंद्राकडेही आम्ही मदतीसाठी जाणार आहोत. अशी माहिती त्यांनी दिली आहे.

    यावेळी बोलताना सत्तार म्हणाले की, राज्यात सर्वत्र मोठ्या प्रमाणावर शेतकऱ्यांचे नुकसान झालेलं आहे. मी स्वतः आणि माझे अधिकारी बांधावर जाऊन किती नुकसान झाले, याची माहिती गोळा करत आहोत. साधारणतः सात आठ दिवसांमध्ये ही माहिती आल्यानंतर मुख्यमंत्री आणि उपमुख्यमंत्री बसून कॅबिनेटमध्ये राज्यातील शेतकऱ्यांना मदतीचा जो काही निर्णय आहे तो घेतील. त्याचप्रमाणे केंद्राकडेही आम्ही मदतीसाठी जाणार आहोत. त्यांचेही पथक राज्यात पाहणीसाठी येईल, त्यानंतर केंद्र सरकार, राज्य आणि पीक विमा अशी तीन प्रकारची मदत शेतकऱ्यांना दिली जाईल. एकही शेतकरी पिक विमा पासून किंवा मदतीपासून वंचित राहणार नाही, याची काळजी आम्ही घेत आहोत. तसेच राज्यात ओला दुष्काळात संदर्भात परिस्थिती नाहीये, मी हे 4 वेळेला बोललो आहे. जी काय परिस्थिती आहे ती परिस्थिती आम्ही पाहून शेतकऱ्यांना मदत करणार असल्याचे सांगितले आहे.

    कृषिमंत्री अब्दुल सत्तार आज परभणी दौऱ्यावर होते. त्यांनी जिंतूर आणि असोला या ठिकाणी शेतीच्या नुकसानीची पाहणी केली. त्यानंतर जिल्हाधिकारी कार्यालयामध्ये एक आढावा बैठक घेऊन जिल्ह्यातील नुकसानीचाही त्यांनी आढावा घेतला. यानंतर पत्रकार परिषद घेऊन त्यांनी ही माहिती दिली आहे. दरम्यान, राज्याचे कृषिमंत्री अब्दुल सत्तार यांनी आज परभणीच्या जिंतूर तालुक्यातील मालेगाव परिसरातील नुकसानीची पाहणी केली. यावेळी तूर कापूस आदी पिकांची शेतात जाऊन पाहणी केली. यावेळी शेतकऱ्यांशी संवादही साधला तर लवकरच शेतकऱ्यांना मदत दिली जाईल, असेही सांगितलं. शिवाय शेतकऱ्यांना सक्षम करण्यासाठी सरकार कटिबद्ध असल्याचेही अब्दुल सत्तार यांनी यावेळी सांगितले.

  • गाड़ी चालकों की बल्ले बल्ले! अब नहीं देना होगा कोई Toll Tax! जानिए – नया अपडेट….


    Toll Plaza : इस सोशल मीडिया के जमाने में किसी भी बात या संदेश को वायरल होने में तनिक भी समय नहीं लगता है। कई बार यह वायरल मैसेज सकारात्मक होते हैं तो वहीं कई बार नकारात्मक भी होते हैं। सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां हर कोई मौजूद है। ऐसे में एक नकारात्मक मैसेज आपको भारी परेशानी में डाल सकता है। इसी प्रकार पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक फर्जी मैसेज वायरल होने लगा। इस मैसेज मैं केंद्रीय मंत्री का हवाला दिया गया था, जिस कारण लोग सच मानने लगे। वहीं अब इस मैसेज पर सरकार की ओर से प्रतिक्रिया आई है।

    मैसेज में कहा गया ये बात :

    मैसेज में कहा गया ये बात : वायरल मैसेज में कहा गया कि टोल प्लाजा पर पर्ची कट करवाते हैं तो आपसे पूछा जाता है कि एक तरफ की पर्ची कटवाएंगे या दोनों। तो ऐसे में आपको उन्हें 12 घंटे की पर्ची देने के लिए कहना होगा। ऐसा कहने के लिए आपको पैसे नहीं देने होंगे। इतना ही नहीं इस मैसेज में नीचे अनुरोध में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का नाम दिया गया है। वायरल हो रहे इस मैसेज में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का नाम ऐड किया गया था। जिससे लोग सच मानने लगे। अब सरकार इस मैसेज की सच्चाई ट्विटर के माध्यम से सबके सामने रखी है।

    सरकार ने किया ट्वीट :

    सरकार ने किया ट्वीट : भारत सरकार ने ट्वीट में लिखा कि इस प्रकार का दावा सरकार की ओर से नहीं किया गया है। यह मैसेज पूर्ण रूप से फर्जी है। इस पर यकीन ना करें।

    सचेत रहने की आवश्यकता :

    सचेत रहने की आवश्यकता : सोशल मीडिया पर कई फर्जी मैसेज सर्कुलेट होते रहते हैं। ऐसे में हमारी आपकी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि इसके बारे में जांच पड़ताल अथवा क्रॉस चेक कर लें। इसके बाद ही इस पर विश्वास करें। अन्यथा आपके साथ- साथ आप से जुड़े लोग भी परेशानी में पड़ सकते हैं।

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