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Elon Musk : ट्विटर (Twitter) के अधिकारिक मालिक बनने के तुरंत बाद ही एलन मस्क (Elon Musk) ने बड़ा एक्शन लिया है। उन्होंने कंपनी के कई प्रमुख अधिकारियों को कंपनी से रफा दफा कर दिया है। सामने आई खबर के अनुसार आधिकारिक रूप से Twitter के कर्ता धर्ता एलन मस्क ने सीईओ पराग अग्रवाल, सीएफओ नेड सेगल, जनरल काउंसल सीन एडगेट और कानूनी नीति, ट्रस्ट और सुरक्षा के प्रमुख विजया गड्डे की छुट्टी कंपनी से कर दी है।
बोली लगने ने बाद से ही Twitter के CEO पराग अग्रवाल और Elon Musk के बीच विवाद की खबरें थीं। साथ ही विजया गड्डे ने ही डोनाल्ड ट्रम्प को स्थायी रूप से निलंबित करने का फैसला लिया गया। अब Elon Musk के ट्विटर को खरीदने के बाद इन लोगों की बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
गौरतलब है कि बीते दिन ट्विटर खरीदने के बाद एलन मस्क ने सोशल मीडिया मंच ट्विटर के ऑफिस में टहलते हुए अपना एक वीडियो अपलोड किया है। उन्होंने ट्विटर को 44 अरब डॉलर में खरीदने के समझौते को पूरा करने के लिए शुक्रवार की समयसीमा से दो दिन पहले बुधवार को यह वीडियो साझा किया गया।
इसके अलावा Elon Musk ने अपनी ट्विटर प्रोफाइल में भी बदलाव किए हैं। अपने Bio यानी अपने निजी विवरण में उन्होंने ‘ट्वीट प्रमुख’ लिखा है। साथ ही अपनी प्रोफ़ाइल पर अपने स्थान को बदलकर उन्होंने ट्विटर मुख्यालय कर दिया है। मस्क को वीडियो में मुख्यालय के परिसर में एक ‘सिंक’ ले जाते हुए देखा जा सकता है।
बीते कई महीनो से ट्विटर के अधिग्रहण को लेकर मस्क किंतु-परंतु में उलझे हुए थे। अमेरिकी कोर्ट ने उन्हें गुरुवार की तक ट्विटर का पूरा अधिग्रहण पूरा का डेडलाइन दी थी। यदि ऐसा नहीं होता तो मस्क को डेलावेयर की एक अदालत में मुकदमे का सामना करने की चेतावनी मिली थी। जिसके बाद शुक्रवार को मस्क ने तय डेडलाइन से पहले ही ट्विटर को अपने कब्जे में ले लिया।
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कायस्थों के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा नालंदा जिला में धूमधाम से मनायी गयी। शहर के भरावपर स्थित मंदिर में श्री चित्रगुप्त भगवान की पूजा वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ। इस अवसर पर कायस्थ परिवारों ने बढ़-चढ़कर भाग लेते हुए भगवान चित्रगुप्त की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार भरावपर स्थित चित्रगुप्त मंदिर में आकर पूजा अर्चना की।
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जा रही है। उन्होंने कहा कि भगवान चित्रगुप्त से विनती है कि राज्य में अमन चैन शांति भाईचारा कायम रहे। बिहार राज्य तरक्की करें। ऐसी मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त मनुष्यों के कर्मों का लेखा जोखा रखते हैं। इस दिन कायस्थ परिवारों ने कलम और दवात की पूजा की। चित्रगुप्त भगवान को यमराज का सहयोगी माना जाता है।
बिहार अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक समृद्धि के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्धि प्राप्त करता रहा है। लेकिन यहां की खासियत के ऊपर खुश हुआ जाए या दुर्दशा पर रोया जाया। बहुत बड़ा प्रश्न है। विहार सनातन धर्म के प्रति आस्था रखने वाले लोगों के लिए एक से पूजनीय स्थलों की कृतियों को संजोए हुए है। लेकिन इनके जीर्णोद्धार का वादा प्रतिवर्ष किया जाता है। बिल्कुल चुनावी वादों की तरह लेकिन काम के नाम पर कुछ भी नहीं होता। ऐसा ही एक धार्मिक स्थल है जिसे की शाप मुक्ति स्थल साथ ही साथ भारत के पहले राम जानकी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
कमतौल की अहिल्या नगरी में है पहला राम जानकी मंदिर अवस्थित यह मंदिर दरभंगा जिले के कमतौल की अहिल्या नगरी क्षेत्र में है जो अब जर्जर स्थिति में पहुंच जाने की वजह से किसी खंडहर जैसा आभास देता है। यहां एक देवी दरबार सजा रहता है जहां हमेशा ही कुछ लोग पूजा पाठ करते हैं ।यह मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना है जो अपने अंदर हजारों किस्से कहानियों को समेटे हुए हैं। लेकिन रखरखाव के अभाव में चार सादिया देखने के बाद अब यह खंडहर में तब्दील होने जा रहा है। यहां की पौराणिक वस्तुएं भी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है।
दरभंगा के राजा छत्र सिंह ने करवाया था मंदिर निर्माण इस मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि तत्कालीन दरभंगा महाराज छत्र सिंह को जब पता चला कि अहिल्या माता का उद्धार स्थान दरभंगा में है तो इन्होंने वहां जाकर दर्शन करने की इच्छा जताई। मंदिर के स्थान पर उस वक्त घना जंगल था।
राजा रात्रि में विश्राम के लिए वहीं पर रुके और उन्होंने स्वप्न में देखा की माता अहिल्या और गौतम ऋषि जे स्वप्न में आकर उन्हें आदेश दिया कि उस स्थान पर तारणहार राम का मंदिर बनवा कर उसमें प्रभु श्री राम सीता माता लक्ष्मण जी हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित की जाए । राजा ने तब मंदिर का निर्माण करवाया और यहां पर सभी प्रतिमाओं के साथ-साथ संरक्षण में अहिल्या माता और गौतम ऋषि की प्रतिमाएं भी स्थापित करवाई।
वक़्त की मार से अब मंदिर खंडहर में तब्दील होता जा रहा ह वर्तमान में जो संरचना मंदिर की है वह महाराजा छत्र सिंह और महाराज रूद्र सिंह के शासनकाल 1662 और 1682 के बीच बनवाई गई थी। इसी को भारत का पहला राम जानकी मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर की वास्तुकला और खूबसूरती सहेजने योग्य है, परंतु उसे ना तो सहेजा जा रहा है और ना ही इसके जीर्णोद्धार के लिए कोई कदम उठाया जा रहा है। वक़्त की मार को झेलते झेलते यह मंदिर जर्जर होते हुए अब खंडहर में तब्दील होने की स्थिति में आ गया है।
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डेस्क : विलियम शेक्सपीयर की एक मशहूर लाइन है कि नाम में क्या रखा है? इस खबर को पढ़ने के बाद आपको इसका जवाब भी मिल जाएगा। जी हां! किसी देश, शहर, गांव इत्यादि के नाम का अपना इतिहास और उसकी अपनी कहानी होती है। लोग उसके बारे में गर्व से चर्चा करते रहते हैं। लेकिन एक ऐसा भी गांव है, जिसका नाम लेने से लोग ना सिर्फ शर्माते हैं, बल्कि सोशल मीडिया के इस दौर में ब्लॉक होने का भी खतरा बना ही रहता है।
इस गांव का नाम Facebook पर लिखने पर आपका अकाउंट ब्लॉक हो जाएगा। कई लोगों के साथ ऐसा हो भी चुका है। इस गांव के लोग इस अजीबोगरीब समस्या से अब तंग आ चुके हैं और इसका समाधान ढूंढने में जुटे हैं।
Daily Star की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्वीडन के इस अजीबोगरीब गांव का नाम फ्यूक यानी Fucke है। यहां के ग्रामवासी इस नाम से बेहद परेशान हैं। सोशल मीडिया के जो भी तय नियम हैं, उसके मुतबिक इस शब्द को गाली के तौर पर शामिल किया गया है। इस वजह से इस गांव के लोग Facebook पर अपने गांव तक का नाम नहीं लिख पाते हैं। ऐसा करने पर उन्हें Facebook कम्युनिटी द्वारा ब्लॉक कर दिया जाता है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये ग्रामीण अपने गांव का नाम बदलना चाहते हैं। इसके लिए स्थानीय कोर्ट में एक याचिका भी डाली गयी है, जिसपर फैसला आना अभी बाकी है। आपको बता दें कि स्वीडन में गांव का नाम बदलने को लेकर एक Act बना हुआ है।
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जब भी भुगतान चेक द्वारा किया जाता है, तो प्राप्तकर्ता का नाम, बैंक विवरण के साथ अंतरित की जाने वाली राशि दी जाती है और हस्ताक्षर किए जाते हैं। इसके अलावा, चेक के कोनों पर दो रेखाएँ खींची जाती हैं।
जब भी आप किसी बैंक में खाता खोलते हैं तो आपको बैंक की ओर से एक पासबुक और एक चेक बुक दी जाती है। पासबुक में आपके लेन-देन की जानकारी होती है और आप चेकबुक से चेक लेकर भुगतान के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। जब भी भुगतान चेक द्वारा किया जाता है, तो प्राप्तकर्ता का नाम, बैंक विवरण के साथ अंतरित की जाने वाली राशि दी जाती है और हस्ताक्षर किए जाते हैं। इसके अलावा, चेक के कोनों पर दो रेखाएँ खींची जाती हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ये रेखाएं क्यों खींची जाती हैं? मैं आपको बता दूँ।
दो समान रेखाएँ क्यों खींची जाती हैं: चेक के बाएँ कोने पर खींची गई दो समान रेखाएँ किसी डिज़ाइन के लिए नहीं खींची जाती हैं, लेकिन उनका एक निश्चित अर्थ होता है। इन पंक्तियों का अर्थ है कि खाता प्राप्तकर्ता का अर्थ केवल यह है कि खाते में जमा की गई राशि केवल उसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त की जानी चाहिए जिसके नाम पर चेक काटा गया है। चेक पर खींची गई इन पंक्तियों के बीच कई बार लोग अकाउंट पे या ए/सी पे भी लिख देते हैं। एकाउंट पेयी चेक किसी और के द्वारा भुनाया नहीं जा सकता। चेक में भुगतान की गई राशि ही उस व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर की जाएगी जिसके नाम से चेक काटा गया है।
चेक एंडोर्समेंट क्या है: यदि चेक के कोने में खींची गई रेखाओं के बीच A/C Payee नहीं लिखा होता है, तो इस चेक को क्रॉस चेक कहा जाता है। क्रास्ड चेक के पीछे हस्ताक्षर करके चेक एंडोर्सिंग में मदद की जा सकती है। हालाँकि, चेकों को भुगतानकर्ता द्वारा लिखे जाने के बाद पृष्ठांकित नहीं किया जा सकता है। वास्तव में, यदि चेक का प्राप्तकर्ता बैंक जाने की स्थिति में नहीं है, तो वह किसी अन्य व्यक्ति को धन प्राप्त करने के लिए अधिकृत भी कर सकता है। इस प्रक्रिया को चेक एंडोर्समेंट कहा जाता है और इन चेकों को एंडोर्स्ड चेक कहा जाता है। जब चेक का समर्थन किया जाता है, तो उस पर हस्ताक्षर किया जाना चाहिए और पीछे भुगतान किया जाना चाहिए। ऐसे में चेक की मदद से पैसा पाने वाला व्यक्ति दूसरे खाते में भी पैसे ट्रांसफर करवा सकता है.
उदाहरण देकर समझाएं: मान लीजिए रोहित ने राहुल को उसके नाम पर एक क्रॉस चेक दिया। ऐसे में चेक का पैसा राहुल के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. लेकिन अगर राहुल चेक का पैसा अपने खाते में नहीं लेना चाहता है तो वह वैभव या किसी तीसरे व्यक्ति के लिए उस चेक के पीछे अपना हस्ताक्षर करके पैसे का समर्थन कर सकता है। ऐसे में चेक का पैसा उसके बैंक खाते में नहीं जाएगा और वैभव के खाते में जाएगा. दूसरे शब्दों में, राहुल चेक के पीछे हस्ताक्षर करके वैभव को अपने नाम से पैसे निकालने का अधिकार दे सकता है।
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अगर आपको अचानक पैसे की जरूरत है और आपका बैंक खाता खाली है तो भी आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आपका बैंक आपको एक ओवरड्राफ्ट सुविधा प्रदान करता है, जिससे आप मुश्किल समय में 10,000 रुपये तक निकाल सकते हैं, भले ही आपके खाते में पैसा न हो। ओवरड्राफ्ट एक बैंक द्वारा ग्राहकों को दी जाने वाली एक वित्तीय सुविधा है, जो आपको अपने बैंक खाते से पैसे निकालने की अनुमति देती है, भले ही उसमें पैसा न हो।
प्रत्येक ग्राहक के लिए एक ओवरड्राफ्ट सीमा निर्धारित है। यह सीमा बैंक और ग्राहक के बीच संबंधों पर निर्भर करती है। आइए जानें इस फीचर के बारे में बैंक खाताधारकों को मिलती है यह सुविधा: सभी निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने ग्राहकों को ओवरड्राफ्ट की सुविधा प्रदान करते हैं। इस रकम पर आपको ब्याज दर भी चुकानी होगी। हालांकि, आवेदकों यानी बैंक खाताधारकों के लिए ब्याज दर अलग-अलग होती है। कई निजी बैंक वेतन खाते और बचत खाताधारकों को यह सुविधा प्रदान करते हैं। ओवरड्राफ्ट ऋण राशि, ब्याज, सीमा आपके खाते के इतिहास, भुगतान रिकॉर्ड और क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करती है।
मुझे कितना लोन मिल सकता है:बैंक खाता वार ओवरड्राफ्ट सुविधा बैंक खाते और खाताधारक और बैंक के बीच संबंधों पर निर्भर करती है। आरबीआई के अनुसार, चालू खातों और नकद क्रेडिट खातों में 50,000 रुपये से अधिक की ओवरड्राफ्ट सुविधा नहीं है। जन धन खातों पर 10,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा उपलब्ध है। मूल बचत और वेतनभोगी खातों पर ओवरड्राफ्ट भी उपलब्ध हैं।
फायदे और नुकसान क्या हैं: ओवरड्राफ्ट सुविधा आपको जरूरत पड़ने पर जरूरत पड़ने पर धन प्राप्त करने में मदद करेगी। यह सुविधा व्यापारी को नकदी प्रवाह का प्रबंधन करने में मदद करती है। इस ओवरड्राफ्ट सुविधा के तहत उपयोग की गई राशि पर ही ब्याज का भुगतान किया जाता है। कम कागजी कार्रवाई के साथ अल्पकालिक ऋण। इसके लिए किसी गारंटी की आवश्यकता नहीं है। इस फीचर के कई नुकसान भी हैं। ओवरड्राफ्ट सुविधा उच्च ब्याज दरों को आकर्षित करती है। ब्याज दरों में बदलाव के अनुसार ब्याज शुल्क अलग-अलग होते हैं। यह सुविधा लंबी अवधि के वित्त के लिए उपयुक्त नहीं है।
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दीपनगर थाना अंतर्गत चोरा बगीचा मोड़ के समीप बुधवार की शाम बेलगाम ट्रैक्टर ने अधेड़ को कुचल दिया। जिससे उनकी मौत हो गई। मृतक राणा बिगहा गांव निवसी सत्यवान प्रसाद हैं। परिवार ने बताया कि अधेड़ पैदल गांव की ओर जा रहे थे। उसी दौरान बेलगाम ट्रैक्टर उन्हें कुचलते हुए फरार हो गया। ग्रामीणों के सहयोग से जख्मी को निजी क्लिनिक ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मौत के बाद परिजन शव को लेकर गांव लौट गए। थानाध्यक्ष सुनील कुमार जायसवाल ने बताया कि घटना की जानकारी पुलिस को नहीं दी गई है।
वहीं, बिहार थाना क्षेत्र के गढ़पर मोहल्ला में गुरुवार को कमरे में फंदे के सहारे बेड पर विवाहिता की खड़ी लाश मिली। मृतका धर्मेंद्र कुमार की 24 वर्षीया पत्नी रुचि रानी है। ससुराली परिवार घरेलू कलह में घटना को खुदकुशी बता रहा है। कारणों पर परिवार चुप्पी साधे हैं। हालांकि, साक्ष्य उसके विपरीत है। मृतका का दोनों पैर बेड पर था। मृतका का मायके पटना जिला के बेलछी थाना क्षेत्र के मुर्तजापुर गांव है। दो साल पहले उसकी शादी हुई थी।थानाध्यक्ष विरेंद्र यादव ने बताया कि मायके के परिजनों से पूछताछ के बाद मामला स्पष्ट होगा। पोस्टमार्टम के बाद शव परिवार के हवाले कर दिया गया।