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  • माता-पिता के जीवित रहते बेटा को नहीं मिलेगा संपत्ति का अधिकार, जानें – नियम..


    डेस्क : बॉम्बे हाई कोर्ट के एक फैसले ने लोगों का ध्यान खींच लिया है। यह फैसला देश के हर मां-बाप के लिए ऐतिहासिक है। हाईकोर्ट ने साफ-साफ कहा है कि माता – पिता के जीवित रहने पर उनके संपत्ति पर संतान का कोई अधिकार नहीं है। दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट में एक व्यक्ति ने याचिका दायर किया था, जिसमें कहा गया कि उनके माता-पिता के संपत्ति में आधा हिस्सा उसे चाहिए। याचिका दायर करने वाले सोनिया खान के बेटे हैं। यह अपने तर्क में कहते हैं कि हमारे माता- पिता के पास 2 फ्लैट हैं जिसमें से एक पर मेरा अधिकार है।

    कोर्ट ने दलील सुनने के बाद साफ-साफ कह दिया कि माता पिता के जीवित रहते उनकी संपत्ति पर बच्चों का कोई अधिकार नहीं है। बता दें कि मामले की सुनवाई करते समय संबंधित बेंच को कोई ऐसा दस्तावेज याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट में नहीं पेश किया गया जिससे यह पता चल सके कि उसने अपने माता-पिता की कवि देखरेख की भी है।

    बॉम्बे कोर्ट ने इस याचिका को असंगत और अतार्किक बताया। बेंच ने तर्क देते हुए कहा कि उत्तराधिकारी कानून के तहत देश में कोई भी संतान तब तक संपत्ति पर अधिकार नहीं जमा सकता है, जब तक उनके माता-पिता जीवित है। मामले में अपने पिता का विधि संरक्षण से जुड़ी याचिका में दखलअंदाजी करने की मंजूरी देने से मना कर दिया। बॉम्बे हाई कोर्ट के द्वारा कही गई यह बात कि माता पिता के जीवित रहने पर उनकी संपत्ति पर बेटों का अधिकार नहीं है। यह बयान काफी चर्चा में आ गया है। दरअसल उत्तराधिकारी कानून के तहत इस बात की प्रमाणिकता की जा सकती है। वहीं कई बार कानून बने रहने के बाद भी लोग जबरदस्ती करते हैं। इस पर हाईकोर्ट का यह चोट शानदार रहा।

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  • आम आवाम की आवाज वनेगी नालन्दा टुडे रणविजय

    वर्तमान युग को सूचना और ज्ञान के क्रांति का युग माना जाता है। समाज हित में सम्यक प्रकाशन को पत्रकारिता कहा जा सकता है। अर्थात लोक मानस की अभिव्यक्ति की जीवंत विद्या ही पत्रकारिता है ।जिससे सामयिक सत्य मुखरित होते हैं। समय और समाज के संदर्भ में सजग रहकर नागरिकों में दायित्व बोध कराने की कला को भी पत्रकारिता कहते हैं ।अतः व्यक्ति के मानसिक एवं बौद्धिक तथा समाज के सर्वांगीण विकास के लिए पत्रकारिता अनिवार्य है। यूरोप में हुई औद्योगिक क्रांति के बाद छापाखाना और कागज ने पत्रकारिता के नए युग का शुभारंभ किया था।
    पर आज की पत्रकारिता का स्वरूप बदल गया है ।अब डिजिटल पत्रकारिता का युग है ।
    उक्त बातें पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सह प्रधान संपादक रणविजय सिंह ने लोकार्पण के मौके पर कही ।

    नालंदा टुडे दैनिक डिजिटल अखबार का विधिवत लोकार्पण

    बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के महासचिव प्रोफेसर प्रेम कुमार, पूर्व विधान पार्षद राजू यादव ,समाजसेवी मनोज ताती, पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सह प्रधान संपादक रणविजय सिंह,राज शेखर सहित समाजसेवी दीपक कुमार ने संयुक्त रूप से बिहारशरीफ बड़ी पहाड़ी स्थित अंश मैरेज हॉल में किया ।
    इस मौके पर मनोज बेदी,विनय कुमार,अरुणेश यादव ,पर्वतारोही प्रिया रानी ,हेमलता सिन्हा सहित समाजसेवी ,बुद्धिजीवी एवं कई गणमान्य लोग शामिल हुए।
    मौके पर पूर्व एमएलसी राजू यादव ने कहा कि नालंदा टुडे दैनिक डिजिटल अखबार का प्रकाशन नालंदा के लिए गर्व की बात है।उन्होंने संपादक मंडल को इसके लिए बधाई दिया।समाजसेवी मनोज ताती ने लोकार्पण के मौके पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि नालंदा सदियों से ज्ञान की भूमि रही है ।और नालंदा टुडे समाचार पत्र के माध्यम से प्रतिदिन अपने अपने घरों में बैठे बैठे ही लोग समय पर उचित समाचार पढ़ पाएंगे।

    वही समाजसेवी दीपक कुमार ने पत्रकारिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पत्रकारिता सामाजिक बदलाव का एक सशक्त माध्यम है। पत्रकारिता के मुख्य रूप से चार प्रमुख उद्देश्य माने गए हैं ।किसी घटना के विषय में जानकारी देना, शिक्षित करना, पाठकों में किसी विषय को लेकर जागृति लाना और उनका मनोरंजन करना। सामाजिक विकास में पत्रकारिता का अहम भूमिका सदा से रही है। पत्रकारिता का मूल धर्म समाज का चित्र खींचना और समाज का मार्गदर्शन करना है। पत्रकारिता अर्थात आमजन तथा प्रशासन के बीच की कड़ी ।पत्रकारिता की यथार्थता पर विहंगम दृष्टि डालें तो पता चलता है कि पत्रकारिता लोकतंत्रीय व्यवस्था की रीढ़ है, समाज रूपी घोड़े की लगाम है। वहीं यह जनता की आंख और जनता की उत्सुकता का समाधान भी है ।वह पत्रकारिता क्या जिससे सरकार डरे नहीं और समाज के शोषित वर्ग को कोई को मुक्ति का कोई रास्ता नहीं मिले।

    पत्रकारों में कवि की कल्पना शक्ति न्यायाधीश की विशेषता वैज्ञानिक की स्वच्छता और कंप्यूटर मशीन जैसी गति होना चाहिए और पत्रकार का नैतिक बल इतना अधिक होना चाहिए कि कैची टूट जाए लेकिन पत्रकार को कोई काट ना पाए।
    संपादक राज शेखर ने मौके पर उपस्थित लोगो के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि एक सफल पत्रकार पूरे समाज और विश्व को बदल सकता है।
    पत्रकारिता खबरों की सौदागर नहीं है और ना ही उसका काम सत्ता के साथ शयन है। उसका काम जीवन की सच्चाई को सामने लाना है।

    चौथा स्तंभ को निष्पक्ष होना जरूरी- प्रेम कुमार
    नालंदा टुडे डिजिटल अखबार का लोकार्पण बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन पटना के महासचिव गांधीवादी प्रेम कुमार ने बिहार शरीफ के अंश मैरेज हॉल में बटन दबाकर किया । उन्होंने कहा कि न तीर निकालो न तलबार निकालो परिवर्त्तन चाहते हो तो अखबार निकालो । मीडिया को हमेशा निर्भीक और निष्पक्ष होना चाहिए। पत्रकारिता एक तपस्या है और यह आम आवाम की आबाज है। डीजल क्रांति के युग में डिजिटल इंडिया में डिजिटल अखबार समय की मांग है नालंदा टुडे ऊँची मुकाम हासिल करेगा। उन्होंने पत्रकारों से अपील किया की खबर की तह तक जाकर रिपोर्टिंग करे और पित्त पत्रकारिता से बचें । बिहार में आये दिन पत्रकारों पर हो रहे हमलों पर चिंता जताई और सरकार से पत्रकारों की सुरक्षा उपलव्ध कराने की मांग की ।

  • धनतेरस पर Gold खरीदारों की बल्ले बल्ले! महज ₹27563 में खरीदे एक तौला सोना..


    डेस्क : आज धनतेरस है और परसो दिवाली, ऐसे में कई लोग सोना खरीदने की प्लानिंग कर रहे होंगे, ऐसे लोगों के लिए बड़ी काम की खबर है। सर्राफा बाजार में लगातार चढ़ाव चढ़ने के बाद अब सोना गिरता नजर आ रहा है। सामने आए आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 के हाई रेट से सोने के दाम की तुलना में आज सोना सबसे निचले स्तर पर बना हुआ है।

    इतना ही नहीं, 24 कैरेट के सोने के दामों में 5000 रुपए तक की भारी गिरावट देखी गई है। साथ ही 18 कैरेट और 14 कैरेट के सोने की ज्वैलरी में भी गिरावट देखी गई है। सर्राफा बाजार के आंकड़ों के अनुसार 14 कैरेट के बने जेवर केवल 27563 रुपए प्रति तौला यानी 10 ग्राम पर मिल रहे हैं।

    ग्लोबल मार्केट का ये हाल :

    ग्लोबल मार्केट का ये हाल : घरेलू मार्केट के साथ साथ यदि वैश्विक मार्केट की बात करें तो बीते दिन, 24 कैरेट सोने में 66 रुपए की गिरावट देखी गई। जिसके बाद बीते दिन यानी शुक्रवार, यानी हफ्ते का आखिरी कारबारी दिन सोना 50,516 प्रति तौला पर बंद हुआ था। वहीं, चांदी की बात करें तो कल चांदी में चमक बढ़ती दिखी थी। 101 रुपए की तेजी के साथ 56,451 रुपये प्रति किलोग्राम पर चांदी बंद हुआ है।

    बताया जा रहा है कि इसी साल मार्च के आस-पास सोने की कीमत 55489 प्रति तौला तक पहुंच गई थी। यदि आज की कीमत से उसकी तुलना की जाए तो लगभग 5000 रुपए तक मंदी सोने के दामों में देखने को मिल रही है। धनतेरस के अवसर पर कई कंपनियां सोने और चांदी पर कुछ ऑफर भी कर रही हैं. जैसे तनिष्क सोने की ज्वैलरी पर एक चांदी का सिक्का बिल्कुल फ्री दे रहा है।

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  • Onion Market Price: कांद्याच्या दरात वाढ ! पहा आज किती मिळाला कमाल भाव ?





    Onion Market Price: कांद्याच्या दरात वाढ ! पहा आज किती मिळाला कमाल भाव ? | Hello Krushi








































    हॅलो कृषी ऑनलाईन : शेतकरी मित्रांनो सोलापूर किंवा लासलगाव कृषी उत्पन्न बाजार समिती अशा बाजार समितीमध्ये सहसा कांद्याला (Onion Market Price) चांगला भाव मिळतो. मात्र आजचे कांदा बाजार भाव पाहिले असता आज अमरावती फळ आणि भाजीपाला मार्केटमध्ये कांद्याला चांगला भाव मिळाला आहे.

    आज बाजार समितीमध्ये 340 क्विंटल कांद्याची (Onion Market Price) आवक झाली याकरिता किमान भाव पंधराशे रुपये कमाल भाव 3500 आणि सर्वसाधारण भाग 2500 रुपये इतका मिळाला आहे.

    तर सर्वाधिक अवघी सोलापूर कृषी उत्पन्न बाजार समिती येथे झाली असून ही आवक 21251 क्विंटल इतकी झाली असून याला किमान भाव 100 कमाल भाव 3150 आणि सर्वसाधारण भाव चौदाशे रुपये इतका मिळाला आहे.

    आजचे कांदा बाजारभाव (Onion Market Price)

    बाजार समिती जात/प्रत परिमाण आवक कमीत कमी दर जास्तीत जास्त दर सर्वसाधारण दर
    22/10/2022
    कोल्हापूर क्विंटल 5843 700 2500 1600
    औरंगाबाद क्विंटल 952 400 1600 1000
    कराड हालवा क्विंटल 201 200 2000 2000
    सोलापूर लाल क्विंटल 21251 100 3150 1400
    पंढरपूर लाल क्विंटल 759 200 2400 1100
    नागपूर लाल क्विंटल 300 1400 2300 2075
    भुसावळ लाल क्विंटल 4 1500 1500 1500
    अमरावती- फळ आणि भाजीपाला लोकल क्विंटल 340 1500 3500 2500
    पुणे- खडकी लोकल क्विंटल 34 1000 1500 1250
    पुणे -पिंपरी लोकल क्विंटल 22 1000 1400 1200
    पुणे-मोशी लोकल क्विंटल 204 700 1800 1250
    नागपूर पांढरा क्विंटल 260 1400 2300 2075
    लासलगाव – विंचूर उन्हाळी क्विंटल 9540 650 2400 1800
    पिंपळगाव बसवंत उन्हाळी क्विंटल 8626 400 2655 1900

     

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  • बगैर टीवीसी के बैठक के राजगीर में अतिक्रमण हटाना फुटपाथ दुकानदारों के साथ अन्याय – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    राजगीर (नालंदा दर्पण)। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर स्थित रजौली संगत परिसर में नालंदा फुटपाथ दुकानदार अधिकार मंच राजगीर की आपातकालीन बैठक बुलाई गई । बैठक की अध्यक्षता मंच के संरक्षक उमराव प्रसाद निर्मल ने की।

    इस मौके पर असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सह मंच के राज्य समन्वयक डॉ अमित कुमार पासवान ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में सूबे विकास की ओर अग्रसर है राज्य में सुशासन का माहौल कायम है राजगीर जैसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल में देशी-विदेशी पर्यटकों का काफी संख्या में आना-जाना शुरू हो गया है।

    ऐसी परिस्थिति में वेंडरों को आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लोगों में कुछ आस जगी ही थी की राजगीर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी मोहम्मद जफर आलम ने दर्जनों दुकानदारों को दुकान तोड़कर व सामान को नष्टकर  रोजगार से बेदखल कर दिया।

    जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरे भारत में गरीब ,मजदूरों के हित में बनाए गए पथ विक्रेता कानून अधिनियम 2014 को लागू करने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री है, जिनके आलोक में पूरे बिहार में टीवीसी का गठन कर सभी बेंडरो को निबंधन प्रमाण पत्र देकर, पुनवासित करने का काम राज्य के विभिन्न जिलों में किया जा रहा है। सभी नगर निकायों में  पथ विक्रेता कानून को अक्षरश: पालन किया जा रहा है। लेकिन

    वहीं दूसरी ओर राजगीर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी मोहम्मद जफर आलम ने तानाशाही रवैया अपनाकर कुण्ड क्षेत्र के दर्जनों दुकानदारों को बिना किसी नोटिस व सूचना के टीवीसी में लिए गए निर्णय  को बिना अनुपालन किए हुए, दलबल के साथ दर्जनों दुकानदारों को बुलडोजर लगाकर दुकानों को बुरी तरह से नष्ट कर ट्रैक्टर पर समान लोडकर चले गए। जिससे दुकानदारों  को लाखों-लाख रुपया की संपत्ति का नुकसान हुआ  है।

    डॉ. पासवान ने कहा कि पथ विक्रेता कानून अधिनियम 2014 को पालन करने व दर्जनों दुकानदारों को हुई क्षति के क्षतिपूर्ति के लिए मंच की ओर से व्यवहार न्यायालय बिहार शरीफ नालंदा, मानवाधिकार आयोग पटना बिहार एवं लोकायुक्त पटना बिहार के यहां कार्यपालक पदाधिकारी व घटना में शामिल अधिकारियों के ऊपर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

    मंच के संरक्षक उमराव प्रसाद निर्मल ने कहा कि सभी दुकानदार संघर्ष के लिए तैयार रहें  बड़े आंदोलन की तैयारी करें, भ्रष्ट अधिकारियों को मुंहतोड़ जवाब दें।

    राजगीर शाखा के अध्यक्ष रमेश कुमार पान ने कहा कि प्रकाश पर्व के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी का आगमन होने जा रहा है, हजारों की संख्या में सभी दुकानदार उनसे मुलाकात कर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ आवेदन सौंपगे।

     इस अवसर राजू कुमार, नागेंद्र यादव , शंकर कुमार ,अजय यादव ,राघो देवी ,नंदकिशोर प्रसाद ,मदन बनारसी, मनोज कुमार, मंजू देवी ,भूषण कुमार, आदि लोग मौजूद थे।

  • Potato Farming: देशी बटाट्याची लागवड होईल फायदेशीर; दुप्पट नफ्यासाठी ही पद्धत अवलंबवा

    हॅलो कृषी ऑनलाईन : बटाट्याचा (Potato Farming) वापर प्रत्येक घरात केला जातो, त्यामुळे त्याची मागणी वर्षभर राहते. लोकांच्या गरजा भागवण्यासाठी शेतकरी वर्षभर त्याची लागवडही करतात. बटाटा लागवडीतून शेतकरी बांधवांना चांगला नफा मिळतो. जर तुम्हालाही बटाट्याच्या लागवडीतून कमी वेळात दुप्पट नफा मिळवायचा असेल, तर त्यासाठी बटाट्याच्या चांगल्या जातींशिवाय तुमच्या शेतात देशी बटाट्याची लागवड करावी.

    बटाट्याच्या देशी जातीला देशातच नव्हे तर आंतरराष्ट्रीय बाजारातही सर्वाधिक मागणी आहे. परंतु ज्या देशांमध्ये देशी बटाट्याची अल्प प्रमाणात लागवड होते, त्या देशांत भारताचा बटाटा (Potato Farming) निर्यात केला जातो. सरकारी आकडेवारीनुसार, भारताने 2022-23 या वर्षात सुमारे 4.6 पट अधिक देशी बटाट्याची निर्यात केली होती. अशा परिस्थितीत देशातील शेतकऱ्यांसाठी ही शेती फायदेशीर ठरू शकते. देशी बटाट्याचे चांगले उत्पादन घेण्यासाठी शेतकऱ्यांनी खालील गोष्टी लक्षात ठेवाव्यात.

    देशी बटाट्याची लागवड

    देशी बटाट्याची लागवड ६० ते ९० दिवसांत तयार होते. बटाट्याची (Potato Farming) लवकर लागवड केल्यानंतर शेतकरी एकाच वेळी गव्हाची उशिरा लागवडही करू शकतात. यासाठी शेतकरी बांधवांनी सूर्या वाणाची पेरणी करावी. या जातीची शेतात पेरणी केल्यास ७५ ते ९० दिवसांत पीक तयार होते आणि त्याच वेळी शेतकऱ्यांना हेक्टरी ३०० क्विंटलपर्यंत उत्पादन मिळते. कमी वेळेत बटाट्याचे उत्पादन घ्यायचे असेल तर कुफरी अशोक, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी जवाहर या जातींची पेरणी करा. या सर्व जातींना सुमारे 80 ते 300 क्विंटल दर मिळतात.

    बटाटे पिकवताना या गोष्टी लक्षात ठेवा

    • बटाट्याची लागवड करण्यापूर्वी शेतकऱ्यांनी शेतातील जमीन सपाट करून नंतर योग्य निचऱ्याची व्यवस्था करावी.
    • यानंतर देसी बटाट्याचे कंद चांगले निवडा. कारण त्याच्या बियांचे प्रमाण या जातीच्या कंदांवर अवलंबून असते.
    • या प्रति एकर शेतात सुमारे 12 क्विंटल कंद पेरणीचे काम तुम्ही सहज करू शकता.
    • हा काळ देशी बटाट्याच्या पेरणीसाठी योग्य आहे. पाहिले तर 15 ते 20 ऑक्टोबर हा काळ चांगला आहे.
    • लक्षात ठेवा की पेरणीपूर्वी, कापलेल्या कंदांची योग्य प्रक्रिया करा. जेणेकरून पिकावर कोणत्याही प्रकारच्या रोग व किडींचा प्रादुर्भाव होणार नाही.

    पीक संरक्षण

    कीटक-रोगापासून संरक्षण करण्यासाठी, कंद 0.25% इंडोफिल M45 द्रावणात 5-10 मिनिटे चांगले बुडवून ठेवा आणि नंतर ते वाळवा. त्यानंतर शेतात पेरणी सुरू करावी. कंदांवर योग्य उपचार केल्यानंतर, शेतकऱ्यांनी 14-16 तासांसाठी चांगल्या सावलीच्या ठिकाणी सोडले पाहिजे. जेणेकरुन त्यामध्ये औषधाचा लेप योग्य प्रकारे करता येईल व पीक चांगले फुलू शकेल.

     

  • जंग-ए-आजादी के महानायक अशफाक उल्ला खां की 122 वीं जयंती पर विशेष

    राकेश बिहारी शर्मा – कई क्रांतिकारियों के नाम जोड़े में लिए जाते हैं जैसे भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और राजगुरू। ऐसा ही एक और बहुत मशहूर जोड़ा है रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां का। इसका आशय सिर्फ ये नहीं कि काकोरी कांड में यही दोनों मेन आरोपी थे। बल्कि इसका आशय था कि दोनों एक-दूसरे को जान से भी ज्यादा चाहते थे। दोनों ने जान दे दी, पर एक-दूसरे को धोखा नहीं दिया। रामप्रसाद बिस्मिल के नाम के आगे पंडित जुड़ा था। वहीं अशफाक थे मुस्लिम, वो भी पंजवक्ता नमाजी। पर इस बात का कोई फर्क दोनों पर नहीं पड़ता था। क्योंकि दोनों का मकसद एक ही था। आजाद मुल्क। वो भी मजहब या किसी और आधार पर हिस्सों में बंटा हुआ नहीं, पूरा का पूरा। इनकी दोस्ती की मिसालें आज भी दी जाती है। अशफाक उल्ला खां तो भारत के प्रसिद्ध अमर शहीद क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है। वे उन वीरों में से एक थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। अपने पूरे जीवन काल में अशफाक, हमेशा हिन्दू-मुस्लिम एकता के पक्षधर रहे।

    अशफाक उल्ला खां का जन्म और पारिवारिक व सामाजिक जीवन

    अशफाक उल्ला खां का जन्म 22 अक्टूबर 1900 ई. में उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर स्थित शहीदगढ़ में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद शफीक उल्ला खान और उनकी मां का नाम मजहूरुन्न्िानशां बेगम था। ये अपने माता-पिता के छह संतानों में से सबसे छोटे थे। इनके पिता पुलिस विभाग में कार्यरत थे। वे पठान परिवार से ताल्लुक रखते थे और उनके परिवार में लगभग सभी सरकारी नौकरी में थे। बाल्यावस्था में अशफाक का मन पढ़ाई में नहीं लगता था। बल्कि उनकी रुचि तैराकी, घुड़सवारी, निशानेबाजी में अधिक थी। बाल्यावस्था में वे उभरते हुए शायर के तौर पर पहचाने जाते थे। पर घर में जब भी शायरी की बात चलती, उनके एक बड़े भाईजान अपने साथ पढ़ने वाले रामप्रसाद बिस्मिल का जिक्र करना नहीं भूलते। इस तरह से किस्से सुन-सुनकर अशफाक रामप्रसाद के फैन हो गए थे। अशफाक उल्ला खां को कविताएं लिखने का काफी शौक था, जिसमें वे अपना उपनाम हसरत लिखा करते थे। 25 साल की उम्र में अशफाक ने अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार की नाक के नीचे से सरकारी खजाना लूट लिया था। इस कांड में राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को फांसी की सजा हो गई और सचिंद्र सान्याल और सचिंद्र बख्शी को कालापानी की सजा सुनाई गई थी। बाकी क्रांतिकारियों को 4 साल से 14 साल तक की सजा सुनाई गई थी।

    क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां को पढ़ने-लिखने में नहीं लगता था मन

    अशफाक उल्ला खां का बचपन से ही पढ़ने-लिखने में मन नहीं लगता था। उन्हें तैराकी करना, बंदूक लेकर शिकार पर जाना ज्यादा पसंद था। देश की भलाई के लिए किए जाने वाले आन्दोलनों की कथाओं / कहानियों को पढ़ने में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते थे। उन्होंने कई बेहतरीन कविताएं लिखीं थी। जिसमें वह अपना उपनाम हसरत लिखा करते थे। वह अपने लिए कविता लिखते थे, उन्होंने कभी अपनी कविताओं को प्रकाशित करवाने का कोई चेष्टा नहीं की। क्रांतिकारी उनकी लिखी कविताएं अदालत आते-जाते समय अक्सर ‘काकोरी कांड’ में गाया करते थे।

    अशफाक उल्ला खां का देश के क्रांतिकारियों से सम्पर्क

    जिस समय महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया था उस समय अशफाक उल्ला खाँ एक स्कूली छात्र थे। लेकिन इस आंदोलन का अशफाक पर काफी प्रभाव पड़ा जिसने इन्हें स्वतंत्रता सेनानी बनने के लिए प्रेरित किया। चौरी-चौरा की घटना के बाद, महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को स्थगित कर भारत के युवाओं को निराशाजनक स्थिति में छोड़ दिया था। अशफाक उल्ला उनमें से एक थे। असफाक उल्ला खाँ ने जल्द से जल्द भारत को स्वतंत्र कराने की ठान ली थी और ये क्रांतिकारियों से जुड़ गए। देश में आजादी के किये चल रहे आंदोलनों और क्रांतिकारी घटनाओं से काफी प्रभावित अशफाक के मन में भी क्रांतिकारी भाव जागे और उसी समय मैनपुरी षड्यंत्र के मामले में शामिल रामप्रसाद बिस्मिल से हुई और वे भी क्रांति की दुनिया में शामिल हो गए। इसके बाद वे ऐतिहासिक काकोरी कांड में सहभागी रहे और पुलिस के हाथ भी नहीं आए। इस घटना के बाद वे बनारस आ गए और इंजीनियरिंग कंपनी में काम शुरू किया। उन्होंने कमाए गए पैसे से कांतिकारी साथियों की मदद भी की। काम के संबंध में विदेश जाने के लिए वे अपने एक पठान मित्र के संपर्क में आए, जिनके उनके साथ छल किया और पैसों के लालच में अंग्रेज पुलिस को सूचना देकर अशफाक उल्ला खां को पकड़वा दिया। उनके पकड़े जाने के बाद जेल में उन्हें कई तरह की यातनाएं दी गई और सरकारी गवाह बनाने की भी कोशिश की गई। परंतु अशफाक ने इस प्रस्ताव को कभी मंजूर नहीं किया। देश की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए हंसते−हंसते फांसी का फंदा चूमने वाले अशफाक उल्ला खान जंग−ए−आजादी के महानायक थे।
    शंखनाद के अध्यक्ष इतिहासकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह के अनुसार काकोरी कांड के बाद जब अशफाक को गिरफ्तार कर लिया गया तो अंग्रेजों ने उन्हें सरकारी गवाह बनाने की कोशिश की और कहा कि यदि हिन्दुस्तान आजाद हो भी गया तो उस पर हिन्दुओं का राज होगा तथा मुसलमानों को कुछ नहीं मिलेगा। इसके जवाब में अशफाक ने ब्रितानिया हुकूमत के कारिन्दों से कहा कि फूट डालकर शासन करने की अंग्रेजों की चाल का उन पर कोई असर नहीं होगा और हिन्दुस्तान आजाद होकर रहेगा। अशफाक ने अंग्रेजों से कहा था− तुम लोग हिन्दू−मुसलमानों में फूट डालकर आजादी की लड़ाई को नहीं दबा सकते। हिन्दुस्तान में क्रांति की ज्वाला भड़क चुकी है जो अंग्रेजी साम्राज्य को जलाकर राख कर देगी। अपने दोस्तों के खिलाफ मैं सरकारी गवाह बिल्कुल नहीं बनूंगा। अशफाक उल्ला खां के जीवन पर महात्मा गांधी का प्रभाव शुरू से ही था, जब गांधीजी ने ‘असहयोग आंदोलन’ वापस ले लिया तब उन्हें अत्यंत पीड़ा पहुंची थी। रामप्रसाद बिस्मिल और चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्व में 8 अगस्त, 1925 को क्रांतिकारियों की एक अहम बैठक हुई, जिसमें 9 अगस्त, 1925 को सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन काकोरी स्टेशन पर आने वाली ट्रेन को लूटने की योजना बनाई गई जिसमें सरकारी खजाना था।

    काकोरी कांड में ऐसे लूटा था सरकारी खजाना

    अशफाक उल्ला खां का मानना था की बिना हथियारों के क्रांति नहीं हो सकती इसलिए उन्हें हथियारों की सख्त जरूरत थी चूंकि हथियार खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। इसी के तहत 8 अगस्त 1925 को शाहजहांपुर में क्रांतिकारियों की बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें उन लोगों ने ट्रेन से ले जाए जा रहे हथियार को खरीदने के बजाय उस सरकारी खजाने को लूटने का फैसला किया। अगले दिन यानि 9 अगस्त 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला, राजेन्द्र लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह, शचीन्द्र बख्शी, चंद्रशेखर आजाद, केशव चक्रवर्ती, बनवारी लाल, मुकुन्दी लाल, मनमथनाथ गुप्ता समेत कई क्रांतिकारियों के समूह ने ककोरी गाँव में सरकारी धन ले जाने वाली ट्रेन में लूटपाट की थी। इस घटना को इतिहास में प्रसिद्ध काकोरी काण्ड के रूप में जाना जाता है। इस लूटपाट के कारण राम प्रसाद बिस्मिल को 26 सितंबर 1925 की सुबह पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। अशफाक उल्ला फरार हो गए थे। वह बिहार से बनारस चले गए और वहाँ जाकर उन्होंने इंजीनियरिंग कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने 10 महीने तक वहाँ काम किया। इसके बाद वह इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए विदेश जाना चाहते थे जिससे आगे चलकर उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में मदद मिल सके। अपने इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए वह दिल्ली भी गए। अशफाक उल्ला खां ने अपने जिन मित्रों पर भरोसा किया उन्हीं में से एक मित्र ने उनकी मदद करने का नाटक किया और धोखा दिया, उसने असफाक उल्ला खां को पुलिस को सौंप दिया। अशफाक उल्ला खाँ को फैजाबाद जेल में बन्द कर दिया गया। उनके भाई रियासतुल्लाह उनके वकील थे जिन्होंने इस मामले (केस) को लड़ा था। काकोरी काण्ड का मामला राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन को मौत की सजा देने के साथ समाप्त हुआ। जबकि अन्य लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। अशफाक उल्ला खाँ को 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई थी।

  • डेंगू के बढ़ते प्रकोप रोकने के लिए तैयार है नालन्दा के लोग – भैया अजित।

    डेंगू के बढ़ते प्रकोप अंतराष्ट्रीय पर्यटक स्थल राजगीर, सिलाव के बाद अब अंतराष्ट्रीय पर्यटक स्थल नालन्दा में भी अपना पाव फैला रहा है और यहा भी डेंगू के एक दो केस तेजी से मिलने लगे है इसके मद्देनजर नगर पंचायत नालन्दा ने डेंगू के रोकथाम के लिए कल दिनांक 23 अक्टूबर 2022 दिन रविवार को सुबह 7 बजे विद्यापीठ विद्यालय परिसर से नालन्दा मोड़,कपटिया मोड़,नालन्दा खण्डर होते हुए बड़गांव तालाब के तक डेंगू जागरूकता रैली सह स्वच्छता जागरूकता अभियान का कार्यक्रम आयोजन किया है

    जिसका नेतृत्व नगर पंचायत सिलाव एवम नगर परिषद राजगीर के ब्रांड एम्बेसडर लोक गायक भैया अजीत करेंगे तथा इस रैली का शुभारम्भ हरी झंडी दिखाकर कर रवाना करेंगे नगर पंचायत सिलाव एवम नालन्दा के कार्यपालक पदाधिकारी श्री राजेश कुमार ।यह रैली बड़गांव तालाब केपास पहुंच कर नुक्कड़ सभा को अपने सम्बोधन के माध्यम से भैयाअजीत लोगो को जागरूक करेंगे साथ ही साथ सृजन नालन्दा के कलाकारों के द्वारा गीत,संगीत एवम नुक्कड़ नाटक के माध्यम से डेंगू से रोकथाम , बचाव,उपचार के बारे में बताया जाएगा वही एन.सी. सी. के कैडेस के साथ सृजन के कलाकारों एवम कार्यकर्ताओ द्वारा बड़गांव तालाब के चारो ओर स्वच्छता अभियान के अंतर्गत साफ सफाई किया जाएगा। इस रैली में सरकारी एवम गैर सरकारी विद्यालय, कोचिंग संस्थान, कंप्यूटर सेंटर के छात्र छात्रा,एन.सी. सी. कैडेस , प्रेस मीडिया एवम सृजन के कलाकार के साथ साथ नालन्दा के बुद्धिजीवी समाजसेवी सम्मानित जनता भी भाग लेंगे।

  • दिवाली से मिलने लगेगी Jio की 5G सर्विसेज, आप भी ऐसे उठाएं ऑफर का लाभ


    डेस्क : भारत की लीडिंग टेलीकॉम कंपनी Reliance Jio ने एलान कर दिया है कि कंपनी चुनिंदा शहरों में इसकी 5G सेवाओं का फायदा दिवाली से मिलने लगेगा। Jio True 5G लॉन्च के साथ ही कंपनी 5G नेटवर्क पर ग्राहकों को 1Gbps तक की स्पीड दे पाएगी। यदि आप भी बाकियों से पहले जियो की 5G स्पीड का लाभ उठाने के ईक्षुक हैं तो आप कंपनी वेलकम ऑफर का फायदा जरूर उठाएं।

    Reliance Jio ने दावा किया है कि इसकी 5G टेक्नोलॉजी 700MHz बैंड पर पूरी तरह से निर्भर करते है और यह भारत में SA (स्टैंडअलोन) 5G सेवाएं देने वाली इकलौती कंपनी है। पहले ही जियो ने 4 शहरों- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और वाराणसी में 5G की टेस्टिंग शुरू कर दी है। पर यहां ध्यान देने वाली बात है की यदि आप भी इन शहरों में रहते हैं तब भी आपको कंपनी की 5G सेवा से जुड़ने के लिए खास प्रक्रिया से जुड़ना होगा और इसका फायदा अपने आप नहीं मिलेगा।

    Jio की इनवाइट-ओनली सेवा :

    Jio की इनवाइट-ओनली सेवा : इस समय कुछ चुनिंदा शहरों में रिलायंस जियो की 5G सर्विसेज इनवाइट-ओनली के विकल्प के साथ मिल रही हैं। जिसका मतलब है कि आपको 5G सेवा का लाभ उठाने के लिए एक इन्वाइट की जरूरत है। इसके लिए सबसे पहले ये देखे की आप उन चारों शहरों में से किसी एक में रह रहे हों, जहां जियो की 5G सेवाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा आपके पास 5G-इनेबल्स स्मार्टफोन होना भी जरूरी है। इसके बाद रियलमी, वनप्लस, वीवो, सैमसंग, शाओमी और iQOO फोन यूजर्स वेलकम ऑफर का हिस्सा बनने की कोशिश कर सकते हैं।

    ऐसे पाएं Jio 5G इनवाइट :

    ऐसे पाएं Jio 5G इनवाइट : इन्वाइट पाने के लिए सबसे पहले आपको आपने 5G फोन में MyJio App इंस्टॉल करना होगा। यहां ऐप ओपोन करने के बाद अपने जियो नंबर से लॉगिन करें, फिर आपको होम-स्क्रीन दिखेगी। अगर आप ऐसे क्षेत्र में हैं, जहां जियो की 5G सेवाएं टेस्ट की जा रही हैं तो आपको सबसे ऊपर ‘Jio Welcome Offer’ जैसा लिखा दिखेगा। इस कार्ड पर टैप करने के बाद आप जियो की 5G सेवाओं का लाभ ले सकेंगे और आपको इनरोल कर दिया जाएगा।

    स्क्रीन पर ही मिलेगा कन्फर्मेशन :

    स्क्रीन पर ही मिलेगा कन्फर्मेशन : टॉप कार्ड पर टैप करने के बाद आपको अपनी स्क्रीन पर मेसेज दिखेगा, “धन्यवाद! जियो ट्रू 5G के साथ आपका सफर अब शुरू होता है।” मालाओं हो इस मामले में कंपनी ने साफ कहा है कि ‘यदि यूजर का हैंडसेट 5G कंपैटिबल है और जियो के 5G बैंड्स को सपोर्ट करता है तो उसे जियो वेलकम ऑफर का इनवाइट भेज दिया जाएगा। यह इनवाइट मिलने के बाद ही 5G इंटरनेट स्पीड्स का फायदा मिलना शुरू होगा।’

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  • विद्यालय में कुल 3500 बच्चों को फलदार पौधा वितरण किया गया।

    आज रोटरी क्लब तथागत के द्वारा खंडकपर एक विद्यालय में कुल 3500 बच्चों को फलदार पौधा वितरण किया गया। क्लब अध्यक्ष रोटेरियन अनिल कुमार ने बताया कि बरसात के बाद ठंड का मौसम आ रहा है, ऐसे मौसम में पौधा लगाने का अच्छा समय होता है। यू तो क्लब के स्तर से पूरे वर्ष पौधा लगाने और वितरण का कार्य चलता रहता है। अभी पर्व के उपलक्ष्य में विद्यालयों में छुट्टियां हो रही है और बच्चे अपने घरों व गांव में फलदार पौधों को लगायेगें। पर्यावरण में शुद्धता के साथ भविष्य में फलों का भी आनंद ले सकेगें।

    इस कार्यक्रम में परियोजना निर्देशक रोटेरियन जोसेफ टी टी, रोटेरियन डॉ इंद्रजीत, रोटेरियन विश्व प्रकाश, रोटेरियन संजीव दास, रोटेरियन ई. अरविंद कुमार, रोटेरियन रूबी सिन्हा, सचिव रोटेरियन प्रमेश्वर महतो इंटरैक्ट क्लब के अध्यक्ष सपना कुमारी, सचिव अंशिका पाल, सह सचिव प्रणव कुमार एवं अन्य सदस्यों ने भाग लिया।