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  • प्रेम प्रसंग को लेकर युवक की हत्या या आत्महत्या

    नालंदा जिला के एकंगर सराय थाना क्षेत्र अंतर्गत ओरियावाँ गांव के रहने वाले अभी चरण पासवान के मझले पुत्र निर्मल कुमार भारती जिस कि 19 अक्टूबर को सुबह इमली के पेड़ पर गमछी से बांध का टंगा हुआ शव बरामद हुआ।जिसके बाद पूरे गांव में सनसनी फैल गई और अभी चरण पासवान के घर में मातम सा माहौल हो गया।पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज कर छानबीन में जुट गई।लेकिन सवाल यह है कि अब तक 1 महीने से ज्यादा बीत जाने के बावजूद भी पुलिस के हाथों अब तक कोई ऐसा सुराग हाथ नहीं लगा है जिससे यह साफ तौर पर साबित कर सके कि ये हत्या था या आत्महत्या।जबकि परिजनों ने इस मामले की पूरी जानकारी देते हुए बताया है कि 18 अक्टूबर की रात करीब 10 बजे हम सभी परिवार के साथ खाना पीना खाकर बातचीत कर रहे थे कि अचानक मेरा बेटा हमारे पास आया और कहा कि कहीं से फोन आया है|

    मैं उससे मिलकर आता हूं और वह चला गया जबकि हम लोग उसे जाने से मना कर रहे थे लेकिन उसने गुस्से में घर के दीवार पर अपना फोन पटक दिया और चुपचाप बाहर चला गया उसके जाने के बाद हम लोगों ने उसका मोबाइल उठाया तो देखा कि उसके मोबाइल का डिस्प्ले पूरी तरह से चकनाचूर हो चुका था हम सोचे कि मेरा बेटा किसी से मिल कर तुरंत आ जाएगा उसकी आशा देखकर सभी परिवार सो गए लेकिन मेरा बेटा वापस आया ही नहीं जब हम लोग सुबह उठे करीब 4:30 बजे घर की पूरब से हल्ला हुआ की दरगाह पर किसी व्यक्ति को मारकर गर्दन में गमछा बांध कर लटकाया हुआ है तब मैं और मेरा पूरा परिवार अपने बेटे को रात्रि में घर न आने पर शक हुआ तो हम लोग भाग कर गए तो देखा कि मेरा बेटा निर्मल कुमार भारती ही है।

    अब इस घटना से साफ तौर पर स्पष्ट होता है कि मेरे बेटे को किसी अपराधी ने मोबाइल के माध्यम से घर से बुलाकर सुनसान जगह पर ले जाकर मुंह नाक बंद कर गमछी से फांसी देकर हत्या कर दिया और उसके बाद इमली के पेड़ में गमच्छी के सहारे टांग दिया ताकि देखने वाले को यह लगे कि लड़के ने खुदकुशी की है।उसके बाद मामले को पुलिस छानबीन करते हुए मेरे बेटे के रूम में गई जिसमें वह रहता था जहां से पुलिस को एक विवो कंपनी का डब्बा मिला जिस डब्बा को खोला गया तो उसमें काजल कुमारी पिता संतोष कुमार के द्वारा एक लिखा गया लव लेटर मिला पुलिस ने बिना कुछ बताए हुए वह बेटे का फोटो मोबाइल और वह लेटर अपने साथ लेकर चला गए।उस समय थाना प्रभारी ने हम लोगों से कहा कि थाना पर इसकी प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और उन्होंने प्राथमिकी दर्ज भी किया लेकिन अब तक इतने समय बीत जाने के बावजूद भी मुझे न्याय नहीं मिला है।इस घटना की पूरी बात जाने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक प्रेम प्रसंग में एक बड़ी घटना को अंजाम दिया गया है अब यह घटना हत्या या आत्महत्या इसकी जानकारी के लिए संवाददाता ने थाना प्रभारी से बात करने के लिए उनसे संपर्क किया तो वह कुछ भी बताने से परहेज करते दिखे यहां तक की संवाददाता से बात करने के लिए उन्हें थाना पर बुलाया भी गया लेकिन थाना पर से थाना प्रभारी संवादाता के पहुंचने से पहले ही निकल चुके थे।परिजनों ने जिला पुलिस अधीक्षक नालंदा और मुख्यमंत्री बिहार से लिखित आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है।

  • किसान महापंचायत को सफल बनाने के लिए प्रचार प्रसार जोरों से चल रहा है ।

    26 नवंबर को राजगीर के मेला मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से किसान महापंचायत आयोजित है।इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि पूरे बिहार राज्य में किसान महापंचायत को सफल बनाने के लिए प्रचार प्रसार जोरों से चल रहा है। आज इस कड़ी में बिहारशरीफ के बाजार समिति के प्रांगण ,रहुई, बिंद,सरमेरा, बरबीघा शेखपुरा,लखीसराय, सूरजगढ़ा में नुक्कड़ सभा कर किसानों को राजगीर के मेला मैदान में आने का आह्वान किए। देश का अन्नदाता करे मांग कर्ज मुक्ति और पूरा दाम

    बिहार के किसान की अपनी समस्या। जैसे:-
    1. MSP लागू करने,2. दिल्ली के सीमाओं पर किसान आंदोलन के दौरान हुए शहीद किसान को मुआवजा,3. अग्निपथ योजना वापसी, 4. बिहार में व्यापार बाज़ार समिति चालू करने , 5. अन्य राज्यों की तरह खेतों को निशुल्क बिजली पानी उपलब्ध कराने,6. गन्ना उत्पादक को बकाया राशि उपलब्ध कराने , 7. मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने , 8. बन्द पड़े राजगीर कृषि महाविद्यालय को खोलने,9. दक्षिण बिहार को सूखा क्षेत्र घोषित करने,10. गंगा में भूमि कटाव एवं जमीन का हो रहे सर्वे दाखिल खारिज एवं परिवार्जन में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोक लगाया जाए अन्य स्थानीय मुद्दे होंगे। इस अवसर पर किसान महापंचायत के संयोजक चंद्रशेखर प्रसाद जिला प्रवक्ता रामदेव चौधरी संयोजक मंडल के शाहनवाज अनिल पासवान महेंद्र प्रसाद आदि शामिल थे आगामी 26 नवंबर ‘ 22 को राजगीर नालन्दा में आयोजित किसान महापंचायत में बिहार के नालन्दा, नवादा, शेखपुरा, भागलपुर, बांका, गया, जहानाबाद, अरवल, रोहतास, पटना, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, बेतिया, सिवान आदि जिलों से किसान शामिल होंगे।

  • बाल दिवस पखवारा को लेकर बाल दरबार कार्यक्रम

    बिहारशरीफ, नालंदा: जिले में बाल दिवस पखवारा को लेकर किशोर-किशोरियों के साथ उड़ान परियोजना के अंतर्गत सेव द चिल्ड्रन/यूनीसेफ एवं जिला बाल संरक्षण इकाई नालंदा के संयुक्त तत्वाधान में बिहारशरीफ स्थित संयुक्त श्रम भवन के सभागार कक्ष में बाल दरबार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में जिला शिक्षा पदाधिकारी केशव प्रसाद एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक शैलेंद्र कुमार चौधरी, पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) ममता प्रसाद , बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष संजय कुमार, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी (बिहार शरीफ) संगीता कुमारी, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी (कतरीसराय) रामसागर पाल, एवं किशोर न्याय परिषद की सदस्य उषा कुमारी उपस्थित हुए। बाल दरबार कार्यक्रम में बच्चों ने बाल विवाह एवं बाल श्रम जैसी कुरीतियों को जड़ से मिटाने के लिए समाज के नई पीढ़ियों में बदलाव लाने हेतु किशोर/किशोरियों द्वारा पंचायत व गांव की समस्याओं व सुझाव का मांग पत्र उपस्थित अधिकारियों के समक्ष रखा। कुछ बच्चों ने मिलकर नृत्य, चित्रांकन, निबंध व भाषण के माध्यम से कार्यक्रम को सफल बनाया। बच्चों ने बच्चों से संबंधित समस्याओं/ मुद्दों पर बात रखा जिस पर मौके पर मौजूद अधिकारियों द्वारा समाधान हेतु उचित मार्गदर्शन किया गया।

    कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि बच्चे हमारे भविष्य हैं और समाज में इन बच्चों द्वारा ही परिवर्तन लाया जा सकता है। अपने-अपने प्रतिभा को समुचित संवर्धन करें। सहायक निदेशक द्वारा बच्चों को आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहित करते हुए कहा गया कि बच्चों एवं बड़ों को सिर्फ अधिकार नहीं बल्कि अपने दायित्व को भी ध्यान में रखना चाहिए। वही मुख्यालय डीएसपी ममता प्रसाद ने बाल अधिकार की बातों को रखते हुए कहा कि हम सबको मिलकर बाल हितेषी समाज का निर्माण करना चाहिए। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष संजय कुमार ने बच्चों से संबंधित अधिकार को विस्तार पूर्वक रखा। वही किशोर न्याय परिषद की सदस्य उषा कुमारी में बच्चों के मुख्य रूप से चार अधिकार के बारे में चर्चा किया। बाल दरबार के मौके पर विद्यालय के छात्रों ने नशा मुक्ति के ऊपर लघु नृत्य भी प्रस्तुत किया।
    कार्यक्रम में जिले के कुछ प्रखंडों से चयनित विद्यालयों के बच्चे एवम् छात्र मौजूद रहे और सभी बच्चों की सफल भागीदरी रही।

    इस अवसर पर जिला बाल संरक्षण इकाई से एलपीओ शाइनी सुमन, कार्यकर्ता चंदा कुमारी, विकास मित्र जिला समन्वयक गौतम कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता दीपक कुमार, संबंधित विद्यालयों के शिक्षक गण तथा पंचायत के विकास मित्र के अलावा कार्यक्रम के संचालनकर्ता सेव द चिल्ड्रन/यूनिसेफ से जिला समन्वयक रवि कुमार प्रखंड समन्वयक सुधा कुमारी, राज अंकुर शर्मा, जगत भूषण नंदन इत्यादि की भी गरिमामय उपस्थिति रही।

  • कैसे बनेगा श्रद्धा का डेथ सर्टिफिकेट, जारी करने की जिम्मेदारी किसकी? सामने हैं कई चुनौतियां


    Desk : किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका डेथ सर्टिफिकेट यानी मृत्यु प्रमाण पत्र, बनाना अनिवार्य होता है। ये एक ऐसा दस्तावेज है जो मृत्यु के बाद व्यक्ति के परिजनों के काम आता है। हालाँकि यदि किसी की मृत्यु असमान्य है यानि उसकी हत्या हुई है तो ऐसे में मृत्यु प्रमाण पत्र का होना बेहद ज़रूरी है।सामान्य मौत या मर्डर हो तो उतनी परेशानी नहीं होती। पर यदि लाश को कई टुकड़ों में काट दिया जाये और शरीर का पूरा हिस्सा न मिले तो कैसे बनेगा डेथ सर्टिफिकेट? कुछ ऐसे ही सवाल श्रद्धा वॉकर मर्डर कांड में खड़े हो रहे हैं।

    जिस क्रूरता से आफताब ने श्रद्धा वॉकर का मर्डर किया है उसके बाद उसके शरीर को जानना या पहचानना भी मुश्किल हो गया है। किसी भी व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए उसके मृत शरीर का या उसके मृत पाए जाना अनिवार्य होता है। जिसके बाद डॉक्टर जाँच कर मृत घोषित करते हैं और फिर पोस्टमार्टम और आगे की प्रक्रिया होती है। जिसके बाद ऐसा कहा जा सकता है कि श्रद्धा का केस काफी गंभीर है। उसकी हत्या कर पहले तो उसके शरीर को कई टुकड़ों में काटा गया जिसके बाद उन टुकड़ों को कई जगहों पर फेंक दिया गया।

    अब ऐसे में बात ये है की किसी को भी मृत घोषित करने के लिए उसके मृत शरीर का होना ज़रूरी होता है। जिसके बाद ही उस व्यक्ति को मृत करार देकर उसका प्रमाण पत्र बनाया जाता है। अब बात ये हैं की श्रद्धा की पहचान जाहिर करने और आफताब को गुनहगार साबित करने के लिए डेथ सर्टिफिकेट होना बेहद आवश्यक है। तो ये कैसे होगा आपको बताते हैं

    ऐसा कहते हैं नियम : जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के अनुसार जो नियम निर्धारित किये गए हैं, उसमें बताया गया है कि हर मनुष्य के जन्म और मृत्यु को पंजीकृत करना अनिवार्य होता है। मृत्यु चाहे जिस भी कारन से हुई हो, ऐसे में आम तौर पर एक निकाय है जो सभी जानकारियां हासिल करने में मदद करता है। पर तब स्थिति चुनौतीपूर्ण हो जाती है, जब मृतक का शरीर पर्याप्त नहीं होता है या केवल कंकाल अवशेष मिलते है। तो मृत्यु दर्ज करना और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है. परिजनों और जांच एजेंसी के लिए यह संकट वाले हालात हो जाते हैं।

    कहां फंसेगा कानूनी पेंच? संपत्ति आदि के लिए मृत्यु के बाद मृत्यु प्रमाणपत्र अहम दस्तावेज होता है। वहीं अदालत में हत्या साबित करने के लिए भी मौत की तारीख जरूरी होती है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या जांच एजेंसियां ​​किसी तारीख का अनुमान लगाएंगी या इसके बजाय केस दर्ज करने की तारीख नोट करेंगी? दोनों ही मामलों में विवाद पैदा होगा। साथ ही यह केस को भी कमजोर करेगा। यदि रिपोर्टिंग की तारीख ली जाती है, तो यह तर्क दिया जा सकता है कि यह गलत है। अनुमान के मामले में, उत्तराधिकार की कार्यवाही सीमा से परे हो सकती है।

    जांच एजेंसी की सबसे बड़ी चुनौती : हर स्वस्थ्य इंसान के शरीर में करीब 206 हड्डियां होती हैं। पर इस मर्डर काण्ड में श्रद्धा के शरीर के कुछ हिस्से ही पुलिस को मिले हैं। पुलिस के सामने बरामद किए गए हर टुकड़े और हर टुकड़े की पहचान करना बेहद मुश्किल हो गया है। मृतक की पहचान सुनिश्चित करने के लिए डीएनए प्रोफाइलिंग के माध्यम से उनका मिलान करना सबसे बड़ी समस्या होगी। यदि यह मेल नहीं खाता है तो अभियोजन पक्ष का पूरा मामला निष्प्रभावी हो जाएगा और कहीं न कहीं इसका फायदा आफ़ताब को मिलेगा।

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  • आलिया ने बेटी का नाम रखा Raha, जानें क्या है इसका अर्थ


    Desk : लंबे समय से जिस पल का इंतजार हो रहा था वो आ गया। आलिया भट्ट की बेबी गर्ल का नाम अब दुनिया को पता चल गया है। आलिया भट्ट और रणबीर कपूर ने अपनी पहली संतान, अपनी नन्हीं परी का नाम चुन के बेहद ख़ास रखा है। अपनी बिटिया नाम जाहिर करते हुए आलिया भट्ट ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट साझा किया है। आलिया ने लिखा कि, उनकी बच्ची के लिए यह प्यारा सा नाम किसी और ने नहीं बल्कि उसकी दादी यानी नीतू कपूर ने रखा है। तो आइए आपको बताएं पूरी खबर।

    शेयर की प्यारी सी तस्वीर :

    शेयर की प्यारी सी तस्वीर : आलिया ने एक धुधंली सी तस्वीर शेयर की है, जिसमें उनके और रणबीर की गोद में उनकी नन्हीं पारी नज़र आ रही है। रणबीर की गोद में उसकी शक्ल नज़र नहीं आ रही है। हालाँकि रणबीर उसके सर पर रणबीर हाथ फेरते नज़र आ रहे हैं। आलिया ने इस तस्वीर के साथ ही बेटी के नाम की भी जानकारी दी है।

    बस अभी-अभी शुरू हुई उनकी लाइफ :

    बस अभी-अभी शुरू हुई उनकी लाइफ : इसी के साथ आलिया ने लिखा है, ‘थैंक यू राहा, हमारी फैमिली में जिंदगी भरने के लिए। ऐसा लग रहा है जैसे हमारी लाइफ बस अभी-अभी शुरू हुई हो।’

    कमेंट में बरसा प्यार :

    कमेंट में बरसा प्यार : आलिया द्वारा पोस्ट जारी करने के बाद उनके इंडस्ट्री के दोस्तों ने खूब जमकर प्यार बरसाया है। इसी साल 14 अप्रैल को आलिया और रणबीर की शादी हुई थी। शादी के करीब 2 महीने बाद आलिया ने मां बनने की खुशखबरी सोशल मीडिया पर शेयर की। जिसके बाद 7 नवंबर को आलिया ने बेटी को जन्म दिया। इसके बाद से फैन्स जानना चाह रहे थे कि आलिया और रणबीर अपनी बेटी का नाम आखिर क्या रखेंगे।

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  • न्यूज नालंदा – अलग-अलग इलाके में दो की गई जान, जानें घटना…

    नूरसराय थाना अंतर्गत पपरनौसा गांव में संदिग्ध हालत में अधेड़ की मौत हो गई। मृतक मनोज साव हैं। परिवार ने बताया कि सुबह में अधेड़ शौच के लिए निकले। लौटने पर उनकी तबियत बिगड़ गई। तब उन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया। जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिजन बिना पोस्टमार्टम कराए, शव लेकर गांव लौट गया।
    इसी तरह, बेन थाना क्षेत्र के बेनिया बिगहा गांव में पुल के नीचे बोल्डर पर गिरकर अधेड़ की मौत हो गई। मृतक राजगीर निवासी श्री यादव के 48 वर्षीय पुत्र अनिल यादव हैं।
    परिवार ने बताया कि अधेड़ बेनिया बिगहा बहन के घर आए थे। जहां से वह शहरी गांव स्थित ननिहाल जाने निकलें। उसी दौरान पुल के नीचे बोल्डर पर गिरकर उनकी मौत हो गई। थानाध्यक्ष जयकिशन कुमार ने बताया कि परिजनों ने शव का पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया।

    न्यूज नालंदा – अलग-अलग इलाके में दो की गई जान, जानें घटना…

  • कृषि महाविद्यालय के कृषि दूतों द्वारा कराड तालुका में लुम्पी के बारे में जन जागरूकता

    हैलो कृषि ऑनलाइन: ढेलेदार रोग के वर्तमान बढ़ते मामलों को देखते हुए, जयवंतराव भोसले कृष्णा कृषि महाविद्यालय, पशु चिकित्सालय ओएनडी के सहयोग से। कराड तालुका के ओंद क्षेत्र में कृषकों में ढेलेदार रोग के टीकाकरण एवं उसके उपचार के प्रति जागरूकता पैदा की गई।

    इस अभियान के लिए पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीटी पाटिल व कॉलेज के प्राचार्य भास्कर जाधव के साथ ही प्रो. शंकर बाबर, प्रो. दीपक भीलवाडे, प्रो. गजानन मोहिते का मार्गदर्शन किया गया. पाटिल, गौरव पाटिल, साहिल पाटिल ने भाग लिया।


    गांठदार चर्म रोग गाय-भैंसों में देखा जाता है।
    – यह एक महामारी वायरल बीमारी है और यह मुख्य रूप से खून के प्यासे काटने वाले कीड़े, मच्छर, कॉकरोच से फैलती है।
    – इसके प्रबंधन के लिए रोगग्रस्त पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग कर देना चाहिए या उन्हें एक साथ चरने नहीं देना चाहिए।
    – संक्रमित पशुओं का परिवहन बंद किया जाना चाहिए।
    – साथ ही महामारी के दौरान गांव/क्षेत्र से दर्शनार्थियों की संख्या सीमित रहे।
    – संक्रमित पशुओं की देखभाल करने वाले पशु चिकित्सकों को विशेष कपड़े पहनने चाहिए और संवारने के बाद अपने हाथों को अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र से धोना चाहिए और अपने जूते और कपड़ों को गर्म पानी से कीटाणुरहित करना चाहिए।
    – संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने वाले वाहनों और परिसरों और अन्य सामग्रियों को कीटाणुरहित करें। रोग नियंत्रण के लिए खून के प्यासे कीड़ों, मच्छरों, तिलचट्टों का सफाया कर देना चाहिए।
    – पशुधन और क्षेत्र पर रासायनिक/सब्जी कीटनाशकों का छिड़काव किया जाना चाहिए।

    रोग फैल गया

    – संक्रमित पशुओं की त्वचा के घाव, नाक से स्राव, दूध, लार, वीर्य आदि। रोग माध्यम से स्वस्थ पशुओं में फैलता है।
    – संक्रामक होने के कारण इस वायरस का प्रसार संक्रमित पशुओं से स्वस्थ पशुओं में संपर्क से भी हो सकता है। इसलिए संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए।
    – आम तौर पर इस बीमारी के फैलने की अवधि 4 से 14 दिन होती है। संक्रमण के बाद वायरस 1 से 2 सप्ताह तक रक्त में रहता है। इसके बाद यह शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है। इसलिए पशुओं के विभिन्न स्रावों जैसे आंखों से निकलने वाले पानी, नाक के स्राव, लार आदि से विषाणु बाहर निकलते हैं तथा चारा और पानी को दूषित कर अन्य जंतु इस रोग से ग्रसित हो जाते हैं।
    -यह वायरस त्वचा पर पपड़ी में लगभग 18 से 35 दिनों तक जीवित रह सकता है। चूंकि वायरस वीर्य से भी निकलता है, यह कृत्रिम गर्भाधान या प्राकृतिक संभोग के माध्यम से प्रेषित किया जा सकता है।


    रोग के लक्षण

    -चूंकि यह एक वायरल बीमारी है, इससे प्रभावित जानवर कमजोर हो जाते हैं। पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता घट जाती है। फर्टिलिटी पर भी बुरा असर पड़ता है।
    – शुरुआत में पशु को 2 से 3 दिन तक हल्का बुखार रहता है। इसके बाद जानवर के पूरे शरीर पर सख्त और गोल आकार के ट्यूमर दिखाई देने लगते हैं। ये ट्यूमर आमतौर पर पीठ, पेट, पैर और गुप्तांग आदि क्षेत्र में आ जाते हैं।
    – संक्रमित जानवरों की आंखों और नाक में पानी आना। मुंह के छालों से बीमार पशुओं को चारा खाना मुश्किल हो जाता है। पैरों में गांठ होने से जानवर लंगड़ाते हैं।
    – निमोनिया और श्वसन तंत्र के लक्षण पाए जाते हैं। आँखों में छाले जानवर की दृष्टि को ख़राब कर सकते हैं।
    – कमजोरी के कारण पशुओं को इस रोग से उबरने में काफी समय लगता है।

    निदान

    – चूंकि यह बीमारी वायरल है, इसलिए इसका कोई पक्का इलाज नहीं है। लेकिन चूंकि वायरल बीमारी से प्रभावित जानवर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, इसलिए उसके अन्य जीवाणु रोगों से प्रभावित होने की बहुत संभावना होती है, इसलिए एंटीबायोटिक्स देना आवश्यक होता है।
    – इसके साथ ही बुखार कम करने वाली दवाएं, रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले विटामिन ए व ई तथा त्वचा के छालों के लिए मलहम का प्रयोग जरूरी है।
    – आवश्यकतानुसार एनाल्जेसिक और एंटीहिस्टामिनिक दवाओं का भी इस्तेमाल करना चाहिए।
    – पशुओं को नरम व हरा चारा व भरपूर पानी दें।
    – मुंह के छालों को 2 प्रतिशत पोटैशियम परमैग्नेट के घोल से धोना चाहिए और मुंह में बोरोग्लिसरीन लगाना चाहिए। लिवर टॉनिक के उपयोग से पशुओं को तेजी से ठीक होने में मदद मिलती है।


  • मोटर दुर्घटना एवं कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत मुआवजे की राशि इलेक्ट्रॉनिक मोड से दिए जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए परिवहन विभाग के सचिव को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के आलोक में कार्रवाई करने का निर्देश दिया

    पटना हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना एवं कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत मुआवजे की राशि इलेक्ट्रॉनिक मोड / आरटीजीएस या एनईएफटी के माध्यम से दिए जाने के मामले पर सुनवाई की।जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए परिवहन विभाग के सचिव को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के आलोक में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है ।

    कोर्ट ने आईसीआईसीआई लॉमबर्ड की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिया।

    याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दुर्गेश नंदन सिंह ने बिहार राज्य में मोटर वाहन अधिनियम की धारा 173 का हवाला देते हुए कोर्ट से अनुरोध किया कि है मोटर दुर्घटना एवं कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत मुआवजे की राशि को इलेक्ट्रॉनिक मोड / आरटीजीएस या एनईएफटी के माध्यम से पीड़ितों या लाभार्थियों दिए जाने प्रावधान होना चाहिए।

    एमिकस क्यूरी अधिवक्ता मृगांक मौली ने सुप्रीम कोर्ट के केस का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा करने का आदेश सभी राज्यों को दिया जा चुका है, लेकिन बिहार में यह लागू नहीं है ।

    राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि मुआवज़ा राशि को इलेक्ट्रॉनिक एवं अन्य माध्यम से दिया जा सकता है। ऐसा करने में राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है, बीमा कंपनी ऐसा कर सकती है ।

    इस मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर,2022 को होगी ।

  • न्यूज नालंदा – तीसरी बार जदयू जिलाध्यक्ष बनने पर कार्यकर्ताओं ने किया स्वागत …

    बिहारशरीफ जिला जदयू कार्यालय में गुरुवार को कार्यकर्ताओं ने स्वागत समारोह आयोजित किया। सियाशरण ठाकुर को तीसरी बार जिलाध्यक्ष बनाये जाने पर जिला प्रवक्ता धनंजय कुमार, जदयू हरनौत प्रखंड अध्यक्ष रविकांत कुमार, अखिल भारतीय नाई संघ ट्रेड यूनियन नालंदा के संयोजक राकेश बिहारी शर्मा, जिलाध्यक्ष रंजीत कुमार शर्मा, पिंटू कुमार, चिंटू कुमार, नीतीश कुमार, विकास कुमार शर्मा, अशोक शर्मा, जिला सलाहकार सुधीर कुमार शर्मा, जिला सूचना मंत्री राजेश कुमार ठाकुर, जिला सलाहकार अशोक कुमार ठाकुर, जिला कोषाध्यक्ष बबलू शर्मा, राकेश कुमार, जिला महासचिव परविंदर शर्मा, जिला सचिव जनार्दन ठाकुर, रंजीत कुमार, रंजीत कुमार, नगर अध्यक्ष नदीम जफर, श्रीनिवास शर्मा व अन्य जदयू कार्यकर्ताओ ने जिलाध्यक्ष को फूल-माला व बुके देकर सम्मानित किया। जिलाध्यक्ष ने कहा कि पार्टी ने मुझपर विश्वास करते हुए जो जिम्मेवारी सौपीं है, उसे मैं निष्पक्षता से निभाऊंगा। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, राष्ट्रीय महासचिव इं. सुनील कुमार व अन्य वरीय नेताओं का आभार प्रकट किया।

    न्यूज नालंदा – तीसरी बार जदयू जिलाध्यक्ष बनने पर कार्यकर्ताओं ने किया स्वागत …

     

  • आखिर कौन था मुल्ला-दो-प्याजा ? आखिर नाम में क्यों जिक्र है प्याज का


    आज हम आपको बताने वाले हैं ऐसे इन्सान के बारे में जिसका नाम अक्सर ही आपको कहीं न कहीं सुनने को मिल ही जाता है। मुल्ला-दो-प्याजा मुगलिया सल्तनत का ऐसा इंसान रहा था जिसके नाम को और काम को लेकर लोगों में हमेशा ही सबसे ज्यादा दिलचस्पी थी। मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल था। मुल्ला-दो-प्याजा का असली नाम बहुत कम लोगों को पता है। मुला दो प्याजा का असली नाम था अब्दुल हसन। वह ज्यादातर अपना समय किताबें पढ़ने में व्यतीत करते थे। उनको कभी भी साधारण जीवन जीना मंजूर नहीं था। बस इसी के कारण उनको अकबर के नौरत्नों में शामिल होना था। और ऐसा लड़ने में वह कामयाब भी हो गए थे।

    मुल्ला दो प्याज़ा कभी भी अपने आपको किसी से कम नहीं आंकते थे, उनको काफी समय के बाद मुर्गीखाने का प्रभारी बनाया गया था। बहुत ज्यादा पढ़े लिखे होने के बाद भी उन्होए मुर्गीखाने की जिम्मेदारी संभाली थी लेकिन वह कभी भी अपने लक्ष्य से नहीं भटके। बादशाह अकबर के किचन में जो बच जाता था उसको मुल्ला दो प्याजा मुर्गी को खिला देते थे इस वजह से काफी पैसा बच जाता था ,इस बात से खुश होकर बादशाह अकबर ने नई जिम्मेदारी मुल्ला दो प्याजा को दे दी। यह जिम्मेदारी पुस्तकालय संभालने की थी।

    इस पुस्तकालय को उन्होंने बहुत ही अच्छे से चमकाया और एक साल के भीतर ही यह सजावट देखकर बादशाह अकबर खुश हो गए, इसके बाद उन्होंने मुल्ला दो प्याजा को अपने नौरत्नों में शामिल कर लिया। मुल्ला दो प्याजा की आवाज़ भी बहुत दमदार थी जिसके चलते वह मस्जिद के मौलाना बनकर भी रहे। इसके बाद मुल्ला दो प्याजा की दोस्ती फैजी से हो गई और फैजी नौरत्नों में ही शामिल था , ऐसा प्रतीत होने लगा की अब मुल्ला दो प्याजा बादशाह अकबर के 9 रत्नों में शामिल हो गए।

    1 दिन फैजी ने मुल्ला दो प्याजा को शाही दावत पर बुलाया और फिर मुर्ग गोश्त बनवाया, जब इस डिश का नाम पूछा तो फैजी ने उसे मुर्ग दो प्याजा बताया। ये सब कुछ इस कदर उसके दीवाने हुए कि अब कभी शाही दावत में बुलाया जाता तो यही बनवाया जाता। इस पकवान में प्याज का खास तरह का इस्तेमाल होता था। यही इसकी ख़ास खूबी थी। जब मुगल बादशाह ने अब्दुल हसन को शाही बावर्चीखाने की जिम्मेदारी तो उन्होंने अकबर के सामने अपनी देखरेख में बने मुर्ग दो प्याजा को पेश किया था, उसका जायका अकबर को खूब पसंद आया कि अब्दुल हसन को ‘दो प्याजा’ की उपाधि से नवाजा गया। मस्जिद में इमाम रह चुके अब्दुल को लोग मुल्ला भी कहते थे। यहीं से इनका नाम मुल्ला-दो-प्याजा पड़ गया।

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