डेस्क : वैश्विक बाजारों में तेजी के बीच में आज घरेलू बाजार में तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट भी देखने को मिल रही है. आज सोयाबीन समेत कई तेल की कीमतों में गिरावट भी देखने को मिली है. खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से आम जनता को पहले से काफी राहत मिल सकती है. वहीं, सरसों के तेल और मूंगफली की कीमतों में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है.
किसानों को मिल रहा जबरजस्त फायदा
किसानों को मिल रहा जबरजस्त फायदा
बाजार सूत्रों से मिली एक जानकारी के मुताबिक, सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम तेल की आपूर्ति कम होने की वजह से यह लगभग 10 प्रतिशत ऊपर के लेवल पर बिक रहा है. इससे किसानों को खासा फायदा होगा क्योंकि उनको तिलहन के अच्छे दाम भी मिलेंगे, आपूर्ति बढ़ने से उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा और तेल मिलों को सस्ते आयातित तेलों की वजह से जो बाजार टूट गया है उससे राहत भी मिलेगी और सरकार को भी अच्छे राजस्व की प्राप्ति होगी.
आयात पर बढ़ रही है अब निर्भरता
आयात पर बढ़ रही है अब निर्भरता
कुछ कारोबारी सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों के लिए आयात पर बढ़ती निर्भरता और इसके लिए भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा के व्यय के जाल से निकलने की सख्त जरूरत है. इसके लिए एकमात्र रास्ता किसानों को लाभकारी कीमत देकर देश में ही तिलहन उत्पादन को बढ़ाना ही है.
गूंज पदाधिकारियों ने किया विद्यालय का निरीक्षण। बच्चों को प्रोत्साहित करने में लगे गूंज संस्था। नालन्दा जिले अंतर्गत राजगीर प्रखंड स्थित नाहू मध्य विद्यालय हसनपुर मध्य विद्यालय नूरसराय प्रखंड स्थित लोहड़ी कैड़ी ककड़ियां मध्य विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्र में जाकर अंतरराष्ट्रीय संस्था गूंज के राज्य प्रमुख शिवजी चतुर्वेदी जी के मार्गदर्शन में गूंज पटना के अरुण उपधया जी ने सभी चयनित शिक्षण संस्थान में जाकर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के साथ बच्चे को बैठने किआसन बच्चों को विद्यालय ड्रेस बैग पठन पाठन सामग्री के साथ स्वच्छता स्कूल में उपस्थिती बढ़ाने के लिए गूंज का कार्य क्रम है।
अरूण उपधया ने बताया कि जिले में सही से काम हो जिसके लिए गूंज संस्था नालन्दा जिले अंतर्गत ग्राम नियोजन केन्द्र बस्ती हरनौत के सचिव विनोद कुमार पांडेय और मानव सेवा केन्द्र लोहड़ी नूरसराय के सचिव पुरुषोत्तम कुमार दीपज्योती कल्याण संस्थान नान्द पावापुरी के सचिव सुबोध कुमार रविदास के द्वारा गांव एवं विद्यालय में समाजिक सरोकार रखने हेतु उचित कार्य क्रम में भागीदारी सुनिश्चित करने कि जिम्मेदारी दी गई है। साथ में स्वच्छता श्रमदान का महत्व आपसी सहयोग भाईचारा कायम कर बच्चों के प्रति समर्पित शिक्षा के अधिकार दहेज़ मुक्त बिहार कि परिकल्पना है
मानव जीवन में एक यह भी महत्वपूर्ण कार्य में शामिल करने पर जोर दिया। ईस पर मानव सेवा केन्द्र लोहड़ी के सचिव पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि गूंज संस्था के सहयोग से श्रमदान प्रेमियों को सम्मानित किया जाता है विद्यालय में बच्चों को बैठने के लिए आसन स्कूल टू स्कूल किट वितरण किया जा रहा है और चयनित सभी विद्यालयों में उपस्थिती बढ़ाने में सहायक होता नजर आ रहे हैं। शिक्षक राकेश बिहारी शर्मा अनूज कुमार प्रधानाध्यापक शिक्षक कुमारी अध्यापिका कंचन सुजाता कुमारी रजनीश कुमार हीरालाल प्रधानाध्यापक के साथ सेव द चिल्ड्रन के विक्की कुमार शामिल थे ।
अकबरपुर ओपी क्षेत्र के पकड़िया बहियार में 7 बीघे जमीन को लेकर दो पक्ष में पहले जम कर मारपीट हुई ।दर्जनों चक्र गोली चलने की बात भी सामने आ रही है ।खरकट्टा गांव के भालचंद्र मंडल मंगलवार को अपने सहयोगियों के साथ वर्षो से परती पड़े विवादित जमीन की जुताई करने तीन ट्रेक्टर लेकर खेत पर पहुँच गया ।लगभग खेत की जुताई भी हो गई थी ।
जब दूसरे पक्ष पकड़िया गांव के अनुज मंडल को खेत जोत करने की जानकारी मिली तो वे लोग भी अपने परिवार और सहयोगियों के साथ घटनास्थल पर पहुँच खेत जोत करने से मना किया ।इसी बात को लेकर दोनों पक्ष में पहले लाठी डंडे से मारपीट शुरू हुई।खरकट्टा गांव के भालचंद्र मंडल पक्ष के तरफ से जब पांच लोग घायल हो गए तो अपने को घिरता देख गोली बारी शुरू कर दिया ।जिसमें पकड़िया गांव के अनुज मंडल को दाहिने पैर में गोली लग गई ।गोली लगते ही अनुज जमीन पर गिर गया ।
अनुज को गोली लगने की खबर जब पकड़िया पहुचा तो ग्रामीणों की भीड़ आक्रोशित होकर घटनास्थल पर पहुँच गया ।ग्रामीणों की उमड़ी भीड़ देख कर खेत जोत रहे खरकट्टा गांव के भालचंद्र मंडल के पक्ष के लोग ट्रेक्टर छोड़ कर फरार हो गया ।आक्रोशित भीड़ ने मौके पर ही घटनास्थल पर खड़ी कार और ट्रैक्टर को तोड़फोड़ कर क्षतिग्रस्त कर दिया ।दोनों पक्ष के घायल को इलाज के लिए अस्पताल पहुचाया गया ।गोली लगने से घायल हुए अनुज मंडल की स्थिति गंभीर देख बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया ।मामले के बावत धमदाहा एस डी पी ओ रमेश कुमार ने कहा कि दोनों पक्ष से अस्पताल में फर्द बयान लिया गया है ।मामला दर्ज कर अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी
नालंदा दर्पण डेस्क। इतिहास के अवशेषों से जब भी हम गुजरते हैं। सच में आश्चर्य होता है कि हम पहले क्या थे और आज क्या हैं? बीता हुआ कल काफी महत्वपूर्ण होता है। भले ही बीता हुआ समय वापस नहीं आता, किन्तु अतीत के पन्नों को हमारी विरासत के तौर पर कहीं पुस्तकों तो कहीं इमारतों के रूप में संजो कर रखा गया है।
हमारे पूर्वजों ने निशानी के तौर पर तमाम तरह के मंदिर, किले,इमारतें, कुएँ तथा अन्य चीजों का सहारा लिया, जिनसे हम उन्हें आने वाले समय में याद रख सकें।लेकिन वक्त की मार के आगे कई बार उनकी यादों को बहुत नुकसान पहुँचा।
उनकी यादों को पहले स्वयं हमने भी नजर अंदाज किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि हमारी अनमोल विरासत हमसे दूर होती गयी और उनका अस्तित्व भी संकट में पड़ गया।
भारत की विरासत ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बिखरी पड़ी है। जिन्हें संरक्षित सहेजना चुनौतीपूर्ण है। देश के ग्रामीण अंचलों में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासतों की भरमार है।
इन विरासतों की सार संभाल के साथ इन्हें ग्रामीण पर्यटन से जोड़ दिया जाए तो ना केवल क्षेत्र का समुचित विकास हो सकेगा। इससे क्षेत्र की कायापलट हो सकती है।इससे एक तरफ जहाँ अमूल्य विरासत संरक्षित होगी वहाँ दो हाथों को रोजगार भी मिलेगा। लेकिन सरकारी उपेक्षा एवं उदासीनता की वजह से ग्रामीण अंचलों में फैले पुरातात्विक विरासत बिखरे हुए हैं, जिसे सहेजने की आवश्यकता है।
नालंदा के चंडी अंचल में ऐसे ही कई अवशेष बिखरे हुए है, विरासत और अपने इतिहास से अंजान। सिर्फ यहाँ बौद्ध कालीन सभ्यता ही नहीं मुगलिया वंश के नायाब किस्से-कहानियाँ बिखरी पड़ी हुई है। जहाँ कभी गंगा-जमुना तहजीब की धारा बहती थी।
चंडी अंचल में कई ऐसे गाँव हैं, जिनके नामों में ध्वन्यात्मक है। इन गाँवों के नामों का अंत ‘गढ़’ या ‘आमा’ शब्द से होता है। जहाँ ऐसा माना जाता है कि ऐसे गाँव में बौद्ध कालीन इतिहास समाहित है। जहाँ के खेतों, खलिहानों, तालाबों, टीलों, मंदिरों, ब्रह्म बाबा गोरैया स्थानों पर प्राचीन मूर्तियों तथा अवशेष विधमान है।
चंडी प्रखंड में ‘गढ़’ से शुरू होने वाले गाँव तुलसीगढ,रूखाईगढ,माधोपुर गढ़, दयालपुर गढ़, हनुमान गढ़, के अलावा ‘आमा ‘नामधारी गाँव में सिरनामा, विरनामा, अरियामा, कोरनामा, आदि कई गांव हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि बौद्धकालीन, मौर्य, गुप्त और पाल वंश के शासन काल की झलक मिलती है।
चंडी अंचल के रूखाई और तुलसीगढ में विशालकाय स्तूप संरचना नजर आती है।हालाँकि रूखाई गढ़ में पुरातत्व विभाग की खुदाई में कई सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं।इसके अलावा इस गाँव के खेतों-खलियानों में बेशकीमती प्राचीन मूर्तियां बिखरी पड़ी हुई है। जहाँ कहीं भी कुदाल-फावडे पड़ते हैं, रूखाई की जमीन से कोई न कोई मूर्ति निकल ही जाती है।जबकि देखरेख और संरक्षण के अभाव में दर्जनों बेशकीमती मूर्ति या तो चोरी हो गई या फिर नष्ट हो गया।
रूखाई में पुरातत्व विभाग ने 13 दिन तक दफन इतिहास को खोद कर निकालने का प्रयास किया।भगवान बुद्ध से लेकर, मौर्य वंश,शुंग,कुषाण, गुप्त, पालवंश एवं मुगल काल सभ्यताओं के अवशेष प्राप्त हुए।जिसकी कल्पना गाँव वालों ने भी नहीं किया था।यहाँ बौद्ध काल से पूर्व की एक समृद्ध नगरीय व्यवस्था थी।
वर्ष 2009 में इसी गाँव के आगे राजाबाद गाँव में एक सरकारी तालाब खुदाई के दौरान भी एक प्राचीन स्थापत्य कला के भग्नावशेष मिले थे। तालाब खुदाई के दौरान 21 फीट लंबा व 16 फुट चौड़ा चबूतरा मिला था। इसके अलावा लकड़ी का विशाल कालम तथा लकड़ी का एक विशाल खंभा भी मिला था।
रूखाई गढ़ में वर्ष 2015 में खुदाई के दौरान कई महत्वपूर्ण अवशेष मिलें थें।उसके बाद इसी साल 28 फरवरी को एक तालाब की खुदाई के दौरान एक खंडित बौद्ध प्रतिमा मिली थी। साथ ही दीवारों के अवशेष भी मिले। वहीं 9 मई को फिर से तालाब खुदाई के दौरान एक बेशकीमती मूर्ति बरामद हुई। इससे पहले भी यदा -कदा खेतों की जुताई के दौरान भी मूर्ति निकल जाती है।
इधर चंडी अंचल के तुलसीगढ में भी एक विशालकाय स्तूप संरचना है। जिसकी उंचाई 30-35 फीट है व व्यास लगभग 60मीटर है। इस टीले के बारे में किंवदंती है कि पहले लोग इस टीले के आसपास ही जीवन यापन करते थे। इस टीले के चारों ओर जलाशय था।यहाँ भी लगभग 400 वर्ष पूर्व की सभ्यता का पता चल सकता है।
इसके अलावा चंडी अंचल के कई ऐसे गाँव हैं, जहाँ पर मुगलकालीन समय की झलक आज भी देखने को मिल जाता है।उस समय ‘जागीरदारी’ उन गाँवों में चलती थी। मुगलिया सल्तनत के कई ऐसे लोग बाहर से आकर चंडी के कई गाँव को अपना बसेरा बनाया। जिसका उदाहरण प्रखंड का माहो गाँव हैं। इसका प्राचीन नाम ‘मुस्तफापुर’ माना जाता है।
इसके अलावा मोसिमपुर, इमामगंज, सालेपुर, विरनामा, लोदीपुर, अफजलबिगहा, ओली बिगहा, हब्बीबुलाचक जैसे गाँव इसके उदाहरण है। सिर्फ इतना ही नहीं ये गाँव गंगा-जमुनी तहजीब के मिसाल भी रहे हैं।
इन गाँवों की अपनी ही कहानी हैं। लेकिन नयी पीढ़ी के लोग अपने ही विरासत से अंजान हैं।भागदौड़ की इस जिंदगी में उन्हें यह सोचने का साहस ही नहीं बचा।उम्र के हेर फेर में विरासत को भूल चुके हैं।
कहने की जरूरत नहीं है कि अंचल में बिखरे ऐतिहासिक विरासत को संरक्षण की जरूरत है। लेकिन सरकार की लापरवाही और उदासीनता से अनमोल विरासत काल कवलित हो जा रही है।
नालंदा दर्पण डेस्क।करीब साढ़े चार हजार लोग, पर भूगर्भीय जल की एक बूंद भी प्रयोग नहीं। इतना ही नहीं, डेढ़ वर्ष तक बारिश न हो, फिर भी यहां जल का कोई संकट नहीं होगा। यह नालंदा विश्वविद्यालय के जल प्रबंधन का चमत्कार है।
पटना से लगभग सौ किलोमीटर दूर 456 एकड़ में बन रहे नालंदा विश्वविद्यालय परिसर के सौ एकड़ क्षेत्र में सिर्फ तालाब और वाटर स्टारेज प्लांट है। इनकी गहराई पांच मीटर तक है। इनमें 8.5 करोड़ लीटर पानी संरक्षित है। सौ एकड़ में 12 तालाब हैं।
यहां भूगर्भ से एक बूंद जल नहीं लिया जाता है। विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य में इस समय यहां करीब साढ़े तीन हजार श्रमिक आदि रह रहे हैं। छात्र-शिक्षकों की संख्या भी करीब एक हजार है। इस समय यहां 32 देशों के छात्र अध्ययन कर रहे हैं। पानी की सारी आपूर्ति तालाबों से होती है।
यहां 20 लाख लीटर क्षमता का रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है। परिसर में एक भी बोरिंग नहीं है। नहाने से लेकर भोजन पकाने व पीने तक में इसी पानी का प्रयोग किया जाता है।
यहाँ एक व्यक्ति प्रतिदिन औसत 235 लीटर पानी खर्च करता है। विश्वविद्यालय में पानी को रिडायरेक्ट, रियूज, रिसाइकिल, रिनेटवर्किंग, इंटरकनेक्ट व लो फ्लो फिक्शर के माध्यम से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के अनुपात में 100 लीटर तक की बचत कर ली जाती है। आवश्यकताओं को कम नहीं किया जाता है, बल्कि उसी पानी को पुन: व्यवहार में लाया जाता है।
बेसिन व नहाने वाले पानी का प्रयोग फ्लश में किया जाता है। पानी में थोड़ी एयर मिक्स करके फ्लशिंग में भी पानी का खर्च कम करते हैं। एयर मिक्स करने से आधा लीटर पानी करीब एक लीटर पानी के बराबर काम करता है। प्रेशर के साथ पानी फैल जाता है, जिससे पानी व्यर्थ नहीं जाता।
पानी को शुद्ध करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट और चैंबर के किनारे पौधे भी लगाए गए हैं। केला समेत अन्य 27 तरह के पौधे पानी को साफ करने में मदद करते हैं। पौधों की जड़ें पानी में घुले नाइट्रेट व फास्फेट को खींच लेती हैं।
वाटर ट्रीटमेंट मशीन में भेजे जाने से पहले अधिक गंदे पानी को इन पौधों से गुजारा जाता है। इस तरीके से साफ हुए पानी का प्रयोग पौधों को सिंचित करने, परिसर में छिड़काव व फ्लश में किया जाता है। जहां तेजी से वाटर ट्रीटमेंट करना है, उसे मशीन में भेज दिया जाता है।
हैलो कृषि ऑनलाइन: आज शाम 6 बजे तक प्राप्त किया राज्य में विभिन्न कृषि उपज मंडी समिति में सोयाबीन के बाजार भाव के अनुसार आज सोयाबीन का सर्वाधिक भाव 6200 रुपये (सोयाबीन रेट टुडे) मिला।
यह भाव लातूर कृषि उपज मंडी समिति (सोयाबीन रेट टुडे) में प्राप्त हुआ और इस मंडी में आज 12,464 क्विंटल पीला सोयाबीन प्राप्त हुआ। इसके लिए न्यूनतम मूल्य 5200, अधिकतम 6200 और सामान्य मूल्य पांच हजार छह सौ पचास रुपये प्राप्त हुआ है।
उससे नीचे एको को कृषि उपज मंडी समिति में अधिकतम छह हजार रुपए मूल्य मिला है। कोपरगांव कृषि उपज मंडी समिति में आज सर्वाधिक भाव 5793 रुपये जबकि औरंगाबाद कृषि उपज मंडी समिति में अधिकतम भाव आज 5700 रुपये जबकि सामान्य भाव पांच हजार पांच सौ रुपये तक है.
डेस्क : सूबे में हर्ष फायरिंग का सिलसिला लगातार जारी है। इसी बीच सोमवार की देर रात बेगूसराय जिले के बलिया थाना क्षेत्र में रिसेप्शन के दौरान हर्ष फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई। मृतक युवक की पहचान खगड़िया जिला के महेशखूंट थाना क्षेत्र स्थित बिचला टोला निवासी सच्चिदानंद चौरसिया का पुत्र रवि कुमार के रूप में की गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक, रवि अपने दोस्त लखमिनिया शेरनचक निवासी संजय शर्मा के रिसेप्शन में आया था। जहां की हर्ष फायरिंग में ताबड़तोड़ गोली चलने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना के संबंध में बताया जा रहा कि महेशखूंट निवासी रवि एवं शेरनचक निवासी संजय शर्मा के बीच पटना में पढ़ाई करने के दौरान दोस्ती हुई थी और तभी से दोनों बराबर संपर्क में थे। संजय की शादी के बाद सोमवार की रात शेरनचक दुर्गा मंदिर के समीप वर वधू स्वागत समारोह (रिसेप्शन पार्टी) आयोजित था। जिसमें शामिल होने के लिए रवि अपने भाई के साथ पहुंचा था।
मालूम हो की रविवार की रात बेगूसराय नगर थाना क्षेत्र में एक बारात निकलने के दौरान गोलीबारी का वीडियो सोमवार को वायरल हुआ था। जिस पर एसपी ने जांच के आदेश दिए तथा कड़ी हिदायत दी थी कि लाइसेंस या गैर लाइसेंसी किसी भी हथियार से हर्ष फायरिंग करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन एसपी के बयान के कुछ देर बाद ही फिर हर्ष फायरिंग हो गई, जिसमें एक युवक की मौत हो गई है।
नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने आज आरटीपीएस एवं लोक शिकायत की समीक्षा की। आरटीपीएस की समीक्षा के क्रम में 28 आवेदन निर्धारित समय सीमा की अवधि पार करने के उपरांत लंबित पाए गए।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी परिस्थिति में कोई भी आवेदन निर्धारित समय सीमा के बाद लंबित नहीं रहना चाहिए। आरटीपीएस काउंटर पर ऑफलाइन आवेदन भी लिया जाना है। किसी भी परिस्थिति में किसी भी ऑफलाइन आवेदक को लौटाया नहीं जा सकता है। अगर कहीं से ऐसी सूचना प्राप्त होगी तो संबंधित कर्मी/ पदाधिकारी के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी ने ऑफलाइन आवेदन प्राप्त करने संबंधी सूचना का प्रदर्शन सभी आरटीपीएस काउंटर पर सुनिश्चित रखने को कहा ।वर्तमान में जिला में लगभग 84 प्रतिशत आवेदन ऑनलाइन, 15 प्रतिशत काउंटर पर तथा 1 प्रतिशत सीएससी के माध्यम से प्राप्त हो रहे हैं।
लोक सेवाओं के कार्य के लिए अक्टूबर माह में नालंदा जिला को राज्य में सातवां रैंक दिया गया है। लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत सक्षम प्राधिकार के स्तर से सेवाओं को नियमानुसार उपलब्ध नहीं कराने के कारण दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध समय-समय पर शास्ति अधिरोपित किया गया है। कई पदाधिकारियों के अन्य जिलों में स्थानांतरण हो जाने के कारण शास्ति की राशि जमा नहीं हो सकी है।
अरुण कुमार सिंह तत्कालीन अंचलाधिकारी अस्थावां, सुरेश कुमार तत्कालीन अंचलाधिकारी रहुई, विजय कुमार सिंह तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी वेन, अजीत कुमार प्रसाद तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी सिलाव, नरेंद्र कुमार तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी वेन एवं चंद्र मोहन तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी राजगीर से शास्ति राशि की वसूली के लिए संबंधित विभागों को भी सूचित किया गया है। बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन को भी इन पदाधिकारियों के संबंध में सूचित करने का निर्देश दिया गया।
लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत वर्ष 2022 में जिला में 4864 आवेदनों का निष्पादन किया गया है। सभी लोग शिकायत निवारण पदाधिकारियों को अतिक्रमण से संबंधित ऐसे मामलों को सूचीबद्ध करने को कहा गया जिसमें संबंधित अंचलाधिकारी के स्तर से अतिक्रमण वाद की प्रक्रिया चलाए जाने के कारण वाद को बंद कर दिया गया।
परंतु वास्तविक रुप से अतिक्रमण हटाने के लिए नियमानुकूल कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे सभी मामलों में 5 दिसंबर तक संबंधित अंचलाधिकारियों को नियमानुसार जमीनी कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।
प्राप्त शिकायतों का निवारण निर्धारित 60 दिवस की अवधि के अंतर्गत ही सुनिश्चित किया जाए। अधिनियम में निर्धारित पॉजिटिव एवं निगेटिव विषय वस्तु के आधार पर अस्वीकृत किए गए आवेदनों की समीक्षा करने का आदेश निर्देश सभी लोक शिकायत निवारण पदाधिकारियों को दिया गया। कोई भी आवेदन अधिनियम के प्रावधान के अनुरूप ही स्वीकृत या अस्वीकृत किया जाना चाहिए, ऐसा सुनिश्चित करने को कहा गया।
शिकायत वादों की सुनवाई के क्रम में संबंधित लोक प्राधिकार की यथा संभव व्यक्तिगत उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा गया। सुनवाई के क्रम में एक से अधिक बार अनुपस्थित रहने वाले लोक प्राधिकार के पदाधिकारियों के विरुद्ध अधिनियम के प्रावधान के तहत शास्ति अधिरोपित करने का निदेश दिया गया।
पूर्व में शास्ति अधिरोपित पदाधिकारियों, जिनके द्वारा शास्ति की राशि जमा नहीं की गई और जिनका स्थानांतरण अन्य जिलों में हो गया हो है, इस संबंध में बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन को प्रतिवेदित करने का निर्देश दिया गया।
बैठक में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, सभी अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, जिला प्रबंधक आईटी तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी अंचलाधिकारी जुड़े थे।
हॅलो कृषी ऑनलाईन : आज पुणे (Pune Bajarbhav) कृषी उत्पन्न बाजार समितीमध्ये कांद्याची 11,530 क्विंटल इतकी आवक झाली त्याकरिता किमान 600 कमाल 2000 बटाट्याची 6,248 क्विंटल इतकी आवक झाली त्याकरिता किमान 1200 कमाल 2300 लसणाची आवक 1464 क्विंटल झाली त्याकरिता किमान हजार कमाल 5500 आल्याची 443 क्विंटल आवक झाली त्याकरिता किमान हजर आणि कमाल 4100 रुपयांचा भाव मिळाला आहे.
तर भेंडीचा भाव उतरला असून भेंडीला (Pune Bajarbhav) कमाल 3500 गवार कमाल 5000 टोमॅटो कमाल 1000 m भाव देखील उतरला आहे मटारची 528 क्विंटल इतकी आवक झाली असून याकरिता किमान 4000 आणि कमाल 6000 रुपयांचा भाव मिळाला घेवडा कमाल 4000 दोडका कमाल 3000 हिरवी मिरची कमाल 3000 असे दर आज पुणे कृषी उत्पन्न बाजार समिती इथे मिळाले आहेत.
तर पालेभाज्यांचा विचार करिता कोथिंबिरीला कमाल 700 मेथी कमाल सोळाशे (Pune Bajarbhav) शेपू कमाल 800 कांदापात कमाल 1500 पालक कमाल हजार मूळा कमाल पंधराशे चवळी पाला कमाल हजार राजगिरा कमाल 800 आणि पुदिनाला कमाल 500 रुपयांचा भाव मिळाला आहे.
नालंदा दर्पण डेस्क।हरनौत थाना क्षेत्र के चौकीदार रामाधीन पासवान को वर्ष 2020 में मिरदाहाचक (हरनौत) में शराब के नशा में हंगामा एवं गाली-गलौज करते हुए गिरफ्तार किया गया था। वे अपनी सेवा अवधि में लगातार 47 दिनों तक अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित भी रहे थे।
नशे की हालत में गिरफ्तारी के उपरांत जांच में उनके द्वारा शराब सेवन किये जाने की पुष्टि हुई थी।
इन आरोपों को लेकर उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही का संचालन किया गया। विभागीय कार्यवाही के संचालन में उनके विरुद्ध दोनों आरोपों की पुष्टि हुई।
तदालोक में बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियमावली-2005 यथा संशोधित नियमावली 2007 के प्रावधान के तहत जिलाधिकारी द्वारा रामाधीन पासवान को तत्काल प्रभाव से सरकारी सेवा से बर्खास्त करने का दंड अधिरोपित किया गया है।