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  • पिछले पांच सालों में लूटकांड का पर्याय बना रहा राजगीर नगर परिषद ! – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। राजगीर नगर परिषद बोर्ड का गठन वर्ष 2017 के 9 जून को हुआ था। बोर्ड के पूरे पांच साल बीत जाने पर जब पूरे कार्यकाल का मूल्यांकन किया जाय तो पता चलता है कि पूरे पांच साल के काले कारनामों से लगातार बदनामी का दंश ही इस नगर परिषद कार्यालय को देखना पड़ा है।

    Rajgir Municipal Council remained synonymous with loot in the last five years 1जून 2017 के बोर्ड गठन के साथ ही नगर परिषद के बोर्ड बैठक में अलोकतांत्रिक फैसला लेते हुए महत्त्वपूर्ण संचिका को  नगर परिषद उपाध्यक्ष के पास पहले भेजने का प्रस्ताव पारित किया गया।

    जाहिर है कि ऐसा करके अध्यक्ष को पूरे पांच साल के लिए रिमोट से कंट्रोल करने का प्रयास किया गया। बोर्ड की अध्यक्ष बनी उर्मिला चौधरी को लॉकडाउन की अवधि में ही पद से हटा दिया गया, जिसपर अध्यक्ष ने विभागों में शिकायत दर्ज कराई की उन पर अवैध निकासी का दबाव बनाया जा रहा था।

    इन पांच सालों के कार्यकाल में सबसे बड़ा लूटकांड का आरोप मलमास मेला 2018 के आयोजन पर लगा, जिसमे टेंट पंडाल के नाम पर कुल 3,23,341,96 (तीन करोड़ तेईस लाख चौंतीस हजार एक सौ छियानवे) लाख रुपए की निकासी की गई, जबकि बाढ़ डेकोरेटर नाम की यही कंपनी वर्ष 2015 में लगभग पचास साठ लाख में ही टेंट पंडाल का पूरा काम किया था।ऐसे में मेला के नाम पर अवैध निकासी ने नगर परिषद के काले कारनामों पर जनता की नजरो में मुहर लगा दी।

    खरीददारी के मामले में तो नगर परिषद की सशक्त कमिटी ने जमकर खरीदारी की।लगभग छः करोड़ से अधिक के वाहन, जेटिंग मशीन, सुपर शकर मशीन, लोडर,हैंड कार्ट, ट्रैक्टर, ट्राई साइकिल आदि की खरीददारी बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर खरीदे गए।

    पांच सालों के कार्यकाल में नगर परिषद ने कई लोगो को जलापूर्ति योजना में बिना कार्य किए वेतन भी देकर काफी लोकप्रियता हासिल की है। सूत्रों के अनुसार जनप्रतिनिधियों के खासम खास समर्थको को ही इसका लाभ मिलता है।

    Rajgir Municipal Council remained synonymous with loot in the last five years2राजगीर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में अयोग्य लोगो को बहाली से यह प्लांट अब गंदगी बदबू देने लगा है। जनप्रतिनिधि और नगर परिषद में कार्यरत कर्मियों के द्वारा अपने परिवार की बहाली कर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया गया है। अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को हमेशा उजाड़ने वाली नगर परिषद बड़े बड़े अतिक्रमण को संरक्षण भी देने का कार्य की है।

    यही नहीं भले ही लॉक डाउन में किसी की होल्डिंग टैक्स माफ नही हुई हो, लेकिन नगर परिषद अपने खास लोगो के एक साल का वाहन पार्किंग जरूर माफ कर देती हैं।ऐसा पहली बार हुआ है कि नगर परिषद द्वारा जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने पर होल्डिंग टैक्स की वसूली करती है।

    इन पांच सालों के कार्यकाल ने नगर परिषद क्षेत्र में निर्माण कार्य में भी अभी तक का सबसे खराब कार्य देखा है। शहर में नाली,सड़क आदि की योजना बंदरबाट की भेंट चढ़ कर बर्बाद दिखती नजर आती है। शहर के संवेदकों पर कमीशन लेने का दबाव ही शहर की योजनाओं को बर्बाद कर डाला है।

    इन सबके बीच नगर परिषद की लापरवाह व्यवस्था से नागरिक सुविधाएं शून्य के बराबर हैं।जल संकट से जूझ रहे राजगीर के लोग त्राहिमाम कर रहे लेकिन नगर परिषद का भ्रष्ट सिस्टम कान में रुई डालकर सोया हुआ है।

    जल जीवन हरियाली के नाम पर मृत कुंए को डेटिंग पेंटिंग कर पैसे की निकासी हुई लेकिन वैतरणी नदी की सुध लेने को कोई तैयार नहीं हुआ। वोट बैंक की राजनीति के तहत लेदुआ पुल के पास तो नदी में ही मकान और नदी में ही रास्ता बनवा दिया गया, जिससे भविष्य में वैतरणी नदी की जलधारा अनेकों स्थान पर पहुंचने से वंचित रहेगी। पंडितपुर तालाब और लेनीन नगर तालाब का जिर्णोदार कराने में भी नगर परिषद लापरवाह साबित हुई।

    पांच साल के कार्यकाल ने ऐसे अनेकानेक कुकृत्यो की वजह से ही नगर परिषद काफी बदनाम हो गई है। बिना कार्य किए राशि की निकासी, अवैध निकासी, टेंडर घोटाला, विभागीय कार्य में अनियमित्तता आदि ने नगर परिषद को लूटकांड का पर्याय बना दिया है।

  • इतिहास के पन्नों में सिमटी ज्ञानशाला उदंतपुरी के अवशेष – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिले के कण-कण में इतिहास दबा है। यहां की धरा अद्भुत व निराली है। जिसके गर्भ में न जाने कितने इतिहास छिपे हैं। कभी बिहार शरीफ शहर उंदतपुरी के नाम से जाना जाता था, जो ज्ञान का विशाल व बेमिशाल कुंज था।

    The remains of Gyanshala Udantpuri shrunk in the pages of history 2सन् 730-740 ई. में पाल वंश के संस्थापक गोपाल ने इस विश्वविद्यालय की बुनियाद रखी थी। विश्वविद्यालय का बड़ा क्षेत्रफल था। बाद के शासकों ने अनुदान देकर शिक्षा के इस कुंज को सिचित करने का काम किया।

    हालांकि इस विश्वविद्यालय के संदर्भ में इतिहासकारों के बीच बड़ा विभेद है। इस विश्वविद्यालय के केन्द्र तक की अब तक स्पष्ट जानकारी नहीं है। कुछ गढ़पर को तो कोई बड़ी पहाड़ी को उदंतपुरी का केंद्र मानते हैं।

    The remains of Gyanshala Udantpuri shrunk in the pages of history 3कई बार विदेशों से अध्ययन को यहां टीम आई है। लेकिन हर बार निराशा साथ ले गई। टीम की मांग रही कि सरकार को इस अवशेष को आर्कोलाजिकल विभाग को सौंप देना चाहिए, ताकि इतिहास जीवित रह सके।

    सच कहा जाए तो सरकार की अनदेखी का ही परिणाम है कि आज उंदतपुरी इतिहास के पन्नों तक सिमट कर रह गया।

    इतिहासकार बताते हैं कि उदंतपुरी तथा नालंदा विश्वविद्यालय का स्थापना काल समान रहा, लेकिन दोनों विश्वविद्यालयों में बौद्ध धर्म के अलग-अलग मत के मानने वाले लोग थे।

    The remains of Gyanshala Udantpuri shrunk in the pages of history 1

    तिब्बती रिकार्ड के अनुसार यहां भी छात्रों की संख्या दस हजार से अधिक थी। शिक्षा के क्षेत्र में इसकी बढ़ती हुई ख्याति के कारण बख्तियार खिलजी ने 1197 ई. में इसे अपना शिकार बनाया और बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षुओं को मौत के घाट उतार दिया।

    जानकारों के मुताबिक उदंतपुरी ज्ञान की शाला थी। जिसने 7वीं शताब्दी में अपने ज्ञान से पुरी दुनिया को आलोकित किया।

    हालांकि इस विश्वविद्यालय के बारे में काफी कन्ट्राडिक्शन है। पांच सौ के करीब बौद्ध भिक्षुओं के रहने खाने-पीने की यहां व्यवस्था थी। चारों तरफ हरियाली तथा बहती हुई नदी यहां की शान थी।

    कई इतिहासकार तथा पुरातत्ववेता यहां आए, लेकिन मायूसी लेकर गएं क्योंकि उदंतपुरी के टीले पर एक बड़ी आबादी निवास करती है। जिसे दूसरे जगह निर्वासित किया जाना सरकार के बूते के बाहर है।

  • गांठदार त्वचा के बाद लार के छिलने का पशुधन जोखिम; जानिए इसके लक्षण और उपाय

    हैलो कृषि ऑनलाइन: अब लुम्पी के पशु चर्म रोग के बाद राज्य में बीमारी लाला खुरकुट सिर उठा चुकी है। इससे पशुपालकों की सिरदर्दी बढ़ गई है। पुणे जिले के बोरी और अले (टी.जुन्नार) में लाला खुरकुट से संक्रमित मवेशी पाए गए हैं।

    पशुपालन विभाग ने पता लगाया है कि सतना (जिला नासिक) से आ रहा सांड लाला खुरकुट से संक्रमित हो गया है और क्षेत्र के पशुओं को तुरंत लाला खुरकुट का टीका लगा दिया गया है. इसके लिए टीके की 12 हजार खुराक तत्काल उपलब्ध करा दी गई है। सतना (जिला नासिक) से गन्ना काटने वाले मजदूर जुन्नार के बोरी और आले इलाके में दाखिल हो गए हैं. इलाके में पिछले हफ्ते सांड स्कैबीज जैसी बीमारी से बीमार पाए गए थे। जब उनके सैंपल तत्काल जांच के लिए भेजे गए तो वे पॉजिटिव पाए गए। इसलिए, इस क्षेत्र में पशुधन का तत्काल टीकाकरण किया गया है। जिला परिषद के पशुपालन अधिकारी ने बताया कि टीके की 12 हजार खुराक उपलब्ध करा दी गई है। शिवाजी विधाते ने कहा।


    डॉ. ने कहा कि टीकाकरण के लिए सांगली जिले से 12 हजार खुराक टीके मंगवाए गए हैं और प्रभावित गांवों बोरी, आले, बेल्हे राजुरी के गांवों में टीकाकरण अभियान चलाया गया है. विधाते ने कहा।

    रोग के लक्षण

    1) सामान्य तौर पर दिसंबर से जून तक कई इलाकों में खाज के दाने हो जाते हैं। यह रोग विदीर्ण खुर वाले पशुओं को प्रभावित करता है। यह रोग मुख्य रूप से दूषित पानी और चारा खाने से होता है।


    2) इस रोग के लक्षण यह हैं कि पशु खाना-पीना बंद कर देता है। जानवर को बुखार है। दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन घटता है। जानवर की जीभ, तालू और मुंह के अंदर घाव हो जाते हैं। जानवर के मुंह से चिपचिपी रेशेदार लार निकलती है।

    3) खुरों के आगे के पैरों में छाले। पिछले पैरों में फफोले हो जाने पर पशु लंगड़ाने लगता है। कमजोर टांगों वाला पीड़ित पशु रोगग्रस्त टांग की तरह फड़केगा।


    रोग दूर करने के उपाय

    1) इस रोग की महामारियों के दौरान रोगग्रस्त पशुओं को चरागाहों में चरने नहीं देना चाहिए। चूंकि रोग लार के माध्यम से फैलता है, इसलिए बीमार पशुओं द्वारा खाया गया चारा अन्य पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए।

    2) बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग कर देना चाहिए और उनका उपचार करना चाहिए।


    3) बीमार पशुओं को सार्वजनिक स्थान की बजाय अलग स्थान पर पानी पिलाना चाहिए। बीमार पशुओं के बाड़े को दिन में कम से कम एक बार कीटाणुनाशक से धोना चाहिए।

    4) दूध देने वाले बर्तन को वाशिंग सोडा और गर्म पानी से धो लें।


    5) लारयुक्त रेबीज के लिए टीकाकरण ही एकमात्र इलाज है। सभी पशुओं का टीकाकरण इस रोग से बचाव करता है। इस रोग का टीका पशुओं को सितम्बर एवं मार्च के महीने में देना चाहिए।


  • किसान महापंचायत की तैयारी को लेकर मोर्चा के लोगों ने इसलामपुर में किया जनसंपर्क – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    इसलामपुर (नालंदा दर्पण)।  संयुक्त किसान मोर्चा बिहार के तत्वाधान में किसान महापंचायत ऐतिहासिक नगरी राजगीर के मेला मैदान में 26 नम्वर 22 को आयोजित किया जाएगा।  इसकी तैयारी को लेकर मोर्चा के लोग अपने सहयोगियों के साथ इसलामपुर पहुंचे  और लोगों से संपर्क कर महापंचायत को सफल बनाने की अपील की।

    इस दौरान सुभाष यादव ने कहा कि इस महापंचायत में बिहार के प्रत्येक जिलों से किसान काफी संख्या में भाग लेगें।

    Morcha people did public relations in Islampur regarding the preparation of Kisan Mahapanchayatमोर्चा के संयोजक मंडल सदस्य जवाहर निराला ने कहा कि सरकार के द्वारा 75वीं बर्ष अमृत महोत्सब के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है  और किसान अपनी फटेहाली की गुहार इस पूंजीपति सरकार के सामने आंदोलन के माध्यम से कर रहे है, क्योंकि सरकार उधोगपतियो को फायदा पहुंचा रही है  और किसान मजदूरों को फटेहाल जिंदगी जीने को मजवुर कर रही है, जबकि देश की अवादी 80 प्रतिशत किसान मजदूरों का है, जो आबश्यक बस्तुओं का क्रय करती है, और उपर से टैक्स देती है, और बड़े बड़े उधोगपतियो टैक्स चोरी कर अरबो रुपये लुट खरबपति बन बैठे है, किसान गरीवी रेखा से नीचे जीबन बसर करने के लिए वाध्य हो गये है, जबकि देश की रक्षा किसान मजदूर के बेटे ही सीमा पर शहीद हो रहे है, उनकी भी उपेक्षा कर रही है, किसान कठोर मेहनत कर फसल उपजाते है, लेकिन उसका कीमत जमाखोरों निर्घारण करते है, आजादी के 75 वर्ष वाद भी सरकार की कांन पर जू नही रेंग रही है, इस प्रकार की आदि ज्वलंत समस्याओं को लेकर किसान मजदूर परिबर्तन की लड़ाई के लिए उठ खड़ा हो रहे है, और अपनी मांगो की हक की लड़ाई के लिए आंदोलन खड़ी कर रहे है, मांगो मे सरकार एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करे, राजगृह मे बर्षो से वंद पड़े कृषि महाविद्यालय एंब कृषि शोध संस्थान को अविलंब चालू की जाने, सहित 13 सूत्री मांग शामिल है, ।

    इस मौके पर मोर्चा के उमरांव प्रसाद निर्मल, सुरेंद्र यादव, अरविंद कुमार शर्मा, सुएव आलम आदि लोग मौजूद थे।

     

  • बिहार प्रदेश केंद्रीय भ्रमण कमेटी के नेतृत्व करता बिहार शरीफ पहुंची।

    कानून विकास संघ बिहार प्रदेश केंद्रीय भ्रमण कमेटी के नेतृत्व करता प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार की टीम स्थानीय बड़ी पहाड़ी के मनसूर नगर बिहार शरीफ पहुंची। जिसका नालंदा जिला अध्यक्ष अजीत कुमार सचिव हरिहर प्रसाद पूर्व मुखिया कोषाध्क्ष शंभू कुमार के साथ कई गणमान्य लोगों ने फूल माला एवं नारों के साथ जोरदार स्वागत किया। इस मौके पर प्रदेश महासचिव कृष्ण नंदन सामने कानू जाति को अनुसूचित जाति में शामिल कराने के लिए बिहार सरकार के यहां अपना प्रस्ताव एवं केंद्र सरकार को भिजवाने के अपने प्रयास के बारे में लोगों को विस्तार से बताया।

    प्रदेश अध्यक्ष ने कानू विकास संघ बिहार की स्थापना दिवस आगामी 1 दिसंबर 2022 को प्रधान कार्यालय पटना गुलजारबाग में मनाने के लिए उपस्थित लोगों को आमंत्रित भी किया। उन्होंने कहा कि काम समाज अब तक पिछड़ा और वंचित समाज के मुख्य पेशा अभी भी भुंजा योजना ही रह गया है। इस समाज का ना तो कोई एमएलए एमएलसी एवं वार्ड आयोग का अध्यक्ष सदस्य तक नहीं बन पाया है। हमेशा राजनीतिक पिछड़ेपन में हमारा समाज काफी पिछड़ा रहा है। हमारी संख्या उत्तरी एवं पूर्वी बिहार एवं दक्षिणी बिहार में संख्या अधिक छिटपुट एवं पिछले कारण शिक्षा एवं नेतृत्वकर्ता का घोर अभाव भी है इनके एकजुट जागरूक करने के लिए कानून विकास संघ बिहार लगातार प्रयासरत है।

  • Patna से चलेंगी CNG वाली 25 AC बसें, न्यूनतम किराया 10 रुपया, जानें – रूट..


    न्यूज़ डेस्क : पटना वासियों के लिए अच्छी खबर है। उनके सफर के लिए सीएनजी एसी बसों की व्यवस्था की गई है। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम ने 25 नए सीएनजी एसी बसों को खरीद कर संचालन करने का निर्णय लिया है। सरकार ने ये 25 बसें खरीद ली है। इन बसों के परिचालन जनवरी तक हो सकती है। इन बसों में 65% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होने वाली है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि महिलाओं को ध्यान में रखकर इन बसों का परिचालन किया जाएगा।

    सरकार नए रूटों पर भी बसों के परिचालन पर काम कर रही है। युटुब पर बस को चलाए जाने के बाद लोगों की यात्रा सफल होगी। इन रूटों में जेपी सेतु होते हुए सोनपुर हाजीपुर से पटना तक जाने वाले नए रूटों पर विचार विमर्श किया जा रहा है। शहर में लोगों को असुविधा ना हो इसलिए सार्वजनिक परिवहन की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। हालांकि लोगों द्वारा ये एक बड़ी मांग भी रही है।

    न्यूनतम किराया 10 रुपया

    न्यूनतम किराया 10 रुपया

    मिली जानकारी के मुताबिक इन बसों का किराया कम रखा जाएगा। जिससे लोग कम किराए में अपने गंतव्य तक पहुंच सके। न्यूनतम किराए की बात करें तो 10 रूपये है। इनमें सबसे कम किराया गांधी मैदान से पटना जंक्शन के बीच है। यहां तक के लिए किराया 11 रुपया है। बता दें कि इन एसी बसों में सफर करने के लिए लोगों को नॉन एसी बसों के मुकाबले सात से 10 रुपये ज्यादा खर्च करने होंगे। उन्होंने कहा कि पटना जंक्शन से दानापुर इस एसी बस से मात्र 35 रुपये में पहुंचा जा सकता है।

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  • जलसमाधि आंदोलन को लेकर तुपकार को पुलिस का नोटिस

    हैलो कृषि ऑनलाइन: सोयाबीन-कपास किसानों के प्रश्नों के लिए मुंबई में अरब सागर में स्वाभिमानी किसान संघ के नेता रविकांत तुपकर। खेतकार्य के साथ जलसमाधि लेने की चेतावनी दी गई है। इस विरोध की पृष्ठभूमि में पुलिस ने उन्हें नोटिस जारी किया है। यह नोटिस पुलिस ने हाल ही में दिया है। हालांकि, कितने भी नोटिस मिल जाएं, कोई पीछे नहीं हटेगा। तुपकार ने प्रतिक्रिया दी है कि जलसमाधि सोयाबीन-कपास उत्पादकों के उचित अधिकारों के लिए मुंबई में विरोध प्रदर्शन करेगी.

    नोटिस क्या है?

    तुपकर ने 24 नवंबर को मुंबई में अरब सागर में जल समाधि आंदोलन की घोषणा की है। बुलढाणा जिले और मुंबई तथा अन्य स्थानों पर कानून व्यवस्था की गंभीर समस्या उत्पन्न होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए बुलढाणा सिटी थाने के थानेदार प्रह्लाद काटकर ने नोटिस जारी कर कहा है कि हम धरना प्रदर्शन न करें.


    अब पीछे मुड़ना नहीं है

    सरकार पुलिस के जरिए नोटिस भेजकर किसानों के आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है। अगर पुलिस कुछ भी गलत करती है, तो यह सरकार को महंगा पड़ेगा। यह विदर्भ और मराठवाड़ा में सोयाबीन, कपास उत्पादकों की लड़ाई है। तुपकार ने ऐलान कर दिया कि अब वह पीछे नहीं हटेंगे। 23 नवंबर को सुबह 8 बजे वाहनों का काफिला बुलढाणा से मुंबई के लिए रवाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि 24 तारीख को सुबह 10 बजे मंत्रालय के बगल में स्थित गिरगांव चौपाटी से समुद्र में जल समाधि लेंगे.

    क्या हैं मांगें?

    – उत्पादन लागत जमा पचास प्रतिशत के फार्मूले के अनुसार सोयाबीन का भाव साढ़े आठ हजार प्रति क्विंटल और कपास का भाव डेढ़ हजार रुपये प्रति क्विंटल दें।
    -सोयाबीन मील निर्यात को बढ़ावा देकर 15 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन मील का निर्यात करें।
    – आयात निर्यात नीति बदलें।
    —खाद्य तेल पर 30 फीसदी आयात शुल्क लगाया जाए।
    – गीला सूखा घोषित करना और किसानों को 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता देना। चालू वर्ष का फसली ऋण माफ करें।
    -किसानों को रात के बजाय दिन में बिजली दें। किसानों को बीमा सुरक्षा मिलनी चाहिए।
    – जंगली जानवरों के कारण किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
    — इसलिए रविकांत तुपकर ने वन विभाग से सटे किसानों के खेतों में कंपाउंड लगाने समेत अन्य मांगें रखी हैं।


  • चर्चित सरमेरा गैंगरेप के तीनों कुकर्मियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिला न्यायालय बिहार शरीफ  के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम सह पास्को स्पेशल न्यायाधीश संतोष कुमार गुप्ता ने 15 वर्षीय छात्रा के साथ गैंगरेप के दोषी करार तीन आरोपी अरविंद कुमार उर्फ बिट्‌टू, दहन यादव और बबलू कुमार को आईपीसी की धारा 376 (डी) के तहत मौत होने तक सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी है।

    तीनों दोषी जबतक जीवित रहेंगे तब तक जेल में ही रहना होगा। प्रत्येक पर 20-20 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया है। भुगतान नहीं करने पर प्रत्येक को छह-छह माह की साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। सभी आरोपी सरमेरा थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं।

    इसके साथ ही एससी-एसटी (अमेंडमेंट) एक्ट 2018 की धाराओं के तहत अभियुक्त दहन यादव और बबलू कुमार को तीन-तीन वर्ष का कठोर कारावास के साथ ही 10-10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी गयी है। अर्थदंड का भुगतान नहीं करने पर दोनों को तीन-तीन माह का साधारण कारावास भुगतना होगा।

    न्यायालय ने पीड़िता को बिहार पीड़ित प्रतिकर अधिनियम के तहत 5 लाख रुपये मुआवजा के भुगतान का भी आदेश दिया है। पूर्व में अंतरिम राहत के रूप में पीड़िता को 1 लाख रुपये की राशि दी गयी थी।

    अभियोजन की ओर से पास्को स्पेशल पीपी सुशील कुमार ने 9 गवाहों की गवाही कराते हुए इस जघन्य अपराध को लेकर तीनों आरोपियों के लिए अधिकतम सजा का अनुरोध किया था।

    पीड़िता द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी के अनुसार 16 जून 18 की शाम 7.30 बजे वह अपनी मौसी के घर जा रही थी। तभी एक आरोपी जो पूर्व से उसकी पहचान का था, उसने मौसी के घर पहुंचा देने के बहाने उसे अपनी बाइक पर बैठा लिया और अहियापुर मुसहरी स्थित एक झोपड़ी में ले गया।

    वहां से उसने मोबाइल से फोन कर अपने दोस्तों को भी बुला लिया और सभी ने जबरन उसके साथ रेप किया। इस दौरान मोबाइल से पीड़िता की अश्लील फोटो भी खींच ली।

     

  • Bihar के सभी वार्ड में मार्च तक लग जाएंगे सोलर लाइट, जानें पूरा प्लान..


    न्यूज़ डेस्क : बिहार सरकार राज्य के सभी पंचायतों में चार वार्डों को सौर ऊर्जा से रोशन करने की तैयारी में है। सरकार की ओर से 2023 के मार्च महीने तक राज्य में कुल 32000 वार्ड में लाइट लगाने का लक्ष्य हैं। बता दें कि जो वार्ड इस बार छूट जाएगी उसे अगले वित्त वर्ष में पूरा किया जाएगा। इस योजना पर युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है।

    दरअसल, सात निश्चय योजना पार्ट 2 के तहत हर गांव को सोलर लाइट से रोशन करना नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. सोमवार को ऊर्जा विभाग और पंचायती राज विभाग की बैठक के बाद बताया गया कि मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना के तहत ग्रामीण प्रत्येक पंचायत के चार वार्डों में सोलर लाइट लगाने का कार्य चालू वित्तीय वर्ष (2022-2023) में पूरा कर लिया जाएगा।

    बीएसपीएचसीएल के प्रमुख सचिव सह प्रबंध निदेशक श्री संजीव हंस के अनुसार ब्रेडा ने बिहार में सोलर लाइट लगाने के लिए एजेंसियों की पहचान की है। बिजली के खंभों पर 20 वाट की सोलर लाइटें लगाई जाएंगी। हर वार्ड में 10 सोलर लाइटें लगाई जाएंगी, साथ ही ग्राम सभा की अनुशंसा पर अतिरिक्त 10 लाइटें लगाई जा सकती हैं।

    इस संबंध में आज बिजली विभाग व पंचायती राज के अधिकारियों के साथ बैठक की गई। जिसमें बिजली विभाग के प्रमुख सचिव संजीव हंस, पंचायती राज विभाग के प्रमुख सचिव मिहिर कुमार सिंह समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।

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  • FSSAI ने जारी किया जीएम खाद्य नियमों का नया मसौदा, जानें इसके फायदे

    हैलो कृषि ऑनलाइन: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) खाद्य नियमों का नया मसौदा जारी किया है। विशेष रूप से, मसौदा 1% या अधिक जीएम सामग्री वाले पैकेज्ड खाद्य उत्पादों के लिए फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग का प्रस्ताव करता है। प्रस्तावित मसौदा कानून केवल मानव उपभोग के लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (जीएमओ) पर लागू होगा।

    वहीं, रेगुलेशन 2022 में कहा गया है कि खाद्य सुरक्षा और मानकों (जेनेटिकली मॉडिफाइड फूड्स) की तैयारी में जीएमओ से विकसित किसी भी खाद्य या उत्पाद को कोई भी खाद्य प्राधिकरण की पूर्व अनुमति के बिना नहीं बेच सकता है। उत्पादन, पैक, पैक मत करो। खाद्य पदार्थों की स्टोर, बिक्री, बाजार, वितरण और आयात नहीं कर सकते। इसके अतिरिक्त, आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थों और अवयवों के निर्माताओं और आयातकों को पूर्व अनुमोदन के लिए FSSAI को आवेदन करना होगा। मसौदा नियमन के अनुसार, जब एक जीएमओ का उपयोग भोजन के रूप में या खाद्य उत्पादन के लिए कच्चे माल के रूप में किया जाता है, तो जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) के अनुमोदन को पर्यावरणीय जोखिम मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय जिम्मेदार प्राधिकरण को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।


    इसके अलावा, यदि जीएमओ का उपयोग बीज या खेती के लिए किया जाना है, तो आवेदक को ‘विनियम 1989 (पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी नियम)’ के तहत जीईएसी को एक साथ आवेदन करना होगा। खाद्य उत्पादों को ‘आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव’ के रूप में लेबल किया जाना चाहिए। यह लेबल पहले से पैक किए गए सामानों के सामने दिखाई देना चाहिए और जीएम पदार्थों की आकस्मिक या तकनीकी रूप से अपरिहार्य उपस्थिति पर भी लागू होता है।