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  • एकमुश्त एफआरपी की मांग को लेकर कोल्हापुर, सांगली, सतारा जिलों में गन्ना पेराई बंद

    हैलो कृषि ऑनलाइन: स्वाभिमानी किसान संघ ने अन्य प्रमुख मांगों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए गुरुवार (17) को गन्ना कटाई पर हड़ताल का आयोजन किया, जिसमें गन्ना किसानों को एफआरपी को टुकड़ों में विभाजित किए बिना पहले की तरह एकमुश्त एफआरपी मिलना चाहिए। कोल्हापुर, सांगली, सतारा जिलों में ज्यादातर गन्ना मिलें बंद रहीं। हालांकि, पुणे, नगर, सोलापुर जिलों को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। विदर्भ, मराठवाड़ा, ताड़ी में अलग-अलग जगहों पर बंद रहे।

    फैक्ट्रियों ने इस सीजन में एफआरपी घोषित नहीं किया है। साथ ही टुकड़ों में एफआरपी देने का आंदोलन शुरू कर दिया है। इसके खिलाफ हैं ‘स्वाभिमानी’ के संस्थापक राजू शेट्टी उन्होंने गन्ना पेराई पर रोक लगाने की घोषणा की थी। फैक्ट्रियों से दो दिन के लिए खुद बंद करने की अपील की गई। इसके मुताबिक कोल्हापुर, सांगली, सोलापुर और सतारा जिले की कुछ फैक्ट्रियों ने अपने आप गन्ना काटना बंद कर दिया, इसलिए कोई विवाद नहीं हुआ।


    सांगली में गांधीगिरी शैली में गन्ने की कटाई रुकी

    सांगली जिले में कुछ जगहों पर गन्ने की कटाई का काम चल रहा था, इसलिए गांधीगीरी पद्धति से गन्ने की कटाई बंद कर दी गई। इस बार, ‘स्वाभिमानी’ ने खानापुर तालुक के उदगिरी में क्रांति चीनी कारखाने और पलुस तालुक में क्रांति चीनी कारखाने पर हमला किया। शिववार में गन्ने की पेराई बंद कर दी गई है। आज (18 तारीख) को संगठन ने फैक्ट्रियों को बंद रखने की चेतावनी दी है और अगर गन्ने की ढुलाई मिलती है तो आग लगा देंगे.

    सतारा में ट्रैक्टर में आग लगा दी

    जब ट्रैक्टर इंदोली गांव के पास गन्ना ले जा रहा था, तो अज्ञात आंदोलनकारियों ने आधी रात में ट्रैक्टर में आग लगा दी। सूचना मिलते ही उम्ब्रज पुलिस मौके पर पहुंच गई। उन्होंने पंचनामा किया है। पुलिस ने बताया कि इस मामले में मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है। इस घटना से सतारा जिले में उस्दार आंदोलन की चिंगारी भड़क उठी है. स्वाभिमानी के आंदोलन को नगर, सोलापुर जिलों में मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। सोलापुर जिले के माढा और पंढरपुर इलाकों में फैक्ट्रियों ने अपने आप कटना बंद कर दिया था.


    नासिक में रोके गए वाहन

    डिंडोरी तालुका में कदवा सहकारी चीनी मिल के गेट पर ‘स्वाभिमानी’ ने विरोध किया. इस दौरान पदाधिकारियों ने गन्ना वाहनों को रोक दिया। इस आंदोलन का नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष संदीप जगताप ने किया। इस अवसर पर सहकारिता नेता सुरेश दोखले, जिला अध्यक्ष निवृथी गारे पाटिल, राजू शिरसाट, पराश्रम शिंदे, गंगाधर निखड़े, सचिन बरदे, नरेंद्र जाधव, कुबेर जाधव ने भाषण दिए।

    कोल्हापुर में शांति

    जिले की ज्यादातर फैक्ट्रियों ने पहले ही गन्ना कटाई बंद करने का फैसला कर लिया था, गुरुवार को दिन भर गन्ना कटाई बंद रही. शिरोल और राधानगरी तालुकों में एक-दो जगहों पर हो रही कटाई को संगठन के कार्यकर्ताओं ने रोक दिया।


  • बड़ी कंपनियों में जारी छटनी के बीच अपना भविष्य कैसे बचाएं? जानें – स्पेशल टिप्स


    दुनिया भर में इस समय महंगाई बढ़ रही है और कंपनियां लगातार छटनी कर रही है। बात इतनी बड़ी है मेटा, ट्विटर और अमेजन जैसी द‍िग्‍गज कंपनियां छंटनी कर रही हैं। तो इस तरह से कर्मचारियों को नौकरी से निकाल देने के वजह से दुनिया भर में मंदी का डर भी बढ़ रहा है। तो आपको ऐसे में हर तरह की स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। मंदी व जॉब कट से न‍िपटने के ल‍िए कुछ एहत‍ियाती कदम उठाने चाहिए। तो आज आपको कुछ ऐसे काम के टिप्स हम आपसे साझा करेंगे जिससे आप आने वाले हर समय के लिए तैयार रहेंगे।

    जॉब की अच्छी पकड़ के लिए आपको सबसे पहले अपना रिज्यूम मजबूत करना होगा। इसके लिए आप अपनी स्किल बढ़ाएं और नए और रेलेवेंट स्किल सीखें। आपको मार्केट के अनुसार कई तरह की स्किल आनी चाहिए। जिससे आपका चयन हो जाए या आपको हटाना कठिन हो। अपने र‍िज्‍यूम में सॉफ्ट स्किल, जैसे- कस्टमर सर्विस, कम्युनिकेशन, टाइम मैनेजमेंट आद‍ि चीजों को भी शाम‍िल करें।

    यदि आपके पास इनकम है तो इसे सही जगह निवेश करना भी बेहद ज़रूरी है। आपको हमेशा एक से ज्यादा इनकम का रास्ता तैयार रखना चाहिए। इनकम डाइवर्सिफिकेशन आज के समय में होना ज़रूरी है ताकि अगर एक तरह से इनकम पर प्रभाव पड़े तो दूसरी स्ट्रीम से पैसा आता रहे और अपका जरूरी खर्च चलता रहे। बुरी वक्‍त की आहट से पहले आप अपने खर्चों में कंट्रोल करके कुछ समय के ल‍िए सेव‍िंग बढ़ा सकते हैं। ऐसे में निवेश आपकी मदद करेगा। यदि आप मुश्किल में फंस गए हों तो आपके पास इतना पैसा हो क‍ि आपका 3 से 6 महीने का खर्च आसानी से चल जाए।

    निवेश में ये ध्यान दें कि यदि आप लॉन्ग टर्म के लिए कोई न‍िवेश कर रहे हैं तो बीच में इसे न रोकें। कई लोग कभी कभी हड़बड़ी में न‍िवेश को न‍िकाल लेते हैं ऐसा नहीं करना चाहिए। आपको ऐसे में ध्यान देना है कि आपका इन्वेस्टमेंट गोल, टाइम फ्रेम क्या है और आपके अंदर रिस्क लेने की क्षमता कितनी है। आपकी उम्र कम है तो आपको निवेश पोर्टफोलियो में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्टॉक्स में रखना चाहिए। 50 से 60 की उम्र से ऊपर वालों को थोड़ा कम अग्रेसिव चलना चाहिए। बॉन्ड्स-कैश जैसे विकल्पों में पैसा डालना चाहिए।

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  • एक बार लगाएं ‘ये’ पेड़, 40 साल तक देंगे उत्पादन; पता लगाना

    हैलो कृषि ऑनलाइन: आम, अमरूद, पपीतालीची जैसे फलों के पेड़ के अलावा किसान रबड़ की खेती करके भी अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। बाजार में रबर की भारी मांग है। इसका उपयोग टायर, जूते के तलवे, इंजन सील और रेफ्रिजरेटर से लेकर कई बिजली के उपकरणों को बनाने के लिए किया जाता है। रबर उत्पादन विभाग, भारत सरकार रबर की खेती में रुचि रखने वाले किसानों को सहायता प्रदान करता है। यह अक्सर अपनी योजनाओं और सेवाओं के बारे में सलाह और समाचार जारी करता है। ऐसे में रबर की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छा मौका है।

    दिलचस्प बात यह है कि रबड़ के किसानों को केंद्र सरकार और विश्व बैंक से भी वित्तीय सहायता मिलती है। जंगली में उगने वाले रबर के पेड़ आमतौर पर 43 मीटर लंबे होते हैं, जबकि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उगाए जाने वाले रबर के पेड़ कुछ छोटे होते हैं। इसकी 8000 प्रजातियां और 280 किस्में हैं। हालाँकि, अब तक केवल 9 किस्मों की खेती के लिए उपयोग किया जाता है। रबर के पेड़ों से निकलने वाले लेटेक्स में 25 से 40 प्रतिशत रबर हाइड्रोकार्बन होते हैं। उत्पादित रबर की गुणवत्ता को लेटेक्स की स्थिरता और प्रवाह के आधार पर मापा जाता है।


    प्रतिदिन 6 घंटे धूप की आवश्यकता होती है

    रबड़ की खेती के लिए गर्म मौसम अच्छा माना जाता है। रबड़ के पौधे के विकास के लिए न्यूनतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 34 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त होता है। वहीं, विशेषज्ञों का मानना ​​है कि 4 से 6 के पीएच स्तर वाली चिकनी मिट्टी रबर की खेती के लिए आदर्श होती है। रबर का पेड़ 5 साल का होने के बाद उत्पादन शुरू होता है। , जिसके बाद यह लगभग 40 वर्षों तक उत्पादन करता रहता है। साथ ही, रबर के पेड़ों की अच्छी वृद्धि के लिए धूप एक अन्य आवश्यक कारक है। अच्छी वृद्धि के लिए पौधों को प्रतिदिन 6 घंटे धूप की आवश्यकता होती है।


    एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हर साल 6 से 7 टन कच्चे रबर का उत्पादन करता है, जिसकी कीमत 3,000 करोड़ रुपये है। देश वैश्विक उत्पादन में 9 प्रतिशत का योगदान देता है और दुनिया में चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है। पारंपरिक रबर उत्पादक राज्य मुख्य रूप से तमिलनाडु और केरल हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और उत्तर पूर्वी राज्यों में भी रबर का उत्पादन होता है। पूरे भारत में रबर निर्माण क्षेत्र में 4 लाख से अधिक महिलाएं काम करती हैं।

    फसल ऋण, सब्सिडी, एमएसपी और भारत सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले अन्य विशेषाधिकारों का भी विभाग द्वारा ध्यान रखा जाता है। इस प्रकार आप एक वर्ष में एक पेड़ से 2.75 किग्रा रबर लेटेक्स प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे में आप रबर बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं।


  • PMCH में पड़े डायलिसिस मशीनों के चालू नहीं होने के मामलें में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की

    पटना । पीएमसीएच में पड़े डायलिसिस मशीनों के चालू नहीं होने के मामलें में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को आश्वास्त किया गया कि जल्दी ही पीएमसीएच में डायलिसिस मशीन को चालू करने की कार्रवाई की जाएगी।

    विकास चन्द्र ऊर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इस मामलें में एक सप्ताह में हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पीएमसीएच के अधीक्षक को ये बताने को कहा कि इस समस्या का समाधान किस प्रकार होगा। आज कोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अमृत प्रत्यय भी उपस्थित थे।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि पीएमसीएच में 31 डायलिसिस मशीन खरीदे गए,लेकिन डॉक्टर और टेक्निशयन के नहीं होने के कारण इन मशीनों का उपयोग नहीं हो पा रहा हैं।

    उन्होंने बताया कि एक मशीन की कीमत लगभग बारह लाख रुपया है।इन मशीनों के चालू नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन का दुरपयोग हुआ है,वहीं मरीजों और उनके घरवालो पर प्राइवेट अस्पतालों में ईलाज कराने पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ता है।

    अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि पीएमसीएच के नेफ्रोलॉजी विभाग में 25 डॉक्टरों की नियुक्ति हुई,लेकिन वे बाद में दूसरे जगह भेजे गए।नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों का सही ढंग से ईलाज नही हो रहा है।

    पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने सख्त टिपण्णी करते हुए कहा था कि अगर नेफ्रोलॉजी विभाग नहीं काम कर रहा है, तो न्यायिक आदेश से कोर्ट बंद कर इन मशीनों को दूसरे अस्पताल में भेज देगा।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

  • भारत-नेपाल बॉर्डर सील, जानें – कब तक आने-जाने पर रहेगा प्रतिबंध..


    डेस्क : नेपाल बॉर्डर पर अगले 72 घण्टे आने जाने पर रोक होगी. शाम 8 बजे से ही इंडो नेपाल बॉर्डर को सील कर दिया जाएगा. ऐसा पड़ोसी देश नेपाल में हो रहे चुनाव को देखते हुए दोनों देशों के अधिकारियों ने यह फैसला लिया है. हमारे पड़ोसी देश नेपाल में रविवार को संसदीय चुनाव होना है ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से सीमा सील करने का भी निर्णय लिया गया है.

    SSB 21वीं वाहिनी के गंडक बराज कंपनी कमांडर निरीक्षक राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि नवल परासी जिला के चुनाव कमिश्नर के द्वारा बंदी को लेकर एक पत्र प्राप्त हुआ है. इसी आधार पर बंदी की जा रहा है. हालांकि 20 तारीख यानी रविवार शाम 8:00 बजे के बाद बॉर्डर को खोल दिया जाएगा.

    एंबुलेंस और विषम परिस्थितियों के लिए होगी छूट

    एंबुलेंस और विषम परिस्थितियों के लिए होगी छूट

    नेपाल में प्रतिनिधि सभा-सांसद प्रदेश सभा सदस्य व विधायक पद के लिए इसी 20 नवंबर को चुनाव होगा. चुनाव के मद्देनजर भारत-नेपाल सीमा को 72 घंटे पहले ही पूरी तरह से सील कर दिया जाएगा. आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लगेगी. रोगियों व विषम परिस्थितियों में लोगों को आवागमन की छूट भी होगी.

    इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसियां सीमाई क्षेत्र में चौकन्ना भी हैं. एक दूसरे देश में आवाजाही करने वालों पर कड़ी निगाह रखी जा रही है. संदिग्ध होने पर पूछताछ के बाद ही उन्हें जाने दिया जा रहा है. भारत व नेपाल दोनों देश की खुफिया एजेंसी सीमाई क्षेत्र में पैनी नजर भी बनाए हुए हैं.

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  • Patna Airport से बंद हो जायेंगी 12 जोड़ी फ्लाइटें, जानें – यात्रियों को कैसे पड़ेगा असर..


    डेस्क : अगले महीने पटना आने-जाने वाली एक दर्जन फ्लाइटें अब बंद हो जायेंगी. वर्तमान में पटना से शेडयूल्ड फ्लाइटों की कुल संख्या 52 जोड़ी है. ये घट कर महज 40 जोड़ी ही रह जायेंगी. 1 दिसंबर से नया शेडयूल लागू होने वाला है, जिसमें यह परिवर्तन भी होगा. 1 दिसंबर से 7 फ्लाइटें बंद होंगी, जबकि 15 दिसंबर से 5 फ्लाइटें बंद होने की संभावना है.

    ये सभी फ्लाइटें देर रात और अहले सुबह की चलने वाली फ्लाइटें हैं. नये शेडयूल में आधा दर्जन फ्लाइटों का समय भी अब परिवर्तित होगा. अगले सुबह या देर रात की जगह कई विमान दोपहर या शाम में लैंड और टेकऑफ भी करेंगे. 1 दिसंबर से लागू विंटर फ्लाइट शेडयूल में कुल 12 जोड़ी फ्लाइटों को बंद करने की वजह धुंध होगी.

    मालूम हो कि दिसंबर-जनवरी में देर सुबह तक पटना एयरपोर्ट के रनवे और उसके आसपास घना कोहरा होता है. इसी की वजह से दृश्यता गिरकर 500 मीटर के नीचे तक पहुंच जाती है, जबकि विमानों को लैंड होने के लिए यहां कम-से-कम 1000 मीटर की दृश्यता जरूरी है.

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  • अमरूद उत्पादकों के लिए महत्वपूर्ण सूचना; ठंड के दिनों में ‘इन’ बातों का रखें ख्याल

    हैलो कृषि ऑनलाइन: सर्दियों में मौसम बहुत बदल जाता है। कई बार पारा शून्य से भी नीचे चला जाता है। वहीं, कई बार कई दिनों तक कोहरा बना रहता है। ऐसे में धूप भी नहीं निकलती है। इससे फसलों को भारी नुकसान होता है। विशेषकर अमरूदकोहरे और ठंड के कारण पेड़ों से दूधिया स्राव निकलने लगता है। जिससे पौधे पीले पड़ जाते हैं और बीमार दिखाई देने लगते हैं। लेकिन अब चिंता की कोई बात नहीं है। देश के प्रसिद्ध फल वैज्ञानिक डॉ. एसके सिंह ने किसानों को एक माध्यम से अमरूद की फसल को बचाने का तरीका बताया है.

    फल वैज्ञानिक डॉ. एसके सिंह के अनुसार जनवरी में अमरूद के पत्तों का भूरा होना ट्रेस तत्वों की कमी के कारण होता है। ऐसे में प्रति लीटर पानी में 4 ग्राम कॉपर सल्फेट व जिंक सल्फेट मिलाकर छिड़काव करें। यदि आप मानसून की तुलना में सर्दियों में अमरूद का बेहतर उत्पादन चाहते हैं, तो फलने के बाद नेफ़थलीन एसिटिक एसिड (100 पीपीएम) का छिड़काव करें और सिंचाई कम कर दें। साथ ही, पिछले सीजन में विकसित शाखाओं के सामने के हिस्से को 10-15 सेमी तक काट देना चाहिए। इससे पेड़ों की ग्रोथ अच्छी होती है और फल ज्यादा लगते हैं।


    बगीचों की निराई और सफाई

    इसके अलावा टूटी हुई, रोगग्रस्त और चिपकी हुई शाखाओं को काटकर पेड़ से अलग कर देना चाहिए। छंटाई के तुरंत बाद कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इसके साथ ही शाखाओं के कटे हुए भाग पर बोर्ड का लेप लगाना चाहिए। बगीचों की निराई-गुड़ाई और सफाई। फिर नए लगाए गए अमरूद के बागों को सींचें।

    फलों के रंग और भंडारण क्षमता में सुधार करता है

    फल वैज्ञानिक डॉ. एसके सिंह के अनुसार अमरूद के बागों में जनवरी माह में फलों की तुड़ाई कर लेनी चाहिए। कटाई के लिए सबसे अच्छा समय सुबह का है। फलों की तुड़ाई इष्टतम आकार और किस्म के आधार पर परिपक्व हरे रंग (जब फल की सतह का रंग गहरे से हल्के हरे रंग में बदलता है) पर किया जाना चाहिए। इस समय फलों से एक सुखद सुगंध भी आती है। फिर से, सुनिश्चित करें कि अधिक पके फल अन्य पके फलों के साथ न मिलें। प्रत्येक फल को अखबार में लपेट दें। यह फलों के रंग और भंडारण क्षमता में सुधार करता है। पैकिंग करते समय फलों को एक दूसरे से कुछ दूरी पर रखें। उसके लिए यह तय करना जरूरी है कि डिब्बे में उसके आकार के अनुसार कितने फल रखे जाएं।


  • Bike के पीछे बैठने के बदले नियम – जान लीजिए वरना कटेगा मोटा चालान


    न्यूज़ डेस्क : वाहन चलाते समय ट्रैफिक नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक है। ऐसे में यदि आप दुपहिया वाहन चला रहे हैं तो आपको अपने साथ कई ऐसी चीजों को लेकर चलना चाहिए, जिससे आपका जीवन सुरक्षित रहे। जी हां बाइक चलाते समय हेलमेट लगाना जरूरी है और अनिवार्य भी। यदि आप बाइक राइड पर निकले हैं और हेलमेट नहीं लगाया है तो भारी परेशानी पड़ सकते हैं। ध्यान रहे कि आपके पीछे में बैठे सवारी को भी हेलमेट लगाना होगा नहीं तो हजार रुपए तक चालान कट सकता है।

    हेलमेट है जरूरी

    हेलमेट है जरूरी

    हेलमेट बाइक सवार की जिंदगी को बचाती है। कई बार ऐसे हादसे हो जाते हैं जिससे वाहन चालकों की जान तक चली जाती है। दरअसल दुर्घटना में सिर पर चोट लगने की स्थिति में हेलमेट एक सुरक्षा कवच साबित होता है। डॉक्टरों का मानना है कि सिर पर चोट लगना बेहद घातक है। ऐसे में हेलमेट आपकी जान को बचाती है। इस स्थिति में घर से दुपहिया वाहन निकलते समय हेलमेट जरूर पहने।

    ऐसे व्यक्ति को भी हेलमेट लगना जरूरी

    ऐसे व्यक्ति को भी हेलमेट लगना जरूरी

    बता दें कि बाइक चालकों के अलावा पीछे बैठे लोग को भी हेलमेट लगाना चाहिए। यह जितना जरूरी चालक के लिए उतना ही सवारी के लिए भी। हालांकि इसके लिए कई शहरों में चालान भी काटा जा रहा है। अब पीछे में बैठने वाले लोग के लिए भी हेलमेट लगाना अनिवार्य है। ऐसे में बाइक पर सवार दोनों व्यक्ति हेलमेट नहीं लगाते हैं तो उनको चालान भरना पड़ सकता है।

    ऑनलाइन कटेगा चालान

    ऑनलाइन कटेगा चालान

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  • सौर ऊर्जा के लिए पट्टे पर जमीन देगा ‘महाबितारण’; जानिए कितना मिलेगा किराया और कहां करें अप्लाई?

    हैलो कृषि ऑनलाइन: राज्य में जिन ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण एवं कृषि विद्युत लाइनों को अलग-थलग कर दिया गया है, वहां सौर ऊर्जा के माध्यम से कृषि विद्युत लाइनों का विद्युतीकरण करने के लिए मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना क्रियान्वित की जा रही है। इसके लिए आवश्यक भूमि महावितरण के माध्यम से 75 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष की दर से लीज पर ली जायेगी। इस योजना के माध्यम से 3000 कृषि नहरों का सौरकरण किया जाएगा और इसके लिए 15000 एकड़ भूमि से लगभग 4000 मेगावाट बिजली उत्पन्न की जाएगी।

    15 हजार एकड़ जमीन की जरूरत

    महावितरण ने इस सौर ऊर्जा परियोजना की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए एक ऑनलाइन भूमि पोर्टल लॉन्च किया है। एक किसान या समान व्यक्ति विकेंद्रीकृत सौर परियोजना स्थापित करने के लिए अपनी भूमि दान कर सकता है। इसके अलावा महावितरण 33/11 केवी के पास सौर ऊर्जा परियोजना। इसे सीधे उपकेंद्र से जोड़ा जाएगा। प्रत्येक जिले में 30 प्रतिशत कृषि चैनलों को सौर ऊर्जा से जोड़ने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए महावितरण 4000 मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए किसानों की जमीन लीज पर लेने जा रहा है। इसके लिए 2 हजार 500 उपकेन्द्रों में 4 हजार मेगावॉट क्षमता के 3 हजार कृषि चैनलों को सोलराइज करने के लिए 15 हजार एकड़ भूमि की आवश्यकता है।


    इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आवश्यक भूमि तत्काल उपलब्ध हो, इसके लिए प्रत्येक जिले के लिए एक समिति का गठन किया गया है और इस समिति में कलेक्टर, महाविद्रण के मंडल कार्यालय के अधीक्षण अभियंता, नगर नियोजन विभाग के सहायक निदेशक एवं विभाग के प्रतिनिधि शामिल होंगे. महौर्जा का।

    आप कहां आवेदन करेंगे?

    सरकार ने इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी जिलाधिकारियों को भूमि का अग्रिम कब्जा लेने का निर्देश दिया है. किसानों को अपनी जमीन www.mahadiscom.in/land_bank_portal/index_mr.php पट्टे पर देनी होगी। महावितरण ने इस वेबसाइट पर आवेदन करने की अपील की है।


  • Bihar के सभी जिलों में होगा शानदार ‘भूकंप क्लीनिक’ का निर्माण, जानें – पूरा प्लान..


    न्यूज डेस्क : देश में भूकंप एक बड़ी समस्या है। बीते कुछ साल पहले नेपाल के काठमांडू में आए भूकंप ने काफी तबाही मची थी। इसका प्रकोप नेपाल के बॉर्डर से लगे बिहार में जोरदार दिखा। बिहार के अलावा भी भारत के कई राज्य में भूकम के बड़े झटके महसूस किए गए। वहीं। अभी भी बीच बीच में भूकंप से लोग कांप उठते हैं। बीते दिनों दिल्ली में भूकंप के भारी झटके लोगों महसूस किया।

    ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार इससे लोगों को बचने और जागरूक करने के लिए कई प्रयास कर रही है। ऐसा एक प्रयास बिहार में किया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से हर जिले में ‘भूकंप क्लीनिक’ (Earthquake Clinics) खोले जायेंगे। राज्य के पटना, भागलपुर और मुजफ्फरपुर में तो भूकंप क्लिक की शुरुआत भी हो चुकी है।

    भूकंप क्लिनिक में एनडीआरएफ की टीम लोगों को इसके खतरे से जुड़े चीजों के बारे में जागरूक करेंगे। इसके अलावा भूकंप से बचने के लिए ट्रेनिंग भी प्रोवाइड की जाएगी। इसमें लोगों को भूकंप रोधी मकान बनाने के संबंध में सलाह सुझाव देगी। इससे लोगों को बिडल्डर द्वारा भूकंप की बात बताकर धोखाधड़ी से बचने का मौका मिलेगा।

    हर जिले होंगे भूकंप क्लिनिक

    हर जिले होंगे भूकंप क्लिनिक

    भूकंप क्लिनिक में इंजीनियर ईंट और सीमेंट से बने घर के बारे में बताता है, घर का प्लिंथ कैसा होना चाहिए, पीलर की गहराई कितनी होनी चाहिए, सरिया का आकार और उपयोग, साथ ही वेंटिलेशन कैसा होना चाहिए । इसी तरह बांस के घरों के बारे में भी यहां बताया गया है कि भूकंप के दौरान उसे कैसे सुरक्षित रखना है और घर कैसे बनाना चाहिए। इसी कड़ी में बिहार में हर जिले में भूकंप क्लिनिक की अस्थापना की जायेगी।

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