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  • देवघर झारखंड में रिसॉर्ट्स की सूची India

    देवघर में कई हॉलिडे रिसॉर्ट हैं जो सस्ते, बजट और लक्जरी रेंज में कमरे उपलब्ध कराते हैं। ये रिपोर्ट पागल भीड़ से दूर स्थित हैं और शांतिपूर्ण प्रवास और वापसी के लिए एक आदर्श और आरामदायक वातावरण प्रदान करती हैं। देवघर में दो रिसॉर्ट हैं

    सिद्धार्थ हॉलिडे रिज़ॉर्ट

    यह सिमुलतला के पहाड़ी इलाकों में स्थित है। यहां ट्रेन या जसीडीह और झाझा को जोड़ने वाली सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है।

    सुविधाएं: एसी के साथ और बिना 10 बेड रूम। संलग्न स्नान/गर्म पानी। लॉन टेनिस, बैडमिंटन।

    Shivalik Village Resort

    यह देवघर और रिखिया को जोड़ने वाले ग्रामीण परिदृश्य में स्थित है। इसमें औसत मध्यम वर्गीय परिवार के बजट के तहत 24 कमरे उपलब्ध हैं।

    मित्रा गार्डन रिज़ॉर्ट

    यह जसीडिह के पास स्थित है। इसमें गार्डन, रेस्टोरेंट और स्विमिंग पूल जैसी सुविधाओं के साथ 6 कमरे हैं।

    Bihar Tourism

  • श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने दी प्रदेशवासियों को बधाई, जानें क्या कहा

    लाइव सिटीज, पटना: श्री कृष्ण जन्माष्टमी की देशभर में धूम है. बिहार के राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर प्रदेश और देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है.

    मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा है कि भारतीय संस्कृति और परंपरा में पर्व त्योहारों की एक लंबी श्रृंखला है, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत एवं विविधता में एकता का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी त्यौहार के रूप में धूमधाम से पारंपरिक रीति रिवाज के अनुसार लोग मनाते हैं. इस अवसर पर भगवान श्री कृष्ण के आदर्शों और समृद्धि एवं सफलता की कामना करते हैं. मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया है कि यह पर्व प्रदेश में सामाजिक समरसता, प्रेम और उत्साह के वातावरण को और मजबूत करेगा तथा बिहार सुखी, समृद्ध और विकसित प्रदेश बनेगा.

    वहीं, राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में असीम भक्ति, श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. राज्यपाल ने कहा है कि श्री कृष्ण की जीवन लीला और संदेशों से हमें सत्य, प्रेम, त्याग, शांति, सेवा भाव और सद्भावना को आत्मसात करने की प्रेरणा मिलती है. राजपाल ने कहा है कि भगवान श्री कृष्ण द्वारा श्रीमद् भागवत गीता में दिया गया उपदेश जीवन प्रबंधन का महानतम दर्शन है. हमें इसका अनुसरण करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए

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  • होटल मधुमाला इंटरनेशनल देवघर, झारखंड, भारत

    होटल मधुमाला इंटरनेशनल आरआर बक्सी रोड, शिवगंगा देवघर में स्थित एक डीलक्स होटल है। होटल बजट के साथ-साथ ग्राहकों के लक्ज़री वर्ग के लिए एसी के साथ-साथ गैर-एसी कमरे प्रदान करता है।

    सुविधाएँ

    प्रत्येक कमरे में सैटेलाइट चैनलों के साथ डबल बेड एसी कमरे जकूज़ी रंगीन टीवी। प्रत्येक कमरे में फोन। गर्म और ठंडा पानी चल रहा है। कपड़े धोने की सुविधा 24 घंटे क्लोक रूम सर्विस। 24 घंटे रूम सर्विस। कॉल पर डॉक्टर

    रूम टैरिफ

    नॉन एसी सिंगल 200 नॉन एसी डबल 300 नॉन एसी ट्रिपल बेड 400 एसी डबल रूम 600

    बुकिंग

    फोन कॉल द्वारा बुकिंग के लिए +91-632-222095,230359 9334103345; 9572125815 ईमेल के माध्यम से बुकिंग के लिए: [email protected]

    संपर्क पता

    R.R baxi road, Deoghar, Jharkhand, India
    06432 – 222095; 230359; 9334103345; 9572125815

    तस्वीरें

    Bihar Tourism

  • होटल महादेव पैलेस, कैस्टेयर टाउन देवघर, झारखंड India

    होटल महादेव पैलेस, देवघर झारखंड के कैस्टेयर टाउन में स्थित एक डीलक्स होटल है। यह बैद्यनाथधाम रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से पैदल दूरी पर है, जबकि टॉवर चौक से 5 मिनट की पैदल दूरी और बाबा मंदिर देवघर से 10 मिनट की पैदल दूरी पर है। श्री अनुकुल चंद्र का सत्संग नगर आश्रम 2 किमी और रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ महादेव पैलेस से लगभग 3 किमी दूर है।

    कमरा

    कमरों की संख्या: 51कमरे के प्रकार

    • एसी डबल बेड
    • डबल बेड अर्थव्यवस्था
    • ट्रिपल बेड
    • परिवार (4 बिस्तर) कमरा
    • आलीशान कमरे
    • कार्यकारी सूट

    सभी कमरे उत्तम दर्जे के हैं और आरामदायक बिस्तरों और आधुनिक सुविधाओं जैसे सैटेलाइट टेलीविजन, इंटरकॉम टेलीफोन, लॉन्ड्री सेवा और चलने वाले गर्म और ठंडे पानी के साथ संलग्न वाशरूम से सुसज्जित हैं। कार्यकारी सुइट में लकड़ी के फर्श, बेडरूम में अलग एलसीडी टीवी जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं हैं। , इन-हाउस कॉफी / टी मेकर, रिलैक्सिंग रेन शावर और शावर क्यूबिकल।

    सुविधाएँ

    • प्रत्येक कमरे में सैटेलाइट चैनलों के साथ रंगीन टीवी।
    • प्रत्येक कमरे में फोन।
    • गर्म और ठंडा पानी चल रहा है।
    • किराए पर कार।
    • कपड़े धोने की सुविधा
    • 24 घंटे क्लोक रूम सर्विस।
    • 24 घंटे रूम सर्विस।
    • कॉल पर डॉक्टर।
    • विशाल और निजी कार पार्किंग।
    • 24 घंटे चेक आउट समय।
    • बैंक्वेट हॉल
    • सम्मेलन कक्ष

    रेस्टोरेंट

    पाकवान होटल महादेव पैलेस के अंदर एक बहु-व्यंजन, वातानुकूलित रेस्तरां है। यह अच्छा माहौल, शानदार सजावट और मुंह में पानी लाने वाला भोजन प्रदान करता है।

    कमरे का किराया

    300 रुपये से शुरू। कृपया प्रचलित दरों के लिए होटल से संपर्क करें

    बुकिंग

    ई-मेल द्वारा बुकिंग के लिए :[email protected] फोन द्वारा बुकिंग के लिए: 06432-292739, 9234605435

    पता

    Biharilal Chakravarti Road, Castairs Town
    Deoghar Jharkhand 814112, India
    Phone: 06432-292739,275358
    Mobile: 9234600433,
    Website: www.hotelmahadevpalace.com ईमेल: [email protected], [email protected]

    तस्वीरें

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  • होटल यशोदा इंटरनेशनल देवघर झारखंड भारत | संपर्क करना

    होटल यशोदा इंटरनेशनल झारखंड भारत के देवघर में टॉवर चौक के पास स्थित एक डीलक्स होटल है। यह बाबा मंदिर से 10 मिनट की पैदल दूरी पर है और बैद्यनाथधाम रेलवे स्टेशन के करीब है। इसमें सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ 61 अच्छी तरह से डिजाइन और सजाए गए कमरे हैं।

    कमरे का विवरण

    कमरों की संख्या: 61 प्रकार: डीलक्स एसी, इकोनॉमी एसी, डबल बेड रूम, टू रूम सुइटदो बेडरूम वाला डीलक्स एसी सुइट एक बड़े परिवार के लिए छुट्टी के लिए आदर्श है। डीलक्स एसी, इकोनॉमी एसी और नॉन एसी डबल बेड वाले कमरे में एक बेडरूम और एक बाथरूम है और यह एक छोटे परिवार के लिए एक शानदार प्रवास प्रदान करता है।

    सुविधाएँ

    • वातानुकूलन।
    • सैटेलाइट टेलीविज़न।
    • कमरे के टेलीफोन में।
    • 24 घंटे रूम सर्विस।
    • जल्दी चेक-इन और देर से चेक-आउट।
    • डीलक्स और हनीमून सुइट।
    • इंडोर गेमिंग रूम
    • बहु-व्यंजन रेस्तरां।
    • धोबी सेवा।
    • गाड़ी अड्डा।
    • कमरे की बुकिंग के लिए फोन पर डोर स्टेप सेवा उपलब्ध है।

    रूम टैरिफ

    डबल बेड नॉन एसी: रु. 600 इकोनॉमी डबल बेड एसी: रु। 1000 डीलक्स डबल बेड एसी: रु। 1500 दो कमरे का सुइट: रु। 2100 सेवा शुल्क – 10% विलासिता कर – 7% अतिरिक्त व्यक्ति @ रु। 250 प्रत्येक

    संपर्क करना

    ईमेल: [email protected] फोन: +91-9051211000, 9051211105, 9163611110, 9163611100 वेबसाइट: www.yashodainternational.com

    बुकिंग

    ऑनलाइन बुक करने के लिए विजिट करें यहां फोन कॉल द्वारा बुक करने के लिए +91-9051211000

    तस्वीरें

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  • Seven hurt, two seriously, in ‘terror attack’ on Jerusalem bus – Muslim Newz

    Seven hurt, two seriously, in ‘terror attack’ on Jerusalem bus

    seven people were wounded, two of them critical after shooter opened fired on a bus in jerusalum old city . israeil police and medices said…

    Police have launched a search for the shooter, who fled after the pre-dawn attack.

    “The police were informed of a shooting of a bus … Police have cordoned off the scene and are searching for a suspect,” police said

    MDA spokesperson Zaki Heller said six men and one woman were injured in the attack, with all seven.

    At least 49 Palestinians, including Islamic Jihad fighters and also children, died in the violence, which ended last Sunday after Egypt negotiated a truce.

    Israeli authorities increased raids in the occupied West Bank.

    More than 50 Palestinians have been killed, including fighters and civilians, in operations and incidents in the West Bank since then.

  • कतरीसराय में आयोजित जनता दरबार में जिलाधिकारी आमलोगों की समस्याओं

    आज कतरीसराय प्रखंड सभागार में आयोजित जनता दरबार में 29 आवेदन प्राप्त हुए। जिलाधिकारी ने स्वयं एक-एक आवेदक के पास जाकर उनकी समस्याओं को सुना तथा संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को त्वरित निष्पादन को लेकर आवश्यक दिशा निदेश दिया। पुराने राजकीय नलकूपों की रम्मती,बिजली लाइन/ट्रांसफार्मर को शिफ्ट करने, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिए जाने, पुराने चापाकलों की मरम्मती एवं नए चापाकल लगाने, नल जल योजना में जलापूर्ति बाधित रहने आदि विषयों से संबंधित आवेदन लोगों द्वारा दिये गए।छाछू बीघा से लोहराजपुर पथ की मरम्मती हेतु कार्रवाई की मांग की गई।कतरीसराय के वार्ड नम्बर 15 में जल निकासी की व्यवस्था हेतु अनुरोध किया गया। प्रखंड कार्यालय के पीछे से भी जल निकासी हेतु व्यवस्था की बात स्थानीय लोगों द्वारा की गई। जिलाधिकारी ने भूमि सुधार उप समाहर्त्ता से जमीन उपलब्ध्ता की जांच कराकर कार्रवाई की बात कही। सभी प्राप्त आवेदनों की कंप्यूटर में प्रविष्टि कराकर संबंधित पदाधिकारियों को निष्पादन हेतु भेजा गया। सभी संबंधित पदाधिकारियों को आवेदनों के त्वरित निष्पादन का निदेश दिया गया। पीएचईडी के सहायक एवं कनीय अभियंता से चापाकलों की मरम्मती, नया चापाकल लगाने के बारे में जानकारी ली गई।बताया गया कि प्रखण्ड में 5 नए चापाकल लगाए गए हैं तथा 46 चापाकलों की मरम्मती की गई है। जिलाधिकारी ने कार्य की धीमी प्रगति को लेकर दोनों अभियंताओं से स्पष्टीकरण पूछा।  इस क्रम में कुछ स्थानीय पंचायत के जनप्रतिनिधियों द्वारा भी अपने पंचायतों से संबंधित समस्याओं को भी संज्ञान में लाया गया। कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा स्थानीय पीएचसी में डेंटिस्ट की व्यवस्था हेतु अनुरोध किया गया। इस अवसर पर उप विकास आयुक्त, अपर समाहर्त्ता, सहित विभिन्न विभागों के जिलास्तरीय पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी एवं अन्य प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी उपस्थित थे।

  • जब समूचा राष्ट्र आज़ादी के 75 वें वर्ष में अमृत महोत्सव मना रहा है

    जब समूचा राष्ट्र आज़ादी के 75 वें वर्ष में अमृत महोत्सव मना रहा है,इस अवसर पर रोटरी क्लब तथागत,बिहारशरीफ के सहयोग इस जश्न को मनाने के लिए रोटरी तथागत क्लब भी जोश खारोश से इसे मनाने की ठानी हैं । इसके लिए आज क्लब के अध्यक्ष रो0 अनिल कुमार सचिब रो0 परमेश्वर महतो परियोजना निर्देशक रो0 डॉ0 नीरज कुमार के साथ क्लब के वरिष्ठ सदस्य रो0 डॉ0 अरबिन्द कुमार सिन्हा ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर बताया कि

    दिनांक 12 अगस्त की संध्या 5 बजे स्थानीय हॉस्पिटल मोड़, श्रम कल्याण के मैदान में एक सामूहिक सभा का वृहत आयोजन करने जा रही हैं । राष्ट्र को समर्पित इस सभा मे नालंदा वासियो के साथ रोटरी तथागत के सभी सदस्य और विभिन्न विद्यालयों और कोचिंग सेन्टर के
    छात्र उनके अभिभावक, महिलाएं युवा, गणमान्य लोग सहित शहर के अनेक बुद्दिजीवी, भारी संख्या में शामिल होंगे।

    इस कार्यक्रम में आज़ादी के लिए वीरगति को प्राप्त हुए उन सभी लोगों के सम्मान में मोमबत्ती जलाकर अपनी कृतज्ञता प्रकट करेंगे और उन्हें याद करेंगे तथा साथ में अपने देश की अखंडता,एकता और संप्रभुता बनाये रखने के लिए शपथ लेंगें।

    दिनांक 14 अगस्त की सुबह 7 बजे श्रम कल्याण के मैदान से ही एक प्रभात फेरी का भी आयोजन होगा जो शहर के मुख्य मार्गो से होते हुए श्रम कल्याण केंद्र में ही समाप्त होगी । गाजे बाजे से सजे इस पदयात्रा में रोटरी तथागत के सदस्यों के अलावा प्रजापति ब्रहम कुमारी ,मार्निंग वॉक ,रोटरी सहेली सेन्टर,इंटरैक्ट क्लब संत जोसफ अकादमी,रोट्रेक्ट क्लब बिहार शरीफ के भी सदस्य शामिल होंगे ।
    अपने इस दोनों कार्यक्रम में रोटरी क्लब के सभी सदस्य प्रेस के माध्यम से सभी जिले वासियो को इसमें शामिल होने के लिए अनुरोध करती हैं ।

  • वीरांगना फूलन देवी की 59 वीं जयंती पर विशेष : सामाजिक न्याय की ‘देवी’ फूलन देवी

    वीरांगना फूलन देवी की 59 वीं जयंती पर विशेष : सामाजिक न्याय की ‘देवी’ फूलन देवी

    ● बागी से सांसद बनी फूलन देवी शोषितों की राजनेता थी
    ● वीरांगना फूलन देवी ने चंबल से लेकर संसद तक तय किया सफर

    लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव साहित्यिक मंडली शंखनाद

    अंतरराष्ट्रीय फलक पर दस्यु सुंदरी नाम से ख्यात फूलन देवी का असली नाम फुलवा था। विश्व की 16 क्रांतिकारी महिलाओं में फूलन देवी का नाम चौथे स्थान पर है। आपने काफी महिलाओं और उनसे जुड़े किस्सें-कहानियों के बारें में पढ़ा होगा या सुना भी होगा लेकिन आज जिस महिला की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं अगर आप उनके बारें में नहीं जानतें तो यकीन मानिए यह आलेख आपको हैरान कर देगा। जी हां, हैरान और परेशान कर देने वाली कहानी है उस औरत की जिसने अपने उम्र के हर पड़ाव पर एक नयीं दास्तां लिख डाली। जिसके लिए औरत होना जीवन भर एक श्राप की तरह रहा लेकिन इस औरत की ज़िद और ताकत ने अपने दुश्मनों की सांसे ज्यादा समय तक नहीं चलने दी। तो, आईए जानते है आखिर कौन थीं ये निर्भीक महिला और कैसी रही इनकी ज़िंदगानी। यह कहानी है वीरांगना फूलन देवी की।
    माता जानकी जी को उठा ले जाने वाले दैत्येंद्र रावण की लंका जलाई जाती है, उसे श्रीराम द्वारा मारा जाता है और उसके बाद आज भी बुराई का प्रतीक मानकर दैत्येंद्र रावण का पुतला जलाया जाता है। दूसरी तरफ एक पिछड़े, लाचार समाज की बेटी फूलन को बलात उठा ले जाकर जातिवादी गुंडे बलात्कार करते हैं, गांव में नंगा घुमाते हैं, सालों-साल अत्याचार करते हैं, फिर भी उनकी लंका कोई नहीं जलाता। फिर वही औरत जब हथियार उठाती है, उनकी लंका भी जलाती है और उनका पुतला भी। लेकिन ये औरत सामाजिक न्याय की ‘देवी’ नहीं कहलाती, ये ‘डकैत फूलन देवी’ कहलाती है।
    जहां सहनशीलता की सीमा समाप्त होती है, वहीं से क्रांति का उदय होता है। आताताइयों ने जब जुल्म की हदें पार कर दीं तो पूर्व सांसद फूलन देवी ने उनके विनाश के लिए हथियार उठा लिया। उन्होंने क्रांति का बिगुल फूंकते हुए जालिमों को मौत की नींद सुलाने का काम किया। हम सभी को फूलन के संघर्ष और वीरता पर गर्व है।

    फूलन देवी का जन्म और परिवारिक जीवन

    कभी चंबल घाटी में अपने आतंक से बड़े-बड़ों की चूलें हिला देने वाली दस्यु सुंदरी फूलन देवी को पहली राजनैतिक महिला डाकू कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। ठाकुरों के प्रति बेहद तल्ख रही फूलन देवी को चंबल इलाके के एक ठाकुर राजनेता की बदौलत ही राजनीति के शीर्ष तक जाने का मौका मिला। फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कालपी थाना पुरवा (गोरहा) गांव में हुआ था। फूलन के पिता का नाम देवी दीन और माता का नाम मूला देवी केवट जो मल्लाह जाति के थे। फूलन देवी बैंडिट क्वीन के नाम से चर्चित थीं। जब फूलन 11 साल की थीं तो उनके चचेरी भाई ने उनकी शादी पुट्टी लाल नाम के एक बूढ़े आदमी से करवा दी। दोनों में उम्र का एक बड़ा फासला होने के कारण दिक्कतें आती रहती थीं। फूलन का पति उन्हें प्रताड़ित करता रहता था। जिसकी वजह से परेशान होकर फूलन देवी ने पति का घर छोड़ कर अपने माता पिता के साथ रहने का फैसला किया।

    गैंगरेप के बाद फूलन बनीं डकैत

    फूलन देवी जब 15 साल की थीं तब श्रीराम ठाकुर के गैंग ने उनका गैंगरेप किया। इतना ही नहीं यह गैंगरेप उन्होंने फूलन के माता-पिता के समाने किया। फूलन देवी ने कई जगह न्याय की गुहार लगाई लेकिन उन्हें सिर्फ निराशा का सामना करना पड़ा। नाराज दबंगों ने फूलन का चर्चित दस्यु गैंग से कहकर अपहरण करवा लिया। डकैतों ने लगातार 3 हफ्तों तक फूलन का रेप किया। जिसकी वजह से फूलन बहुत ही कठोर बन गईं। अपने ऊपर हुए जुल्मों सितम के चलते फूलन देवी ने अपना एक अलग गिरोह बनाने का फैसला किया। हालात ने ही फूलन देवी को इतना कठोर बना दिया कि जब उन्होंने बहमई में एक लाइन में खड़ा करके 22 ठाकुरों की हत्या की तो उन्हें ज़रा भी मलाल नहीं हुआ। बदला लेने के लिए फूलन ने 14 फरवरी 1981 को कानपुर के बेहमई में ठाकुरों को मौत की नींद सुला दिया था। तब से फूलन के प्रति ठाकुरों में नफरत है, लेकिन, यह भी सच है कि बेहमई कांड के बाद एक ठाकुर ने ही फूलन देवी की कदम दर कदम मदद की थी और उन्हें राजनीति का ककहरा पढ़ाया था।
    बिना मुकदमा चलाये ग्यारह साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित और कमजोर वर्ग के लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बाद बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया।

    फूलन देवी का आत्मसमर्पण और राजनीतिक जीवन

    फूलन देवी एक ऐसा नाम जिसने ना केवल डकैती की दुनिया में बल्कि सियासत के गलियारों में भी खूब नाम कमाया। फूलन देवी ने 1983 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर 10 हजार लोगों और 300 पुलिस वालों के सामने आत्म समर्पण कर लिया। उन्हें यह भरोसा दिलाया गया था कि उन्हें मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा। आत्मसमर्पण करने के बाद फूलन देवी को 8 सालों की सजा दी गई। फूलन के जेल से छूटने के बाद उम्मेद सिंह से उनकी शादी हो गई। जेल से छूटने के बाद ही उन्होंने राजनीति में एंट्री ली। वह दो बार चुन कर संसद पहुंची। पहली बार वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से सांसद बनी थीं।
    इलाके के प्रभावशाली ठाकुर नेता जसवंत सिंह सेंगर ने बेहमई कांड के बाद फूलन देवी जब गैंग के साथ जंगलों में दर-दर भटक रही थीं तब सेंगर साहब ने ही महीनों उन्हें शरण दी। उन्होनें खाने पीने से लेकर अन्य संसाधन भी उपलब्ध करवाए थे। फूलन भी जसवंत सिंह की काफी इज्जत करती थीं। जसवंत के कहने पर बतौर सांसद फूलन ने क्षेत्र में कई विकास के काम करवाए थे। चंबल के बीहड़ से उत्तर प्रदेश की राजनीति में दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने जो कर दिखाया, वो न उनसे पहले किसी ने किया और न ही आगे कोई कर सकता है।
    चंबल की धरती पर कभी अंग्रेजों और सिंधिया स्टेट के अन्याय के खिलाफ हथियार उठाने वाले बागियों से लेकर मौजूदा समय में अपहरण को उद्योग बनाने वाले डाकुओं की कहानियां बिखरी पड़ी हैं। पुलिस की नजर में ये डकैत बर्बर अपराधी हैं, लेकिन वे अपने इलाके में रॉबिनवुड हैं। अपनी जाति के हीरों हैं, अमीरों से पैसा ऐठना और गरीबों खासकर अपनी जाति के लोगों की मदद करना इनका शगल है, लेकिन दुश्मनों और मुखबिरों के साथ ये ऐसा बर्बर रवैया अपनाते हैं कि देखने वालों के दिल दहल जाएं। पुलिस भी मानती है कि जिस जाति का व्यक्ति अपराध कर डाकू बन जाता है उसे उस विशेष जाति समुदाय के लोग अपना हीरो मानने लगते हैं, उसके साथ नायक जैसा व्यवहार करते हैं। यह परंपरा आज की नहीं है, जब से यहां डाकू पैदा हुए तब से चली आ रही है। यही कारण है कि मानसिंह से लेकर दयाराम गडरिया और ददुआ तक अपनी जाति के हीरो रहे। डाकुओं की पैदा करने में प्रतिष्ठा, प्रतिशोध और प्रताड़ना तो कारण हैं ही लेकिन सबसे अहम भूमिका पुलिस की होती है। चंबल के दस्यु सरगनाओं का इतिहास देखें तो डाकू मानसिंह से लेकर फूलन देवी तक सभी लोग अमीरों या रसूख वाले लोगों के शोषण के शिकार रहे हैं और इस शोषण में पुलिस और व्यवस्था ने इनकी बजाय रसूखवालों का ही साथ दिया। ऐसे में ये लोग न्याय की उम्मीद किससे करें। इसके कई उदाहरण है, जिनमें कभी चंबल में पुलिस की नाक में दम करने वाले पूर्व दस्यु सरगना मलखान सिंह भी शामिल हैं। कहा जाता है कि गांव के सरपंच ने मंदिर की जमीन पर कब्जा कर लिया और विरोध करने पर उन्होंने मलखान सिंह के खिलाफ फर्जी केस दर्ज कर जेल भिजवा दिया और फिर विरोध करने वाले मलखान सिंह के एक साथी की हत्या भी कर दी। सरपंच तब के एक मंत्री का रिश्तोदार था जिसके घर पर दरोगा और सिपाही हाजिरी बजाते थे। ऐसे में वह किससे न्याय मागता। बंदूक उठाने के अलावा उसके पास कोई रास्ता ही नहीं था। जगजीवन परिहार को डकैत बनाने के लिए तो पुलिस ही जिम्मेदार थी। वह पुलिस का मुखबिर था, निर्भय गूजर को मारने के लिए पुलिस ने जगजीवन को हथियार मुहैया कराया और डाकू बना दिया। ऊपर से दबाव या फिर डाकू के पकड़े जाने पर भेद खुल जाने के डर से पुलिस वाले इनका इनकाउंटर कर देते हैं और फिर एक दूसरा गैंग तौयार करवा देते हैं। पुलिस भी मानती है कि इनकाउंटर स्पेस्लिस्ट लोगों की इसमें खास भूमिका होती है। ऐसे लोग जब एक गैंग को मार गिराते हैं तो उनकी चहलकदमी बंद हो जाती है। ऐसे में वे दूसरा गैंग तौयार कर देते हैं।
    चंबल में डकैत समस्या के पनपने के लिए कहीं न कहीं यहां की प्राकृतिक संरचना भी जिम्मेदार है। चंबल के किनारे के मिट्टी के बड़े-बड़े टीले डाकुओं की छुपने की जगह है, अगर सरकार इन्हें समतल कर लोगों में बांट दे तो इससे न केवल डाकू समस्या पर लगाम लग सकती है, बल्कि लोगों को खेती के लिए जमीन मिल जाएगी, लेकिन टीलों के समतलीकरण की योजना भ्रष्टाचार की वजह से परवान नहीं चढ़ पा रही है। यही कारण है कि डाकुओं के अलावा अब चंबल में नक्सली भी सक्रिय हो रहे हैं। पुलिस भी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि नक्सलियों का प्रशिक्षण शिविर कहां चल रहा है। शोषण और बेरोजगारी ही दस्यु समस्या की तरह नक्सल समस्या की भी जड़ है, अगर इस समस्या से निपटना है तो गांवों में विकास की गंगा बहानी हागी। लोगों को शिक्षा के साथ ही रोजगार भी मुहैया कराना होगा, अन्यथा चंबल का दायरा घटने के बजाय पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले लेगा और देशभर में ऐसे बागियों की जमात पैदा हो जाएगी, जो देश के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगी।1996 में फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत गईं। मिर्जापुर से सांसद बनीं। चम्बल में घूमने वाली अब दिल्ली के अशोका रोड के शानदार बंगले में रहने लगी। फूलन 1998 में हार गईं, पर फिर 1999 में वहीं से जीत गईं।

    रॉबिनवुड क्रांतिकारी फूलन देवी का निधन

    25 जुलाई 2001 को संसद का सत्र चल रहा था। दोपहर के भोजन के लिए संसद से फूलन 44 अशोका रोड के अपने सरकारी बंगले पर लौटी। बंगले के बाहर सीआईपी 907 नंबर की हरे रंग की एक मारुति कार पहले से ही खड़ी थी। 25 जुलाई 2001 को ही शेर सिंह राणा फूलन से मिलने आया। इच्छा जाहिर की कि फूलन के संगठन ‘एकलव्य सेना’ से जुड़ेगा। जैसे ही फूलन घर की दहलीज पर पहुंची। तीन नकाबपोश अचानक कार से बाहर आए और फूलन पर ताबड़तोड़ पांच गोलियां चलाई। एक गोली फूलन के माथे पर जा लगी। गोलीबारी में फूलन देवी का एक गार्ड भी घायल हो गया था। इसके बाद हत्यारे उसी कार में बैठकर फरार हो गए। उसने कहा कि मैंने बेहमई हत्याकांड का बदला लिया है। 14 अगस्त 2014 को दिल्ली की एक अदालत ने शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अपने कुल 38 साल के जीवन में फूलन की कहानी भारतीय समाज की हर बुराई को समेटे हुए है और फूलन देवी की जीवनी प्रत्येक नारी के लिए प्रेरणा श्रोत बनीं। फूलन ने जुल्म के खिलाफ सभी को लड़ने का संदेश दिया।

  • फूलन देवी की 59 वीं जयंती पर विशेष सामाजिक न्याय की ‘देवी’ फूलन देवी

    वीरांगना फूलन देवी की 59 वीं जयंती पर विशेष : सामाजिक न्याय की ‘देवी’ फूलन देवी

    ● बागी से सांसद बनी फूलन देवी शोषितों की राजनेता थी
    ● वीरांगना फूलन देवी ने चंबल से लेकर संसद तक तय किया सफर

    लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव साहित्यिक मंडली शंखनाद

    अंतरराष्ट्रीय फलक पर दस्यु सुंदरी नाम से ख्यात फूलन देवी का असली नाम फुलवा था। विश्व की 16 क्रांतिकारी महिलाओं में फूलन देवी का नाम चौथे स्थान पर है। आपने काफी महिलाओं और उनसे जुड़े किस्सें-कहानियों के बारें में पढ़ा होगा या सुना भी होगा लेकिन आज जिस महिला की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं अगर आप उनके बारें में नहीं जानतें तो यकीन मानिए यह आलेख आपको हैरान कर देगा। जी हां, हैरान और परेशान कर देने वाली कहानी है उस औरत की जिसने अपने उम्र के हर पड़ाव पर एक नयीं दास्तां लिख डाली। जिसके लिए औरत होना जीवन भर एक श्राप की तरह रहा लेकिन इस औरत की ज़िद और ताकत ने अपने दुश्मनों की सांसे ज्यादा समय तक नहीं चलने दी। तो, आईए जानते है आखिर कौन थीं ये निर्भीक महिला और कैसी रही इनकी ज़िंदगानी। यह कहानी है वीरांगना फूलन देवी की।
    माता जानकी जी को उठा ले जाने वाले दैत्येंद्र रावण की लंका जलाई जाती है, उसे श्रीराम द्वारा मारा जाता है और उसके बाद आज भी बुराई का प्रतीक मानकर दैत्येंद्र रावण का पुतला जलाया जाता है। दूसरी तरफ एक पिछड़े, लाचार समाज की बेटी फूलन को बलात उठा ले जाकर जातिवादी गुंडे बलात्कार करते हैं, गांव में नंगा घुमाते हैं, सालों-साल अत्याचार करते हैं, फिर भी उनकी लंका कोई नहीं जलाता। फिर वही औरत जब हथियार उठाती है, उनकी लंका भी जलाती है और उनका पुतला भी। लेकिन ये औरत सामाजिक न्याय की ‘देवी’ नहीं कहलाती, ये ‘डकैत फूलन देवी’ कहलाती है।
    जहां सहनशीलता की सीमा समाप्त होती है, वहीं से क्रांति का उदय होता है। आताताइयों ने जब जुल्म की हदें पार कर दीं तो पूर्व सांसद फूलन देवी ने उनके विनाश के लिए हथियार उठा लिया। उन्होंने क्रांति का बिगुल फूंकते हुए जालिमों को मौत की नींद सुलाने का काम किया। हम सभी को फूलन के संघर्ष और वीरता पर गर्व है।

    फूलन देवी का जन्म और परिवारिक जीवन

    कभी चंबल घाटी में अपने आतंक से बड़े-बड़ों की चूलें हिला देने वाली दस्यु सुंदरी फूलन देवी को पहली राजनैतिक महिला डाकू कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। ठाकुरों के प्रति बेहद तल्ख रही फूलन देवी को चंबल इलाके के एक ठाकुर राजनेता की बदौलत ही राजनीति के शीर्ष तक जाने का मौका मिला। फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कालपी थाना पुरवा (गोरहा) गांव में हुआ था। फूलन के पिता का नाम देवी दीन और माता का नाम मूला देवी केवट जो मल्लाह जाति के थे। फूलन देवी बैंडिट क्वीन के नाम से चर्चित थीं। जब फूलन 11 साल की थीं तो उनके चचेरी भाई ने उनकी शादी पुट्टी लाल नाम के एक बूढ़े आदमी से करवा दी। दोनों में उम्र का एक बड़ा फासला होने के कारण दिक्कतें आती रहती थीं। फूलन का पति उन्हें प्रताड़ित करता रहता था। जिसकी वजह से परेशान होकर फूलन देवी ने पति का घर छोड़ कर अपने माता पिता के साथ रहने का फैसला किया।

    गैंगरेप के बाद फूलन बनीं डकैत

    फूलन देवी जब 15 साल की थीं तब श्रीराम ठाकुर के गैंग ने उनका गैंगरेप किया। इतना ही नहीं यह गैंगरेप उन्होंने फूलन के माता-पिता के समाने किया। फूलन देवी ने कई जगह न्याय की गुहार लगाई लेकिन उन्हें सिर्फ निराशा का सामना करना पड़ा। नाराज दबंगों ने फूलन का चर्चित दस्यु गैंग से कहकर अपहरण करवा लिया। डकैतों ने लगातार 3 हफ्तों तक फूलन का रेप किया। जिसकी वजह से फूलन बहुत ही कठोर बन गईं। अपने ऊपर हुए जुल्मों सितम के चलते फूलन देवी ने अपना एक अलग गिरोह बनाने का फैसला किया। हालात ने ही फूलन देवी को इतना कठोर बना दिया कि जब उन्होंने बहमई में एक लाइन में खड़ा करके 22 ठाकुरों की हत्या की तो उन्हें ज़रा भी मलाल नहीं हुआ। बदला लेने के लिए फूलन ने 14 फरवरी 1981 को कानपुर के बेहमई में ठाकुरों को मौत की नींद सुला दिया था। तब से फूलन के प्रति ठाकुरों में नफरत है, लेकिन, यह भी सच है कि बेहमई कांड के बाद एक ठाकुर ने ही फूलन देवी की कदम दर कदम मदद की थी और उन्हें राजनीति का ककहरा पढ़ाया था।
    बिना मुकदमा चलाये ग्यारह साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित और कमजोर वर्ग के लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बाद बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया।

    फूलन देवी का आत्मसमर्पण और राजनीतिक जीवन

    फूलन देवी एक ऐसा नाम जिसने ना केवल डकैती की दुनिया में बल्कि सियासत के गलियारों में भी खूब नाम कमाया। फूलन देवी ने 1983 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर 10 हजार लोगों और 300 पुलिस वालों के सामने आत्म समर्पण कर लिया। उन्हें यह भरोसा दिलाया गया था कि उन्हें मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा। आत्मसमर्पण करने के बाद फूलन देवी को 8 सालों की सजा दी गई। फूलन के जेल से छूटने के बाद उम्मेद सिंह से उनकी शादी हो गई। जेल से छूटने के बाद ही उन्होंने राजनीति में एंट्री ली। वह दो बार चुन कर संसद पहुंची। पहली बार वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से सांसद बनी थीं।
    इलाके के प्रभावशाली ठाकुर नेता जसवंत सिंह सेंगर ने बेहमई कांड के बाद फूलन देवी जब गैंग के साथ जंगलों में दर-दर भटक रही थीं तब सेंगर साहब ने ही महीनों उन्हें शरण दी। उन्होनें खाने पीने से लेकर अन्य संसाधन भी उपलब्ध करवाए थे। फूलन भी जसवंत सिंह की काफी इज्जत करती थीं। जसवंत के कहने पर बतौर सांसद फूलन ने क्षेत्र में कई विकास के काम करवाए थे। चंबल के बीहड़ से उत्तर प्रदेश की राजनीति में दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने जो कर दिखाया, वो न उनसे पहले किसी ने किया और न ही आगे कोई कर सकता है।
    चंबल की धरती पर कभी अंग्रेजों और सिंधिया स्टेट के अन्याय के खिलाफ हथियार उठाने वाले बागियों से लेकर मौजूदा समय में अपहरण को उद्योग बनाने वाले डाकुओं की कहानियां बिखरी पड़ी हैं। पुलिस की नजर में ये डकैत बर्बर अपराधी हैं, लेकिन वे अपने इलाके में रॉबिनवुड हैं। अपनी जाति के हीरों हैं, अमीरों से पैसा ऐठना और गरीबों खासकर अपनी जाति के लोगों की मदद करना इनका शगल है, लेकिन दुश्मनों और मुखबिरों के साथ ये ऐसा बर्बर रवैया अपनाते हैं कि देखने वालों के दिल दहल जाएं। पुलिस भी मानती है कि जिस जाति का व्यक्ति अपराध कर डाकू बन जाता है उसे उस विशेष जाति समुदाय के लोग अपना हीरो मानने लगते हैं, उसके साथ नायक जैसा व्यवहार करते हैं। यह परंपरा आज की नहीं है, जब से यहां डाकू पैदा हुए तब से चली आ रही है। यही कारण है कि मानसिंह से लेकर दयाराम गडरिया और ददुआ तक अपनी जाति के हीरो रहे। डाकुओं की पैदा करने में प्रतिष्ठा, प्रतिशोध और प्रताड़ना तो कारण हैं ही लेकिन सबसे अहम भूमिका पुलिस की होती है। चंबल के दस्यु सरगनाओं का इतिहास देखें तो डाकू मानसिंह से लेकर फूलन देवी तक सभी लोग अमीरों या रसूख वाले लोगों के शोषण के शिकार रहे हैं और इस शोषण में पुलिस और व्यवस्था ने इनकी बजाय रसूखवालों का ही साथ दिया। ऐसे में ये लोग न्याय की उम्मीद किससे करें। इसके कई उदाहरण है, जिनमें कभी चंबल में पुलिस की नाक में दम करने वाले पूर्व दस्यु सरगना मलखान सिंह भी शामिल हैं। कहा जाता है कि गांव के सरपंच ने मंदिर की जमीन पर कब्जा कर लिया और विरोध करने पर उन्होंने मलखान सिंह के खिलाफ फर्जी केस दर्ज कर जेल भिजवा दिया और फिर विरोध करने वाले मलखान सिंह के एक साथी की हत्या भी कर दी। सरपंच तब के एक मंत्री का रिश्तोदार था जिसके घर पर दरोगा और सिपाही हाजिरी बजाते थे। ऐसे में वह किससे न्याय मागता। बंदूक उठाने के अलावा उसके पास कोई रास्ता ही नहीं था। जगजीवन परिहार को डकैत बनाने के लिए तो पुलिस ही जिम्मेदार थी। वह पुलिस का मुखबिर था, निर्भय गूजर को मारने के लिए पुलिस ने जगजीवन को हथियार मुहैया कराया और डाकू बना दिया। ऊपर से दबाव या फिर डाकू के पकड़े जाने पर भेद खुल जाने के डर से पुलिस वाले इनका इनकाउंटर कर देते हैं और फिर एक दूसरा गैंग तौयार करवा देते हैं। पुलिस भी मानती है कि इनकाउंटर स्पेस्लिस्ट लोगों की इसमें खास भूमिका होती है। ऐसे लोग जब एक गैंग को मार गिराते हैं तो उनकी चहलकदमी बंद हो जाती है। ऐसे में वे दूसरा गैंग तौयार कर देते हैं।
    चंबल में डकैत समस्या के पनपने के लिए कहीं न कहीं यहां की प्राकृतिक संरचना भी जिम्मेदार है। चंबल के किनारे के मिट्टी के बड़े-बड़े टीले डाकुओं की छुपने की जगह है, अगर सरकार इन्हें समतल कर लोगों में बांट दे तो इससे न केवल डाकू समस्या पर लगाम लग सकती है, बल्कि लोगों को खेती के लिए जमीन मिल जाएगी, लेकिन टीलों के समतलीकरण की योजना भ्रष्टाचार की वजह से परवान नहीं चढ़ पा रही है। यही कारण है कि डाकुओं के अलावा अब चंबल में नक्सली भी सक्रिय हो रहे हैं। पुलिस भी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि नक्सलियों का प्रशिक्षण शिविर कहां चल रहा है। शोषण और बेरोजगारी ही दस्यु समस्या की तरह नक्सल समस्या की भी जड़ है, अगर इस समस्या से निपटना है तो गांवों में विकास की गंगा बहानी हागी। लोगों को शिक्षा के साथ ही रोजगार भी मुहैया कराना होगा, अन्यथा चंबल का दायरा घटने के बजाय पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले लेगा और देशभर में ऐसे बागियों की जमात पैदा हो जाएगी, जो देश के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगी।1996 में फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत गईं। मिर्जापुर से सांसद बनीं। चम्बल में घूमने वाली अब दिल्ली के अशोका रोड के शानदार बंगले में रहने लगी। फूलन 1998 में हार गईं, पर फिर 1999 में वहीं से जीत गईं।

    रॉबिनवुड क्रांतिकारी फूलन देवी का निधन

    25 जुलाई 2001 को संसद का सत्र चल रहा था। दोपहर के भोजन के लिए संसद से फूलन 44 अशोका रोड के अपने सरकारी बंगले पर लौटी। बंगले के बाहर सीआईपी 907 नंबर की हरे रंग की एक मारुति कार पहले से ही खड़ी थी। 25 जुलाई 2001 को ही शेर सिंह राणा फूलन से मिलने आया। इच्छा जाहिर की कि फूलन के संगठन ‘एकलव्य सेना’ से जुड़ेगा। जैसे ही फूलन घर की दहलीज पर पहुंची। तीन नकाबपोश अचानक कार से बाहर आए और फूलन पर ताबड़तोड़ पांच गोलियां चलाई। एक गोली फूलन के माथे पर जा लगी। गोलीबारी में फूलन देवी का एक गार्ड भी घायल हो गया था। इसके बाद हत्यारे उसी कार में बैठकर फरार हो गए। उसने कहा कि मैंने बेहमई हत्याकांड का बदला लिया है। 14 अगस्त 2014 को दिल्ली की एक अदालत ने शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अपने कुल 38 साल के जीवन में फूलन की कहानी भारतीय समाज की हर बुराई को समेटे हुए है और फूलन देवी की जीवनी प्रत्येक नारी के लिए प्रेरणा श्रोत बनीं। फूलन ने जुल्म के खिलाफ सभी को लड़ने का संदेश दिया।