जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक स्तर पर देशों को बनानी होगी सहमति: डॉ बिनीत

वैश्विक स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या है जो समसायिक विश्व के प्रमुख सुरक्षा खतरे के रूप में विद्यामान है। इससे निपटने के लिए जरूरी है सभी देशों को एक मंच पर आना और सहमति बनाना। लगातार बारिश के पैटर्न में बदलाव, सुखा, बाढ़, चक्रवात को देखते हुए अपने राष्ट्रीय हित से उपर उठकर सभी देशों को कठोर निर्णय लेने होंगें। ये बातें आज गौरैया बिहग फाउंडेशन एवं भूगोल विभाग द्वारा नालंदा कॉलेज में चल रहे सात दिवसीय पर्यावरण जागरूकता कार्यशाला मे राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ बिनीत लाल ने कही।

उन्होंने कहा की मानव सभ्यता के लगातार उन्नत होने से लोगों की जीवन शैली में लगातार बदलाव हो रहा है इसलिए गांधी जी के अनुसार पृथ्वी सभी मनुष्यों की जरूरतों को तो पुरा करने में सक्षम है पर सभी लोगों के बढ़ते लोभ को पुरा करने में सक्षम नहीं है। इसलिए जरूरी है की आज की युवा पीढी ज्यादा सजग हों और सतत विकास को आगे बढ़ाने में हर संभव प्रयास करें।
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन विषय पर कार्यशाला के पांचवे दिन प्रतिभागियों को ग्रुप में बांटकर तीन इको टीम का गठन किया गया। अमृता देवी ईको टीम, दिव्य दर्शन इको टीम और अल्बाट्रोस् ईको टीम में 5-7 छात्रों को जिम्मेवारी दी गयी है की अपने पियर ग्रुप में जगरूकता फैलाकर पर्यावरण से जुड़े मुद्दे पर चर्चा करें साथ ही अपने देश के पुरातन संस्कृति को ध्यान में रखकर प्रकृति के ज्यादा नजदीक होने का आहवाहन करें। कार्यशाला के सह समनव्यक राजीव रंजन पांडे ने कहा की सभी छात्रों ने उत्सुकता पूर्वक कई सवाल भी पूछे और सत्र के बाद परिसर के विभिन्न स्थानों पर पौधारोपन भी किया।

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