राजगीर प्रखंड के चकपर गांव निवासी झारखंड में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए नालंदा के लाल सीआरपीएफ जवान अमर शहीद स्वर्गीय चितरंजन कुमार जी के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रृद्धांजलि देकर नमन करते हुए।
वीर सपूत को खोकर पूरा नालंदा आज मर्माहत है।अश्रुपूर्ण श्रृद्धांजलि।
राजगीर, निज संवाददाता। चकपर गांव का लाल सीआरपीएफ जवान चितरंजन कुमार शहीद होकर अमर हो गया। शहर के हर व्यक्ति की आंख उस समय नम हो गयी जब शहीद का शव झारखंड के चतरा से हेलिकॉप्टर से राजगीर लाया गया। शहीद चितरंजन कुमार के गांव चकपर जाकर सीआरपीएफ के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दी।
इस समय ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, सांसद कौशलेन्द्र कुमार, विधायक कौशल किशोर, पूर्व एमएलसी राजू यादव सहित अन्य शामिल हुए। ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि शहीद चितरंजन का नाम हमेशा अमर रहेगा। उन्होंने देश सेवा में अपने आप को न्योछावर कर दिया।
इलाका अपने इस लाल की कुर्बानी को कभी भूल नहीं पायेगा। इस दुख की घड़ी में ईश्वर उनके परिवार को धीरज रखने की क्षमता दे। इन जैसे वीर सपूतों की ही देन है कि आज पूरा देश सुरक्षित है। भारत के लोग चैन से अपने घरों में सोते हैं। इस मौके पर जदयू नेता मुन्ना कुमार, जदयू नेता राकेश कुमार, सीआरपीएफ के डीआईजी संजय कुमार, सहायक कमांडेंट हरे राम, सहायक कमांडेंट अजीत कुमार, नीलकमल भारद्वाज, दिनेश चन्द्र सहित अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।चितरंजन अपने तीन भाईयों में था बड़ा :
शहीद चितरंजन कुमार चकपर के शिवकुमार सिंह उर्फ कारू सिंह का बड़ा पुत्र था। उसके दो भाई राजीव व नीरू हैं। चितरंजन की शादी सात-आठ साल पहले गया के शहवाजपुर के जूही कुमारी से हुई थी। उन्होंने अपने पीछे एक 3 साल की पुत्री काव्या और 5 साल का पुत्र माही को निशानी के तौर पर छोड़ा है। पत्नी जूही व माता शांति देवी व पिता कारू सिंह समेत पूरे परिवार पर मानो पहाड़ सा टूट पड़ा हो।
नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में रांची के चतरा में 19 सितम्बर को चितरंजन हो गया था घायल :
रांची के चतरा के जंगल में 19 सितम्बर को ही चितरंजन को गोली लगी थी। उसका इलाज रांची में चल रहा था। 21 सितम्बर की देर रात को चितरंजन ने दम तोड़ दी और वह अपने वतन के लिए शहीद हो गया।