भक्ति ही जीवन का मूल आधारस्थंभ है – साध्वी सुश्री अमृता भारती

हरनौत के उच्च विद्यालय मैदान में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित पांच दिवसीय रामचरित मानस एवम् गीता विवेचना के चतुर्थ दिवस पर संस्थान के संस्थापक एवं संचालक गुरूदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री अमृता भारती जी ने जनमानस को भक्ति का जीवन में कितना मूल्य है इस पर विस्तार से बताया। साध्वी जी ने अपने प्रवचन में समझाया कि जीवन में हम वास्तविक सुख को प्राप्त करने हेतु विविध वस्तुओं या व्यक्तियों को माध्यम समझते है। लेकिन जैसे-जैसे जीवन का समय बीतता है तो समझ आता है कि वह वास्तविक सुख-शांति कहीं बाहर से हमें प्राप्त नहीं हो सकती, उसकी प्राप्ति तो भीतर से ही हो सकती है। जब एक जीव उस ईश्वर की वास्तविक भक्ति से जुड़ता है तब ही जीवन का आनंद और वास्तविक शांति प्राप्त हो सकती है। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी भी कहते है-
भक्ति बिन सब सुख ऐसे।
लवण बिन बहु व्यंजन जैसे।।
अर्थात् जैसे नमक के बिना भोजन कितना ही मसालेयुक्त हो स्वादिष्ट नहीं लग सकता वैसे ही जीवन में मिलने वाले सभी सुख भक्ति के बिना निरर्थक है। इसलिए जीवन में शाश्वत भक्ति के आने से ही हमारा जीवन आनंदमय हो सकता है। इसी शास्वत भक्ति को पाने के लिए एक पूर्ण गुरु की जरुरत पड़ती हैं, जो ब्रह्मज्ञान की दीक्षा द्वारा एक जिज्ञासु को प्रकाश स्वरूप परमात्मा का दर्शन करा देते हैं। आज वहीं सनातन ब्रह्मज्ञान दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान समाज को सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के नेतृत्व में प्रदान कर रहीं हैं
सत्संग में साध्वी रंजना भारती जी सुश्री पुष्पा भारती जी एवम् गुरु भाई गोपाल जी ने भजनों का गायन किया। सैकड़ों भक्तजनों ने सत्संग का रसास्वादन कर अपने को कृतार्थ किया।

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