संयुक्त किसान मोर्चा के जिला प्रवक्ता एवं रेहड़ी पटरी फुटपाथ संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने प्रेस जारी कर कहा कि आजादी के बाद भी किसानों को अपने उपजाए फसल को दाम लगाने का अधिकार नहीं प्राप्त है जिसे किसानों के उपजाए फसल को व्यापारी औने पौने दाम में खरीद रहें हैं जिसे खेती घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं।भारत के प्रधानमंत्री 2014 के पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य का समर्थन करने वाली बीजेपी सरकार आज एमएसपी पर कानून बनाने का कोई पहल नहीं कर रही है
एमएसपी के कानून नहीं बनने के कारण मध्यप्रदेश के किसानों को लहसुन प्याज का वास्तविक मूल्य नहीं मिल रहा है प्याज लहसुन कौड़ियों के भाव मध्य प्रदेश के मंडियो में बिक रहा है मंदसौर से लेकर इंदौर अकोदिया कालापीपल नरसिंहगढ़ नीमचा बेरछा मनासा रतलाम शाजापुर सुजालपुर सैलाना में 50 से लेकर ₹1 में प्याज लहसुन खरीदा गया उज्जैन में ₹2 भोपाल और खंडवा में ₹7 किलो प्याज खरीदा गया लहसुन प्याज की कम कीमत पर मध्यप्रदेश के किसानों को रुलाने लगी है साफ जाहिर है कि कम कीमत से किसान नाराज हैं और सड़कों पर उतर कर विरोध जता रहे हैं
सच में प्याज की प्रतीकात्मक अर्थी निकाल दी गई है इसके बावजूद किसान बड़ी तादाद में माल मंडी लाने को मजबूर हैं क्योंकि प्याज के स्टोरेज की समस्या है इसे खराब होने का डर है नतीजा किसानों ने औने पौने दाम पर बेच रहे हैं किसानों को लहसुन का भाव नहीं मिलने के कारण नदी में फेंक दिए 100 बोरा लहसुन लगभग 50 क्विंटल किसानों के प्याज लहसुन घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं किसानों को भाड़े का दाम भी नहीं निकल रहा है जिससे किसान मंडियों में प्याज लहसुन छोड़कर जा रहे हैं हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि एमएसपी पर कानून बने जो पूरे देश में लागू हो और किसानों द्वारा उत्पादन किए गए फसलों का दाम डेढ़ गुना मिल सके जिसे किसान खुशहाल हो सके और आत्महत्या करने पर किसान मजबूर न हो।