मत्स्य बीज उत्पादन में जिले को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हेचरी जिर्णोद्धार

सिटी रिपोर्टर। बिहारशरीफ
जिले को मछली पालन के क्षेत्र में संसाधन से लेकर हर स्तर पर विभाग द्वारा मजबुती प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए मछली पालन से जुड़े हर गतिविधि को सुदृढ़ करने के लिए अनुदान दिया जा रहा है। मत्स्य बीज उत्पादन में जिले को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहली बार मत्स्य हेचरी जिर्णोद्धार के लिए विभाग द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। जिले में कुल 11 हेचरी है जिसमें 3 सरकारी, 7 विभागीय योजना से और 1 स्वलागत से बनाया गया है। लेकिन 3 विभागीय हेचरी में मात्र एक संचालित है। लेकिन इस योजना के तहत पांच साल पुराने हेचरी का जिर्णोद्धार किया जाना है। इसके लिए लागत ईकाई का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। डीएफओ सुभाष चन्द्र यादव ने बताया कि मछली पालन से जुड़े लोगों को हर स्तर से आत्म निर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। मत्स्य बीज उत्पादन से लेकर अन्य संसाधनों को दुरूस्त करने के लिए विभाग हर स्तर पर मत्स्य पालकों को मदद कर रही है। अभी कि जिले के मत्स्य पालकों को बीज के लिए दुसरे प्रदेश का सहारा लेना पड़ रहा है। इस कारण मत्स्य पालकों को सही बीज नहीं मल पाता है। इसलिए जिले को ही मत्स्य बीज पालन में आत्म निर्भर बनने का प्रयास किया जा रहा है।
पांच साल पुराने हेचरी का होगा जिर्णोद्धार
डीफओ ने बताया कि इस योजना के तहत पांच साल पुराने हेचरी का जिर्णोद्धार किया जाना है। जिले में 11 हेचरी है जिसमें करीब 4 हेचरी का समय पांच साल से अधिक हो गया है लेकिन दो का ही जिर्णोद्धार किया जाना है। 15 नवम्बर तक आवेदन की अंतिम तिथी है। अभी तो दो हेचरी संचालक आवेदन किए हैं। अगर और कोई संचालक आवेदन करते हैं तो हेचरी का भैतिक सत्यापन किया जाएगा अन्यथा इन दोनो आवेदकों को योजना का लाभ दे दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हेचरी जिर्णोद्धार के लिए लागत ईकाई 5 लाख है जिसमें 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।
प्रति वर्ष 900 मिलियन तैयार होता है बीज
विभागीय रिपोर्ट के मुताबकि जिले में 11 हेचरी है जिसमें 9 संचालित है। दो सरकारी हेचरी का अस्तित्व समाप्त हाेने की स्थिति में। वर्तमान में संचालित हेचरी से प्रति वर्ष करीब 900 मिलियन फ्राई बीज तैयार होता है। डीएफओ ने बताया कि जिले में आवश्यकतानुसार मत्स्य बीज की स्थिति सही है लेकिन और उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। हेचरी जिर्णोद्धार के बाद उत्पादन क्षमता भी बढ़ेगा।

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