डेस्क : देश समय के साथ काफी बदला है। अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग चूल्हे से गैस पर आ गए हैं। देश के अधिकांश घरों में एलपीजी गैस का उपयोग किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में ये आंकड़ा उज्जवला योजना के बाद से काफी बढ़ा है। ऐसे में एलपीजी गैस हर घर में एक आवश्यक वस्तु के रूप में जगह बना लिया है। एलपीजी गैस के बिना घरों में खाना बनना दुर्लभ है।
अब इतने आवश्यक वस्तु होने के चलते इसके दाम पर लोगों की पैनी नजर रहती है। एलपीजी की कीमत पिछले दिनों कांस्टेंट देखने को मिला। हालांकि अगस्त महीने में कमर्शियल एलपीजी गैस में 36 रूपये कमी रही। दरअसल हर महीने के 1 तारीख को इनके दामों में बदलाव की जाती है। यह कहें कि एलपीजी गैस की कीमत तय होती है। इसके लिए भी एक प्रक्रिया है तो आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
एलपीजी गैस की कीमतों में बढ़ोतरी कच्चे तेल की कीमत पर निर्भर करती है। ऐसे में ब्रेंट क्रूड की कीमत में कुछ बढ़त देखने को मिली है। इससे यह पता चलता है कि तेल कंपनियों से कीमत कम होने की कोई उम्मीद नहीं है। बीते कुछ महीनों से एलपीजी घरेलू गैस की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसलिए कीमतों में मामूली बदलाव की संभावना है। अब यह बढ़ भी सकता है और कीमतों में भी कमी आ सकती है।
ऐसे तय की जाती है एलपीजी गैस की कीमत :
ऐसे तय की जाती है एलपीजी गैस की कीमत : एलपीजी गैस की कीमत कई चीजों को ध्यान में रखते हुए की जाती है। इनमे क्रूड ऑयल की भाव, समुद्री किराया, इंश्योरेंस, कस्टम ड्यूटी, बंदरगाह का खर्च, डॉलर से रुपये का एक्सचेंज, माल ढुलाई, तेल कंपनी का मुनाफा, बॉटलिंग लागत और जीएसटी आदि शामिल है। इन सभी चीजों के उतार चढ़ाव के आधार पर एलपीजी गैस की कीमत तय होती है।