महात्मा गाँधी गंभीर परिस्थितियों में विश्वास, समानता और न्याय के प्रतीक थे

राकेश बिहारी शर्मा – महात्मा गाँधी ने अपनी गंभीर परिस्थितियों में विश्वास, समानता और न्याय के प्रतीक थे और उन्होंने सिद्ध किया कि महात्मा बुद्ध, भगवान महावीर स्वामी और गुरु नानक देव के सिद्धांत भारतीय संस्कृति और विरासत के मुख्य आधार थे और आज भी उनके सिद्धांत अहिंसा, भाईचारा, समानता, न्याय और सम्मान मानवता के लिए प्रासंगिक है। महात्मा गाँधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडियो के एक संदेश को प्रसारित करते हुए ‘राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी’ कहा गया।

अहिंसा की नीति के ज़रिए विश्व भर में शांति के संदेश को बढ़ावा देने के महात्मा गांधी के योगदान को सराहने के लिए इस दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का फ़ैसला किया गया था। गांधीजी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति के प्रतीक माने जाते है। गांधीजी के जन्मदिन पर ही अहिंसा दिवस भी मनाया जाता है। सादा जीवन या सरलता, समर्पण के साथ जीवन कैसे जीना है ये हमें गांधीजी के जीवन से सीखना चाहिए।

गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधीजी के दादाजी उत्तमचंद गांधी गुजरात के महाराजा के यहां दीवान थे। मोहनदास करमचंद गांधीजी का विवाह मई 1983 में कस्तूरबा गांधी से हुआ। उनके दो बेटियां रानी और मनु, तथा चार पुत्र थे जिनका नाम हरिलाल गांधी, मणिलाल गांधी, रामदास गांधी और देवदास गांधी था।

महात्मा गाँधी अहिंसा की नीति के ज़रिए विश्व भर में शांति के संदेश को बढ़ावा देने के लिए ही इस दिन को ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाने का फ़ैसला किया गया। इस सिलसिले में ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ में भारत द्वारा रखे गए प्रस्ताव का भरपूर समर्थन किया गया था।

See also  Flower Cultivation: ‘या’ फुलांची शेती तुम्हाला मिळवून देईल चांगला नफ; जाणून घ्या

भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जन्मदिवस को संयुक्त राष्ट्र ने हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के कुल 191 सदस्य देशों में से 140 से भी ज़्यादा देशों ने इस प्रस्ताव को सहमती से पारित किया। इनमें मुख्य रूप से अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान जैसे भारत के पड़ोसी देशों के अलावा अफ्रीका और अमेरिका महाद्वीप के कई देश भी शामिल थे।

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस क्यों मनाया जाता है :

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस इसलिए मनाया जाता है कि इसी दिन भारत के राष्ट्रपिता, अहिंसा के पुजारी, पूरे विश्व को सत्य और अहिंसा की नीति से प्रभावित करने वाले महात्मा गांधी जी का जन्मदिन है। महात्मा गांधी जी के स्मृति में विश्व अहिंसा दिवस मनाया जात है। अहिंसा और सद्भाव को सारे विश्व में फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने गांधीजी के जन्मदिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया।

विश्व अहिंसा दिवस का इतिहास :

15 जून, 2007 के संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा प्रस्ताव के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव रखा। संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा प्रस्ताव से पूरे विश्व में विश्व अहिंसा दिवस मनाया जाने लगा। महासभा द्वारा 15 जून, 2007 प्रताव में कहा गया कि- “शिक्षा के माध्यम से जनता के बीच अहिंसा का व्यापक प्रसार किया जाएगा।” संकल्प में यह भी कहा गया कि “अहिंसा के सिद्धांत की सार्वभौमिक प्रासंगिकता एवं शांति, सहिष्णुता तथा संस्कृति को अहिंसा द्वारा सुरक्षित रखा जाए।” इस दिवस का उद्देश्य यह है कि सारी दुनिया शांति और अहिंसा का आचरण करें।

See also  गंडक नदी में मिली अमेरिका में पाई जानेवाली मछली

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस का महत्त्व :

विश्वभर में अहिंसा का संदेश देने के लिए विश्व अहिंसा दिवस मनाया जात जाता है। इस दिन राष्ट्रपिता, अहिंसा के पुजारी, पूरे विश्व को सत्य और अहिंसा की नीति से प्रभावित करने वाले महात्मा गांधी जी का जन्मदिन है। इसलिए हर साल 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस मनाने का फैसला संयुक्त राष्ट्र संघ ने लिया।

महात्मा गांधीजी की विचारधारा :

गांधीजी व्यावहारिक आदर्शवाद को जोर देने वाले हैं। गांधीजी विचारधारा को अनेक स्त्रोतों से संग्रह किया था जैसे – भगवद्गीता, बाइबिल, जैन धर्म, गोखले और टॉलस्टॉय, जॉन रस्किन से विकसित विचारधार है। गांधीजी हमेशा अहिंसा मार्ग पर चलते थे। अहिंसा परमो धर्म की सीख हमें महात्मा गांधी जी से ही मिलती है। आजीवन सत्य और अहिंसा का पालन करने वाले व्यक्ति के रूप में बापू जी जाने जाते हैं। देश को आजाद कराने में गांधीजी का योगदान अविस्मरणीय है।

Leave a Comment