आम आवाम की आवाज वनेगी नालन्दा टुडे रणविजय

वर्तमान युग को सूचना और ज्ञान के क्रांति का युग माना जाता है। समाज हित में सम्यक प्रकाशन को पत्रकारिता कहा जा सकता है। अर्थात लोक मानस की अभिव्यक्ति की जीवंत विद्या ही पत्रकारिता है ।जिससे सामयिक सत्य मुखरित होते हैं। समय और समाज के संदर्भ में सजग रहकर नागरिकों में दायित्व बोध कराने की कला को भी पत्रकारिता कहते हैं ।अतः व्यक्ति के मानसिक एवं बौद्धिक तथा समाज के सर्वांगीण विकास के लिए पत्रकारिता अनिवार्य है। यूरोप में हुई औद्योगिक क्रांति के बाद छापाखाना और कागज ने पत्रकारिता के नए युग का शुभारंभ किया था।
पर आज की पत्रकारिता का स्वरूप बदल गया है ।अब डिजिटल पत्रकारिता का युग है ।
उक्त बातें पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सह प्रधान संपादक रणविजय सिंह ने लोकार्पण के मौके पर कही ।

नालंदा टुडे दैनिक डिजिटल अखबार का विधिवत लोकार्पण

बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के महासचिव प्रोफेसर प्रेम कुमार, पूर्व विधान पार्षद राजू यादव ,समाजसेवी मनोज ताती, पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सह प्रधान संपादक रणविजय सिंह,राज शेखर सहित समाजसेवी दीपक कुमार ने संयुक्त रूप से बिहारशरीफ बड़ी पहाड़ी स्थित अंश मैरेज हॉल में किया ।
इस मौके पर मनोज बेदी,विनय कुमार,अरुणेश यादव ,पर्वतारोही प्रिया रानी ,हेमलता सिन्हा सहित समाजसेवी ,बुद्धिजीवी एवं कई गणमान्य लोग शामिल हुए।
मौके पर पूर्व एमएलसी राजू यादव ने कहा कि नालंदा टुडे दैनिक डिजिटल अखबार का प्रकाशन नालंदा के लिए गर्व की बात है।उन्होंने संपादक मंडल को इसके लिए बधाई दिया।समाजसेवी मनोज ताती ने लोकार्पण के मौके पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि नालंदा सदियों से ज्ञान की भूमि रही है ।और नालंदा टुडे समाचार पत्र के माध्यम से प्रतिदिन अपने अपने घरों में बैठे बैठे ही लोग समय पर उचित समाचार पढ़ पाएंगे।

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वही समाजसेवी दीपक कुमार ने पत्रकारिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पत्रकारिता सामाजिक बदलाव का एक सशक्त माध्यम है। पत्रकारिता के मुख्य रूप से चार प्रमुख उद्देश्य माने गए हैं ।किसी घटना के विषय में जानकारी देना, शिक्षित करना, पाठकों में किसी विषय को लेकर जागृति लाना और उनका मनोरंजन करना। सामाजिक विकास में पत्रकारिता का अहम भूमिका सदा से रही है। पत्रकारिता का मूल धर्म समाज का चित्र खींचना और समाज का मार्गदर्शन करना है। पत्रकारिता अर्थात आमजन तथा प्रशासन के बीच की कड़ी ।पत्रकारिता की यथार्थता पर विहंगम दृष्टि डालें तो पता चलता है कि पत्रकारिता लोकतंत्रीय व्यवस्था की रीढ़ है, समाज रूपी घोड़े की लगाम है। वहीं यह जनता की आंख और जनता की उत्सुकता का समाधान भी है ।वह पत्रकारिता क्या जिससे सरकार डरे नहीं और समाज के शोषित वर्ग को कोई को मुक्ति का कोई रास्ता नहीं मिले।

पत्रकारों में कवि की कल्पना शक्ति न्यायाधीश की विशेषता वैज्ञानिक की स्वच्छता और कंप्यूटर मशीन जैसी गति होना चाहिए और पत्रकार का नैतिक बल इतना अधिक होना चाहिए कि कैची टूट जाए लेकिन पत्रकार को कोई काट ना पाए।
संपादक राज शेखर ने मौके पर उपस्थित लोगो के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि एक सफल पत्रकार पूरे समाज और विश्व को बदल सकता है।
पत्रकारिता खबरों की सौदागर नहीं है और ना ही उसका काम सत्ता के साथ शयन है। उसका काम जीवन की सच्चाई को सामने लाना है।

चौथा स्तंभ को निष्पक्ष होना जरूरी- प्रेम कुमार
नालंदा टुडे डिजिटल अखबार का लोकार्पण बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन पटना के महासचिव गांधीवादी प्रेम कुमार ने बिहार शरीफ के अंश मैरेज हॉल में बटन दबाकर किया । उन्होंने कहा कि न तीर निकालो न तलबार निकालो परिवर्त्तन चाहते हो तो अखबार निकालो । मीडिया को हमेशा निर्भीक और निष्पक्ष होना चाहिए। पत्रकारिता एक तपस्या है और यह आम आवाम की आबाज है। डीजल क्रांति के युग में डिजिटल इंडिया में डिजिटल अखबार समय की मांग है नालंदा टुडे ऊँची मुकाम हासिल करेगा। उन्होंने पत्रकारों से अपील किया की खबर की तह तक जाकर रिपोर्टिंग करे और पित्त पत्रकारिता से बचें । बिहार में आये दिन पत्रकारों पर हो रहे हमलों पर चिंता जताई और सरकार से पत्रकारों की सुरक्षा उपलव्ध कराने की मांग की ।

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