डेस्क : सरकार देश के कई विभागों को निजी हाथों में देने का मन बना रही है। हालांकि प्राइवेटाइजेशन का विरोध भी जमकर हो रहा है। सरकार की ओर से निजीकरण को लेकर कार्य तेज कर दी गई है। इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। सरकार ने एक कंपनी को बेचने का फैसला रद्द कर दिया है। यह कंपनी सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (CEL) की नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग है। इसके पीछे का कारण एक अधिकारी ने बताया कि चयनित बोली लगाने वाले द्वारा नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के समक्ष लंबित मामले का खुलासा नहीं करना है।
इसके अलावा सरकार ने एक और कंपनी के लंबित मामले पर अस्पष्टता आने के बाद पवनहंस की रणनीतिक बिक्री के संबंध में भी फैसला लिया है। यह मामला अलमास ग्लोबल ऑपर्च्युनिटी फंड एसपीसी के खिलाफ एनसीएलएटी में लंबित है। अब पवन हंस के बेचे जाने से संबंधित अपडेट का भी लोगों को इंतजार है। बता दें कि अलमास सफल बोली दाताओं के समूह का एक सदस्य है।
बोली लगाने वालों पर लगे आरोप :
बोली लगाने वालों पर लगे आरोप : नंदन फाइनेंस एंड लीजिंग को सीईएल की बेचने की मंजूरी मिली थी। इसकी कीमत 210 करोड़ रुपए तय की गई। लेकिन बोली लगाने वालों के खिलाफ कई आरोप सामने आए जिसके बाद सरकार ने 2022 के जनवरी महीने में इसकी बिक्री के प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगा। एक अधिकारी के अनुसार, आरोपों पर विचार करने और उचित जांच के बाद, चयनित बोली लगाने वाले को सीईएल की रणनीतिक बिक्री के निर्णय को रद्द करने का निर्णय लिया गया है। बोली लगाने वाले के खिलाफ एनसीएलटी में मामला चल रहा है। सीईएल के लिए बोली लगाने के समय नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग द्वारा इसका खुलासा नहीं किया गया था और यह विनिवेश दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।