Tag: पॉलिटिक्स

  • सतपुड़ा सिंघम का हरनौत में सद्भावना मंच (भारत) ने किया भव्य स्वागत

    सतपुड़ा सिंघम के नाम से प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के पुलिस अधिकारी प्रदीप बाल्मीकि के नालंदा आगमन पर सद्भावना मंच (भारत) के तत्वावधान में भव्य स्वागत किया गया।
    युवाओं के बीच हरनौत स्थित प्रणव इंग्लिश क्लासेज में एक कार्यशाला का आयोजन भी किया गया । स्वागत भाषण ग्राम नियोजन केंद्र बस्ती के सचिव विनोद कुमार पांडे ने तथा कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी चंद्र उदय कुमार ने किया।
    सतपुड़ा सिंघम के नाम से प्रख्यात प्रदीप बाल्मीकि ने विस्तार पूर्वक व्यक्तित्व विकास ,यातायात संबंधी जागरूकता, साइबर क्राइम से सुरक्षा ,महिला अपराधों की रोकथाम के प्रति जागरूकता संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी दी।

    उन्होंने व्यक्तित्व विकास पर संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी को जीवन में अच्छा व्यक्तित्व का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हेलमेट का सदैव उपयोग करें क्योंकि नाक ,मुंह,कान एवं मनुष्य सिर शरीर का काफी इंपॉर्टेंट हिस्सा होता है। कभी भी जीवन में खतरे मोल ना लें। और सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करें।उन्होंने राष्ट्रीय एकता ,अखंडता, भाईचारा ,एवं सद्भावना के प्रति युवाओं को प्रेरित किया।सतपुड़ा सिंघम का हरनौत में सद्भावना मंच (भारत) ने किया भव्य स्वागत
    बताते चलें कि बे मध्य प्रदेश पुलिस में पुलिस निरीक्षक के पद पर पदस्थ हैं ।वे अपने कार्यों को बखूबी ईमानदारी पूर्वक निभाते है । किसी विशेष कार्य से बे पूर्वी चंपारण एवं पूर्णिया संभाग आए थे । उन्होंने अपना विशेष समय निकालकर युवाओं को सामुदायिक पुलिसिंग के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। बताते चलें कि नक्सल प्रभावित इलाकों में कर्तव्य के दौरान मध्य प्रदेश पुलिस के द्वारा प्रदीप बाल्मीकि को दुर्गम सेवा पदक सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। सतपुड़ा सिंघम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेकों कार्यक्रम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
    प्रदीप बाल्मीकि प्रख्यात सर्वोदय समाजसेवी स्वर्गीय डॉक्टर एसएन सुबाराव से 30 वर्षो से अधिक समय से जुड़े हुए थे । एकता अखंडता और भाईचारा का पैगाम देते हैं।सतपुड़ा सिंघम मध्य प्रदेश पुलिस में पदस्त जांबाज पुलिस अधिकारी के रूप में जाने जाते है । कार्यशाला में सैकड़ों बच्चे उपस्थित थे।

    सतपुड़ा सिंघम का हरनौत में सद्भावना मंच (भारत) ने किया भव्य स्वागत  सतपुड़ा सिंघम का हरनौत में सद्भावना मंच (भारत) ने किया भव्य स्वागत
    सतपुड़ा सिंघम के आगमन पर हरनौत की धरती पर समाजसेवी चंद्र उदय कुमार, विनोद कुमार पांडे, पुरुषोत्तम पांडेय,बृजनंदन यादव , लक्ष्मी नारायण पांडे सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं बुद्धिजीवियों ने भव्य स्वागत किया।

  • बहुजन सेना की ओर से आदमपुर गांव में बहुजन महापंचायत की गई।

    नालंदा जिला के गिरियक प्रखंड के आदमपुर गांव में बहुजन सेना द्वारा एक बहुजन महापंचायत का आयोजन किया गया। आज के इस महापंचायत में सर्वप्रथम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एवं महात्मा बुध्द के मूर्ति पर माल्यार्पण करते हुए बहुजन महापंचायत की शुरुआत की गई। इस बहुजन महापंचायत में गिरिरक प्रखंड के विभिन्न गांवों के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
    इस अवसर पर बहुजन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिलीप कुमार ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि आजादी के 75 साल बाद भी हम बहुजनों (एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्यकों) की स्थिति गुलामों जैसी बनी हुई है। आज भी देश के सत्ता एवं संस्थानों पर सिर्फ एक वर्ग का ही एकाधिकार बना हुआ है।अब समय आ गया है कि हमलोग अपने हक अधिकार को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़े और इस देश से मनुवादियों/सामंतवादियों के शासन को उखाड़ फेकें।बहुजन सेना की ओर से आदमपुर गांव में बहुजन महापंचायत की गई।
    इस अवसर पर प्रदेश महासचिव रामदेव चौधरी ने कहा कि न्यायपालिका में कॉलजीएम सिस्टम प्रणाली खत्म किया जाए पूरे बिहार राज्य में समान शिक्षा प्रणाली लागू किया जाए सभी गरीब वोटरों को ₹10000 हर महीना दिया जाए बहुजनों को 85% आरक्षण मिले भारत के सभी पूॅजी पत्तियों की संपत्ति राजस्व घोषित किया जाए आजाद देश में आज भी बहुजनों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है और निजीकरण के आड़ में उनके आरक्षण को छीना जा रहा है तथा संविधान में दिए अधिकारों को तोड़ मरोड़ कर खत्म करने का साजिश चल रही है बहुजन महापंचायत में उपस्थित लोगों ने संविधान, आरक्षण, अपने अधिकारों को बचाने का संकल्प लिए।
    प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश कुमार दास एवं जिला सचिव महेंद्र प्रसाद ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी आबादी 90% परसेंट होने के बावजूद भी हम शासक नहीं बल्कि याचक बनकर जिंदगी जी रहे हैं। और आज भी हमारे बहुजन लोग उचित शिक्षा एवं स्वास्थ्य से वंचित हैं तथा गरीबी के साए में जीवन जीने को मजबूर हैं।
    आज के इस बहुजन महापंचायत में इन्द्रेव पासवान, सुरेन्द्र प्रसाद तरुण, रंजीत रविदास, इन्दल चौधरी, धनेश्वर मांझी, नरेश दास, होरिल दास, विपिन दास, बिहारी चौधरी, नरेश रजक, विजय कुमार, जतन मांझी, शैलेन्द्र कुमार राम,विनय कुमार, सुदेश दास, विनेश्वर मांझी इत्यादि लोगों ने भाग लिया।

  • दीपदान उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

    बिहारशरीफ के राहुई प्रखंड के गांव पचासा,मोड़ा,अमरपुर में महात्मा गौतम बुद्ध एवं डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए दीप जलाकर एवं लोगों के बीच मिठाई बांटकर दीपदान उत्सव डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के तत्वधान में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। झूठ/असत्य/ अन्याय के जितने विरोधी हैं उससे लाखों गुना सत्य/ न्याय की विरोधी इस देश में है जो इस महान देश के लिए अभिशाप बन चुके हैं हमारा मार्ग सत्य/ न्याय का है किसी की झूठी भावनाओं का बोझ उठाकर देश के साथ गद्दारी नहीं कर सकता। ये उपयुक्त युक्ति दीपदान उत्सव में रामदेव चौधरी ने कही।इस मौके पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान ने कहा कि दीपदान उत्सव सर्वप्रथम 17 साल गृह त्याग के बाद सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बनने के बाद कपिलवस्तु लौटे थे उनके पिता राजा शुद्धोधन ने अपने प्रजा से कहे की हमारे पुत्र सिद्धार्थ के लौटने से पूरे नगरवासी खुशी में मेवा मिष्ठान बनाकर अपने अपने घरों में दीप जलाकर दीपदान उत्सव मनाए।दीपदान उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

    उनके पिता जान गए थे की हमारा पुत्र सिद्धार्थ नहीं रह गया वह दुनिया के लिए सिद्धार्थ से महात्मा बुध्द बन गया है जो दुनिया को प्रकाशित करेगा।इस मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष रामदेव चौधरी ने कहा कि कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक बौद्ध बन गए थे और उन्होंने पूरे जम्मू दीप में 84000 धम्म बनाए थे जब उनको पता चला कि भगवान गौतम बुद्ध को 17 साल बाद लौटे गृह कपिलवस्तु के नगर वासी ने दीपदान उत्सव मनाए थे तब उन्होंने कार्तिक अमावस्या के दिन सम्राट अशोक ने 260 ईसा पूर्व दीपदान उत्सव पूरे जम्मू द्वीप में मनाने के आदेश दिए उस समय भारत पाटलिपुत्र से लेकर बर्मा श्रीलंका आफिगिस्तान भूटान नेपाल देश तक फैला था और जम्मू दीप से जाना जाता था तथा पूरे जम्मू द्वीप में दीपदान उत्सव बनाए गए स्कूल कॉलेज बनाए गए जानवर के लिए अस्पताल बनाएं दीपदान करना अर्थात प्रकाश को दान करना ज्ञान को दान करना दीपावली का मूल नाम दीपदान उत्सव है बाद में पुष्यमित्र शुंग ने मौर्य वंश के अंतिम शासक राजा बृहदत्त मौर्य की हत्या कर वैदिक धर्म की स्थापना की जिसने दीपदान उत्सव को बदलकर दीपावली के नाम से नवाजा जो आज तक चल रहा है। दीपावली मूल निवासियों का पर्व नहीं है

    दीपदान उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

    मूल निवासियों का दीपदान उत्सव है जो भगवान बुध्द के अपने गृह कपिलवस्तु के लौटने के क्रम में वहां के नगरवासी अपने घरों को दीपों से सजा कर दीपदान उत्सव मनाए थे।इस अवसर पर अति पिछड़ा दलित संघर्ष मोर्चा के संस्थापक बलराम दास ने कहा कि आओ आज से हम लोग मूल निवासी संकल्प लें की दीपावली के जगह पर दीपदान उत्सव मनाए।इस मौके पर जिला के महासचिव महेंद्र प्रसाद जिला उपाध्यक्ष लालती देवी उपाध्यक्ष नंदलाल दास सचिव संटू पासवान सुशील कुमार शिव शंकर दास शशिकांत जी शर्मिला देवी उषा देवी श्रीदेवी विजय दास जन रविदास आदि लोग उपस्थित थे।

  • पर्यावरण संरक्षण हेतु फलदार पौधा विधालय में वाटी गई।

    पर्यावरण संरक्षण हेतु फलदार पौधा विधालय में वाटी गई।। गूंज के सहयोग से मानव सेवा केन्द्र लोहड़ी द्वारा वांटी गईं फलदार पौधा।। नूरसराय प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय ईम्बराहिमपुर एवं मध्य विद्यालय ककड़ियां में अंतरराष्ट्रीय संस्था गूंज के राज्य प्रमुख शिवजी चतुर्वेदी जी के मार्गदर्शन में स्कूल के चार सौ बच्चों को मानव सेवा केन्द्र लोहड़ी के सचिव पुरुषोत्तम कुमार के द्वारा फलदार पौधा लगाने एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु उचित प्रयास किया गया।

    यह कार्यक्रम गूंज पटना के अरुण उपधया जी के निर्देश पर फलदार पौधा लगाने लगवाने का निर्णय संस्था सचिव पुरुषोत्तम कुमार और महावत प्रसाद उर्फ धनंजय सिंह वार्ड सदस्य सिप्पी कुमारी ऊषा देवी अहिल्या देवी गौतम कुमार शिक्षक राकेश बिहारी शर्मा,अनुज कुमार शिक्षिका प्रियंका कुमारी के साथ प्राथमिक विद्यालय ईम्बराहिमपुर एवं मध्य विद्यालय ककड़ियां के उपस्थित छात्र छात्राओं को पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूक करने के लिए बच्चों को बीच कि गई जिससे लोगों में भावना जागृत करने का काम किया गया है ।

  • देश में सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन के जनक जयप्रकाश नारायण की 120 वीं जयंती

    राकेश बिहारी शर्मा-भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन का इतिहास न केवल अत्यन्त रोचक है, वरन् अद्वितीय है। भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन में वर्षों के अंग्रेजी उपनिवेशवादी सम्राज्य की गुलामी के बीच जो उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं, वह विश्व में सर्वथा नवीन हैं। भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलनों की जो विचारधारा रही है, उसके जो लक्ष्य रहे हैं तथा उसके जो परिणाम हुए हैं, वह इतिहास की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण हैं। इन आन्दोलनों के पीछे जो सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि रही है, वह निश्चित रूप से आन्दोलन की दशा एवं दिशा देने में काफी प्रभावी रही है। भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रभाव में उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि प्रमुख रूप से रही है। विदेशी शासन से मुक्ति पाने के लिए भारतीय जनता का बहादुरीपूर्ण संघर्ष भारतीय राष्ट्रवाद का उदय एवं प्रभाव ही था। देश की आजादी का जिक्र होने पर जिस तरह सबसे पहले और सबसे प्रमुखता से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जिक्र होता है, उसी तरह देश की दूसरी आजादी का सबसे बड़ा श्रेय लोकनायक जयप्रकाश नारायण को जाता है। दूसरी आजादी यानी देश में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से थोपे गए आपातकाल का खात्मा और लोकतंत्र की बहाली।

    जयप्रकाश नारायण का पारिवारिक जीवन और शिक्षा –विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को नया जीवन देने वाले जयप्रकाश यानी जेपी का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार और उत्तर प्रदेश के सीमा पर मौजूद छोटे से गांव सिताबदियारा में कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री हरसू दयाल तथा माता का नाम श्रीमती फूलरानी देवी था। उनकी माता एक धर्मपरायण महिला थीं। तीन भाई और तीन बहनों में जयप्रकाश अपने माता-पिता की चौथी सन्तान थे । उनसे बड़े एक भाई और एक बहन की मृत्यु हो जाने के कारण उनके माता-पिता उनसे अपार स्नेह रखते थे। प्राथमिक शिक्षा गांव में हासिल करने के बाद सातवीं क्लास में उनका दाखिला पटना में कराया गया है। बचपन से ही मेधावी जयप्रकाश को मैट्रिक की परीक्षा के बाद पटना कॉलेज के लिए स्कॉलरशिप मिली।
    जयप्रकाश ने रॉलेट एक्ट जलियाँवाला बाग नरसंहार के विरोध में ब्रिटिश शैली के स्कूलों को छोड़कर बिहार विद्यापीठ से अपनी उच्चशिक्षा पूरी की। महज 18 साल की उम्र में 1920 में जयप्रकाश जी का विवाह ब्रज किशोर प्रसाद की बेटी प्रभावती से हुआ। कुछ साल बाद ही प्रभावती ने ब्रह्मचर्य का व्रत ले लिया और अहमदाबाद में गांधी आश्रम में राष्टपिता की पत्नी कस्तूरबा के साथ रहने लगीं। जेपी ने भी पत्नी के साथ ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया। जयप्रकाश जी ने एम. ए. समाजशास्त्र से किया। जयप्रकाश ने अमेरिकी विश्वविद्यालय से आठ वर्ष तक अध्ययन किया और वहाँ वह मार्क्सवादी दर्शन से गहरे प्रभावित हुए। पढ़ाई करते हुए उन्होंने अपना खर्च वहन करने के लिए गैराज में काम किया था।

    जयप्रकाश नारायण का राजनैतिक जीवन – जयप्रकाश जी गांधीवादी विचारों से प्रभावित थे और स्वदेशी सामानों का इस्तेमाल करते थे। वह हाथ से सिला कुर्ता और धोती पहनते थे। अमेरिका से लौटने के पश्चात् कुछ समय तक वे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रवक्ता रहे, लेकिन भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लेने के उद्देश्य से उन्होंने नौकरी छोड़ दी और काँग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता बन गए। वर्ष 1934 में काँग्रेस की नीतियों से असन्तुष्ट नवयुवकों ने जब अखिल भारतीय काँग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना की तो जयप्रकाश नारायण इसके संगठन मंत्री बनाए गए। इस पार्टी में उनके साथ राम मनोहर लोहिया, अशोक मेहता और आचार्य नरेन्द्र देव जैसे राजनेता भी थे। आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभा रहे जेपी को 1932 में गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में उन्हें काफी यातनाएं दी गईं। इसके कारण वर्ष 1932 से 1946 के बीच ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कई बार जेल की सलाखों के पीछे भेजा, किन्तु बार-बार वे जेल कर्मचारियों को चकमा देकर फरार होने में सफल रहे।
    विचारों में मतभेद होने के बाद भी महात्मा गाँधीजी जयप्रकाश जी से काफी अनुराग रखते थे। 7 मार्च, 1940 को जब उनको पटना में गिरफ्तार कर चाईबासा जेल में बंद कर दिया गया, तब गाँधीजी ने कहा था- “जयप्रकाश नारायण की गिरफ्तारी एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। वे कोई साधारण कार्यकर्ता नहीं हैं, बल्कि समाजवाद के महान् विशेषज्ञ हैं।” जेल से बाहर आने के बाद वह भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए। इसी दौरान कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन हुआ और जेपी इसके महासचिव बनाए गए। 1954 में उन्होंने बिहार में बिनोवा भावे के सर्वोदल आंदोलन के लिए काम करने की घोषणा की थी। 1957 में उन्होंने राजनीति छोड़ने का भी फैसला कर लिया था। हालांकि, 1960 के दशक के अंत में एक बार फिर वे राजनीति में सक्रिय हो गए थे। उन्होंने किसानों के आंदोलनों की भी अगुआई की।
    इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा चुनाव में अयोग्य ठहराए जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। विपक्ष के सभी बड़े नेताओं को जेल में ठूस दिया गया और अभिव्यक्ति की आजादी पर भी पहरा लगा दिया गया। जयप्रकाश नारायण ने उस समय देश को एकजुट किया और उनके जनआंदोलन का ही परिणाम था कि करीब 21 महीने बाद 21 मार्च 1977 को आपताकाल खत्म हो गया।

    जयप्रकाश नारायण का इंदिरा गांधी का विरोध – जयप्रकाश नारायण प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के खिलाफ थीं। 1974 में पटना में छात्रों ने आंदोलन छेड़ा था। आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से अंजाम देने की शर्त पर उन्होंने इसकी अगुआई की। इसी दौरान देश में सरकार विरोधी माहौल बना तो इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी। जेपी भी जेल गए और करीब सात महीनों तक सलाखों के पीछे रहे। उनकी तबीयत भी उन दिनों खराब थी, लेकिन जो संप्रूण क्रांति का नारा दिया, उसने देश में लोकतंत्र की बहाली दोबारा सुनिश्चित कर दी।

    जयप्रकाश नारायण का सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन – इंदिरा गांधी को पदच्युत करने के लिए उन्होंने सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन चलाया था। लोकनायक ने कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल हैं। सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं आध्यात्मिक क्रांति। सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा। जेपी के नाम से प्रसिद्ध जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। बिहार में आज के सभी नेता उसी छात्र युवा वाहिनी का हिस्सा थे। वे अत्यंत समर्पित जननायक और मानवतावादी चिंतक तो थे ही इसके साथ-साथ उनकी छवि अत्यन्त शालीन और मर्यादित सार्वजनिक जीवन जीने वाले व्यक्ति की भी है। उनका समाजवाद का नारा आज भी हर तरफ गूँज रहा है, भले ही उन के नारे पर राजनीति करने वाले उन के सिद्धांतों को भूल रहे हों, क्योंकि, उन्होंने सम्पूर्ण क्रान्ति का नारा एवं आन्दोलन जिन उद्देश्यों एवं बुराइयों को समाप्त करने के लिए किया था, वे सारी बुराइयाँ इन राजनीतिक दलों एवं उन के नेताओं में व्याप्त है।

    जयप्रकाश के आंदोलन में बिहार के नेता –जयप्रकाश जी इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे। गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन किया। उन्हें सन् 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। सन् 1974 में सिंहासन खाली करो जनता आती है के नारे के साथ वे मैदान में उतरे तो सारा देश उनके पीछे चल पड़ा, जैसे किसी संत महात्मा के पीछे चल रहा हो। जयप्रकाश आंदोलन में छात्र नेता में शामिल हुए कई नेता जैसे लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, राम विलास पासवान, रविशंकर प्रसाद सुशील मोदी, मुलायम सिंह यादव जैसे दर्जनों नेता बाद में वर्षों तक सत्ता में रहे। आपातकाल के बाद देश में चुनाव हुए तो कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई और केंद्र में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ। खुद इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी चुनाव हार गए थे।

    कर्मयोगी लोकनायक जयप्रकाश नारायण का निधन – आज की युवा पीढ़ी के कम ही लोग जानते होंगे कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण के लंबे सार्वजनिक जीवन का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण प्रसंग उनके निधन से दो सौ दिन पहले 23 मार्च, 1979 को घटित हुआ था। दुर्भाग्यपूर्ण होने के बावजूद वह इस अर्थ में दिलचस्प है कि उसने उन्हें इस देश तो क्या दुनिया का इकलौता ऐसा नेता बना दिया, जिसे उसके देश की संसद ने उसके जीते जी ही श्रद्धांजलि दे डाली थी! उस दिन दरअसल हुआ यह कि जब वे अपने गुर्दों की लंबे अरसे से चली आ रही बीमारी से पीड़ित होकर मुंबई के जसलोक अस्पताल में मृत्यु से संघर्ष कर रहे थे, सरकार नियंत्रित आकाशवाणी ने दोपहर बाद एक बजकर दस मिनट पर अचानक खबर देनी शुरू कर दी कि जयप्रकाश नारायण का निधन हो गया है। उस वक्त उनके ही निरंतर प्रयत्नों से संभव हुई कांग्रेस की बेदखली के बाद सत्ता में आयी जनता पार्टी का शासन था और हद तब हो गयी थी, जब आकाशवाणी की खबर की पुष्टि कराये बगैर तत्कालीन लोकसभाध्यक्ष केएस हेगड़े ने प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के हवाले से लोकसभा को भी उनके निधन की सूचना दे डाली और श्रद्धांजलियों व सामूहिक मौन के बाद सदन को स्थगित कर दिया। खबर सुनकर लोग अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए जसलोक अस्पताल पहुंचने लगे तो जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर अस्पताल में ही थे। उन्होंने बाहर आकर लोगों से क्षमायाचना की और बताया कि लोकनायक अभी हमारे बीच हैं। हम जानते हैं कि 23 मार्च को समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया की जयंती होती है और इस जयंती के ही दिन जेपी को जीते जी श्रद्धांजलि की शर्मनाक विडंबना तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई व उनकी सरकार के गले आ पड़ी तो गलती सुधारने के लिए लोकसभा के स्थगन के चार घंटे बाद ही फिर से उसकी बैठक बुलानी पड़ी और विपक्षी कांग्रेस के सांसदों ने इसको लेकर उनकी सरकार की खूब ले दे की। बहरहाल, जीते जी मिली संसद की इस ‘श्रद्धांजलि’ के बाद जेपी दो सौ दिनों तक हमारे बीच रहे और 8 अक्टूबर, 1979 को इस संसार को अलविदा कहा, जिसके लंबे अरसे बाद 1998 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किया गया।

    लोकनायक जयप्रकाश नारायण देश के सच्चे समाज सेवक- वे देश के सच्चे समाज सेवक थे, जिन्हें लोकनायक के नाम से भी जाना जाता है। पटना के हवाईअड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है तथा दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल भी उनके नाम पर है। उनका समस्त जीवन यात्रा संघर्ष तथा साधना से भरपूर रहा है। उन्होंने भारतीय राजनीति को ही नहीं बल्कि आम जनजीवन को एक नई दिशा दी। वे समूचे भारत में ग्राम स्वराज्य का सपना देखते थे और उसे आकार देने के लिए अथक प्रयास भी किये। कर्मयोगी लोकनायक बाबू जयप्रकाश नारायण ने स्वार्थलोलुपता में कोई कार्य नहीं किया। वे अन्त: प्रेरणा के पुरुष थे। उन्होंने अनेक यूरोपीय यात्राएँ करके सर्वोदय के सिद्धान्त को सम्पूर्ण विश्व में प्रसारित किया।

  • गराई विगहा में अखंड कीर्तन के मौके पर किया गया भव्य भंडारा का आयोजन।

    रहुई प्रखंड के गराई विगहा में अखंड कीर्तन के मौके पर भव्य भंडारा का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि ई. सुनील कुमार के उपस्थिति में इस भव्य भंडारा का उद्घाटन नालंदा के विधान पार्षद रीना यादव पूर्व विधायक चंद्रसेन पूर्व एमएलसी राजू यादव ने संयुक्त रूप से फीता काटकर भव्य भंडारा की शुरूआत की। वहीं गराई विगहा में 24 घंटे की अखंड कीर्तन में सम्मिलत होकर आरती भी की। विधान पार्षद रीना यादव ने बीजेपी पर तंज कसते कहा कि आरक्षण को लेकर कह भाजपा हमेशा आरक्षण विरोधी काम करती रही है

    हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछड़ो को शुशोभित किया और पिछड़ो को,अति पिछड़ों को दलितो, महादलितों को आरक्षण के माध्यम से पद देने का काम किया है। नगर निकाय के चुनाव को लेकर कहा कि कोर्ट है और न्यायपालिका है और हम न्यायपालिका विरूद्ध नहीं है वहीं भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा का बिनाश होने वाला है जब आदमी का विनाश होने वाला है तो उसकी बुद्धी भ्रष्ट हो जाती है और जो भी काम किया है उसे नुकासन ही होने वाला है और आने वाला चुनाव में जनता इसका पूरा से पूरा बदला लेगी। वही जदयू के राष्ट्रीय महासचिव इंजीनियर सुनील ने कहा कि इस गांव में दो दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम का आयोजन समस्त ग्रामीणों के सहयोग से किया गया

    कार्यक्रम की शुरुआत कलश यात्रा से हुई इसके बाद 24 घंटे का अखंड कीर्तन हुआ और अखंड कीर्तन की समाप्ति के बाद भव्य भंडारा का आयोजन किया गया इस भंडारे के आयोजन में यथा भक्ति यथाशक्ति के हिसाब से ग्रामीणों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन से जहां गांव में एकता बनी रहती है वहीं लोगों में भक्ति का भाव भी समाहित होता है। इस मौके पर समाजसेवी अरविंद कुमार सिन्हा, जदयू नेता रंजीत कुमार, सलन महतो,डब्लू सिंह,जिवेश यादव,राजन मुखिया,राकेश मुखिया, प्रेम कुमार, निवेदक ई. रामानन्दन प्रसाद, जिला अध्यक्ष सियाशरण ठाकुर, प्रमुख बाबूलाल राम, उप प्रमुख राकेश रंजन अमन प्रताप और अली महतो समेत सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

  • अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के बैनर तले पुष्यमित्र शुंग का पुतला दहन किया

    बिहारशरीफ के रहुई प्रखंड के गांव मोरापचासा में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के बैनर तले पुष्यमित्र शुंग का पुतला दहन किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि शुंग वंश से पहले पूरे भारत बौद्ध मय था जिसे कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म की स्थापना की थी। जिसे बाद में पुष्यमित्र शुंग ने मौर्य वंश के अंतिम शासक बृहदत्त की हत्या कर शासक बना था जो वैदिक धर्म (सनातन धर्म) की स्थापना की जिसमें ऊंच-नीच भेदभाव जात पात छुआछूत का बोलबाला है। जिसे बहुजन समाज (मूलनिवासी) आज तक इस कुर्तियों से शोषित हो रहा है

    जिस धर्म में इतने सारे कुर्तियां हो वो धर्म हमें नहीं चाहिए। वैदिक धर्म में मूर्ति पूजा की जाती है जिसे आज तक बहुजन समाज ढोते चले आ रहे हैं इसलिए हम कहते हैं शिक्षित बनो शिक्षा से ही अंधभक्ति पाखंडवाद को मिटाया जा सकता है ऊंच-नीच जात पात भेदभाव छुआछूत को मिटाओ और ज्ञान की बत्ती जलाओ आगे उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि बहुजनों के शासक बृहदत्त थे। जिसकी हत्या छल से विदेशी पुष्यमित्र शुंग (सेनापति) के द्वारा हत्या कर दी गई थी। आज उनके याद करते हुए, सम्राट अशोक विजय दिवस मनाते हुए एवं महिषासुर (अहीर, यादव) के सम्मान में अंधभक्ति मुक्ति पाखंडवाद को मिटाने के लिए,भारत को तथागत बौद्ध धम्म बनाने हेतु पुष्यमित्र शुंग की पुतला दहन की गई।

    इस मौके पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान प्रदेश उपाध्यक्ष रामदेव चौधरी जिला अध्यक्ष बलराम दास । महासचिव महेंद्र प्रसाद मोहन चौधरी नंदलाल रविदास धोरी चौधरी उमेश दास अखिलेश पासवान विजय दास दीपक पासवान आदि लोग उपस्थित थे।

  • अपने नगर वासियों से जनसंपर्क करते हुए हमारे मेयर प्रत्याशी संजय कुमार गुप्ता

    अपने नगरवासियों से जनसंपर्क करते हुए मेयर प्रत्याशी संजय कुमार गुप्ता जी ने कई मुद्दों पर बात-चित किया जैसे कि वहां पर आने जाने में लोगों को बहुत ही तकलीफ होती है वहां पर कोई भी पक्का सड़क नहीं है, वहां प आज भी लोगों के घर मे जल नहीं पहुंच पाया है और बारिश होने पर वहां जलजमाव हो जाता है जिससे लोगों को बहुत ही तकलीफ होती है पानी में डूब कर आना जाना पड़ता है

    जिससे कि कई बीमारियां होने का भी खतरा होता है गांव वासियों को।मेयर प्रत्याशी संजय कुमार गुप्ता जी ने इन समस्याओं का समाधान करने का नगर वासियों को आश्वासन दिए और प्राथमिकी रूप से उन लोगों के लिए सड़क, नाली और हर घर जल पहुँचाने का वादा किया।

  • महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई

    महात्मा गांधी के बताए रास्तों पर चलकर मानव जाति का कल्याण हो सकता है। सादगी और ईमानदारी के प्रतिमूर्ति थे लाल बहादुर शास्त्री:- श्रवण कुमार। नालंदा जिला जनता दल यूनाइटेड के द्वारा बिहार शरीफ के गांधी मैदान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता जनता दल यू के जिला अध्यक्ष सिया शरण ठाकुर ने की इस अवसर पर बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार सांसद कौशलेंद्र कुमार बिहार विधान परिषद के सचेतक रीना यादव ने दोनों के तैल्य चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित की। इस अवसर पर मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बताए मार्गो पर ही चल कर मानव जाति का कल्याण हो सकता है राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी थी।

    उन्होंने सत्य और अहिंसा के आदर्शों पर चलकर भारत को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराया था।गांधी जयंती को हर भारतवासी को उल्लास से मनाना चाहीए बापू’ के नाम से लोकप्रिय गांधी जी के सिद्धांत अहिंसा और सत्याग्रह पर आधारित थे। अहिंसा, सत्य, शांति और उच्च नैतिक मानकों में उनके अटूट विश्वास ने उन्हें एक बहुत प्रभावी स्वतंत्रता आंदोलन का नेता बना दिया।लाल बहादुर शास्त्री अपनी उदात्त निष्ठा एवं क्षमता के लिए लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गए। विनम्र, दृढ, सहिष्णु एवं जबर्दस्त आंतरिक शक्ति वाले शास्त्री जी लोगों के बीच ऐसे व्यक्ति बनकर उभरे जिन्होंने लोगों की भावनाओं को समझा। वे दूरदर्शी थे जो देश को प्रगति के मार्ग पर लेकर आये। लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी के राजनीतिक शिक्षाओं से अत्यंत प्रभावित थे। अपने गुरु महात्मा गाँधी के ही लहजे में एक बार उन्होंने कहा था मेहनत प्रार्थना करने के समान है।उन्होंने अपने विनम्र स्वाभाव, मृदुभाषी व्यवहार और आम लोगों से जुड़ने की क्षमता से भारत की राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी थी।लाल बहादुर शास्त्री को “शांति के प्रतीक” के रूप में जाना जाता है

    क्योंकि उन्होंने हमेशा आक्रामकता के बजाय अहिंसा का रास्ता पसंद किया। महात्मा गांधी के सपनों को बिहार में धरातल पर उतारने का काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने करने का काम किया है न्याय के साथ विकास कर हर वर्गों का हर क्षेत्रों का समुचित विकास किया है आज तो महात्मा गांधी की जयंती गॉडसे को भी पूजने वाले लोग मना रहे हैं। एक तरफ गॉडसे को राष्ट्रभक्त बताते हैं दूसरे तरफ महात्मा गांधी की पूजा करने का ढोंग करते हैं देश में जुमलेबाजी करने वाली सरकार जुमलेबाजी कर भोली भाली जनता को ठगने का काम कर रही है काम की बात की जगह मन की बात होती है अमन चैन शांति को भंग करने का संप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का हर संभव प्रयास बीजेपी करती रहती है। बी जे पी की दोहरी नीति को जान चुकीं है समझ चुकी है एवं इनके दोहरे चरित्र को समझ चुकी है

    उनके बताए मार्ग को अपनाकर पर चलकर ही उनके सपनों का भारत बना सकते हैं उनकी याद में आज हम लोगों ने पौधारोपण करने का काम किया है। इस अवसर पर असगर शमीम नगर जदयू के अध्यक्ष गुलरेज अंसारी मुख्य प्रवक्ता धनंजय देव महमूद बख्खो रंजीत कुमार अरविंद कुमार विनोद कुमार सिंह अब्दुल हक अमजद सिद्धकी रंजीत चौधरी श्रवण स्वर्णकार युगलकिशोर मुखिया आकाश कु काजल सनी पटेल आदित्य कुमार विकास मेहता राजेश कुमार सोनू शर्मा सूरज कुमार डॉक्टर बृजनंदन प्रसाद मोहम्मद इमरान रिजवी किशोर कुणाल मेराजुद्दीन पवन शर्मा संजीत यादव रोशन गुप्ता सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे

  • 2 अक्तूबर को चंपारण से शुरू हो रही प्रशांत किशोर की पदयात्रा

    जन सुराज अभियान के तहत प्रशांत किशोर अपनी घोषणा के मुताबिक 2 अक्तूबर से पदयात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह पदयात्रा बिहार पश्चिम चंपारण जिले के भितिहरवा गांधी आश्रम से शुरू होगी। प्रशांत किशोर ने कहा है कि इस पदयात्रा के माध्यम से वो लगभग 3500 किमी पैदल चलेंगे और बिहार के हर पंचायत और प्रखंड में पहुंचने का प्रयास करेंगे। उन्होंने ये भी कहा है कि इस पदयात्रा को पूरा करने में लगभग एक से डेढ़ साल तक का समय लगेगा और इस बीच वो पटना या दिल्ली नहीं लौटेंगे।

    स्वतंत्रता के बाद 50 के दशक में भारत के अग्रणी राज्यों में शामिल बिहार, आज देश का सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य है।
    आज गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से लोगों का यहां बुरा हाल है। अब समय है स्थिती को बदलने का और लोगों के जीवन में बेहतरी के लिए, बिहार की व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन का।

    इस संकल्प के साथ और आने वाले 10 सालों में बिहार को देश के शीर्ष 10 राज्यों की श्रेणी में शामिल कराने के लिए, जन सुराज का यह अभियान समाज के सही लोगों को जोड़कर, एक सही सोच के साथ, सामूहिक प्रयास के जरिए एक ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश है, जिससे सत्ता परिवर्तन सही मायनों में व्यवस्था परिवर्तन का जरिया बने।

    इस पदयात्रा के 3 मूल उद्देश्य हैं:

    1. समाज की मदद से जमीनी स्तर पर सही लोगों को चिन्हित करना और उनको एक लोकतांत्रिक मंच पर लाने का प्रयास करना।
    2. स्थानीय समस्याओं और संभावनाओं को बेहतर तरीके से समझना और उसके आधार पर नगरों एवं पंचायतों की प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध कर, उनके विकास का ब्लूप्रिंट बनाना
    3. बिहार के समग्र विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आर्थिक विकास, कृषि, उद्योग और सामाजिक न्याय जैसे 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेषज्ञों और लोगों के सुझावों के आधार पर अगले 15 साल का एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करना।

    जन सुराज पदयात्रा से जुड़ी सभी जानकारी अब jansuraaj.org पर भी उपलब्ध

    जन सुराज अभियान की आधिकारिक वेबसाइट शुक्रवार को शुरू की गई। पदयात्रा और उससे जुड़ी सभी जानकारी अब कोई भी व्यक्ति इस वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त कर सकेंगे। जन सुराज अभियान की वेबसाइट jansuraaj.org की खासियत है की जो भी व्यक्ति जन सुराज अभियान या प्रशांत किशोर के साथ पदयात्रा से जुड़ना चाहते हैं वो इस वेबसाइट के माध्यम से अपना नाम दर्ज करवा सकते हैं। साथ ही पदयात्रा से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारियां इस वेबसाइट के माध्यम से मिल सकेगी। इस वेबसाइट की माध्यम से देश दुनिया के किसी भी हिस्से में रहते हुए आप सीधे डिजिटल तरीके से घर बैठे जन सुराज अभियान और प्रशांत किशोर की पदयात्रा को बहुमूल्य योगदान दे सकतें है। यह वेबसाइट दोनों हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।