चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गोयनका की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अनधिकृत निर्माणों पर फिलहाल रोक लगा दिया है।
साथ ही कोर्ट ने भागलपुर निगम के निगमायुक्त को अगली सुनवाई में तलब किया है।याचिकाकर्ता की अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि भागलपुर में ये एक सार्वजानिक पार्क हैं,जहां यहाँ के नागरिक टहलने,खेलने और मनोरंजन के लिए आते है।
अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि कोर्ट ने इस मामलें पर 2004 में भी सुनवाई की थी।कोर्ट ने पार्क के क्षेत्र के भीतर किसी तरह के निर्माण पर रोक लगा दिया था।कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि पार्क का जिस उद्देश्य के बनाया गया है, उसी के लिए उपयोग हो।
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उन्होंने बताया कि बाद में प्रशासन ने जन उपयोगी निर्माण के नाम पर कुछ निर्माण कार्य करने की अनुमति कोर्ट से ले ली।लेकिन बाद में अन्धाधुंध और मनमाने तरीके से निर्माण होने लगे,जिससे इस पार्क का उद्देश्य ही खत्म हो गया।
उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि भागलपुर नगर निगम को 29 सितम्बर,2021 को कोर्ट के आदेश को पालन करने के सम्बन्ध में निर्देश दिया जाए।
चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए यूजीसी को जो भी उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए गए है, उनकी जांच कर कोर्ट में अगली सुनवाई में रिपोर्ट दे।
ये जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर की हैं।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि जो धनराशि कालेजों को दी जाती है,इसकी जिम्मेदारी किसी के द्वारा नहीं लेना गंभीर मामला है।कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालयों के वीसी और यूजीसी को हलफनामा दायर कर पूरी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालयों को दो दिनों के भीतर उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने कहा था कि यूजीसी उसके बाद एक सप्ताह में कार्रवाई करेगा।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रितिका रानी ने कोर्ट को बताया कि राज्य में अंगीभूत और सम्बद्धता प्राप्त कालेजों की संख्या 325 है।इन कालेजों को काफी पहले यूजीसी ने जो अनुदान दिया था, उसका बहुत सारे मामलों में अबतक उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं प्रस्तुत किया गया है।
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उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के विभिन्न कालेजों द्वारा 124 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी को प्रस्तुत नहीं किया गया है।कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि कालेजों द्वारा दो दिनों के भीतर उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं जमा किये गए, तो सम्बंधित वीसी का वेतन रोक दिया जाएगा।
कोर्ट ने ये भी स्पष्ट कर दिया था कि कालेजों द्वारा निर्धारित परफॉर्मा पर उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिए गए, तो इसकी जांच कोर्ट कमिश्नर से कराई जा सकती हैं।
हसनगंज रामनगर बंसी मुज़्ज़फर टोला और बरारी के कटौतियां में चल रहा है छापेमारी । अब तक छापेमारी कोई बड़ा खुलासा नहीं हुआ है ।
बताया जा रहा है हाल के दिनों में पटना फुलवारी शरीफ में देश विरोधी गतिविधियों में पीएफआई का जो एंगेल सामने आया था उसी को लेकर कई लोगों का कनेक्शन कटिहार से ही है।
और एनआई के टीम स्थनीय थाना पुलिस के साथ उन्हीं के ठिकाने पर छापेमारी कर रही है।
दरभंगा । सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र के शंकरपुर गांव तथा लहेरियासराय थाना क्षेत्र के उर्दू में पहुंची एनआईए की टीम, सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र के शंकरपुर गांव में मोहम्मद मुस्तकीम के घर पर चल रही छापेमारी।
देश विरोधी गतिविधियों में फुलवारी शरीफ में इनके खिलाफ हुई थी एफआईआर। एफआईआर में इस गांव के मो सनाउल्लाह और मो मुस्तकीम है नामजद।
पिछले माह एनआईए की टीम ने इन दोनों जगहों पर की थी छापेमारी। छापेमारी दल के लोग मुस्तकीम के मां, पिता जी एवं भाई से कर रहे हैं पूछताछ। मुस्तकीम घर पर नहीं है मौजूद, पीएफआई से कनेक्शन को लेकर चल रही है करवाई।
सिंहवाड़ा थाना प्रभारी उपेंद्र सिंह के नेतृत्व में पुलिस ने की है गांव की नाकेबंदी।
भोजपुरी का शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के साथी या यों कहें कि उनके नाटक मण्डली के सदस्य रहे और ‘लौंडा नाच’ को जीवित रखने वाले आखरी लोक कलाकार रामचन्द्र माझी का बीमारी के बाद निधन हो गया।
रामचंद्र माझी के निधन से सारण जिला समेत पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। सांसद राजीव प्रताप रूडी और सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और कला संस्कृति मंत्री जितेंद्र राय समेत तमाम हस्तियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। रामचंद्र मांझी भिखारी ठाकुर के मण्डली के आखिरी व्यक्ति बचे थे, जो बीती रात IGIMS में आखिरी सांस लिए।
पिछले कई दिनों से वे जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे।रामचंद्र मांझी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान सिर्फ 84 वर्षीय रामचन्द्र माझी जी का ही नहीं था, बल्कि पूरे सारण जिला का है या ये कहें कि पूरे भोजपुरिया समाज था। इससे सबने खुद को गौरवान्वित महसूस किया था।
‘लौंडा नाच’ भोजपुरिया समाज में बहुत प्रसिद्ध रहा है। इस सम्मान को दिलाने में ‘लौंडा नाच’ पर काम करने वाले अध्येता व व्याख्याता जैनेंद्र दोस्त का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने दस्तावेजीकरण के साथ सार्थक पहल किया, तब कहीं जाकर अपने बुजुर्ग अभिभावक को यह सम्मान मिला।
सारण के तुझारपुर गाँव में जन्में रामचंद्र माझी ने लगभग 10 वर्ष के उम्र से ही अदाकारी शुरू कर दिया। शीघ्र ही ये प्रसिद्ध लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के सम्पर्क में आ गए। भिखारी ठाकुर के जाने के बाद भी उनकी परम्परा को जीवित रखने का श्रेय रामचंद्र माझी जी को जाता है। 2017 में इन्हें संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। ये उम्र के आखिरी पड़ाव पर भी ‘बिदेशिया’ और ‘बेटी-बेचवा’ के प्रसंग से दर्शकों को भावविभोर कर देते थे।
बिहार की जातिवादी और मनुवादी राजनीति ने सबसे ज्यादा जिस क्षेत्र का नुकसान पहुंचाया है वह है शिक्षा और स्वास्थ्य का क्षेत्र। दुर्योग ऐसा रहा कि यह बीमारी आजादी के साथ शुरू हुआ जो अभी तक चला आ रहा है और यही वजह है कि बिहार का सबसे अधिक पैसा दूसरे राज्यों में आज भी शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जा रहा है।
ऐसे में तेजस्वी ने बीते रात जिस तरीके से पीएमसीएच में जाकर डॉक्टर की क्लास लगायी है उससे एक उम्मीद जगा है क्यों कि तेजस्वी के पास जनता की ताकत है साथ ही तेजस्वी युवा है ऐसे में वो बड़े निर्णय ले सकते हैं। क्यों कि ये दोनों विभाग बेपटरी इसलिए है कि यहां सबसे ज्यादा भाई भतीजावाद, जातिवाद और मनुवाद आज भी है , किसी भी एक डॉक्टर पर हाथ डाल दिए या किसी भी निजी अस्पताल पर हाथ डाल दीजिए वैसे ही उसकी पूरी जमात सरकार पर दबाव बनाना शुरु कर देता है तेजस्वी उस दबाव को टाल सकते हैं क्यों कि वो जिस परिवेश की राजनीति करते हैं उसकी महात्वाकांक्षा बहुत बड़ी नहीं है फिर स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर दिये तो आने वाला कल तेजस्वी का होगा इसको कोई रोक नहीं सकता है क्यों कि यही एक विभाग है जिसमें सुधार करने पर अंतिम व्यक्ति भी सरकार को आर्शीवाद देगा ।
बस इसके लिए तेजस्वी को थोड़ा मजबूत बनना पड़ेगा ट्रांसफर पोस्टिंग में किसी कि नहीं सुनना है किसी भी स्तर पर पैसा का खेल ना हो यह सावधानी रखने की जरूरत है पीएचसी और अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र के चक्कर में ना पड़े इस तरह के अस्पताल को पूरी तौर पर आयुष डाक्टर और नर्स के हवाले कर दे और इसके लिए तेजस्वी के पास पूर्व मंत्री जगदानंद सिंह हैं जिनके पास जल संसाधन विभाग का अनुभव है उस दौर में बिहार का सबसे मलाईदार विभाग हुआ करता था कहा ये जाता है कि लालू प्रसाद भी जल संसाधन विभाग के किसी भी इंजीनियर के ट्रांसफर पोस्टिंग का पैरवी नहीं करते थे साधु सुभाष भी साहस नहीं जुटा पाता था ऐसे में विधायक का क्या मजला था जो जगतानंद सिंह के पास किसी इंजीनियर के ट्रांसफर पोस्टिंग की पैरवी करता ।
इस तरह कि छवि तेजस्वी को बनानी पड़ेगी जो संभव है बस इच्छा शक्ति को जगाना है कि इस विभाग में परिवार के लोगों की भी नहीं सुनेंगे ऐसी छवि बनानी पड़ेगी ,अगर पैरवी आता है तो उस डॉक्टर को ऐसी जगह पोस्टिंग कर दे कि नजीर बन जाये ।
फिर कोई पैरवी नहीं करेंगा ऐसा तीन चार निर्णय ले लिए तो फिर कभी कोई समस्या नहीं होगी साथ ही विभाग बेहतर तरीके से चले इसके लिए प्रत्यय अमृत के साथ साथ इस फील्ड में काम करने वाले किसी अच्छे प्रोफेशनल को जोड़े शीघ्र ही सुधार दिखने लगेगा और इसके लिए यूनिसेफ जैसी संस्था के प्रतिनिधि को जो प्रखंड स्तर तक मौजूद है उसके साथ विभाग खड़ी हो जाये तो बहुत कुछ बदल सकता है।
अनुमंडल अस्पताल ,जिला अस्पताल और फिर मेडिकल कॉलेज का ऐसा चैन बनाये जहां रेफर करने वाला जो खेल चलता है वह बंद हो जाये ।आज होता क्या है अनुमंडल ,जिला और मेडिकल कॉलेज में कोई भी मरीज पहुंचता है जिसका इलाज संभव है फिर भी उसको देखने के बजाए सीधे पीएमसीएच रेफर कर देता है और रात होते होते पटना पर इतना दबाव बढ़ जाता है कि बेहतर इलाज सम्भव ही नहीं है, इसलिए पीएमसीएच और एनएमसीएच में वैसे ही मरीज आए जिसको बेहतर इलाज की जरूरत है और इसके लिए प्रदेश स्तर पर एक्सपर्ट की ऐसी टीम होनी चाहिए जो इस पर खास नजर रखे। मेरा खुद का अनुभव है 2002 में रोसड़ा में भीषण बाढ़ आया था उस समय प्रभात खबर से जुड़े हुए थे जैसे ही बाढ़ का पानी हटना शुरू हुआ इलाके में बड़े स्तर पर डायरिया से मौत की खबर आनी शुरु हो गयी अनुमंडल में तैनात डॉक्टर से यू ही बात किये इस मौत को कैसे रोका जा सकता है डॉ ने बताया पर्याप्त मात्रा में सलाईन हो और कुछ दवा हो तो बहुत लोगों की जान बचायी जा सकती है ।
उस समय रोसड़ा अनुमंडल के जो डीएसपी थे उनसे मेरा बहुत ही घनिष्ठ रिश्ता था दस हजार रुपया हम लोग इकट्ठा किये और उससे सलाइन और जेनेरिक दवा के साथ साथ कुछ सुई पटना से मंगवाये सोच नहीं सकते हैं एक माह उसी अनुमंडल अस्पताल में हम लोग कैंप चलाये देखते देखते गांव गांव तक यह खबर फैल गयी कि अनुमंडल अस्पताल में बहुत बढ़िया इलाज हो रहा है और दवा भी मिल रहा है ,सौ से अधिक मरीज का जान बचा जहां तक मुझे याद है एक माह में 1100 के करीब मरीज का इलाज हुआ था पूरा अस्पताल का रौनक ही बदल गया सारा टूटा फूटा बेड जनसहयोग से ठीक कराया गया और उसका बेड तक चकचकाने लगा स्थानीय लोगों ने अस्पताल में बिजली नहीं रहने पड़ जेनरेटर की व्यवस्था करवा दिया मतलब सरकारी तंत्र को सकारात्मक सहयोग किया जाये तो व्यवस्था बदली जा सकती है, यही तेजस्वी को भी स्वास्थ्य मंत्री के रूप में करनी चाहिए।
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पटना सिटी के बाईपास थाना क्षेत्र के लोहा गोदाम छोटी पहाड़ी रोड में बीते देर रात दो युवकों की हुईं हत्या मामले में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने आज एनएमसीएच के पोस्टमार्टम पहुंचकर मृतक के परिजनों से मुलाकात की।
इस मौके पर विजय कुमार सिन्हा ने मृतक के परिजनों को जहां सांत्वना दी, वही पुलिस अधिकारियों को कई आवश्यक दिशा निर्देश भी जारी किया। बाद में नेता प्रतिपक्ष ने आलमगंज के दादर मंडी स्थित मृतक चंदन कुमार के परिजनों से भी मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया।
इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने राज्य सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए उसे अपराधियों और भ्रष्टाचारियों का संरक्षक करार दिया। विजय कुमार सिन्हा का कहना था कि जब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा से अलग होकर राजद के साथ सरकार बनाई है तब से सूबे में अपराधियों और भ्रष्टाचारियों का मनोबल काफी बढ़ गया है। उनका कहना था कि सूबे में अपराधी बेलगाम और बेखौफ हो गए हैं, और उनमें शासन और प्रशासन का भय पूरी तरह समाप्त हो गया है।
विजय कुमार सिन्हा का कहना था कि लगातार हत्याएं हो रही है, बावजूद इसके सरकार का प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह फेल है। नेता प्रतिपक्ष ने चेतावनी भरे लहजे में कहा की भाजपा ने राजद के जंगल राज सरकार को उखाड़ फेंका था, अब वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी सत्ता से बेदखल कर दम लेगी। नेता प्रतिपक्ष का कहना था कि भाजपा प्रदेश में जंगलराज को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी, और इसे लेकर वह सड़क से लेकर संसद तक आंदोलन करेगी।
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा के इस दौरे पर लोगों ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ भी नारेबाजी की। गौरतलब है कि बीते देर रात अज्ञात अपराधियों ने स्कूटी सवार आलमगंज के दादर मंडी निवासी चंदन कुमार और अगमकुआं के छोटी पहाड़ी निवासी सौरभ अभिनंदन उर्फ गोलू को गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई थी।
पटना हाईकोर्ट में पटना नगर निगम के कर्मचारी संघो ने कई दिनों से चल रहे हड़ताल के मामलें पर सुनवाई की गई।चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने इस मामलें की सुनवाई की।
निगमकर्मी कर्मचारी संघों की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने कोर्ट को जानकारी दी कि कल ही संघ के पदाधिकारियों ने कोर्ट के निर्देश के आलोक में हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया।
सीनियर एडवोकेट विध्यांचल सिंह ने एक याचिका हाईकोर्ट में दायर कर निगमकर्मियों के हड़ताल से उत्पन्न स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित किया।उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस हड़ताल के कारण न सिर्फ पूरे शहर में गन्दगी का अम्बार लगा है, बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य भी खतरे में हैं।
पिछली सुनवाई मे कोर्ट ने निगमकर्मियों को तत्काल हड़ताल समाप्त करने का निर्देश दिया था।साथ ही सम्बंधित अधिकारियों को उनके साथ बैठक कर उनके न्यायसंगत मांगों पर विचार विमर्श करने को कहा।
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संघो के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि उनके मांगों पर कोई विचार विमर्श नहीं किया गया।कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए।आज कोर्ट में एडवोकेट जनरल ने कहा कि वे कर्मचारियों और सरकार के बीच सकारात्मक और प्रभावी वार्ता कराने में सहयोग करेंगे।
एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में पटना नगर निगम के कर्मचारी संघो ने कई दिनों से चल रहे हड़ताल को समाप्त करने का निर्णय लिया है।
नगर निगमकर्मियों की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि निगमकर्मियों के संघो ने विचार विमर्श कर हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया हैं।
आज पटना हाईकोर्ट में इस मामलें पर सुनवाई होनी थी, लेकिन वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कोर्ट से अनुरोध किया कि चूंकि हड़ताल कर कर्मचारियों के विभिन्न संघ हड़ताल समाप्त करने के मुद्दे पर विचार विमर्श कर रहे है, इसलिए आजतक की मोहलत दी जाए।
कोर्ट ने उनके अनुरोध कोव् स्वीकार करते हुए सुनवाई के लिए कल की तिथि निर्धारित की। अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने बताया कि कल वे कर्माचारी संघ के हड़ताल समाप्त करने के निर्णय के सम्बन्ध में कोर्ट को जानकारी देंगे।
उन्होंने बताया कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने हड़ताल समाप्त करने के निर्देश के साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को कर्मचारियों के न्यायसंगत मांगों पर विचार करने हेतु बैठक करने को कहा था।