समस्तीपुर। रामेश्वर जूट मिल फिर बंद हुआ । प्रबंधन और मजदूरों के बीच चल रही थी अनबन, मजदूरों ने प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप।
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समस्तीपुर। रामेश्वर जूट मिल फिर बंद हुआ । प्रबंधन और मजदूरों के बीच चल रही थी अनबन, मजदूरों ने प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप।
पटना । एक ड्रग इंस्पेक्टर पर निगरानी की टीम ने छापा मारा है। ड्रग इंस्पेक्टर नवीन के घर से कैश और ज्वेलरी मिली है। उनके घर से सोने की कटोरी और चम्मच भी मिला है। बताया जा रहा है कि छापेमारी में कई जमीनों के पेपर भी मिले है। टीम की कार्रवाई जारी है।
टीम ने सीतामढ़ी में नवीन कुमार को 2 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था।
इसके बाद बाद टीम उसे सीतामढ़ी से पटना लेकर आई। पटना आवास पर सर्चिंग शुरू की। यहां पर सोने की कटोरी और चम्मच समेत काफी जेवर मिला।
पटना । बिहार की राजधानी पटना में आयकर विभाग की टीम ने साकार ग्रुप के ठिकानों पर छापा मारा है। टैक्स चोरी के आरोप में कई जगहों पर तलाशी जारी है।
पटना यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन है।
सीतामढ़ी । ड्रग इंस्पेक्टर को रिश्वत लेते रंगे हाथ निगरानी की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार ड्रग इंस्पेक्टर की पहचान नवीन कुमार के रूप में की गई है।
निगरानी की टीम गुप्त सूचना के आधार पर पटना से सीतामढ़ी ड्रग इंस्पेक्टर के आवास पर पहुंचा। जहां रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया।
पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि एनडीए सरकार के समय उर्दू शिक्षक से लेकर दरोगा-सिपाही तक, जिन 10 हजार से ज्यादा लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, उन्हीं को दोबारा नियुक्ति पत्र बाँटने की बाजीगरी से नीतीश कुमार बेरोजगारों की आँख में धूल झोंक रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गाँधी मैदान में कभी गिलास से रुमाल और खाली बर्तन से कबूतर निकालने की बाजीगरी दिखाने वाले मजमा लगाते थे , आज वहीं नीतीश कुमार फूँक मार कर हजारों नियुक्ति पत्र निकाल दे रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि बुधवार को जिन 10,459 लोगों को दरोगा-सिपाही के पद पर नियुक्ति पत्र दिये गए, उन्हें एक साल पहले जनवरी में ही संबंधित जोन के एसपी-डीआइजी नियुक्ति पत्र दे चुके हैं और उनका प्रशिक्षण भी चल रहा है। इन नियुक्तियों के लिए विज्ञापन 2019 में प्रकाशित हुआ था। उन्होंने कहा कि पुलिस सेवा के लोग जब बिना प्रशिक्षण पूरा किये पूरी वर्दी नहीं पहन सकते, तब नियुक्ति पत्र लेते समय वे वर्दी में कैसे दिखे? यह पहली बार हुआ।
श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार अब यूपीए सरकार के मुख्यमंत्री हैं , लेकिन सारा लोकलाज छोड़ कर वे पिछली एनडीए सरकार के समय हुई नियुक्तियों की चिट्ठी बांट रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी प्रसाद यादव को उन नियुक्तियों के पत्र बाँट कर श्रेय लेने का कोई नैतिक अधिकार नहीं, जिनकी प्रक्रिया 9 अगस्त को सरकार बदलने से पहले शुरू हो चुकी थी।
श्री मोदी ने कहा कि महागठबंधन सरकार की पहली कैबिनेट में पहले दस्तखत से 10 लाख युवाओं को “स्थायी नौकरी” देने का जो वादा किया गया था, उसका समय तो अभी तक शुरू ही नहीं हुआ। क्या वे कैबिनेट की सौ बैठकों के बाद गिनती शुरू करेंगे?
16 नवंबर 2022 । चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को अबतक की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने के लिए 12 दिसंबर,2022 तक का मोहलत दिया है।
कोर्ट ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई की।याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने जो भी आदेश दिया,उस पर राज्य सरकार के द्वारा कोई प्रभावी और ठोस कार्रवाई अब तक नहीं किया गया है।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पूरी जानकारी देने को कहा था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था।
साथ ही कोर्ट ने इसमें सुधारने के उपाय पर सलाह देने को कहा।याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम ही के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा हैं।लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी ही है। हर जिले में सात सात स्टाफ होने चाहिए।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए।साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराए।लेकिन अबतक कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।
कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कॉलेज है।लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य हैं,जहां मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कोई कालेज नहीं है।जबकि प्रावधानों के तहत राज्य सरकार का ये दायित्व हैं।
पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है,क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था।
पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं।उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर है।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 12 दिसंबर,2022 को होगी।
16 नवंबर 2022 । राज्य में जलीय क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण पर पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पटना और मगध प्रमंडल के अंचल अधिकारियो को अगली सुनवाई में तलब किया है।रामपुनीत चौधरी की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।
कोर्ट ने तिरहुत,दरभंगा और मुंगेर प्रमंडलों के सभी अंचल अधिकारियो को जलीय क्षेत्रों में हुए अतिक्रमण को हटा कर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने इस मामलें पर सख्त निर्देश दिया है।
राज्य के विभिन्न जिलों में जलीय क्षेत्रों पर बड़े पैमाने पर हुए अवैध अतिक्रमण के मुद्दे पर याचिकाकर्ता ने ये जनहित याचिका दायर किया था।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि पटना समेत राज्य के विभिन्न जिलों में पहले बड़ी संख्या में जलीय क्षेत्र थे,जिसका उपयोग कृषि कार्य,पेय जल व अन्य कार्यों के लिए होता था।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि अब अधिकांश जलीय क्षेत्रों पर अवैध कब्ज़ा हो गया है।उन्हें पाट कर उस भूमि पर अवैध कई प्रकार के निर्माण किये गए हैं।
उन्होंने को बताया कि इससे जहां पेय और कृषि कार्य के लिए जल की उपलब्धता कम हुई है,वहीं वर्षा के जल को भी रोकने का मार्ग खत्म हो गया है।
इस मामलें पर अब अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।
15 नवंबर 2022 । पीएमसीएच,पटना में पड़े डायलिसिस मशीनों के चालू नहीं होने के मामलें में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए अधीक्षक,पीएमसीएच से जवाबतलब किया।विकास चन्द्र ऊर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।
कोर्ट ने पीएमसीएच के अधीक्षक को ये बताने को कहा कि इस समस्या का समाधान किस प्रकार होगा।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि पीएमसीएच में 31 डायलिसिस मशीन खरीदे गए,लेकिन डॉक्टर और टेक्निशयन के नहीं होने के कारण इन मशीनों का उपयोग नहीं हो पा रहा हैं।
उन्होंने बताया कि एक मशीन की कीमत लगभग बारह लाख रुपया है।इन मशीनों के चालू नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन का दुरपयोग हुआ है,वहीं मरीजों और उनके घरवालो पर प्राइवेट अस्पतालों में ईलाज कराने पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ता है।
अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि पीएमसीएच के नेफ्रोलॉजी विभाग में 25 डॉक्टरों की नियुक्ति हुई,लेकिन वे बाद में दूसरे जगह भेजे गए।नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों का सही ढंग से ईलाज नही हो रहा है।
कोर्ट ने सख्त टिपण्णी करते हुए कहा कि अगर नेफ्रोलॉजी विभाग नहीं काम कर रहा है, तो न्यायिक आदेश से कोर्ट बंद कर इन मशीनों को दूसरे अस्पताल में भेज देगा।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 18नवंबर, 2022 को की जाएगी।
15 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने बिहार के गर्भाशय घोटाले के मामलें पर सुनवाई की। जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया।
पिछली सुनवाई करते कोर्ट ने इन मामलों में केंद्रीय कानून के तहत मामलें दर्ज करने के सम्बन्ध हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।
ये जनहित याचिका वेटरन फोरम द्वारा दायर की गई थी। कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार के मुख्य सचिव को अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा हलफनामा पर दायर करने का निर्देश दिया था।
पिछली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया था कि इस जनहित याचिका में दिए गए तथ्य वास्तविक नहीं हैं।उन्होंने बताया कि बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष साढ़े चार सौ इस तरह के मामलें आए थे।
राज्य सरकार के जांच के बाद नौ जिलों में गर्भाशय निकाले जाने के सात सौ दो मामलें आए थे।इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई और आगे की कार्रवाई चल रही है।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पीड़ित महिलाओं को क्षतिपूर्ति राज्य सरकार ने पचास पचास हजार रुपये पहले ही दे दिए।
इसके बाद बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने आदेश दिया था कि यह राशि बढ़ा कर डेढ़ और ढाई लाख रुपए बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाए।महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया था कि क्षतिपूर्ति की राशि देने के लिए राज्य सरकार ने 5.89 करोड़ रुपए निर्गत कर दिए गए है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा था कि किन किन धाराओं के दोषियों के विरुद्ध मामलें दर्ज किये गए।मानव शरीर से बिना सहमति के अंग निकाला जाना गंभीर अपराध है।इसलिए उनके विरुद्ध नियमों के तहत ही धाराएं लगानी जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था।2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 दिसंबर,2022 को की जाएगी।
14 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने भागलपुर के चर्चित सैनडिश कमपॉउन्ड क्षेत्र में अनधिकृत रूप से बनाए गए निर्माण के मामलें पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने जनहित याचिकाकर्ता गोयनका की याचिका पर सुनवाई करते भागलपुर नगर निगम के आयुक्त को अगली सुनवाई में तलब किया है।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस मामलें पर सुनवाई करते हुए हुए अनधिकृत निर्माणों पर रोक लगा दिया था।
याचिकाकर्ता की अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि भागलपुर में ये एक सार्वजानिक पार्क हैं,जहां यहाँ के नागरिक टहलने,खेलने और मनोरंजन के लिए आते है।
अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि कोर्ट ने इस मामलें पर 2004 में भी सुनवाई की थी।कोर्ट ने पार्क के क्षेत्र के भीतर किसी तरह के निर्माण पर रोक लगा दिया था।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि पार्क का जिस उद्देश्य के बनाया गया है, उसी के लिए उपयोग हो।उन्होंने कोर्ट को बताया कि बाद में प्रशासन ने जन उपयोगी निर्माण के नाम पर कुछ निर्माण कार्य करने की अनुमति कोर्ट से ले ली।लेकिन बाद में अन्धाधुंध और मनमाने तरीके से निर्माण होने लगे,जिससे इस पार्क का उद्देश्य ही खत्म हो गया।
उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि भागलपुर नगर निगम को 29 सितम्बर,2021 को कोर्ट के आदेश को पालन करने के सम्बन्ध में निर्देश दिया जाए।
इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।