सासाराम। मूर्ति विसर्जन कर लौट रहे लोगों पर पथराव, बिक्रमगंज में मूर्ति विसर्जन कर लौट रहे थे लोग । पथराव में 7 लोग हुए घायल ।
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अनुमंडलीय अस्पताल में कराया गया भर्ती।
सासाराम। मूर्ति विसर्जन कर लौट रहे लोगों पर पथराव, बिक्रमगंज में मूर्ति विसर्जन कर लौट रहे थे लोग । पथराव में 7 लोग हुए घायल ।
अनुमंडलीय अस्पताल में कराया गया भर्ती।
सीबीआई ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और 14 अन्य के खिलाफ रेलवे में उनके कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर जमीन के बदले नौकरी घोटाले में आरोपपत्र दाखिल किया है।
अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रसाद की बेटी मीसा भारती और रेलवे के एक पूर्व महाप्रबंधक सौम्या राघवन को भी हाल ही में सीबीआई की एक विशेष अदालत के समक्ष दायर आरोप पत्र में आरोपी के रूप में नामित किया गया है।
चार्जशीट में 7 नौकरी के लिए आवेदन देने वाले 7 आवेदकों को भी शामिल किया गया है। इन सब को जमीन लेकर नौकरी दी गयी थी।
मुजफ्फरपुर । मुजफ्फरपुर में पकड़ाई शराब की एक बड़ी खेप । ट्रक से पकड़ाया 50 लाख रूपये से अधिक की शराब । ट्रक सहित शराब को पुलिस ने किया जब्त।
अहियापुर थाना क्षेत्र से पकड़ाई शराब की बड़ी खेप । गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने अहियापुर थाना क्षेत्र से किया गया है बरामद।
पुलिस की करवाई को देख शराब के कारोबारी हुए फरार। ट्रक का चालक उप चालक भी हुआ फरार ।
पुलिस जब्त शराब की कर रही है गिनती और मामले में आगे की किया जा रहा है करवाई।
मुजफ्फरपुर । मुजफ्फरपुर में दवा व्यवसायी का घर में फंदे से लटकता मिला शव । मुजफ्फरपुर के मिठनपुरा थाना क्षेत्र के खादी भंडार की घटना ।
MR का काम करते थे 57 वर्षीय नवीन वर्मा । पड़ोसी पर पीट पीटकर हत्या कर शव लटकाने का लग रहा आरोप । हत्या को सुसाइड दिखाने की कोशिश, इलाके में मचा हड़कंप ।
पड़ोसी महिला पर लग रहा हत्या का आरोप, पुलिस ने लिया हिरासत में ।
आज जहानाबाद में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राज्यव्यापी आंदोलन के तहत अस्पताल मोड़ चौराहा पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव का पुतला फूंका।
बीजेपी के लोगों का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार ने पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग को अपने वोट बैंक के रूप में उपयोग करने के चक्कर में बिहार में नगर निकाय के चुनाव को खत्म करवा दिया।
जिस तरह से बिना किसी प्रक्रिया पूरा किए हुए सरकार चुनाव में गई। इससे आम लोगों को काफी परेशानी झेलना पड़ा। ऐसे में जब कोर्ट ने इस पर रोक लगा दिया, तो इसके लिए सीधे बिहार सरकार जिम्मेदार है।
बीजेपी जिला अध्यक्ष ने यह मांग की है कि उम्मीदवारों के जो खर्च हुए हैं उन्हें सीएम नीतीश कुमार के द्वारा दिया जाना चाहिए।
बेगूसराय से इस वक्त एक बड़ी खबर सामने आ रही है जहाँ स्नान करने के दौरान पानी भरे गड्ढे डूबने से एक महिला एवं दो बच्चे की डूबकर दर्दनाक मौत हो गई।
इस मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। घटना बखरी थाना क्षेत्र के बदीया बहियार की है। इस घटना के बाद इलाके में हड़कंप मच गया।
बताया जाता है कि दो बच्चे एवं एक महिला स्नान कर रही थी। उसी दौरान गहरे पानी में चले जाने के कारण महिला दो बच्चों के साथ डूब गई। स्थानीय लोगों ने काफी खोजबीन के बाद महिला दोनों बच्चे का शव को बरामद किया।
फिलहाल बखरी थाने के पुलिस मौके पर पहुंच कर पूरे मामले की तफ्तीश में जुटी हुई है।
केरल निकलने से एक दिन पहले कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का फोन आया था जिस दौरान विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और नीतीश कुमार की भूमिका पर को लेकर विस्तृत चर्चा हुई और उन्होंने कहा कि किस तरीके से मंत्री के आदेश के बावजूद विभाग से सचिव फाइल को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं। मैंने उन्हें कहा डॉ. एन सरवन कुमार को मैं पटना डीएम के समय से देख रहा हूं और बिहार में कुछ अच्छे आईएएस अधिकारी हैं उसमें से एक डॉ. एन सरवन कुमार है लेकिन मंत्री जी इस पर सहमत नहीं थे ,और उनका मानना था कि सचिव ही इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है। मैंने कहा हो सकता है आप मंत्री है करीब से देख रहे हैं ।
लेकिन आपको यह सोचना चाहिए कि ये जो सरकार बनी है उसका लक्ष्य क्या है, ठीक है आपके विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है और इसमें कही से कोई संदेह भी नहीं है लेकिन इस सरकार के मुखिया नीतीश कुमार है तेजस्वी नहीं इसलिए आपके नजर में सरकार की पॉलिसी कितनी भी गलत क्यों ना हो आपको उस पर सवाल उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है क्यों कि आप उस मंत्रिमंडल के हिस्सा है जिसके मुखिया नीतीश कुमार हैं।
राजद और लालू परिवार के प्रति आपके पिताजी और आपकी प्रतिबद्धता को लालू जी समझते हैं नीतीश नहीं समझते हैं और इस बार जो दिख रहा है लालू प्रसाद कुछ भी ऐसा स्वीकार नहीं करेंगे जिससे गठबंधन को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो और बेवजह बयानबाजी होता रहे ।
2015 की स्थिति अलग थी इसलिए लालू प्रसाद रघुवंश सिंह को रोक नहीं पाते थे और जहां तक मेरी जानकारी है नीतीश के खिलाफ रघुवंश सिंह जो भी बयान देते थे उसमें लालू प्रसाद की एक प्रतिशत भी सहमति नहीं रहती थी ।
लेकिन दोनों के बीच रिश्ता ऐसा था कि लालू प्रसाद डाट कर नहीं बोल पा रहे थे और इस वजह से जो हुआ सब सामने है।
इस बार स्थिति साफ अलग है लालू प्रसाद के साथ तेजस्वी भी है जिन्हें आगे की राजनीति करनी है लक्ष्य 2024 है और उस लक्ष्य को लेकर नीतीश और लालू दोनों गंभीर है ऐसे में आपको बीच का रास्ता निकालना चाहिए और इसके लिए आप मीडिया से दूरी बनाये क्यों कि जब से नीतीश बीजेपी से अलग हुआ है हम लोग बीजेपी का लठैत बन गये हैं।
और सुबह से शाम तक लठैती ही करते रहते हैंं। और आप का बयान उसे लठैती करने मौका दे रहा है। भाई जी आइए केरल से तो बात करते हैं क्या करना चाहिए लेकिन केरल यात्रा के दौरान ही खबर आयी कि सुधाकर सिंह इस्तीफा दे दिए हैं मेरा मानना है कि उनके इस्तीफे से बिहार के किसान और कृषि विभाग को नुकसान हुआ है क्यों कि पहली बार ऐसा कोई व्यक्ति कृषि मंत्री बना था जो खुद खेती और खेती से जुड़े व्यापार को समझता था और खुद करता भी था ।इसलिए पदभार ग्रहण करने के साथ ही वो उन चीजों तक पहले ही दिन पहुंच गये जहां पहुंचने और समझने में मंत्री को वर्षो लग जाता है।
आप ईमानदार हैं या फिर राजनीति में ईमानदारी बनाये रखना चाहते हैं ये आपका व्यक्तिगत चरित्र हो सकता है जिस सरकार के आप अंग है या फिर जिस पार्टी से आप जुड़े हैं वो आपके इस विचार को आत्मसात कर ले ये जरुरी नहीं है ।
ऐसे में आपको तय करना है कि राजनीति में रहना है या नहीं रहना है क्यों कि राजनीति ही एक ऐसी विधा है जहां परिस्थिति के साथ सत्य और ईमानदारी की परिभाषा बदलती रहती है आज की राजनीति का सत्य यही है कि जो गलती सुधाकर सिंह ने की है वो गलती जगतानंद सिंह को नहीं करनी चाहिए।
लालू और तेजस्वी ने जिस भरोसे के साथ जगतानंद सिंह को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाया है उस भरोसा के लिए जगतानंद सिंह को अंतिम क्षण तक खड़े रहना चाहिए।बिहार की राजनीति में जितने भी चेहरे हैं उनमें से नीतीश कुमार के सबसे करीबी कभी जगतानंद सिंह रहे हैं।
रिश्ता इतना ही गहरा था कि जगतानंद सिंह नीतीश कुमार के बहन की शादी की बरतुहारी किए हुए हैं उनकी सहमति के बगैर किसी भी बहन की शादी नहीं हुई, जगदानंद सिंह लालू प्रसाद से कहीं अधिक करीब नीतीश कुमार के थे ।
लेकिन जब नीतीश कुमार लालू का साथ छोड़े तो जगतानंद सिंह नीतीश कुमार के साथ नहीं गये और उससे चिढ़ कर नीतीश ने उनके दोनों बेटे को अपनी और कर लिये ताकी जगतानंद सिंह झुक जाये लेकिन जगतानंद सिंह ने लालू प्रसाद का साथ नहीं छोड़ा और नीतीश के कहने पर ही बीजेपी सुधाकर सिंह को रामगढ़ से टिकट दिया इसके बावजूद जगदानंद सिंह राजद उम्मीदवार के साथ खड़े रहे और इस वजह से सुधाकर सिंह को हार का सामना करना पड़ा था ।
देश की राजनीति में इस तरह के उदाहरण बहुत ही कम है ऐसे में जगदानंद सिंह को नीतीश कुमार के उन कृत्य को भूल जाना चाहिए जिसमें नीतीश कुमार अहंकार में जगतानंद सिंह के परिवार तक को तोड़ने के स्तर तक पहुंच गये थे। कुछ इसी तरह का व्यक्तिगत द्वेष नीतीश कुमार और रघुवंश सिंह के बीच भी था लेकिन जब लालू प्रसाद साथ आने का फैसला कर लिया तो रघुवंश सिंह को लालू प्रसाद के उस फैसले का सम्मान करते हुए अपने अनुभव का इस्तेमाल बिहार सरकार के कामकाज में करना चाहिए था लेकिन उन्होंने उसको तोड़ा इसलिए राजद और लालू प्रसाद के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा देने के बावजूद आज उनकी राजनीति घेरे में है।
ऐसे में यह सर्वविदित होने के बावजूद भी कि नीतीश कुमार जगतानंद सिंह को झुकाने के लिए सभी तरह का दावा 2005 से ही खेल रहे हैं आज तक वो सफल नहीं हुए ।
लेकिन एक राजनीतिक चूक ने जगतानंद सिंह को आज बैंक फुट पर लाकर खड़ा कर दिया है और कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का जाना नीतीश का जगदानंद सिंह को मिट्टी में मिला देगे का जो प्रण लिया था उसमें नीतीश कुमार को पहली बार सफल हो गये, क्यों कि जिस लक्ष्य और विचार को लेकर नीतीश कुमार लालू के साथ आये हैं वो नीतीश और जगतानंद सिंह की व्यक्तिगत लड़ाई से कहीं ऊपर है ऐसे में सुधाकर सिंह को भी और जगदानंद सिंह को भी राजनीति की जो धारा अभी चल रही है उसमें मूल्य सिद्धांत और व्यक्तिगत दोष को छोड़कर साथ साथ चलने कि जरूरत थी।
याद करिए महाभारत को भीष्म सहित हस्तिनापुर के सारे योद्धा यह जानते हुए कि दुर्योधन गलत है फिर भी सारे लोग दुर्योधन के साथ खड़े रहे यही राजनीति का उसूल है आप जिसके साथ खड़े हैं अंतिम दम तक उसके साथ खड़े रहे। यही नैतिकता रही है राजनीति और सत्ता की और जनता भी इसी नैतिकता को स्वीकार करती है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के चुनाव में ऋषि सुनक अंतिम समय में इसलिए भी पिछड़ गये कि जनता उनसे सवाल करने लगी कि जिस बाइडेन ने आपको यहां तक पहुंचाया उसका साथ आप छोड़ दिए तो फिर आप पर भरोसा के लायक नहीं है।
ऐसे में जगदानंद सिंह को राजद के प्रदेश अध्यक्ष बने रहते हुए नीतीश के साथ कदम से कदम मिलाकर साथ चलना ही आज की राजनीति का तकाजा है और इसी राजनीति के सहारे आप नीतीश की राजनीति को विफल कर सकते हैं ।