Tag: JDU

  • नीतीश बीजेपी मुक्त भारत की शुरुआत करेंगे बिहार से

    बिहार की राजनीति बवंडर
    कभी भी बिहार विधानसभा को किया जा सकता है भंग
    जदयू और राजद का आपस में हो सकता है विलय।

    विपक्षी एकता को लेकर नीतीश का मिशन 2024 की शुरुआत जिस तरीके से हुई है उससे नीतीश काफी उत्साहित है और कहा ये जा रहा है कि नीतीश हाल के दिनों में बेहद चौकाने वाले निर्णय ले सकते हैं और इसको लेकर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच लगभग सहमति बन गयी है ।

    जो खबर आ रही है उसके अनुसार नीतीश बिहार विधानसभा को भंग कर चुनाव में जाना चाह रहे हैं और उससे पहले नीतीश राजद और जदयू के विलय की घोषणा कर देश स्तर पर ये संदेश देना चाहते हैं कि देश को बचाने के लिए हमने अपनी पार्टी तक को दांव पर लगा दिये।



    क्यों कि दिल्ली यात्रा के दौरान विपक्षी दल के नेताओं में नीतीश कुमार को लेकर जो उत्साह देखने को मिल रहा है उससे ये साफ हो गया है कि नीतीश कुमार देश के सारे विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने में कामयाब हो सकते हैं। क्यों कि नीतीश कुमार दिल्ली से गया के रास्ते में ही थे कि ममता बनर्जी ने नीतीश के अभियान में साथ आने की घोषणा कर नीतीश के अभियान को और बल दिया है ।

    1– राजद जदयू का विलय ऐसा कहा जा रहा है कि बिहार से बाहर निकलने से पहले नीतीश बिहार की राजनीति में ऐसी किलाबंदी चाह रहे हैं ताकि बीजेपी की सम्भावना बिहार की राजनीति में पूरी तरह से खत्म हो जाये और इसके लिए 2015 के परिणाम से सीख लेते हुए नीतीश और लालू इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के आपसी रिश्तों में जो खाई है उसको पाटने का वक्त नहीं है और इस बार बड़े भाई छोटे भाई के लिए भी कोई जगह ना रहे इसके लिए दोनों पार्टी के आपस में ही विलय कर दिया जाए।



    फिलहाल जिस फॉर्मूला पर बातचीत चल रही है उसके अनुसार नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ साथ 2024 के लोकसभा चुनाव तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और उसके बाद तेजस्वी को पार्टी और सरकार सौंप देंगे वैसे इस फॉर्मूला पर बीजेपी से गठबंधन तोड़ने से पहले नीतीश की तेजस्वी और लालू प्रसाद से कई दौर की बातचीत हो चुकी है। देश स्तर पर विपक्षी एकता का स्वरुप जैसे जैसे शक्ल लेता जाएगा नीतीश बिहार में इस अभियान को आगे बढ़ाते जाएंगे क्यों कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की बात करे तो एनडीए में भाजपा 121 और जदयू 122 सीटों में चुनाव लड़ी थी और उसमें से सात सीट जदयू ने हम को दिए थे इसी तरह महागठबंधन में 144 सीटों पर RJD, 70 सीटों पर कांग्रेस और 29 पर लेफ्ट पार्टियां चुनाव लड़ी थी।2020 के चुनाव में भाजपा 19.46%, जदयू 15.39%,राजद 23.11% वोट मिला था वही कांग्रेस को 09.48% ,भाकपा माले को लगभग 4 प्रतिशत सीबीआई 0.83% 02,माकपा 0.65%रालोसपा 01.77% मतलब सबके सब साथ आ जाये तो लगभग 55 प्रतिशत वोट का शेयर हो जायेंगा वही 2020 के चुनाव में जो ओवैसी फैक्टर राजद गठबंधन को जो नुकसान पहुंचाया उसे कम किया जा सकता है।वहीं जदयू और राजद के बीच सीट बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं रहेगा जब पार्टी का एक दूसरे में विलय कर दिया जाएगा ।

    विलय को लेकर नीतीश गंभीर इसलिए हैं कि इसके सहारे दो संदेश देना चाह रहे हैं एक नीतीश पलटूराम के इमेज से बाहर निकल जाएंगे और बिहार की राजनीति जो अति पिछड़ा ,महादलित और पसमांदा में बट गया था वो एक बार फिर से साथ आ जाएंगे वही देश स्तर पर पार्टी के विलय के सहारे संदेश देने कि कोशिश होगी कि मोदी को लेकर बिहार किस स्तर पर सोच रहा है।

    2— जल्द ही होगा बिहार में मध्यावधि चुनाव बिहार में मध्यावधि चुनाव होगा यह तय हो गया है बस इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि गुजरात के साथ दिसंबर में चुनाव में जाया जाये या फिर 2023 में होने वाले राजस्थान,मध्य प्रदेश के चुनाव के साथ जाया जाए, क्यों कि एक राय ये भी बन रही है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में विपक्षी एकता के सहारे मोदी को पहले गुजरात में ही घेरा जाए और इसके लिए नीतीश कुमार सहित विपक्ष के तमाम बड़े चेहरा गुजरात चुनाव में कैम्प करे ,वही दूसरा धरा का यह मानना है कि बिहार से ही बीजेपी मुक्त भारत की शुरुआत कि जाए और इसके लिए गुजरात के साथ बिहार का भी चुनाव करना बेहतर होगा।देखिए आगे आगे होता है क्या लेकिन इतना तो तय हो गया कि अब खेला होबे ।

  • पटना हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा NDA गठबंधन को छोड़ कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 7 सितम्बर,2022 को की जाएगी

    ये जनहित याचिका धर्मशीला देवी ने दायर की है। इस जनहित याचिका की चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के एडवोकेटजनरल और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वरुण सिन्हा को इस मुद्दे को स्पष्ट करने को कहा कि चुनाव पूर्व गठबंधन को खत्म करने के सम्बन्ध में संवैधानिक और कानूनी प्रावधान क्या है।

    कोर्ट ने सुनवाई के शुरुआत में याचिकाकर्ता वरुण सिन्हा से जानना चाहा कि क्या कोई ऐसा कानून है,जिसके तहत चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ा जा सकता है या नहीं।

    इस जनहित याचिका में ये कहा गया है कि 2020 में नीतीश कुमार ने एन डी ए के साथ चुनाव लड़ा और उनके साथ सरकार बनायीं।लेकिन फिर उन्होंने यह गठबंधन छोड़ कर राजद व अन्य दलों के महागठबंधन की सरकार बना कर फिर मुख्यमंत्री बन गए।

    ये संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन और जनादेश का अपमान हैं।याचिका में यह कहा गया है कि संविधान के प्रावधानों के 163 और 164 के तहत राज्यपाल को नीतीश कुमार को पुनः मुख्यमंत्री नहीं नियुक्त करना चाहिए था, क्योंकि उन्होंने बहुमत वाले गठबंधन को छोड़ कर अल्पसंख्यक वाले गठबंधन के साथ सरकार बना ली।

    इससे पहले भी 2017 में भी नीतीश कुमार ने राजद के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने बाद राजद छोड़ कर बीजेपी के साथ सरकार बना का मुख्यमंत्री बने।जिस गठबंधन के आधार मत ले कर सरकार बनाते है,बाद में उसी जनादेश नजरअंदाज और अपमान कर दूसरे गठबंधन के साथ मिल कर सरकार बना ली हैं।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 सितम्बर,2022 को की जाएगी।