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  • पटना हाईकोर्ट में राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों से सम्बंधित मामलों पर सुनवाई कल तक टली

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा इस मामलें पर सुनवाई की जा रही है।

    पूर्व की सुनवाई में कोर्ट को महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि वर्तमान और पूर्व एमपी व एमएलए के विरुद्ध 78 आपराधिक मामलों में 12 मामलों पर आरोप पत्र और 4 मामलों पर अंतिम प्रपत्र दायर किया जा चुका है।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि 280 मामलों में कुल 481 गवाहों का परिक्षण किया जा चुका है |

    पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया था कि वर्तमान व पूर्व एमपी और एमएलए के विरुद्ध कुल 598 आपराधिक मुकदमें लंबित है, जिसमें अधिकतर केस में अनुसंधान पूरा हो गया है।

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    लगभग 78 आपराधिक मुकदमों में अनुसंधान लंबित है। इस मामले पर अगली सुनवाई 15 सितम्बर,2022 को होगी ।

  • पटना हाईकोर्ट में पटना के जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा समेत राज्य के अन्य हवाईअड्डों के विस्तार और विकास के मामले पर सुनवाई की

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य के सभी हवाईअड्डों की समस्यायों,विकास और विस्तार के मामलें पर अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया है।

    पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बिहार के विभिन्न हवाईअड्डों के विकास और विस्तार से जुड़ी समस्यायों को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।इनमेंं भूमि से सम्बंधित काफी मामलें थे।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने के मामलें में स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया था।ये जनहित याचिकाएं गौरव सिंह व अन्य द्वारा की गई है।

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    पूर्व की सुनवाई में पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट को जानकारी देते हुए कहा था कि कई राज्यों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने की आवश्यकता है।

    याचिकाकर्ता की अधिवक्ता अर्चना शाही ने बताया था कि गया एयरपोर्ट के विकास के लिए एक बड़ी धनराशि आवंटित की गई है।लेकिन अभी तक गया एयरपोर्ट का विकास कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ है।

    कोर्ट को बताया गया था कि राज्य में पटना के जयप्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के अलावा गया, मुजफ्फरपुर,दरभंगा,भागलपुर व अन्य हवाईअड्डे हैं।लेकिन इन एयरपोर्ट पर बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं के अभाव एवं सुरक्षा की समस्याएं भी हैं।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई 26 सितम्बर,2022, को होगी।

  • बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने के लिए दो सप्ताह का मोहलत दिया

    पटना, 12 सितंबर 2022। पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर राज्य सरकार को की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने के लिए दो सप्ताह का मोहलत दिया है।

    कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पूरी जानकारी देने को कहा था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था। साथ ही इसमें सुधारने के उपाय पर सलाह देने को कहा।

    याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम ही के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा हैं। लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी ही है। हर जिले में सात सात स्टाफ होने चाहिए।

    उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए।साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराए।लेकिन अबतक कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।

    कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कॉलेज है।लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य हैं,जहां मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कोई कालेज नहीं है।जबकि प्रावधानों के तहत राज्य सरकार का ये दायित्व हैं।

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    पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है,क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था।

    पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं।उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर है।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई 27 सितम्बर,2022 को होगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने मोटर व्हीकल इन्स्पेक्टर के नियुक्ति के लिए आयोजित परीक्षा में बरती गई अनियमितता के मामलें पर सुनवाई की

    पटना, 09 सितंबर 2022। चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने विनोद कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और बिहार लोक सेवा आयोग से जवाबतलब किया है।

    याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि मोटर व्हीकल इन्स्पेक्टर के 90 पदों पर बहाली के लिए बीपीएससी ने 2020 में विज्ञापन प्रकाशित किया। 5 और 6 मार्च,2022 को इन पदों पर बहाली के लिए परीक्षा आयोजित किया गया।

    पटना के शास्त्रीनगर राजकीय बालिका उच्च विद्यालय के परीक्षा केंद्र के एक ही रूम में 28 उमीदवारो को सीट आवंटित किया गया।इन 28 लड़कियों में से 24 परीक्षा में एक सीरियल से सफल घोषित हुई।

    अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि बीपीएससी,सरकारी अधिकारियों और उम्मीदवारों की मिलीभगत से इतने बड़े पैमाने पर धांधली और भ्रष्टाचार हुआ है।

    उन्होंने बताया कि जब इस गड़बड़ी और धांधली का समाचार समाचारपत्रों में प्रकाशित हुआ,तो किसी तरह की जांच और कार्रवाई नहीं की गई।सरकार,बीपीएससी, निगरानी और आर्थिक अपराध ईकाई ने कोई कार्रवाई नहीं की।

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    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि इस सम्बन्ध में जो अभ्यावेदन 9 अगस्त,2022 को दिया था।लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

    इस जनहित याचिका में ये माँग की गई कि इस परीक्षा को रद्द कर मोटर व्हीकल इन्स्पेक्टर की बहाली के लिए फिर से पारदर्शी और सही ढंग से परीक्षा आयोजित की जाए।इस परिणाम के आधार इनकी नियुक्ति हो।

    उन्होंने बताया कि 67वी बीपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा में इसी तरह के अनियमितता के मामलें राज्य सरकार ने परीक्षा रद्द कर नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया था।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई 14 अक्टूबर,2022 को की जाएगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंतर्गत कालेजों द्वारा यूजीसी को उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने के मामलें पर सुनवाई की

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए यूजीसी को जो भी उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए गए है, उनकी जांच कर कोर्ट में अगली सुनवाई में रिपोर्ट दे।

    ये जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर की हैं।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि जो धनराशि कालेजों को दी जाती है,इसकी जिम्मेदारी किसी के द्वारा नहीं लेना गंभीर मामला है।कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालयों के वीसी और यूजीसी को हलफनामा दायर कर पूरी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।

    कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालयों को दो दिनों के भीतर उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने कहा था कि यूजीसी उसके बाद एक सप्ताह में कार्रवाई करेगा।

    याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रितिका रानी ने कोर्ट को बताया कि राज्य में अंगीभूत और सम्बद्धता प्राप्त कालेजों की संख्या 325 है।इन कालेजों को काफी पहले यूजीसी ने जो अनुदान दिया था, उसका बहुत सारे मामलों में अबतक उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं प्रस्तुत किया गया है।

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    उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के विभिन्न कालेजों द्वारा 124 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी को प्रस्तुत नहीं किया गया है।कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि कालेजों द्वारा दो दिनों के भीतर उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं जमा किये गए, तो सम्बंधित वीसी का वेतन रोक दिया जाएगा।

    कोर्ट ने ये भी स्पष्ट कर दिया था कि कालेजों द्वारा निर्धारित परफॉर्मा पर उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिए गए, तो इसकी जांच कोर्ट कमिश्नर से कराई जा सकती हैं।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

  • पटना नगर निगम के कर्मचारी संघो की कई दिनों से चल रहे हड़ताल मामलें पर सुनवाई पटना हाईकोर्ट में हुई

    पटना हाईकोर्ट में पटना नगर निगम के कर्मचारी संघो ने कई दिनों से चल रहे हड़ताल के मामलें पर सुनवाई की गई।चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने इस मामलें की सुनवाई की।

    निगमकर्मी कर्मचारी संघों की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने कोर्ट को जानकारी दी कि कल ही संघ के पदाधिकारियों ने कोर्ट के निर्देश के आलोक में हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया।

    सीनियर एडवोकेट विध्यांचल सिंह ने एक याचिका हाईकोर्ट में दायर कर निगमकर्मियों के हड़ताल से उत्पन्न स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित किया।उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस हड़ताल के कारण न सिर्फ पूरे शहर में गन्दगी का अम्बार लगा है, बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य भी खतरे में हैं।

    पिछली सुनवाई मे कोर्ट ने निगमकर्मियों को तत्काल हड़ताल समाप्त करने का निर्देश दिया था।साथ ही सम्बंधित अधिकारियों को उनके साथ बैठक कर उनके न्यायसंगत मांगों पर विचार विमर्श करने को कहा।

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    संघो के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि उनके मांगों पर कोई विचार विमर्श नहीं किया गया।कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए।आज कोर्ट में एडवोकेट जनरल ने कहा कि वे कर्मचारियों और सरकार के बीच सकारात्मक और प्रभावी वार्ता कराने में सहयोग करेंगे।

    इस मामलें की सुनवाई अगले माह की जाएगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने गया के अनुग्रह नारायण लॉ कॉलेज और बक्सर के जननायक कर्पूरी ठाकुर लॉ कॉलेज को सत्र 2023-24 में छात्रों का एडमिशन लेने की अनुमति दे दी

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि अगर कालेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है, तभी छात्रों का एडमिशन होगा।

    कोर्ट ने इन कालेजों को बीसीआई के समक्ष निरीक्षण हेतु आवेदन करने को कहा।यदि बीसीआई कालेजों की निर्धारित मानकों को पूरा करता है,तभी उसे कालेज चालू करने व छात्रों के एडमिशन की अनुमति प्रदान किया जाएगा।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने गया के अनुग्रह नारायण कालेज और बक्सर के जननायक कर्पूरी ठाकुर लॉ कॉलेज के सम्बन्ध में बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया से जवाब माँगा था।आज बीसीआई ने इस सम्बन्ध में कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत किया।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है।बीसीआई के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कालेज निर्धारित मानकों को नहीं पूरा कर रहे है ।

    उन्होंने इन कालेजों की जांच स्वतन्त्र एजेंसी से कराने का कोर्ट से अनुरोध किया।कोर्ट ने कहा कि अगर निर्धारित अवधि में इन कालेजों की स्थिति में सुधार नही किया जाता, तो जांच कराई जा सकती हैं।

    इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआई के अनुमति/ अनापत्ति प्रमाण 2021- 22 की सत्र के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को दाखिले के लिए अनुमति दी थी।

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    हाई कोर्ट ने पिछले 23 मार्च 2021 के उस आदेश , जिसके अंतर्गत बिहार के सभी 27 सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी गयी थी। इस आदेश में आंशिक संशोधन किया गया। इसके तहत इन 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी ।

    हाई कोर्ट ने साफ किया कि नया दाखिला सिर्फ 2021-22 के लिए ही होगा। अगले साल के सत्र के लिए बार काउंसिल से फिर मंजूरी लेनी होगी । पिछली सुनवाइयों में कोर्ट ने इन कालेजों का निरीक्षण कर बार काउंसिल ऑफ इंडिया को तीन सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था।कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि जिन लॉ कालेजों को पढ़ाई जारी करने की अनुमति दी गई थी, वहां की व्यवस्था और उपलब्ध सुविधाओं को भी देखा जाए।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद की जाएगी।

  • राज्य में पटना नगर निगम समेत स्थानीय निकायों के चुनाव पर रोक लगाने सम्बंधित याचिका पर पटना हाईकोर्ट मे सुनवाई की

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनील कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से फिलहाल इंकार किया।

    कोर्ट ने राज्य सरकार को इस मुद्दे पर हलफनामा दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया।

    राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने पक्ष प्रस्तुत किया।राज्य चुनाव आयोग के पत्र के आलोक में राज्य सरकार के शहरी विकास और आवास विभाग ने बताया कि विधि विभाग के सलाह के अनुसार स्थानीय निकाय चुनाव प्रक्रिया शुरू करने में कोई बाधा नहीं है।ये भी कहा गया कि उक्त सलाह के अनुसार स्थानीय निकायों की चुनाव प्रक्रिया जारी हैं।

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    याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बगैर संवैधानिक प्रावधानों व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन किए स्थानीय निकायों के चुनाव प्रक्रिया कैसे शुरू हो सकती है।इसमें बैकवर्ड व अन्य वर्गों के आरक्षण का मसला शामिल हैं।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई 29 सितम्बर,2022 को होगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने राज्य के उत्पाद कोर्ट में बुनियादी सुविधाओं के नहीं होने के मामले पर सुनवाई की

    जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि किन तथ्यों राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में रखा गया है ।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने उत्पाद कोर्ट समेत अन्य कोर्ट में बुनियादी सुविधाओं के अभाव पर सख्त रुख अपनाया था।कोर्ट ने कहा था कि राज्य में उत्पाद क़ानून से सम्बंधित मामलें बड़ी संख्या में सुनवाई के लिए लंबित हैं,लेकिन उत्पाद कोर्ट के गठन और सुविधाएं उपलब्ध कराने की रफ्तार धीमी हैं।

    राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया था कि उत्पाद कोर्ट के गठन,जज,कर्माचारियों की नियुक्ति और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगातर कार्रवाई कर रही है।

    कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा था कि सीबीआई, श्रम न्यायलयों व अन्य कोर्ट के लिए अलग अलग भवन की व्यवस्था है,तो उत्पाद कोर्ट के लिए अलग भवन की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है।

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    महाधिकवक्ता ललित किशोर ने राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया था कि सभी 74 उत्पाद कोर्ट के लिए जजों की बहाली हो चुकी हैं।साथ ही 666 सहायक कर्मचारियों की बहाली के लिए स्वीकृति दे दी गई हैं।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 सितंबर,2022 को होगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने एक नाबालिग बच्ची को नौ महीने तक बेगूसराय स्थित बालिका गृह में रखने के मामले पर सुनवाई की

    जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह ने मामलें को गंभीरता से लेते हुए बेगूसराय के जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि इस संवेदनशील मामले पर किशोर न्याय अधिनियम और पोक्सो अधिनियम के प्रावधान और अभिलेखों के आधार पर उचित कार्रवाई करें ।

    कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यदि यह प्रथम दृष्टया मामला बनता है ,तो जिला बाल कल्याण के सदस्यों ,बालिका गृह के पदाधिकारी, बच्ची की जांच करने वाली चिकित्सक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उचित कार्रवाई की जाए।

    कोर्ट ने कहा कि अभिलेखों से स्पष्ट होता है कि इस मामले में संस्थान के पदाधिकारी जिम्मेदार थे ।

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    कोर्ट ने अधिवक्ता विक्रम देव सिंह को पीड़ित बच्चे के हित में न्यायालय को उचित सहायता प्रदान करने के लिए “एमिकस क्यूरी” के रूप में नियुक्त किया है । इस मामले की अगली सुनवाई 21 सितम्बर,2022 को होगी।