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  • बिहार के गर्भाशय घोटाले के मामलें पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की

    15 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने बिहार के गर्भाशय घोटाले के मामलें पर सुनवाई की। जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया।

    पिछली सुनवाई करते कोर्ट ने इन मामलों में केंद्रीय कानून के तहत मामलें दर्ज करने के सम्बन्ध हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

    ये जनहित याचिका वेटरन फोरम द्वारा दायर की गई थी। कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार के मुख्य सचिव को अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा हलफनामा पर दायर करने का निर्देश दिया था।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया था कि इस जनहित याचिका में दिए गए तथ्य वास्तविक नहीं हैं।उन्होंने बताया कि बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष साढ़े चार सौ इस तरह के मामलें आए थे।

    राज्य सरकार के जांच के बाद नौ जिलों में गर्भाशय निकाले जाने के सात सौ दो मामलें आए थे।इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई और आगे की कार्रवाई चल रही है।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पीड़ित महिलाओं को क्षतिपूर्ति राज्य सरकार ने पचास पचास हजार रुपये पहले ही दे दिए।

    इसके बाद बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने आदेश दिया था कि यह राशि बढ़ा कर डेढ़ और ढाई लाख रुपए बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाए।महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया था कि क्षतिपूर्ति की राशि देने के लिए राज्य सरकार ने 5.89 करोड़ रुपए निर्गत कर दिए गए है।

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    कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा था कि किन किन धाराओं के दोषियों के विरुद्ध मामलें दर्ज किये गए।मानव शरीर से बिना सहमति के अंग निकाला जाना गंभीर अपराध है।इसलिए उनके विरुद्ध नियमों के तहत ही धाराएं लगानी जानी चाहिए।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था।2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 दिसंबर,2022 को की जाएगी।

  • भागलपुर के चर्चित सैनडिश कमपॉउन्ड क्षेत्र में अनधिकृत रूप से बनाए गए निर्माण मामलें पर सुनवाई हुई

    14 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने भागलपुर के चर्चित सैनडिश कमपॉउन्ड क्षेत्र में अनधिकृत रूप से बनाए गए निर्माण के मामलें पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने जनहित याचिकाकर्ता गोयनका की याचिका पर सुनवाई करते भागलपुर नगर निगम के आयुक्त को अगली सुनवाई में तलब किया है।

    कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस मामलें पर सुनवाई करते हुए हुए अनधिकृत निर्माणों पर रोक लगा दिया था।

    याचिकाकर्ता की अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि भागलपुर में ये एक सार्वजानिक पार्क हैं,जहां यहाँ के नागरिक टहलने,खेलने और मनोरंजन के लिए आते है।

    अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि कोर्ट ने इस मामलें पर 2004 में भी सुनवाई की थी।कोर्ट ने पार्क के क्षेत्र के भीतर किसी तरह के निर्माण पर रोक लगा दिया था।

    कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि पार्क का जिस उद्देश्य के बनाया गया है, उसी के लिए उपयोग हो।उन्होंने कोर्ट को बताया कि बाद में प्रशासन ने जन उपयोगी निर्माण के नाम पर कुछ निर्माण कार्य करने की अनुमति कोर्ट से ले ली।लेकिन बाद में अन्धाधुंध और मनमाने तरीके से निर्माण होने लगे,जिससे इस पार्क का उद्देश्य ही खत्म हो गया।

    उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि भागलपुर नगर निगम को 29 सितम्बर,2021 को कोर्ट के आदेश को पालन करने के सम्बन्ध में निर्देश दिया जाए।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

  • पटना हाइकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी और विभिन्न विभागों के अध्यक्षों को किया तलब

    14 नवंबर 2022 । पटना हाइकोर्ट ने बड़ी संख्या सूचीबद्ध अवमानना वादों पर सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव, डी जी पी और विभिन्न विभागों के अध्यक्षों को 17 नवंबर,2022 को तलब किया है। जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने डेढ़ सौ से भी अधिक अवमानना वादों पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालती आदेश का पालन नहीं किया जाना गंभीर मामला हैं।

    पटना हाइकोर्ट में बड़ी संख्या में अदालती आदेश का पालन नहीं किये जाने पर अदालती अवमानना दायर किया जाता रहा है।अदालती अवमानना के वादों के सुनवाई के दौरान दिए गए अदालती आदेश का सरकारी विभागों व अधिकारियों द्वारा पालन नहीं किया जाता है।

    कोर्ट ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता जाहिर की।कोर्ट ने इन अधिकारियों से सुझाव भी देने को कहा।कोर्ट इन अधिकारियों से ये भी जानना चाहता है कि अदालती अवमानना के मामलें में कोर्ट के आदेश का कैसे शीघ्र अनुपालन किया जाएगा।साथ ही इन मामलों के निबटारे में कितना समय लगेगा,इस सम्बन्ध में कोर्ट इन अधिकारियों से जानकारी चाहेगा।

    कोर्ट ने इस आदेश की जानकारी सभी सम्बंधित अधिकारियों को दे देने का निर्देश अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार को दिया है। इस मामलें पर अगली सुनवाई 17नवंबर,2022 को की जाएगी।

  • पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति के छात्रों के बीच में स्कूल छोड़े जाने के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया

    पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति के छात्रों के बीच में स्कूल छोड़े जाने के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। पश्चिम चम्पारण जिले में राज्य के एकमात्र अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए स्कूल की दयनीय अवस्था के मामलें में कोर्ट ने सुनवाई की।

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई की।कोर्ट ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अनुसूचित जनजाति के छात्रों के इतनी बड़ी संख्या में स्कूल बीच में छोड़ना गंभीर
    है।
    कोर्ट ने इस सम्बन्ध में की गई सुधारात्मक कार्रवाई के बारे में पूरा ब्यौरा देने का निर्देश दिया।साथ ही कोर्ट ने पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड में एकमात्र अनुसूचित जनजाति बालिका विद्यालय के स्थिति सुधारने के लिए की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी तलब किया।

    कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक और समाज कल्याण विभाग के निदेशक को आज की सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करने
    के लिए तलब किया था।उन्होंने आज कोर्ट मे उपस्थित हो कर स्थिति के सम्बन्ध में जवाब दिया।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि बिहार में अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड एकमात्र स्कूल है।पहले यहाँ पर कक्षा एक से ले कर कक्षा दस तक की पढ़ाई होती थी।

    लेकिन जबसे इस स्कूल का प्रबंधन सरकार के हाथों में गया,इस स्कूल की स्थिति बदतर होती गई।कक्षा सात और आठ में छात्राओं का एडमिशन बन्द कर दिया गया।

    साथ ही कक्षा नौ और दस में छात्राओं का एडमिशन पचास फीसदी ही रह गया।यहाँ पर सौ बिस्तर वाला हॉस्टल छात्राओं के लिए था,जिसे बंद कर दिया गया।

    इस स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक भी नहीं है।इस कारण छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है।

    कोर्ट ने जानना चाहा कि इतनी बड़ी तादाद में छात्राएं स्कूल जाना क्यों बंद कर दे रही है।कोर्ट ने कहा कि जब इस स्कूल के लिए केंद्र सरकार पूरा फंड देती है,तो सारा पैसा स्कूल को क्यों नहीं दिया जाता हैं।

    इस मामलें पर आगे की सुनवाई 29 नवंबर,2022 को होगी।

  • पटना हाइकोर्ट में आयोजित किये गए राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल मिलाकर 308 मामलों की सुनवाई की गई

    पटना हाइकोर्ट में आयोजित किये गए राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल मिलाकर 308 मामलों की सुनवाई की गई। आज 93 मुकदमों की सुनवाई लोक अदालत के दौरान की गई।

    कुल मिलाकर 145 मुकदमों का निष्पादन हुआ, (जिसमें 52 मुकदमें की सुनवाई प्री – सिटींग में अर्थात इस लोक अदालत के पहले), 25 मुकदमें मोटर वाहन एक्ट, 43 सर्विस से जुड़े मामले और 73 अवमानना के मुकदमें शामिल थे।

    इनमें से 25 मोटर वाहन एक्ट के मुकदमों में एक करोड़ पैतीस लाख रुपये का सेटलमेंट किया गया।

  • पटना हाईकोर्ट ने चंपारण, बेतिया जिला स्थित सभी SC-ST आवासीय विद्यालयों के रखरखाव के लिए खरीद और आपूर्ति में कथित रूप से बड़े पैमाने पर बरती गई वित्तीय अनियमितता और गबन के मामले पर सुनवाई की

    पटना, 11 नवम्बर 2022। पटना हाईकोर्ट ने ऑनलाइन सुनवाई करते हुए चंपारण, बेतिया जिला स्थित सभी एससी/ एसटी आवासीय विद्यालयों के रखरखाव के लिए खरीद और आपूर्ति में कथित रूप से बड़े पैमाने पर बरती गई वित्तीय अनियमितता और गबन के मामले पर सुनवाई की।

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने पूनम देवी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के चीफ सेक्रेटरी से गठित की गई जांच कमेटी का रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

    कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए दो सप्ताह के भीतर इस मामले में की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने का आदेश भी दिया है। याचिककर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि मामला वर्ष 2018 -2000 से जुड़ा हुआ है।

    याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के जरिये मामले की जांच के लिए हाई लेवल जांच कमेटी के गठन हेतु आदेश देने का भी अनुरोध किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई चार सप्ताह की जाएगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने राज्य में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई के सम्बंध में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया

    11 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने राज्य में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई के सम्बंध में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने अधिवक्ता मयूरी द्वारा दायर जनहित याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया।

    कोर्ट ने राज्य में स्टेट ड्रग कंट्रोलर की स्थाई नियुक्ति के लिए उठाए गए कदम के संबंध में प्रधान सचिव को सूचित करने को कहा है। चूंकि वर्तमान ड्रग कंट्रोलर करीब विगत 5 वर्षों से अस्थाई रूप से कार्यरत हैं।

    स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने कथित रूप से कुछ प्रतिबंधित दवाओं बनाये जाने के लिए लाइसेंस की मंजूरी दी थी। इन दवाओं को भारत सरकार ने एक गज़ट अधिसूचना से वर्ष 2011 में ही प्रतिबंधित कर दिया था।

    याचिकाकर्ता का कहना है कि स्टेट ड्रग कंट्रोलर की लापरवाही की वजह से कुछ दवाओं पर पूरे भारत में प्रतिबंध लगा दिए जाने के बावजूद इन दवाओं को बिहार राज्य में बनाया और बेचा जा रहा था।

    कोर्ट का यह भी कहना था कि मामले के प्रकाश में आने के बाद करीब डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी आज तक किसी भी कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कि गई है, जोकि प्रथम दृष्टया राज्य में स्वास्थ के प्रति स्वास्थ्य कर्मियों की उदासीनता को बतलाता है।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई 25 नवंबर,2022 को होगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंगीभूत एवं संबद्धता प्राप्त कालेजों द्वारा यूजीसी को उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने के मामलें पर सुनवाई की

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए वकीलों की कमिटी बनाई है।

    इस कमिटी को अपनी रिपोर्ट चार सप्ताह में कोर्ट में दायर करनी हैं | कोर्ट ने वेटरन फोरम की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कालेजों द्वारा आवंटित धनराशि का विवरण एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया जाना गंभीर मामला है।

    इससे पहले कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालयों को दो दिनों के भीतर उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था । याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य में अंगीभूत और सम्बद्धता प्राप्त कालेजों की संख्या 325 है।

    उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के विभिन्न कालेजों द्वारा 124 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी को प्रस्तुत नहीं किया गया है। इन कालेजों को काफी पहले यूजीसी ने जो अनुदान दिया था, उसका बहुत सारे मामलों में अबतक उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं प्रस्तुत किया गया है।

    इस पर कोर्ट ने कहा कि था कि यदि कालेजों द्वारा दो दिनों के भीतर उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा तो सम्बंधित वीसी के वेतन पर रोक लगा दी जाएगी ।इस मामलें की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी ।

  • पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने के लिए पेट्रोल डीजल से चलने वाली चार चक्का वाहनों को गारंटी वारंटी के साथ सीएनजी में परिवर्तित करने के लिए दायर याचिका पर केंद्र व राज्य सरकार से जबाब तलब किया है

    आवेदक को भी राज्य में प्रदूषण के बारे में पूरक हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता शम्भू शरण सिंह की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।राज्य सरकार के राज्य परिवहन विभाग की ओर से इस केस में जबाब दाखिल कर कोर्ट को बताया गया कि राज्य में फ़िलहाल 47 सीएनजी पम्प स्टेशनों से वाहनों को सीएनजी गैस की आपूर्ति की जा रही है।

    अगले वित्तीय वर्ष में 90 नये सीएनजी गैस पम्प स्टेशनो से वाहनों में सीएनजी गैस की आपूर्ति की जाएगी। गैल, आईओसीएल सहित चार सीएनजी गैस एजेंसी सीएनजी गैस पंप स्टेशन (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) लगाने के काम में जुटी हुई है।

    पटना में 19 सीएनजी पम्प स्टेशनो से वाहनों को सीएनजी गैस का आपूर्ति किया जा रहा है वही अगले वित्तीय वर्ष में 11 नये सीएनजी पम्प स्टेशन को चालू कर दिया जायेगा।

    राज्य के 11 जिलों में सीएनजी गैस पंप स्टेशन लगाने का काम तेजी से चल रहा है। अगले वित्तीय वर्षो में 16 नए जिलों में सीएनजी गैस पम्प स्टेशन लगा दिया जायेगा।

    पटना, गया, मुज्जफरपुर, वैशाली, जहानाबाद, भोजपुर, रोहतास, समस्तीपुर, कैमूर, नालंदा तथा बेगूसराय जिलों में 47 सीएनजी गैस पंप स्टेशन से वाहनों में गैस की आपूर्ति की जा रही है।सिर्फ तीन जिला पटना गया और मुज्जफरपुर में जुलाई मध्य तक 25 हजार 314 वाहनों को 21 लाख 61 हजार 831 किलो गैस की आपूर्ति की गई है।

    प्रत्येक माह सीएनजी की बिक्री में बढ़ोतरी हो रही है।सरकार सीएनजी को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है। विभाग अपने जबाब में कहा है कि राज्य सरकार पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचने की दिशा में हर संभव कार्य कर रही है और सीएनजी गैस को बढ़ावा दे रही है।

    मामले पर अगली सुनवाई अगले 25 जनवरी,2023 को होगी।

  • पटना हाइकोर्ट ने बिहार के पूर्व कानून मंत्री व विधान पार्षद कार्तिकेय कुमार ऊर्फ कार्तिक सिंह को अग्रिम जमानत की याचिका की मंजूर करते हुए बड़ी राहत दी

    पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा,जिसे आज सुनाया गया।।इस अग्रिम जमानत की याचिका पर जस्टिस सुनील कुमार पंवार ने सुनवाई की थी।

    ये मामला बिहटा के राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह के अपहरण से सम्बंधित मामला है।14नवम्बर,2014 को बिहटा पुलिस स्टेशन में थाना कांड संख्या 859/2014 रजिस्टर किया गया।

    ये मामला दानापुर के जुड़ीशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास, अजय कुमार के समक्ष सुनवाई हेतु लंबित हैं।
    इस मामलें में सूचक सचिन कुमार ने बिहटा थाना में 14 नवंबर,2014 को सूचना दी कि उन्हें टेलिफोन पर ये पता चला है कि उनके चाचा राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह का अपहरण हो गया है।

    अपहर्ता 18 की संख्या में थे,जो पाँच scorpio गाड़ी से आये थे।उन्होंने राजू को बलपूर्वक ले गए।ये आरोप लगाया गया कि मोकामा के विधायक अनंत सिंह,बंटू सिंह व अन्य सोलह व्यक्तियों ने इसे अंजाम दिया।

    इससे पहले भी दस करोड़ रुपए की फिरौती मांगे जाने का आरोप लगाया गया था,जिसकी सूचना कृष्णापुरी थाने को दी गई थी।

    याचिकाकर्ता ने अपनी अग्रिम जमानत की याचिका में कोर्ट को बताया है कि उनके विरुद्ध जो अन्य आपराधिक मामलें है,उनमें वे जमानत पर है।पटना हाईकोर्ट में 2017 में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी,लेकिन उसे 16 फरवरी,2017 को कोर्ट ने नामंजूर कर दिया।

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    उसके बाद उन्होंने अग्रिम जमानत की कोई याचिका पटना हाइकोर्ट में नहीं दायर की।उन्होंने अपनी अग्रिम जमानत की याचिका में ये बताया है कि प्राथमिकी में उनका नाम नहीं था।साथ ही पीड़ित और सूचक ने उनका नाम इस घटना के सम्बन्ध में नहीं लिया था।

    उन्होंने बताया कि घटना के दिन 14 नवंबर,2014 को वे सरकारी स्कूल में अपनी ड्यूटी में थे।उनके हस्ताक्षर भी उपस्थिति रजिस्टर में अंकित है।