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  • पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई 10 नवंबर,2022 तक टल गयी

    पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई 10 नवंबर,2022 तक टल गयी है।जस्टिस संदीप कुमार द्वारा इस मामलें पर सुनवाई की जा रही है।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य आवास बोर्ड को बताने को कहा था कि अब तक पटना में उसने कितनी कॉलोनियों का निर्माण और विकास किया हैं।

    साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को एमिकस क्यूरी संतोष सिंह द्वारा प्रस्तुत दलीलों का अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया था।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बिहार राज्य आवास बोर्ड के दोषी अधिकारियों और जिम्मेवार पुलिस वाले के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाई की कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा था।

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    कोर्ट ने कहा कि ये बहुत आश्चर्य की बात है कि इनके रहते इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन कर मकान बना लिए गए।इस मामलें पर अगली सुनवाई 10 नवंबर ,2022 को की जाएगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों को डिग्री निर्गत करने में हो रहे विलम्ब पर कड़ा रुख अपनाया

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विवेक राज की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य के सभी सम्बंधित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को अगली सुनवाई में हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जो कुलपति हलफनामा दायर नहीं करेंगे,उन पर पाँच हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।ये धनराशि उनके व्यक्तिगत वेतन से काटा जाएगा।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शाश्वत ने बताया कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों की परीक्षा ली जाती है।एक तो इन विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक सत्र ऐसे भी विलम्ब से चल रहे है।परीक्षाएं भी निर्धारित समय पर नहीं ली जा रही है।उन्होंने के कोर्ट को बताया कि परीक्षाएं लेने और रिजल्ट देने के बाद भी ये विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों को डिग्रियां देने में विलम्ब करते हैं।इससे जहां छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है,वहीं इन छात्रों के भविष्य पर भी बुरा असर पड़ता हैं।

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    विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश या नौकरियों में डिग्री मांगी जाती हैं।लेकिन डिग्री नहीं होने के कारण उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश या नौकरियों से वंचित रह जाना पड़ता हैं।इसलिए ये आवश्यक है कि छात्रों को सम्बंधित विश्वविद्यालय प्रशासन समय पर डिग्री उपलब्ध कराएं।इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने कोर्ट के कामकाज में परिवर्तन किये जाने की जरूरत पर सुझाव दिया

    पटना हाईकोर्ट के वरीय जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने एक महत्वपूर्ण तथ्य को इंगित करते हुए कहा कि करोना काल की परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए कोर्ट के कामकाज में परिवर्तन किये जाने की जरूरत है।

    उन्होंने ने चीफ जस्टिस संजय क़रोल को सुझाव देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के समय से चली आ रही एसओपी (स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीड्यूर) को अब तक जारी रखने की अब कोई औचित्य और आवश्यकता नहीं प्रतीत होता है।

    उन्होंने कहा कि अदालती कार्यवाही से आम जनता एवं वादियों को दूर नहीं रखा जाना चाहिए, जब तक कि पुनः कोई असाधारण परिस्थियां उत्पन्न न हो जाए। उन्होंने कोरोना की स्थिति में नियंत्रण के सन्दर्भ में ये बातें कही।

    उन्होंने 9 महीने पुराने स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीड्यूर के सम्बन्ध में कहा कि किसी भी कोर्ट के पास वादियों या आम जनता को कार्यवाही देखने से वंचित नहीं किया जा सकता।अदालती कार्यवाही में वादी के प्रवेश अधिकार को रोकने से अदालती कार्यवाही में भी अस्पष्टता पैदा होती है ,जो खुली अदालत की कार्यवाही के सिद्धांत के विपरीत है।

    हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया 21.02.2022 से प्रभावी एसओपी के अनुसार हाईकोर्ट के कामकाज के संबंध में कहा कि यह उनका एक विचार मात्र हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हाईकोर्ट के कामकाज के मामले में चीफ जस्टिस का निर्णय सर्वोपरि और अंतिम होता है।

  • पटना हाईकोर्ट ने नई दिल्ली स्थित रेलवे के चेयरमैन पर पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाया

    पटना हाई कोर्ट ने हाजीपुर- सुगौली रेल लाइन प्रोजेक्ट को पूरा किये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर
    वर्चुअल रूप से सुनवाई करते हुए नई दिल्ली स्थित रेलवे के चेयरमैन पर पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाया। चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने राजीव रंजन सिंह की याचिका पर सुनवाई की।

    कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस मामले में अभी तक जवाब दाखिल नहीं किये जाने पर नाराजगी जताते हुए ये जुर्माना लगाया।

    याचिकाकर्ता का कहना है कि विगत 16 वर्षों से भी ज्यादा समय से इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में इस कार्य हेतु जमीन अधिग्रहण में विलंब नहीं करने के लिए आदेश देने का आग्रह कोर्ट से किया है।

  • पटना हाईकोर्ट ने कोसी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के पीड़ितो को मुआवज़ा देने से संबंधित लोकहित याचिका पर सुनवाई की

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने महेंद्र यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले को आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव के समक्ष रखने का निर्देश दिया है।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट को बताया कि कोशी नदी के बाढ़ से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने का निर्णय लिया गया था।

    उन्होंने बताया कि कोसी पीड़ित विकास प्राधिकार का गठन 30 जनवरी,1987 को किया गया।लेकिन ये अबतक कागज पर ही दिख रहा है। कोर्ट ने इस सम्बन्ध में राज्य सरकार से कई बार जवाब तलब किया, लेकिन इसका कोई स्पष्ट जवाब अब तक नहीं दिया गया।

    उन्होंने बताया कि कोसी नदी के बाढ़ से बड़े पैमाने पर जान माल की क्षति होती रही है।ऐसे में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की पीड़ित जनता को मुआवज़ा, खाद्य सामग्री एवं अन्य जरूरत की चीजें मुहैय्या कराई जानी चाहिए थी, लेकिन राज्य सरकार इसमें असफल रही ।

  • पटना हाईकोर्ट में गोपालगंज से आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता के विरुद्ध दायर रिट याचिका पर अब सुनवाई 7 नवंबर,2022 को दोपहर सवा दो बजे सुनवाई की जाएगी

    स्थानीय मतदाता दीपू कुमार सिंह द्वारा दायर रिट याचिका पर जस्टिस मोहित कुमार शाह करेंगे।

    गौरतलब है कि कल गोपालगंज विधानसभा चुनाव क्षेत्र के उपचुनाव में मतदान हो चुका है।6 नवंबर,2022 को मतगणना हो कर परिणाम आ जाएगा। पिछली सुनवाई में भारत के चुनाव आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने इस रिट याचिका को सुनवाई करने के योग्य नहीं माना था।

    उनका कहना था कि चुनाव परिणाम के बाद इसके विरुद्ध चुनाव याचिका दायर की जा सकती है।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एस डी संजय ने कहा था कि आर जे डी उम्मीद्वार ने अपने विरुद्ध मामलें को छुपा कर नामांकन किया।ये सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का खुला उल्लंघन हैं।

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    वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने बताया कि याचिकाकर्ता ने राज्य में होने जा रहे विधानसभा के उप चुनाव में आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता उर्फ मोहन प्रसाद के नामांकन की जांच कर रद्द करने की माँग किया गया है।इसके लिए मुख्य चुनाव अधिकारी को आदेश देने का अनुरोध किया गया था।

    याचिका में ये आरोप लगाया गया था कि रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा इनके नामांकन को गलत और अनुचित तरीके से स्वीकार किया गया है।इसमें तथ्यों को छुपा कर गलत हलफनामा दाखिल करने का आरोप लगाया गया है। ये भी आरोप लगाया गया है कि उक्त आरजेडी के उम्मीदवार द्वारा भरे गए फॉर्म सी- 4 में लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में गलत सूचना दिया है।उनके विरुद्ध लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में गलत जानकारी दी गई है।

  • पटना हाईकोर्ट में गोपालगंज से आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता के विरुद्ध दायर रिट याचिका पर कल (4 नवंबर,2022) सुबह साढ़े दस बजे ऑन लाईन सुनवाई की जाएगी

    पटना हाईकोर्ट में गोपालगंज से आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता के विरुद्ध दायर रिट याचिका पर कल (4 नवंबर,2022) सुबह साढ़े दस बजे ऑन लाईन सुनवाई की जाएगी। स्थानीय मतदाता दीपू कुमार सिंह द्वारा दायर रिट याचिका पर जस्टिस मोहित कुमार शाह सुनवाई करेंगे।

    भारत के चुनाव आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने इस रिट याचिका को सुनवाई करने के योग्य नहीं माना।उनका कहना था कि चुनाव परिणाम के बाद इसके विरुद्ध चुनाव याचिका दायर की जा सकती है।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एस डी संजय ने कहा कि आर जे डी उम्मीद्वार ने अपने विरुद्ध मामलें को छुपा कर नामांकन किया।ये सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का खुला उल्लंघन हैं।

    वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने बताया कि याचिकाकर्ता ने राज्य में होने जा रहे विधानसभा के उप चुनाव में आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता उर्फ मोहन प्रसाद के नामांकन की जांच कर रद्द करने की माँग किया है।

    इसके लिए मुख्य चुनाव अधिकारी को आदेश देने का आग्रह किया गया है।याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा इनके नामांकन को गलत और अनुचित तरीके से स्वीकार किया गया है।इसमें तथ्यों को छुपा कर गलत हलफनामा दाखिल करने का आरोप लगाया गया है।

    ये भी आरोप लगाया गया है कि उक्त आरजेडी के उम्मीदवार द्वारा भरे गए फॉर्म सी- 4 में लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में गलत सूचना दिया है। उनके विरुद्ध लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में गलत जानकारी दी गई है।

  • पटना हाईकोर्ट में गोपालगंज से आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता के विरुद्ध एक रिट याचिका दायर की गई है

    1 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट में गोपालगंज से आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता के विरुद्ध एक रिट याचिका दायर की गई है। ये याचिका स्थानीय मतदाता दीपू कुमार सिंह ने दायर किया है।

    याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने बताया कि याचिकाकर्ता ने राज्य में होने जा रहे विधानसभा के उप चुनाव में आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता उर्फ मोहन प्रसाद के नामांकन की जांच कर रद्द करने की माँग किया है।इसके लिए राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी को आदेश देने का आग्रह किया गया है।

    याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा इनके नामांकन को गलत और अनुचित तरीके से स्वीकार किया गया है। तथ्यों को छुपा कर गलत हलफनामा दाखिल करने का आरोप लगाया गया है।

    ये भी आरोप लगाया गया है कि उक्त आरजेडी के उम्मीदवार द्वारा भरे गए फॉर्म सी- 4 में लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में गलत सूचना दिया गया है। लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में स्थानीय मीडिया में गलत जानकारी दी गई है।

    याचिका में कहा गया है कि 7 सितंबर, 2022 को शराब के अवैध व्यवसाय के लिए एक्साइज एक्ट के तहत एक आपराधिक मुकदमा मेसर्स सिल्वर हेरिटेज स्पिरिट्स एल एल पी और इसके पार्टनर / डाइरेक्टर/ मैनेजर के विरुद्ध दर्ज किया गया था।

    आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद के नाम से डायरेक्टर थे, जिसमें इनके पिता का नाम शंकर प्रसाद बताया गया था।

  • पटना हाईकोर्ट ने बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 में; मार्च, 2021 में राज्य सरकार को द्वारा किए गए संशोधनों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया

    21 अक्टूबर 2022 ।  पटना हाईकोर्ट ने बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 में मार्च, 2021 में राज्य सरकार को द्वारा किए गए संशोधनों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया। इसकी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने 13अक्टूबर,2022 सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा लिया था।

    चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने डा आशीष कुमार सिन्हा व अन्य की याचिकाओं पर महत्वपूर्ण फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि निगम के सी और डी श्रेणी की नियुक्ति का अधिकार पूर्ववत निगम के अधिकार क्षेत्र में होगा।

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शक्ति प्राप्त स्टैंडिंग कमिटी एक स्वतन्त्र निर्वाचित संस्था है।उसे राज्य सरकार या कोई अन्य संस्था उनका निरीक्षण नहीं कर सकती हैं।कोर्ट ने ये भी कहा कि 74वें संवैधानिक संशोधन के बाद नगर निकाय सांविधानिक हैसियत रखती हैं।उनकी शक्ति को कम करना या। खत्म करना असंवैधानिक होगा।

    यह मामला नगरपालिका में संवर्ग की स्वायत्तता से जुड़ा हुआ है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को याचिकाकर्ताओं की अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इस संशोधन के तहत नियुक्ति और तबादला को सशक्त स्थाई समिति में निहित अधिकार को ले लिया गया है। यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है।

    अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया था कि अन्य सभी राज्यों में नगर निगम के कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार निगम द्वारा ही की जाती है। उनका कहना था कि नगर निगम एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए इसे दैनिक क्रियाकलापों में स्वयं काम करने देना चाहिए।

    कोर्ट को आगे यह भी बताया गया था कि चेप्टर 5 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक निगम में ए और बी केटेगरी में नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है। जबकि सी और डी केटेगरी में नियुक्ति के मामले में निगम को बहुत थोड़ा सा नियंत्रण दिया गया है।

    31 मार्च को किये गए संशोधन से सी और डी केटेगरी के मामले में भी निगम के ये सीमित अधिकार को भी मनमाने ढंग से ले लिये गए है।

    कोर्ट ने इस संशोधन को रद्द करते हुए सी और डी श्रेणी के कर्माचारियों की नियुक्ति का अधिकार नगर निगमों को पहले की भांति दे दिया हैं।

  • पटना हाइकोर्ट में 24अक्टूबर, 2022 से 31अक्टूबर, 2022 तक अवकाश रहेगा

    दिवाली,दावात पूजा एवं छठ पर्व के अवसर पर पटना हाइकोर्ट में 24अक्टूबर,2022 से 31अक्टूबर,2022 अवकाश रहेगा। 1 नवंबर,2022 को हाईकोर्ट खुलेगा और उसके बाद सामान्य अदालती कामकाज प्रारम्भ हो जाएगा।

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