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  • पटना हाईकोर्ट ने ओबरा के सीओ और खुदवा के थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर 48 घंटों में गिरफ्तार किए जाने का निर्देश दिया

    पटना हाईकोर्ट ने डी एम और एस पी, औरंगाबाद को निर्देश दिया है कि अतिक्रमण नहीं हटाने के मामलें में गड़बड़ी करने वाले ओबरा के सीओ और खुदवा के थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर 48 घंटों में गिरफ्तार किया जाए।जस्टिस मोहित शाह ने इस मामलें पर सुनवाई करते डी एम और एस पी को सख्त चेतावनी दी कि अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ,तो औरंगाबाद के डी एम और एस पी को कस्टडी में लिया जा सकता है।

    कोर्ट ने इन अधिकारियो को कार्रवाई कर अगली सुनवाई में फिर कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया। अभिषेक कुमार ने बताया कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने डी एम, औरंगाबाद द्वारा अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सख्त रुख अपनाते हुए आज कोर्ट में तलब किया था।

    आज कोर्ट में औरंगाबाद के एस पी भी सुनवाई के दौरान उपस्थित थे।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक कुमार ने बताया कि खुदवा थानाध्यक्ष एक महिला को सहयोग दे कर जिनके भूमि पर अतिक्रमण था,उनके पूरे परिवार के विरुद्ध एस सी/एस टी एक्ट के तहत औरंगाबाद सिविल कोर्ट में मामला दर्ज करवा दिया है।

    साथ ही जिनकी भूमि है,उन्हें तरह तरह से धमका रहे है।साथ ही सीओ की भूमिका संदिग्ध है।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई 13अक्टूबर, 2022 को की जाएगी।

  • राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों से सम्बंधित मामलों पर सुनवाई कल तक टली

    पटना हाईकोर्ट में राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों से सम्बंधित मामलों पर सुनवाई कल तक टली।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा इस मामलें पर सुनवाई की जा रही है।

    पूर्व की सुनवाई में कोर्ट को महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि वर्तमान और पूर्व एमपी व एमएलए के विरुद्ध 78 आपराधिक मामलों में 12 मामलों पर आरोप पत्र और 4 मामलों पर अंतिम प्रपत्र दायर किया जा चुका है।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि 280 मामलों में कुल 481 गवाहों का परिक्षण किया जा चुका है |

    पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया था कि वर्तमान व पूर्व एमपी और एमएलए के विरुद्ध कुल 598 आपराधिक मुकदमें लंबित है, जिसमें अधिकतर केस में अनुसंधान पूरा हो गया है।

    लगभग 78 आपराधिक मुकदमों में अनुसंधान लंबित है। इस मामले पर अगली सुनवाई 12अक्टूबर,2022 को होगी ।

  • पटना हाईकोर्ट ने बिहार के पिछडा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर आज निर्णय सुनाया

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में ओ बी सी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती,जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं नहीं पूरी कर लेती।

    कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने बताया कि इस स्थानीय निकाय के चुनाव में इन पदों के आरक्षण नहीं होने पर इन्हें सामान्य सीट के रूप मे अधिसूचित कर चुनाव कराए जाएँगे।

    चीफ जस्टिस संजय क़रोल एवं संजय कुमार की खंडपीठ ने सुनील कुमार व अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के 29 सितम्बर,2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था ,जिसे आज सुनाया गया।

    गौरतलब है कि स्थानीय निकायों के चुनाव 10 अक्टूबर,2022 से शुरू होने वाले है।कोर्ट सुनवाई पूरी का निर्णय सुरक्षित रख लिया।

    कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा था कि इस मामलें पर निर्णय पूजा अवकाश में सुना दिया जाएगा।कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव के कार्यक्रम में परिवर्तन करने की जरूरत समझे,तो कर सकता है।

    दिसंबर,2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती,जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती।

    तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी के पिछडापन पर आंकडे जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत हैं।

    साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करें।

  • पटना हाइकोर्ट में दुर्गा पूजा के अवसर पर 1अक्टुबर,2022 से 9अक्टुबर,2022 तक रहेगा अवकाश

    पटना हाइकोर्ट में दुर्गा पूजा के अवसर पर 1 अक्टुबर,2022 से 9 अक्टुबर,2022 तक अवकाश रहेगा । 2 अक्टुबर,2022 को पटना हाइकोर्ट में गाँधी जयंती के लिए अवकाश रहेगा।

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    पटना हाईकोर्ट पुनः 10 अक्टूबर,2022 को खुलेगा और सामान्य अदालती कामकाज प्रारम्भ होगा।

  • पटना हाईकोर्ट ने बिहार के स्थानीय निकायों में अन्य पिछडा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर सुनवाई पूरी का निर्णय सुरक्षित रख लिया

    सुनील कुमार व अन्य की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि स्थानीय निकायों के चुनाव तय कार्यक्रम के अनुसार 10 अक्टूबर,2022 से होंगे।

    कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि इस मामलें पर निर्णय पूजा अवकाश में सुना दिया जाएगा।कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव के कार्यक्रम में परिवर्तन करने की जरूरत समझे,तो कर सकता है।

    इससे पूर्व इस मामलें पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि इस मुद्दे पर 23 सितम्बर,2022 तक सुनवाई कर ले,तो सही रहेगा।

    दिसंबर,2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती,जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती।

    तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी के पिछडापन पर आंकडे जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत हैं।

    साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करें।

    कोर्ट ने कहा कि जब तक तीन जांच की अर्हता नहीं पूरी कर ली जाती,ओबीसी को सामान्य श्रेणी के सीट के अंतर्गत पुनः अधिसूचित किया जाए।

    कोर्ट ने ये भी कहा कि बिहार मे नगर निकायों का चुनाव 10 अक्टूबर, 2022 को चुनाव होने हैं।इसके पूर्व पटना हाईकोर्ट को इस मामलें पर सुनवाई कर ले, तो उपयुक्त रहेगा।

    आज पटना हाईकोर्ट ने इस मामलें पर सभी पक्षों की लम्बी बहस सुनने के फैसला सुरक्षित रख लिया।

  • एक महिला अधिवक्ता ने अपने 4 वर्ष के बच्चे का DNA टेस्ट करवाने के लिए पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की; इसके अनुसार यह बच्चा राज्य के ऊर्जा सचिव संजीव हंस का है

    पटना हाईकोर्ट की एक महिला अधिवक्ता गायत्री कुमारी ने एक याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि चार वर्ष का उनका पुत्र आर्यन लगभग चार वर्ष पूर्व 25 दिसंबर 2018 को जन्म लिया है, कथित रूप से राज्य के ऊर्जा सचिव संजीव हंस का है।

    दायर याचिका में यह भी मांग की गई है कि यह बच्चा संजीव हंस का है, इसके लिए डी एन ए टेस्ट करवाया जाए।

    याचिका में यह भी आग्रह किया गया है कि ए सी जी एम, दानापुर द्वारा 12 मई, 2022 को दिए गए आदेश को रद्द करते हुए, रूपसपुर थाना को कंप्लेंट केस नंबर- 1122 सी 2021 के आधार पर ऊर्जा सचिव संजीव हंस, पूर्व विधायक गुलाब यादव, व ललित (गुलाब यादव के सर्वेंट) के पर धारा 323, 341, 376, 376(डी), 420, 312, 120 बी, 504, 506 व 341 आई पी सी और 67 आई टी एक्ट के तहत एफ आई आर दर्ज किया जाए।

  • पटना हाईकोर्ट ने अररिया जिला के भरगावां अंचल के सीओ द्वारा निजी जमीन को स्कूल की जमीन बताकर उसे तोड़े जाने संबंधी दिए गए नोटिस पर हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई तक स्थगन आदेश पारित किया

    साथ ही जस्टिस मोहित शाह ने किशोर पाठक की याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के मकान को तोड़ने पर रोक लगा दिया है।

    कोर्ट ने अररिया के डीएम को निर्देश दिया कि वे स्वयं उस जमीन पर जाकर उसे देखें और उचित आदेश संबंधित अधिकारियों को दे। कोर्ट ने डीएम को कहा कि अगली सुनवाई में इस मामले में की गई कार्रवाई रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे।

    कोर्ट ने अररिया डीएम को कहा कि वह इस बात की जानकारी भी अगली सुनवाई में कोर्ट को दें कि याचिकाकर्ता का मकान अतिक्रमण कर बनाये गए जमीन पर है या उसके निजी जमीन पर। मकान तोड़े जाने की नोटिस दिए जाने के पहले अतिक्रमण संबंधी नोटिस उसे दिया गया था या नही।

    इन सब बातों की जानकारी अगली सुनवाई में कोर्ट को दें .
    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राकेश कुमार झा ने कोर्ट को बताया कि जिस जमीन पर बने मकान को तोडने का नोटिस भरगावां के अंचलाधिकारी ने दिया है, वह उसकी पुस्तैनी जमीन है।

    इस मामले की अगली सुनवाई फिर 2 नवंबर को की जाएगी।

  • पटना हाईकोर्ट में बिहार के स्थानीय निकायों में अन्य पिछडा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर सुनवाई कल भी जारी रहेगी

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा सुनील कुमार व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही है।

    इससे पहले इस मामलें पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि इस मुद्दे पर 23 सितम्बर,2022 तक सुनवाई कर ले,तो उपयुक्त रहेगा।

    दिसंबर,2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती,जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती।

    तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी के पिछडापन पर आंकडे जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत हैं।

    साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा नहीं पार करें।

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    कोर्ट ने कहा कि जब तक तीन जांच की अर्हता नहीं पूरी कर ली जाती,ओबीसी को सामान्य श्रेणी के सीट के अंतर्गत पुनः अधिसूचित किया जाए।

    कोर्ट ने ये भी कहा कि बिहार मे नगर निकायों का चुनाव 10 अक्टूबर, 2022 को चुनाव होने हैं।इसके पूर्व पटना हाईकोर्ट को इस मामलें पर सुनवाई कर ले, तो उपयुक्त रहेगा।

    आज पटना हाईकोर्ट में इस मामलें पर दिन भर सुनवाई हुई,लेकिन बहस पूरी नहीं हो पायी।इसलिए अब इस मामलें पर कल भी सुनवाई होगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने पटना के चर्चित सुल्तान पैलेस को ध्वस्त करने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की

    अमरजीत की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते सुल्तान पैलेस के मामलें पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देते हुए राज्य सरकार को 8 सप्ताह में जवाब देने को कहा।

    इस जनहित याचिका में राज्य सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसने सुल्तान पैलेस को तोड़े जाने का निर्णय लिया गया है।याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री रामकृष्ण ने कोर्ट को बताया कि ये ऐतिहासिक महत्व का स्मारक है और लगभग सौ साल पुराना हैं।

    ऐसे भवन के देखभाल और उसे सही स्थिति में रखने की जगह उसे तोड़े जाने का राज्य सरकार ने निर्णय लिया है,जो उचित नहीं है।

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    कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा कि सौ साल पुराने ऐतिहासिक स्मारक को क्यों तोड़ने का निर्णय लिया गया है।कोर्ट ने इस जनहित याचिका में उठाए गए मामला की सराहना करते हुए राज्य सरकार को जवाब देने के लिए आठ सप्ताह का मोहलत दिया था।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई 1दिसम्बर,2022 को होगी।

  • नगर पालिका चुनाव में दो से अधिक बच्चे मामले में पीआईएल पटना हाईकोर्ट में दायर

    मुजफ्फरपुर। बिहार की नगर निकाय चुनाव में दो बच्चों से अधिक वालों को चुनाव में लडने में अयोग्य घोषित किए जाने के सरकार के फैसले के विरुद्ध जनहित याचिका दर्ज कराया। मुजफ्फरपुर के सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने अब पटना हाई कोर्ट में दायर किया याचिका।

    बिहार राज्य में होने वाली नगर पालिका चुनाव 2022 के सरकार द्वारा दो बच्चों से अधिक वालों को निकाय चुनाव के उम्मीदवारी के लिए अयोग्य घोषित किए जाने के फैसले को आज हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है और इसको मुजफ्फरपुर के रहनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने दिया है और पटना हाई कोर्ट में दायर याचिका में यह आरोप लगाया है की बिहार सरकार का यह कानून आमलोगों के हित के नही है तो इससे बहुत सारे लोग चुनाव लडने से वंचित रह जायेंगे।

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    तमन्ना हाशमी ने बताया की जब सरकार ने इस मामले में वर्ष 2011 में ही नियम को लाया था तो इतने वर्ष के बाद से इसको लाने का क्या औचित्य और यह नियम अब तक के विधान सभा चुनाव पंचायत चुनाव में क्यों नहीं लागू किया गया था अब इसको लेकर सवाल उठाया है।