राजगीर महोत्सव में रंगोली के रंग डी ए वी के संग.  

उधर सुबह सवेरे राजगीर में उद्धघाटन के बाद राजगीर में होने वाली खेल कूद ,गायन वादन ,वाद विवाद तथा रंगोली प्रतियोगिता को लेकर स्कूल से आए बालक – बालिकाओं ,शिक्षक – शिक्षिकाओं में विभिन्न प्रतियोगिता को लेकर अजीब सी हलचल मची हुई थी। आज प्रथम दिवस था। स्थानीय डी ए वी पावर ग्रीड की एक छोटी सी टीम अपनी कुशल, कर्मठ , सुन्दर नेतृत्व प्रदान करने वाली शिक्षिकाओं, रंजीता, अनीता, सीमा ,एवं प्रीति सिंह के समूह साथ आई हुई थी।

राजगीर महोत्सव में रंगोली के रंग डी ए वी के संग.  

उन्हें यकीन था शायद आसमां को छूने का पल आ गया है। शायद आज का दिन उनके नाम होना था। वक्त आ गया रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन १३१ प्रतिभागियों किया गया था। रंगोली के लिए डी ए वी पावर ग्रीड की बालिकाओं ने अपनी टीम लीडर रंजीता की देख रेख में सर्वश्रेष्ठ कोशिश की , मन से जल जीवन हरियाली के जीवंत सन्देश को निर्णायक के मन में उतार दिया। परिणाम भी मन के अनुकूल ही आए।

रंगोली सीनियर में डी ए वी और जूनियर वर्ग में मध्य विद्यालय इस्लामपुर रंगोली प्रतियोगिता के विजेता रहें। प्रतिभागियों में सीनियर वर्ग में डी ए वी पब्लिक स्कूल, पॉवर ग्रीड की ज्योत्सना ,स्तुति ,प्रिया ,कृतिका मधुकर ,प्राची ,खुशी कुमारी ,साक्षी सिन्हा तथा सौम्या सिन्हा ने अपने विद्यालय का नाम रोशन किया|

राजगीर महोत्सव का दूसरा दिन : सच में राजगीर महोत्सव का दूसरा दिन भी डी ए वी के लिए खुशियों की सौगात लेकर ही आया ,यदि विद्यालय सूत्रों की माने तो। वाद विवाद प्रतियोगिता में इसी विद्यालय की दशम वर्ग की छात्रा रिद्धिमा रंजन
ने प्रथम स्थान हासिल किया तो तबला वादन में सप्तम वर्ग के दिव्यांक पहले पादन पर रहें तो एकल नृत्य में अष्टम वर्ग की जाह्नवी ने विद्यालय परिवार का मान सम्मान बढ़ाया।

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डी ए वी विद्यालय के प्राचार्य वी के पाठक ने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए हमसे बात चीत में बतलाया कि बच्चों की सार्थक भागीदारी के लिए हम अभिवावकों का आभार प्रगट करते हैं। तथा समूह को नेतृत्व प्रदान करने वाली शिक्षिकाओं रंजीता, सीमा ,प्रीति तथा अनीता का उत्साह बर्धन करते हुए उनके लिए भी विशेष धन्यवाद प्रेषित करते हैं ।
हमसे बात करते हुए विद्यालय की शिक्षिका प्रीति सिंह ने कहा कि हम सभी हिमालय से भी ऊँचा हौसला रखती हैं, हम जो ठान ले वो कर ले। यही हैं हम नारी शक्तियां। सच में हम अपनी सफलता के भावार्थ के लिए अपनी शक्ति में ही आश्रित होते है ना। फिर यहाँ तो नारी शक्तियां ही थी ,चाहे बालिकाओं के रूप में या शिक्षिकाओं की प्रतीक में ।

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