दीपदान उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

बिहारशरीफ के राहुई प्रखंड के गांव पचासा,मोड़ा,अमरपुर में महात्मा गौतम बुद्ध एवं डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए दीप जलाकर एवं लोगों के बीच मिठाई बांटकर दीपदान उत्सव डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के तत्वधान में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। झूठ/असत्य/ अन्याय के जितने विरोधी हैं उससे लाखों गुना सत्य/ न्याय की विरोधी इस देश में है जो इस महान देश के लिए अभिशाप बन चुके हैं हमारा मार्ग सत्य/ न्याय का है किसी की झूठी भावनाओं का बोझ उठाकर देश के साथ गद्दारी नहीं कर सकता। ये उपयुक्त युक्ति दीपदान उत्सव में रामदेव चौधरी ने कही।इस मौके पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान ने कहा कि दीपदान उत्सव सर्वप्रथम 17 साल गृह त्याग के बाद सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बनने के बाद कपिलवस्तु लौटे थे उनके पिता राजा शुद्धोधन ने अपने प्रजा से कहे की हमारे पुत्र सिद्धार्थ के लौटने से पूरे नगरवासी खुशी में मेवा मिष्ठान बनाकर अपने अपने घरों में दीप जलाकर दीपदान उत्सव मनाए।दीपदान उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

उनके पिता जान गए थे की हमारा पुत्र सिद्धार्थ नहीं रह गया वह दुनिया के लिए सिद्धार्थ से महात्मा बुध्द बन गया है जो दुनिया को प्रकाशित करेगा।इस मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष रामदेव चौधरी ने कहा कि कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक बौद्ध बन गए थे और उन्होंने पूरे जम्मू दीप में 84000 धम्म बनाए थे जब उनको पता चला कि भगवान गौतम बुद्ध को 17 साल बाद लौटे गृह कपिलवस्तु के नगर वासी ने दीपदान उत्सव मनाए थे तब उन्होंने कार्तिक अमावस्या के दिन सम्राट अशोक ने 260 ईसा पूर्व दीपदान उत्सव पूरे जम्मू द्वीप में मनाने के आदेश दिए उस समय भारत पाटलिपुत्र से लेकर बर्मा श्रीलंका आफिगिस्तान भूटान नेपाल देश तक फैला था और जम्मू दीप से जाना जाता था तथा पूरे जम्मू द्वीप में दीपदान उत्सव बनाए गए स्कूल कॉलेज बनाए गए जानवर के लिए अस्पताल बनाएं दीपदान करना अर्थात प्रकाश को दान करना ज्ञान को दान करना दीपावली का मूल नाम दीपदान उत्सव है बाद में पुष्यमित्र शुंग ने मौर्य वंश के अंतिम शासक राजा बृहदत्त मौर्य की हत्या कर वैदिक धर्म की स्थापना की जिसने दीपदान उत्सव को बदलकर दीपावली के नाम से नवाजा जो आज तक चल रहा है। दीपावली मूल निवासियों का पर्व नहीं है

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दीपदान उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

मूल निवासियों का दीपदान उत्सव है जो भगवान बुध्द के अपने गृह कपिलवस्तु के लौटने के क्रम में वहां के नगरवासी अपने घरों को दीपों से सजा कर दीपदान उत्सव मनाए थे।इस अवसर पर अति पिछड़ा दलित संघर्ष मोर्चा के संस्थापक बलराम दास ने कहा कि आओ आज से हम लोग मूल निवासी संकल्प लें की दीपावली के जगह पर दीपदान उत्सव मनाए।इस मौके पर जिला के महासचिव महेंद्र प्रसाद जिला उपाध्यक्ष लालती देवी उपाध्यक्ष नंदलाल दास सचिव संटू पासवान सुशील कुमार शिव शंकर दास शशिकांत जी शर्मिला देवी उषा देवी श्रीदेवी विजय दास जन रविदास आदि लोग उपस्थित थे।

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