दुनिया भर में प्रकृति को बचाने के लिए एवं लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 28 जुलाई को प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर नालंदा कॉलेज के भूगोल विभाग में आयोजित संगोष्ठी में विभागाध्यक्ष डॉ भावना ने कहा कि यह आयोजन सभी जीवित चीजों की भलाई को बनाए रखने के लिए पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास है।
प्राचार्य डॉ राम कृष्ण परमहंस ने कहा कि जल, जंगल, जमीन के बिना हमारी प्रकृति अधूरी है। आज के समय में पेड़-पौधे वनस्पतियां बहुत से जीव-जंतु विलुप्त होते जा रहे हैं। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का मुख्य उद्देश्य इन विलुप्त हो रहे जीव-जंतु, वनस्पतियां को बचाना है। आईक्यूएसी के समन्वयक डॉ बिनीत लाल ने भूगोल विभाग का इस आयोजन के लिये आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रकृति संरक्षण का संबंध प्राणियों के जीवन और धरती के सभी प्राकृतिक परिवेश से है। उन्होंने सभी से अपील कि की हम सभी को अपने रोजमर्रे की जिंदगी में संवेदनशील होकर सभी चीजों का उपयोग करना होगा। शिक्षक संघ की अध्यक्ष डॉ मंजु कुमारी एवं सचिव डॉ रत्नेश अमन ने कहा कि अगर हमें प्रकृति को संरक्षित करना है तो हमें बहुत सारे उपाय करने पड़ेंगे। जैसे वातावरण को प्रदूषित होने से बचाना होगा, पेड़-पौधों को कटने से रोकना होगा, बड़े-बड़े कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों पर रोक लगानी होगी, जिससे हमारा पर्यावरण शुद्ध बना रहे। भूगोल विभाग की शिक्षक प्रीति रानी ने कहा कि हमें अपने जीवन में रिड्यूस, रियूज़ एवं रिसाइकल को अपनाना होगा तभी आने वाली पीढ़ी हमें जिम्मेवार समझेगी। कार्यक्रम में विभाग के शिक्षक रामानुज चौधरी एवं अन्य शिक्षक भी मौजूद रहे। इस अवसर पर भूगोल विभाग के छात्रों ने पौधों की एक प्रदर्शनी भी लगायी एवं सभी पौधों की विशेषताओं के बारे में भी लोगों को विस्तार से बताया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ अनिल अकेला ने किया।