नेपाल और भारत के साहित्यकार मिलकर करेंगे मगही साहित्य पर काम

नेपाल और भारत के साहित्यकार मिलकर करेंगे मगही साहित्य पर काम, आठवीं अनुसूची में शामिल कराने को चलाया जा रहा है मगही जन जगृति अभियान

3 लाख की आबादी नेपाल में बोलती है मगही, नेपाल के वीर बहादुर महतो व नाज़ सिंह को दिल्ली में किया गया अभिनंदन

मगही जन जागृति अभियान ‘घरे-घरे दुआरी-दुआरी’ की बैठक इग्नू दिल्ली में हुई। जिसमें नेपाल के मगही साहित्यकार वीर बहादुर महतो, नाज़ सिंह, अभियान के ब्रांड अम्बेस्डर युवा कवि संजीव कुमार मुकेश, समाजसेवी के एल गुप्ता,बिहार बेल्फेयर सोसाइटी के संजय भाई और अभियान के दिल्ली संयोजक कुँज बिहारी लाल उपस्थित हुए। संजीव कुमार मुकेश ने कहा कि नेपाल और भारत में बेटी-रोटी के साथ भाषाई रिश्ता भी बहुत गहरा है।

यह सुखद आश्चर्य है कि नेपाल में मगही भाषी की संख्या 3 लाख के आस-पास है। उन्होंने कहा कि हमारा पहला लक्ष्य मगही को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करना है। इसके लिए युवाओं को आगे आना होगा। हमें मगही बोलने-लिखने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा ‘सकुचा नञ, जम के बात कर मगही में’ ।

नेपाल से आये वीर बहादुर महतो ने कहा कि सितंबर-अक्टूबर में होने वाले अंतरराष्ट्रीय मगही महोत्सव में नेपाल की भी सराहनीय भागीदारी होगी। नेपाल में सरकार के सहयोग से साहित्य का प्रकाशन हो रहा है जिसमें भारत के साहित्यकारों की रचना भी शामिल की जा रही है।

नाज़ सिंह ने कहा कि भारत के साथ मगही साहित्य पर काम करना अत्यंत सुखद है। समाजसेवी के. एल. गुप्ता ने इस अभियान में की प्रसंशा करते हुए कहा कि जन सहगोग से ही मगही समृद्ध होगी। सभी मगही भाषी को आगे आना चाहिए। संजय भाई ने कहा कि मगही की मीठी जुबान को घर-घर पहुंचाने को हम कृत संकल्पित हैं। अभियान के दिल्ली संयोजक कुँज बिहारी लाल ने अभियान के आगे की रूप-रेखा का विस्तार से वर्णन किया।

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